Saturday, 24 April 2010

अमरकांत का उपन्यास साहित्य

   अमरकांत का उपन्यास साहित्य  
(1) ग्राम सेविका
                  प्रथम संस्करण  - अप्रैल 1962
                  प्रकाशन  - लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद
      (2) कँटीली राह के फूल
                  प्रथम संस्करण  - सन् 1963
                  प्रकाशन  - राजकमल प्रकाशन
      (3) बीच की दीवार / दीवार और आंगन
                  प्रथम संस्करण  - सन् 1969
                  प्रकाशन  - अभिव्यक्ति प्रकाशन, इलाहाबाद
      (4) सुखजीवी
                  प्रथम संस्करण  - सन् 1982
                  प्रकाशन  - संभावना प्रकाशन, हापुड़
      (5) सूखा पत्ता  
                  प्रथम संस्करण  - सन् 1984
                  प्रकाशन  - राजकमल प्रकाशन
      (6) आकाश पक्षी
                  प्रथम संस्करण  - सन् 2003
                  प्रकाशन  - राजकमल प्रकाशन
      (7) काले उजले दिन
                  प्रथम संस्करण  - सन् 2003
                  प्रकाशन  - राजकमल प्रकाशन
      (8) इन्ही हथियारों से
                  प्रथम संस्करण  - सन् 2003
                  प्रकाशन  - राजकमल प्रकाशन
      (9) सुन्नर पांडे की पतोह
                  प्रथम संस्करण  - सन् 2005
                  प्रकाशन  - राजकमल प्रकाशन
      (10) लहरें  (कादम्बिनी पत्रिका के उपहार अंक के रूप में प्रकाशित)
                  प्रथम संस्करण  - अक्टूबर 2005
                  प्रकाशन  - कादम्बिनी पत्रिका
 (११) बिदा क़ी रात -बया पत्रिका का प्रथम अंक 

अमरकांत और कहानी

अमरकांत और कहानी 
      अमरकांत 'नई कहानी` आंदोलन के प्रमुख कहानीकारों में से एक है। 'नई कहानी के नाम को लेकर अवश्य विवाद रहा पर इस दौर की कहानियों ने कहानी विधा को एक नया मोड़ दिया। अब कहानी में 'शिल्प` नहीं 'कथ्य` महत्वपूर्ण हो गया। कहानियों का लेखन कार्य यथार्थ की भावभूमि से जुड़ा। 'नई कहानी` अपने आप को 'वैचारिक दृष्टि` से बदल रही थी। कहानी के लिए शाश्वत मूल्य बन चुके आग्रहों से 'नई कहानी` लड़ रही थी। 'नई कहानी` 'कहानी` होने से पहले 'जीवनानुभव` का आग्रह करने लगी थी।
      देश की स्वतंत्रता के साथ ही साथ देश का विभाजन हो गया। देश के बँटवारे के साथ भीषण साम्प्रदायिक दंगो ने हमारी राष्ट्रीयता की जड़े हिला दी। भुखमरी और अकाल की परिस्थितियों ने मानव मूल्यों को झकझोर दिया। इन समस्याओं के साथ कुछ नई समस्याएँ भी देश के सामने आयी। ये समस्याएँ शरणार्थियों की व्यवस्था, आर्थिक विकास और सुचारू प्रशासन की थी। इन परिस्थितियों ने सामान्य जन को यथार्थ के प्रति अधिक जागरूक बनाया। नई कहानी में जटिल जीवनऱ्यथार्थ की व्यापक स्वीकृति अभिव्यक्त हुई। इसके माध्यम से 'व्यक्ति-चेतना` को महत्व मिला। कोरी भावुकता धीरे-धीरे कहानियों से हटने लगी। नई कहानी के माध्यम से सांकेतिकता वस्तु और शिल्प दोनों में आयी। मध्यमवर्गीय समाज की पीड़ा, दुख, दर्द, क्षोभ, विवशता और हीनता का सबसे अधिक चित्रण नई कहानी में हुआ।
      निश्चित तारीखों के आधार पर 'नयी कहानी` का काल खण्ड निर्धारित करना मुश्किल है। फिर भी अध्ययन की सुविधानुसार सन् 1954 से सन् 1963 तक के पूरे काल खण्ड को नयी कहानी का समय कहा जा सकता है। नयी कहानी की प्रतिष्ठा के साथ-साथ अमरकांत की कहानियों को साहित्यिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। अमरकांत अपने कथा साहित्य के माध्यम से आम आदमी की संवेदनाओं को बड़ी ही कुशलता से अभिव्यक्त करते रहे हैं। अमरकांत के पात्रों की चारित्रिक जटिलता काल्पनिक नहीं है। बहुस्तरीय शोषण, मूल्य हीनता और मोहभंग जैसी जटिल स्थितियों का मनोवैज्ञानिक स्तर पर प्रहारधर्मी व्यंगों के माध्यम से अमरकांत ने व्यक्त किया है। संवेदना के साथ-साथ अमरकांत के साहित्य के शिल्प की भी अपनी विशेषता है। उनकी भाषा सहज और सरल है। अमरकांत ने मुहावरों व लोकोक्तियों का भी सार्थक प्रयोग किया। अमरकांत ने अपने तीखे व्यंग के माध्यम से उन सफेद-पोश लोगों को भी नंगा किया जो दोहरा जीवन जीने के आदी थे। कथाकार अमरकांत - प्रेमचंद की कहानी परंपरा को आगे बढ़ाने वाले कहानीकारों में से एक हैं।
      अमरकांत के कई कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ये सभी प्रकाशित संग्रह इधर 'अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ दो पुस्तकों में संग्रहित हो गयी। अध्ययन-अध्यापन की दृष्टि से यह संग्रह बहुत उपयोगी है। इन दो पुस्तकों के अतिरिक्त - उधर अमरकांत ने जो कहानियाँ लिखी वे भी 'जाँच और बच्चे` नामक शीर्षक से प्रकाशित हो चुकी है। इस तरह अमरकांत की अब तक की लिखी सारी कहानियाँ इन तीनों पुस्तकों के माध्यम से प्रकाशित हो चुकी हैं। ये तीनों कहानी संग्रह इस प्रकार से हैं -
      (1) अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ  - खण्ड एक
                  प्रथम संस्करण  - सन् 2002
                  प्रकाशन  - अमर कृतित्व
                                          करेली, इलाहाबाद (उ.प्र.)
      (2) अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ  - खण्ड दो
                  प्रथम संस्करण  - सन् 2002
                  प्रकाशन  - अमर कृतित्व
                                          करेली, इलाहाबाद (उ.प्र.)
      (3) जाँच और बच्चे    - खण्ड एक
                  प्रथम संस्करण  - सन 2005
                  प्रकाशन  - अमर कृतित्व
                                          गोविंद पुर, इलाहाबाद (उ.प्र.)
      कहानियों के अतिरिक्त अमरकांत ने कई उपन्यास भी लिखे हैं।
 
 

अमरकांत का कथा साहित्य : सक्षिप्त परिचय

(क) अमरकांत का कथा साहित्य : सक्षिप्त परिचय
1) कहानी :
      क) अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ भाग 1
      ख) अमरकांत की संपूर्ण कहानियाँ भाग 2
      ग) जॉच और बच्चे
2) उपन्यास
      1) सूखा पत्ता
      2) आकाश पक्षी
      3) काले उजले दिन
      4) कँटीली राह के फूल
      5) ग्राम सेविका
      6) सूख जीवी
      7) बीच की दीवार
      8) सुन्नर पांडे की पतोह
      9) इन्ही अथियारों से
      10)लहरें 
3) संस्मरण :
      1) कुछ यादें कुछ बातें
4) प्रकीर्ण साहित्य :
      1) नेडर भाई
      2) बानर सेना
      3) खूँटा में दाल है
      4) सुग्गी चाची का गाँव
      5) झगसलाल का फैसला
      6) एक स्त्री का सफर

 

Friday, 23 April 2010

hindi writer amerkant /photo


कैसे वो कह दे , 2

कैसे वो कह दे ,
कौनसा वक़्त बड़ा था ;
कैसे वो स्वीकारे ,
कौनसा रिश्ता दिल में गड़ा था ;
.
मौत की चारपाई पे लेटी ,
वो निर्णय लेने में असमर्थ है ,
कौनसा पल सबसे सुंदर ,
कौन है उसके दिल की गहराईयों में सबसे अंदर ;
.
कैसे वो कह दे /
.
कैसे वो कह दे ,
कौन है उसकी रूहों में आत्माओं में,
कौन है वो ,
जों बसा है उसकी हर धरनाओ में ;
कैसे वो कह दे ,
क्या तलाशती रही जिंदगी भर वो अपने भावों में
कैसे वो कह दे /


 

याद तेरी , 8

याद तेरी ,
.
अरमान की मचलन ,
.
याद तेरी ,
.
मिलन की तड़पन ,
.
याद तेरी ,
.
अभिषार अलौकिक ,
.
याद तेरी ,
.
संसार ये लौकिक ,
.
याद तेरी / 
 

याद तेरी ,7

याद तेरी ,
.
पहला आमंत्रण ,
.
याद तेरी ,
.
खुशियों का अर्पण ,
.
याद तेरी ,
.
ह्रदय की पीड़ा ,
.
याद तेरी ,
.
प्यार की वीणा ,
.
याद तेरी /
 
.

राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर...

 राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर... 1.तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो 2.गुलाब, ख़्वाब, ...