Wednesday, 10 February 2010

हिंदी में संचालन का शौख/part 1

यदि आप  हिंदी में  संचालन का शौख रखते हैं तो आप को निम्नलिखित  शेरों  एवं काव्य पंक्तियों से  काफी मदद  मिलेगी . ये  मेरे लिखे हुए नहीं हैं .इन्हें  तो मै बस  संचालकों की सुविधा  के लिए दे रहा हूँ .
 १- खुदी को  कर बुलंद इतना,
    की हर तकदीर से पहले,
    खुदा बन्दे से खुद पूछे ,
    बता तेरी रजा क्या है .

२- ज़माने को जन्हा तक पहुंचना था,वो पहुँचता रहा
    मेरा कद  ऊँचा था सो ऊँचा ही रहा .
 ३-कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे में बदल गए
    कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे बदल गए .
४-प्यास तो रेगिस्तान को भी लगती है ,
  लेकिन हर नदी सागर से ही मिलती है.
 ५- जालिम का कोई धर्म या ईमान नहीं होता,
     जालिम कोई भी हिन्दू या मुसलमान नहीं होता .
६-बचपन से सुनते आया था ,की वो घर सलमान का है
   लेकिन दंगो के बाद ये जाना की ,वो मुसलमान का घर है .
 ७-कौन कहता है की आसमान में सुराग हो नहीं सकता,
    एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों .
 ८-खाली बोतल ,टूटी चूड़ी ,कपडे फटे पुराने से
    हम ने सुना है हुए बारामत,मंदिर के तहखाने से .
 ९-इस शहर में सब से झुक के मिलना ,उनकी मजबूरी है
    क्योंकि इस शहर में कोई उनके बराबर का नहीं है.
 १०-अपनी ही आहुति दे कर,स्वयं प्रकाशित होना सीखो
     यश-अपयश जो भी मिल जाए,सब को हंस के लेना सीखो .
११-मेहर बाँ हो के बुला लो,चाहो जिस वक्त
   मैं गया वक्त नहीं,जो लौट के आ भी न सकूँ .

प्रेम की परिभाषा

प्रेम --------------
 एक ऐसा शब्द है जो,
 जीवन को मखमली स्पर्श देता है.
 जिन्दगी की धुप में,
 सुकून के पल देता है.
 इंसान को प्रेम  ही,
 इंसानियत की ताशीर देता है.
 यह प्रेम  ही है जो,
हमे गीता और क़ुरान देता है.
 प्रेम ही हमे,
संवेदनाओं का वसंत देता है.
 मेरे भाई ,
 यह प्रेम ही है जो,
 सिर्फ देता और देता है .

Tuesday, 9 February 2010

आज अपने जन्मदिन पे

आज अपने जन्मदिन पे 
आज अपने जन्म दिन पे,
रोज की तरह कॉलेज गया .
क्लास रूम में ही घंटी बजने लगी,
बधाई सन्देश थे.

किसी ने पूछा-केक काटा ?
 मैंने कहा- नहीं जी महाविद्यालय में बच्चो के नंबर काट रहा हूँ .
 सामने से फिर प्रश्न्  हुआ -आज कुछ खास ?
 मैंने कहा -हाँ ,हिंदी की क्लास कोई नहीं बैठता,लेकिन सब पास है .
               मुझे आदर्श शिक्षक का पुरस्कार दिया जा रहा है .
सामने वाले ने कहा-अच्छा ,कमाल है .
 मैंने भी कहा -हाँ,कमाल तो है .

Sunday, 7 February 2010

वेलेंटाइन डे का विरोध क्यों ?

वेलेंटाइन डे का विरोध क्यों ?

हमारे देश में कुछ मौसमी विरोध प्रदर्शन एक फैशन सा हो गया है. आप देखेंगे की अभी २-४ दिनों के अंदर ही कुछ स्वयम भू समाज के ठेकेदार वेलेंटाइन डे के विरोध का फरमान जरी कर देंगे. जैसे यह देश ,यंहा की संस्कृति अकेले उनके ही बाप की जागीर हो . धर्म और संस्कृति के नाम पे प्रेम का विरोध करनेवाले ये परम्परागत महानुभाव खुद कितने चरित्र भ्रष्ट और नालायक हैं ये पूरा देश जनता है.
 चंद भाड़े के गुंडे -मवालियों के माध्यम से ये अपनी राजनीति की रोटियाँ सेकने लगते हैं ,अख़बारों में छा जाते हैं. लेकिन मै इनसे जादा इस देश की सरकार को इस बात के लिए दोषी मानता हूँ की वह ऐसे लोंगो पर लगाम कसने की बजाय उन्हें और प्रशय देती है. सरकार की यह  हालत पिछले कई सालों से देख रहा हूँ. इस देश में आज-कल सच बोलना ही सबसे बड़ा अपराध है. मगर मै यह अपराध कर रहा हूँ. कल मेरे साथ कुछ भी हो सकता है. मुझपे हमला हो सकता है.मेरे साथ मार-पीट की जा सकती है.मुझे गधे पे बिठा,मेरा मुह काला कर मेरा जुलूस निकला जा सकता है.मगर मै चुप नहीं बैठ सकता.मरने से पहले हर पल एक मौत के  डर के साथ मैं नहीं जी  सकता.इस लिए आज यह पोस्ट लिखने बैठ गया .
 प्रेम के नाम पे अशलीलता को मैं भी पसंद नहीं करता,लेकिन ये सब एक दिन का रोना नहीं है. साल भर इंटरनेट,फिल्मो,अखबार इत्यादि जगह ये सब चलता ही रहता है ,तो फिर इस दिन ही कुछ लोंगो को अपने आस -पास अशलीलता क्यों नजर आती है ? शायद इस लिए की उनका मकसद कुछ अलग ही रहता है. ऐसे तथा कथित धर्म के अधर्मी ठेकेदारों से मेरा विनम्र अनुरोध है की अपने स्वार्थ और अपनी गन्दी राजनीति में इस वेलेंटाइन डे को बदनाम ना  करें .

आखिर यह प्रेम क्या है ?

जब नहीं हुआ था तब भी,
और जब हो गया तब भी
मैं नहीं समझ पाया की,
आखिर यह प्रेम क्या है ?

एक चाहत भर थी जो ,
आगे जूनून बन गयी.
 एक आदत जो कभी भी,
छूट नहीं सकती .

 एक ऐसा एहसास जो,
सारे सुख-दुःख से परे है.
 एक बीमारी जो कभी ,
 अच्छी होना ही ना चाहे .

 एक पैगाम जो ,
सीधे दिल को मिला ,
किसी और के दिल से ,
 कब,कँहा,कैसे कुछ याद नहीं .

एक ऐसा रिश्ता जो,
है तो अजनबी ही पर,
जाने हुए सारे रिश्तों से,
बहुत जादा अजीज .

इस वलेंटाइन डे

इस वेलेंटाइन डे पर --------------------------

 इस वेलेंटाइन डे पर
  फिर याद तुम्हारी आयी है.
भीगी बरसातों की ,
 सारी बातें फिर आयीं हैं .
 सोते-जागते सपनों की,
 सौगात ये फिर से लायी है .
वो  बात-बात पे तेरा लड़ना,
हर बात पे मेरा तुझे मानना ,
लगता जैसे फिर से आया ,
 गया हुआ वो साल पुराना .
 फोन पे घंटों बाते करना,
 फिर बात-बात में- MISS YOU कहना .
 वो सारा मौसम फिर आया है .
इस वलेंटाइन डे
 जो याद तुम्हारी आयी है .

 

Saturday, 6 February 2010

वेलेंटाइन डे

वेलेंटाइन डे 
 
अंधेरों  के नाम  रौशनी का पैगाम है वेलेंटाइन डे
सपनो के लिए उम्मीदों की सौगात है वेलेंटाइन डे 

सफ़र में किसी अकेले थके हुए  राही के लिए,
हमसफ़र की तरह बहुत खास है वेलेंटाइन डे .

किसी जलजले के बाद की ख़ामोशी के लिए,
फिर से जीवन का हंसी पैगाम है वेलेंटाइन डे .

मासूम बच्चों की किलकारी के लिए ,
किसी भी माँ का दुलार है वेलेंटाइन डे .

प्यार के लिए  तडपे किसी दिल के लिए ,  
सावन की फुहार सा  है वेलेंटाइन डे . 

बहन की  राखी के लिए तरसती हुई ,
कलाई के लिए सबसे खास है वेलेंटाइन डे .
  
किसी की जुल्फों तले सुंकुं पाने के लिए,
दिल की कहने का बहाना है वेलेंटाइन डे .

 आप ने जाने क्या सोचा -समझा है,
मेरे लिए इंसानियत का सबब है वेलेंटाइन डे . 
                                                       ----------------
{हमारे यंहा वेलेंटाइन डे का विरोध करना  एक फैशन हो गया है, जबकि सैंट वेलेंटाइन की याद में मनाया जाने वाला यह दिन हमे प्यार का सन्देश देता है. जिन्दगी के सभी रिश्तों में प्यार का रंग जरुरी है. }
    

ताशकंद के इन फूलों में

  ताशकंद के इन फूलों में केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि मानव जीवन का दर्शन छिपा है। फूल यहाँ प्रेम, आशा, स्मृति, परिवर्तन और क्षणभंगुरता ...