अबूझ पहेली मत बनना ,
गूढ़ पहेली मत बनना
चंद कदम चलकर साथ मेरे
अनजान सहेली मत बनना
लब अमृत सा पिया था
हाथों में हाथ रखा था
सीने से लग मुस्काए
अभिमान सहेली मत बनना
अनजान सहेली मत बनना
चंद कदम चल साथ मेरे
अबूझ पहेली मत बनना
जीवन को महकाया था तूने
सांसे गहरी करवाया था तूने
राहों को हंसी से चहकाया था तूने
मंजिल कटीली ना करना तुम
आहों में अविश्वास ना भरना तुम
साथ रहो ना रहो मगर
प्यार नहीं ना कहना तुम
अभिमान सहेली मत बनना
अनजान सहेली मत बनना
चंद कदम चल साथ मेरे
अबूझ पहेली मत बनना
अबूझ पहेली मत बनना ,
गूढ़ पहेली मत बनना
चंद कदम चलकर साथ मेरे
अनजान सहेली मत बनना
Thursday, 23 September 2010
अबूझ पहेली मत बनना ,
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hindi kavita mohabbat

Tuesday, 21 September 2010
moments goes by ,
moments goes by ,
events fades by ,
feelings remains ,
care and affection what it means ,
judgements may not come true ,
believe is hard to believe ,
but love is always there to see .
cherish those who stand by you ,
implore the goodness who are ignored by you ,
have faith in your own divinity ,
be good to every one by your civility.
don`t take pride in your achievement
don`t go berserk in your embedment
have faith in humbleness
time may bring joy and happiness ,
have growth and bliss .
a life of content ,
full of good intent .
of love and peace ,
of growth and ease.
events fades by ,
feelings remains ,
care and affection what it means ,
judgements may not come true ,
believe is hard to believe ,
but love is always there to see .
cherish those who stand by you ,
implore the goodness who are ignored by you ,
have faith in your own divinity ,
be good to every one by your civility.
don`t take pride in your achievement
don`t go berserk in your embedment
have faith in humbleness
time may bring joy and happiness ,
have growth and bliss .
a life of content ,
full of good intent .
of love and peace ,
of growth and ease.
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english poetry

एक लम्हा और मिला होता /
बतियाते घंटो बीत गए
अब जाने की बेला आई थी
अभी तो हाथ लिया था हाथों में
पर मोबाइल ने रिंग बजायी थी
एक लम्हा और मिला होता
तेरे लबों का अमृत पी लेता
हाथों में हाथ लिए
घूम रहे थे शाम से हम
अभी तो अरमान मचले थे मेरे
अभी सपने चमके थे मेरे
रात हो आई देर हो रही
एक लम्हा और दिया होता
बाँहों में तुझको भर लेता
सुबह सबेरे साथ चले थे
शाम हो आई आखों ने ख्वाब धरे थे
अभी अभी तो धड़कन थी उछली
अभी अभी आखों आखों से प्यास कही थी
देर हुई थी तुझे था जाना
कैसे कहता ये दिल था दीवाना
एक लम्हा और दिया होता
मै अरमानो को जी लेता
भर कर बाँहों में तुझको
तेर लबों का अमृत पी लेता
एक लम्हा और मिला होता /
अब जाने की बेला आई थी
अभी तो हाथ लिया था हाथों में
पर मोबाइल ने रिंग बजायी थी
एक लम्हा और मिला होता
तेरे लबों का अमृत पी लेता
हाथों में हाथ लिए
घूम रहे थे शाम से हम
अभी तो अरमान मचले थे मेरे
अभी सपने चमके थे मेरे
रात हो आई देर हो रही
एक लम्हा और दिया होता
बाँहों में तुझको भर लेता
सुबह सबेरे साथ चले थे
शाम हो आई आखों ने ख्वाब धरे थे
अभी अभी तो धड़कन थी उछली
अभी अभी आखों आखों से प्यास कही थी
देर हुई थी तुझे था जाना
कैसे कहता ये दिल था दीवाना
एक लम्हा और दिया होता
मै अरमानो को जी लेता
भर कर बाँहों में तुझको
तेर लबों का अमृत पी लेता
एक लम्हा और मिला होता /
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mohabbat

Saturday, 18 September 2010
उम्र बड़ी आशाएं घटी
उम्र बड़ी आशाएं घटी
कुछ पल मुस्काए कुछ आंसू लाये
कभी सजी जीवन की सरगम
कभी सताए दुःख औ क्रंदन
एक जीवन में जिए हम कितने जनम
घटती सांसे औ बड़ता बंधन
कुछ पल मुस्काए कुछ आंसू लाये
कभी सजी जीवन की सरगम
कभी सताए दुःख औ क्रंदन
एक जीवन में जिए हम कितने जनम
घटती सांसे औ बड़ता बंधन
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hindi kavita jindagi

Friday, 17 September 2010
सिमटते दायरों बिखरते संबंधों में भटकाव
सिमटते दायरों बिखरते संबंधों में भटकाव
सहमी अपेक्षा उच्श्रीन्खल इच्छा में उलझाव
बदलते स्वरुप रिश्तों में समाहित अधिकार का
बड़ता प्रकोप कुछ रिश्तों के नए विकार का
मान्यताएं टूटती स्व को पोषती नए विचार
मै का प्रहार हम का घटता प्रचार
नयी भागती दुनिया रीती नयी
पल के रिश्ते पल की प्रीती नयी
सहमी अपेक्षा उच्श्रीन्खल इच्छा में उलझाव
बदलते स्वरुप रिश्तों में समाहित अधिकार का
बड़ता प्रकोप कुछ रिश्तों के नए विकार का
मान्यताएं टूटती स्व को पोषती नए विचार
मै का प्रहार हम का घटता प्रचार
नयी भागती दुनिया रीती नयी
पल के रिश्ते पल की प्रीती नयी
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Wednesday, 15 September 2010
Tuesday, 14 September 2010
कौतुहल है उत्सुकता है और बड़ी भावुकता है
कौतुहल है उत्सुकता है और बड़ी भावुकता है
मिलेंगे किस अभिवादन से कितनी ही आतुरता है
प्रीती दिखेगी प्यार दिखेगा या उलझा संवाद दिखेगा
प्यार मिले तिरस्कार मिले पर ना व्यवहारिक व्यवहार मिले
कौतुहल है उत्सुकता है और बड़ी भावुकता है
मिलेंगे किस अभिवादन से कितनी ही आतुरता है
मिलेंगे किस अभिवादन से कितनी ही आतुरता है
प्रीती दिखेगी प्यार दिखेगा या उलझा संवाद दिखेगा
प्यार मिले तिरस्कार मिले पर ना व्यवहारिक व्यवहार मिले
कौतुहल है उत्सुकता है और बड़ी भावुकता है
मिलेंगे किस अभिवादन से कितनी ही आतुरता है
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