Sunday, 19 April 2009

मुझे भुला देगा --------------------------

मुझे मुझसे ही चुरा लेगा
इसतरह वह मुझे सजा देगा ।

वह चला तो है हमसफ़र बन,
मगर मालूम है दगा देगा ।

बेदाग़ है अभी दामन मेरा,
इश्क कोई दाग लगा देगा ।

जैसे ही मिल जायेगा दूसरा,
वह यकीनन मुझे भुला देगा ।

दिल का इलाज सिर्फ़ दिलबर है,
वही तो मोहबत्त की दवा देगा ।

तुमारी यादो से --------------------------

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तुम्हारी यादो से महक रहा कमरा मेरा
तुम्हे सोचा, और खिल गया चेहरा मेरा ।
अकेले मुझसे मिलने, जब भी आती हो ,
तुम्हे देख हो जाता है, रंग गहरा मेरा ।
ना जाने कितनो को उदास कर गया,
तेरे इंतजार मे सर का यह सेहरा मेरा ।
जहा पर रूकी हुई हो तुम अब तक ,
खुशियों का हर लम्हा, वही ठहरा मेरा ।
आज मेरे हिस्से मे घोर अँधेरा सही,
लेकिन कल होगा, सुनहरा सबेरा मेरा ।

नई है शुरुआत ---------------------------

जरूरी है मुलाक़ात समझा करो
नई -नई है शुरुआत समझा करो ।

सबकुछ कह तो नही सकता ,
दिल के जज्बात भी समझा करो ।

न नीद,न चैन,न करार है मुझे ,
सब मोहबत्त की सौगात समझा करो ।

ये सभी राजनीति के दांव-पेज हैं ,
इसके अजीब करामात समझा करो ।

यद्यपि है अँधेरा बहुत घना पर,
आएगा नया प्रभात भी समझा करो ।

Saturday, 18 April 2009

चंद पाकिस्तानी आये थे बोट लेकर --------------------------

चंद पाकिस्तानी आये थे बोट लेकर

अब तो सैकडो आ रहे हैं वोट लेकर ।



उन्हे कहा किसी का डर होता है ,

वे तो चलते हैं गांधी छाप नोट लेकर ।



अगले चुनाव तक कोई नही पूछे गा ,

जनता घूमती रहेगी अपनी चोट लेकर ।



जो नेता है,उसपर ऐतबार मत करना,

घूमता रहता है वह नीयत मे खोट लेकर

बेटी का बाप -----------------------

हर आहट पे कितना खबरदार है
बेटी का बाप मानो पहरेदार है ।

मोहल्ले की हर जवान खिड़की,
BAAREHO MAHINAY KHUSBOODAAR HAI .

JISY NAHI MILA ABHI TAK AVSAR,
VAHI KHUD KO KAHTA VAFAADAAR HAI .

JANHAA PAR PAISA AUR PAHUNCH HAI ,
VANHA KANHA KAANOON KOI ASARDAAR HAI .

Thursday, 16 April 2009

हर बात में -------------------

हर बात में वही बात जताते हैं
खुल के पूछो तो इठलाते हैं ।

किसी और से नही पर ,
मेरे आगे खूब इतराते हैं ।

मैने पूछा प्यार के बारे में,
वो हैं की बस बहकाते हैं ।

मन जो सुनना चाहता है,
उसी बात को सुन शर्माते हैं ।

कभी-कभी नाराज होता हूँ क्योंकि,
VO BADAY HI PYAAR SAY MANAATAY HAIN ।

न पूछो तुम जुदाई का सबब --------------------------

झूठी तारीफों से मान जाते हैं


सच बोलूँ तो खफा होते हैं ।





मिलने का तो ऐसा है कि,


खयालो में हर रोज आते हैं ।





न पूछो तुम जुदाई का सबब,


BADEE TANHA BADEE BECHAIN RAATAY HAIN .





YOON TO MUJHSAY BAHUT DOOR HAI PAR,


USI KO SABSAY KAREEB PAATAY HAIN .





AAP JISAY KAHTAY HAIN GAZAL,


VO TO DARD SAY RISHTAY-NAATAY HAIN .

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...