Thursday, 6 September 2012

ऐतिहासिक रहा ब्लॉगरों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन

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ऐतिहासिक रहा ब्लॉगरों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन


दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन करते वरिष्ठ साहित्यकार उद्भान्त, साथ मे शिखा वार्ष्नेय,गिरीश पंकज,रणधीर सिंह सुमन और रवीन्द्र प्रभात

दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन करते वरिष्ठ साहित्यकार उद्भान्त, साथ मे शिखा वार्ष्नेय,गिरीश पंकज,रणधीर सिंह सुमन और रवीन्द्र प्रभात

आज से 75 साल पहले सन 1936 में लखनऊ शहर प्रगतिशील लेखक संघ के प्रथम अधिवेशन का गवाह बना था, जिसकी गूंज आज तक सुनाई पड़ रही है। उसी प्रकार आज जो लखनऊ में ब्लॉग लेखकों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हो रहा है, इसकी गूंज भी आने वाले 75 सालों तक सुनाई पड़ेगी।
उपरोक्त विचार बली प्रेक्षागृह, कैसरबाग, लखनऊ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रतिष्ठित कवि उद्भ्रांत ने व्यक्त किये। सकारात्मक लेखन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह सम्मेलन तस्लीम एवं परिकल्पना समूह द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में पूर्णिमा वर्मन (शरजाह) रवि रतलामी (भोपाल), शिखा वार्ष्णेय (लंदन), डॉ0 अरविंद मिश्र (वाराणसी), अविनाश वाचस्पति (दिल्ली), मनीष मिश्र (पुणे), इस्मत जैदी (गोवा), आदि ब्लॉगरों ने अपने उद्गार व्यक्त किये। कार्यक्रम को मुद्राराक्षस, शैलेन्द्र सागर, वीरेन्द्र यादव, राकेश, शकील सिद्दीकी, शहंशाह आलम, डॉ. सुभाष राय, डॉ. सुधाकर अदीब, डॉ विनय दास आदि वरिष्ठ साहित्यकारों ने भी सम्बोधित किया।
मंचासीन डॉ सुभाष राय,सुश्री शिखा वार्ष्नेय,वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक शैलेंद्र सागर, डॉ अरविंद मिश्रा, गिरीश पंकज आदि
मंचासीन डॉ सुभाष राय,सुश्री शिखा वार्ष्नेय,वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक शैलेंद्र सागर, डॉ अरविंद मिश्रा, गिरीश पंकज आदि
वक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इंटरनेट एक ऐसी तकनीक है, जो व्यक्ति को अभिव्यक्ति का जबरदस्त साधन उपलब्ध कराती है, लोगों में सकारात्मक भावना का विकास करती है, दुनिया के कोने-कोने में बैठे लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का अवसर उपलब्ध कराती है और सामाजिक समस्याओं और कुरीतियों के विरूद्ध जागरूक करने का जरिया भी बनती है। इसकी पहुँच और प्रभाव इतना जबरदस्त है कि यह दूरियों को पाट देता है, संवाद को सरल बना देता है और संचार के उत्कृष्ट साधन के रूप में उभर कर सामने आता है। लेकिन इसके साथ ही साथ जब यह अभिव्यक्ति के विस्फोट के रूप में सामने आती है, तो उसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलते हैं। ये परिणाम हमें दंगों और पलायन के रूप में झेलने पड़ते हैं। यही कारण है कि जब तक यह सकारात्मक रूप में उपयोग में लाया जाता है, तो समाज के लिए अलादीन के चिराग की तरह काम करता है, लेकिन जब यही अवसर नकारात्मक स्वरूप अख्तियार कर लेता है, तो समाज में विद्वेष और घृणा की भावना पनपने लगती है और नतजीतन सरकारें बंदिषें का हंटर सामने लेकर सामने आ जाती हैं। लेकिन यदि रचनाकार अथवा लेखक सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए इस इंटरनेट का उपयोग करे, तो कोई कारण नहीं कि उसके सामने किसी तरह का खतरा मंडराए। इससे समाज में प्रेम और सौहार्द का विकास भी होगा और देष तरक्की की सढ़ियाँ भी चढ़ सकेगा।
परिकल्पना ब्लॉग दशक सम्मान
दशक के ब्लॉगर: (१) पूर्णिमा वर्मन (२) समीर लाल समीर (३) रवि रतलामी(४) रश्मि प्रभा (५) अविनाश वाचस्पति
दशक के ब्लॉग: (१) उड़न तश्तरी: ब्लॉगर समीर लाल समीर (२) ब्लोग्स इन मिडिया: ब्लॉगर बी एस पावला (३) नारी: ब्लॉगर रचना (४) साई ब्लॉगः ब्लॉगर डॉ अरविंद मिश्र (५) साइंस ब्लोगर असोसिएशन: ब्लॉगर डॉ अरविंद मिश्र डॉ जाकिर अली रजनीश
दशक के ब्लॉगर दंपति:
कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव

तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011

मुकेश कुमार सिन्हा, देवघर, झारखंड ( वर्ष के श्रेष्ठ युवा कवि) , संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, उत्तर प्रदेश (वर्ष के उदीयमान ब्लॉगर), प्रेम जनमेजय, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार ),राजेश कुमारी, देहरादून, उत्तराखंड (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, यात्रा वृतांत ), नवीन प्रकाश,रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के युवा तकनीकी ब्लॉगर),अनीता मन्ना,कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),डॉ. मनीष मिश्र, कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),सीमा सहगल(रीवा,मध्यप्रदेश) रू रश्मि प्रभा ( वर्ष की श्रेष्ठ टिप्पणीकार, महिला ), शाहनवाज,दिल्ली (वर्ष के चर्चित ब्लॉगर, पुरुष ), डॉ जय प्रकाश तिवारी (वर्ष के यशस्वी ब्लॉगर),नीरज जाट, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत),गिरीश बिललोरे मुकुल,जबलपुर (मध्यप्रदेश) (वर्ष के श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर), दर्शन लाल बवेजा,यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान कथा लेखक),शिखा वार्ष्णेय, लंदन ( वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, संस्मरण), इस्मत जैदी,पणजी (गोवा) (वर्ष का श्रेष्ठ गजलकार),राहुल सिंह, रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग विचारक),बाबूशा कोहली, लंदन (यूनाइटेड किंगडम) (वर्ष की श्रेष्ठ कवयित्री ), रंजना (रंजू) भाटिया,दिल्ली (वर्ष की चर्चित ब्लॉगर, महिला),सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड) (वर्ष के श्रेष्ठ अनुवादक), कैलाश चन्द्र शर्मा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ वाल कथा लेखक ),धीरेंद्र सिंह भदौरोया (वर्ष के श्रेष्ठ टिप्पणीकार, पुरुष),शैलेश भारतवासी, दिल्ली (वर्ष के तकनीकी ब्लॉगर),अरविंद श्रीवास्तव, मधेपुरा (बिहार) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक),अजय कुमार झा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग खबरी),सुमित प्रताप सिंह, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ युवा व्यंग्यकार),रविन्द्र पुंज, यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के नवोदित ब्लॉगर), अर्चना चाव जी, इंदोर (एम पी) (वर्ष की श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर),पल्लवी सक्सेना,भोपाल (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, सकारात्मक पोस्ट) ,अपराजिता कल्याणी, पुणे (वर्ष की श्रेष्ठ युवा कवयित्री ) ,चंडी दत्त शुक्ल, जयपुर (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, कथा कहानी ),दिनेश कुमार माली,बलराजपुर (उड़ीसा) वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (संस्मरण ),डॉ रूप चंद शास्त्री मयंक (खटीमा) वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार, सुधा भार्गव,वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, डॉ हरीश अरोड़ा, दिल्ली ( वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक ) आदि

तस्लीम परिकल्पना विशेष ब्लॉग प्रतिभा सम्मान-2011

कुँवर कुसुमेश, लखनऊ, प्रीत अरोड़ा, चंडीगढ़, सुनीता शानू, दिल्ली, कनिष्क कश्यप, दिल्ली, निर्मल गुप्त, मेरठ, मुकेश कुमार तिवारी, इंदोर,अल्का सैनी,चंडीगढ़,प्रवीण त्रिवेदी, फ़तहपुर आदि

वटवृक्ष का लोकार्पण : वायें से सुश्री शिखा वार्ष्नेय,रवीन्द्र प्रभात,डॉ अरविंद मिश्रा, डॉ सुभाष राय, श्री शैलेंद्र सागर,श्री उद्भ्रांत, श्री गिरीश पंकज,ज़ाकिर अली रजनीश,रणधीर सिंह सुमन व अन्य

वटवृक्ष का लोकार्पण : वायें से सुश्री शिखा वार्ष्नेय,डॉ अरविंद मिश्रा, रवीन्द्र प्रभात, डॉ सुभाष राय, श्री शैलेंद्र सागर,श्री उद्भ्रांत, श्री गिरीश पंकज,ज़ाकिर अली रजनीश,रणधीर सिंह सुमन व अन्य

इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आए 200 से अधिक ब्लॉगर, लेखक, संस्कृतिकर्मी और विज्ञान संचारक भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में तीन चर्चा सत्रों (न्यू मीडिया की भाषाई चुनौतियाँ, न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार, हिन्दी ब्लॉगिंगः दशा, दिशा एवं दृष्टि) में रचनाकारों ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक रवीन्द्र प्रभात ने ब्लॉगरों की सर्वसम्मति से सरकार से ब्लॉग अकादमी के गठन की मांग की, जिससे ब्लॉगरों को संरक्षण प्राप्त हो सके और वे समाज के विकास में सकारात्मक योगदान दे सकें।

इस अवसर पर ‘वटवृक्ष‘ पत्रिका के ब्लॉगर दषक विषेषांक का लोकार्पण किया गया, जिसमें हिन्दी के सभी महत्वपूर्ण ब्लॉगरों के योगदान को रेखांकित किया गया है। इसके साथ ही साथ कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ0 जाकिर अली रजनीश की पुस्तक ‘भारत के महान वैज्ञानिक‘ एवं अल्का सैनी के कहानी संग्रह ‘लाक्षागृह‘ तथा मनीष मिश्र द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘हिन्दी ब्लॉगिंगः स्वरूप व्याप्ति और संभावनाएं‘ का भी लोकार्पण इस अवसर पर किया गया।

कार्यक्रम के दौरान ब्लॉग जगत में उल्लेखनीय योगदान के लिए पूर्णिमा वर्मन, रवि रतलामी, बी एस पावला, रचना, डॉ अरविंद मिश्र, समीर लाल समीर, कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव को ‘परिकल्पना ब्लॉग दशक सम्मान‘ से विभूषित किया गया।

इसके साथ ही साथ अविनाश वाचस्पति को प्रब्लेस चिट्ठाकारिता शिखर सम्मान, रश्मि प्रभा को शमशेर जन्मशती काव्य सम्मान, डॉ सुभाष राय को अज्ञेय जन्मशती पत्रकारिता सम्मान, अरविंद श्रीवास्तव को

“लखनऊ में स्थापित होगा डॉ राम मनोहर लोहिया ब्लॉगर पीठ, इस आशय का प्रस्ताव संयोजक रवीन्द्र प्रभात ने सभा पटल पर रखा जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। साथ इस अवसर पर रवीन्द्र प्रभात ने ब्लॉगर कोश बनाने की बात कही ।”

केदारनाथ अग्रवाल जन्मशती साहित्य सम्मान, शहंशाह आलम को गोपाल सिंह नेपाली जन्मशती काव्य सम्मान, शिखा वार्ष्णेय को जानकी बल्लभ शास्त्री स्मृति साहित्य सम्मान, गिरीश पंकज को श्रीलाल शुक्ल व्यंग्य सम्मान, डॉ. जाकिर अली रजनीश को फैज अहमद फैज जन्मशती सम्मान तथा 51 अन्य ब्लॉगरों को ‘तस्लीम-परिकल्पना सम्मान‘ प्रदान किये गये।

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हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है


सोमवार, 3 सितम्बर 2012 http://www.parikalpnaa.com/   se saabhar 


हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है...

विगत 27 अगस्त को परिकल्पना ने अपना दूसरा ब्लॉग उत्सव अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन के रूप में मनाया । विगत वर्ष यह कार्यक्रम नयी दिल्ली में 30 अप्रैल को हुआ था । जब-जब ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं पक्ष और विपक्ष में स्वर तो उठते हीं हैं, उठने भी चाहिए किन्तु मर्यादा में उठे तो उसका सौन्दर्य बचा रहता है । 

 कार्यक्रम के बाद ब्लॉग पर कई लोगों की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली, कई लोगों ने मुद्दे अच्छे उठाए जैसे रवि रतलामी जी ने कहा "जिनके चेहरों से परिचित हैं उनके ब्लॉग से परिचित नहीं .. काश एक परिचय सत्र होता !" मैं भी मानता हूँ कि भोजनोपरांत यदि 'परिचय सत्र' होता तो सबको सबसे परिचय मिल जाता। 'परिचय सत्र ' की मांग उचित ही है। आगे के कार्यक्रमों में इस बात का ध्यान रखा जाएगा रवि जी। 

 दिनेश राय द्विवेदी जी ने कहा " इतने सम्मानों वाला सम्मेलन तीन दिन का होना चाहिए। सुबह शाम का वक्त कहीं घूमने घुमाने का भी होना चाहिए। कुछ अनौपचारिक सत्र भी होने चाहिए, सभागार के बाहर लॉन में चाय-पान-भोजन की व्यवस्था हो और उस के लिए एक-दो घंटे इंतजार करना पड़े। तब गप्प लड़ाई जाए। " यह सुझाव भी सारगर्भित है, आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि संसाधन की न्यूनता नहीं रही, तो आपके सुझाव पर गौर किया जा सकता है । 

 हिन्दी ब्लॉगिंग से आठ साल से भी अधिक समय से जुड़े होने वाले एक फुरसतिया  ब्लॉगर ने भी यह मानाकि "खूब शानदार कार्यक्रम हुआ। आयोजकों ने खूब मेहनत की। तमाम घोषणायें हुईं। लोग एक दूसरे से मिले मिलाये। खूब सारी यादें समेटे हुये लोग अपने-अपने स्थान को गम्यमान हुये। हिन्दी ब्लॉगिंग के इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जुड़ गया। " शुक्रिया । लेकिन उन्होने प्रेमचंद के उस वयान को भी अंकित किया कि “क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे” ? क्यों नहीं कहोगे भाई, कहो जी खोलकर कहो । हमारी एक फितरत से तो आप वाकिफ हो ही कि सम्मान करना मेरे फितरत में शामिल है । दूसरी भी फितरत जान लो कि हम सुनना भी जानते हैं, करना भी जानते हैं और अंतत: विजयी होना भी....।

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Wednesday, 5 September 2012

विद्वानों की सार्थक चर्चा

भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र ( IIAS ) शिमला के  सेमिनार में शोध आलेखों के पढे जाने के बाद बड़े अच्छे तरीके से स्वस्थ चर्चा होती है , उसी की एक झलक  आप  इस विडियो में देख सकते हैं । विडियो देखने के लिए यहाँhttp://www.youtube.com/my_videos_upload क्लिक करें । 

भक्ति पे एक शोध आलेख

भक्ति पे एक शोध आलेख सुरभी द्वारा  इस समय पढ़ा जा रहा है । उसी का एक अंश इस विडियो में आप देख सकते हैं। विडियो देखने के लिए दिये गए इस लिंकhttp://www.youtube.com/watch?v=B1zV0xBNtfU&feature=youtu.be पे क्लिक करें । यह सेमिनार IIAS शिमला में चल रहा है । 

लोक संस्कृति में कबीर का जीवंत प्रमाण


भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र शिमला मेँ  चल रहे दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में दिल्ली के एक प्राध्यापक  श्री  सुमित जी ने  कबीर के लोक संस्कृत में जिंदा होने का प्रमाण इस वीडियो के माध्यम से दिया । काफी मेहनत करके यह सामाग्री इकट्ठी की गई होगी । कबीर पे यह सुंदर सामाग्री है । मै यह सामग्री आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूँ ।

    मैं इन दिनों शिमला में ही हूँ , इसलिए इस सामग्री को रिकार्ड करने का मौका मिला । http://www.youtube.com/watch?v=pdLIJnjdI0o&feature=youtu.be  इस लिंक पे क्लिक करके आप विडियो देख  सकते हैं ।

ON LINE HINDI JOURNAL: भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का साऊथ अफ्रिका में प्रतिनिधित्व

ON LINE HINDI JOURNAL: भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का साऊथ अफ्रिका में प्रतिनिधित्व

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का साऊथ अफ्रिका में प्रतिनिधित्व

09वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन जोहानसबर्ग, दक्षिण अफ्रिका में आगामी 22- 24 सितंबर को आयोजित किया जा रहा है । इस विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र, शिमला ( IIAS ) का प्रतिनिधित्व यंहा राजभाषा सचिव के रूप में कार्यरत श्री साक्षांत माधवराव मस्के जी कर रहें हैं । आप वंहा पे  महात्मा गांधी की भाषा दृष्टि पे अपना शोध आलेख प्रस्तुत करेंगे ।
 श्री मस्के जी यंहा 1976 से कार्यरत हैं। आप मूल रूप से महाराष्ट्र के लातूर जिले से हैं । आप की शिक्षा औरंगाबाद के मिलिंद कालेज से हुई है । आप ने लाइब्ररी साइंस में स्नातक किया ।
http://www.youtube.com/watch?v=G26uxoA1fjs&feature=share(  इस लिंक पे मस्के जी का साक्षात्कार देखें । )

परिवार के  तंग आर्थिक कारणों से आप ने काम करते हुवे अपना अध्ययन कार्य जारी रखा । चंपा नामक बकरी पाल के भी आपने अपना अध्ययन जारी रखा ।  जैन महविद्यालय पुणे में आप ने अपना पहला इंटरव्यू दिया था । उसके बाद आप दिल्ली आए, वो समय आपातकाल का था ।  आप आए और आप का चयन शिमला के लिए कर लिया गया । जीवन में कई उतार चढ़ाव के साथ आप जीवन में सतत आगे बढ़ते रहे । iias में एसोशिएटशिप कार्यक्रम शुरू कराने में भी आपने पर्दे के पीछे से बड़ा सराहनीय कार्य किया । ओम प्रकाश वाल्मीकि, निर्मल वर्मा  और भीष्म साहनी जैसे साहित्यकारों का साथ आप को मिला ।
हिंदी दिवस पे आप अनेकों ऐसे कार्यक्रम चलाते हैं जो शृंखला बद्ध तरीके से साल भर चलते हैं । दलित साहित्य  पे आप की एक बड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है । पुस्तक का शीर्षक है - परंपरागत वर्ण व्यवस्था और दलित साहित्य । इनके अतिरिक्त कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में आप का आलेख नियमित रूप से छपता रहता है ।

अपने कठोर परिश्रम के दम पे आज आप इस मक़ाम तक पहुंचे हैं ।



Tuesday, 4 September 2012

Conceptualizing Emotions in Indian Thought-Systems from a Feminist Perspective, Emily Sharma, Tripura University

      येमिली शर्मा ने प्रस्तुत किया बेहतरीन  शोध पत्र ।
      भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र (IIAS) शिमला में  ‘Reflection on Emotions in Indian Thought-Systems’ इस विषय पे आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में त्रिपुरा विश्वविद्यालय की पीएच.डी. शोध छात्रा येमली शर्मा ने महत्वपूर्ण शोध पत्र प्रस्तुत किया । अँग्रेजी भाषा में शोधकार्य कर रही येमिली इस सेमिनार में शामिल सबसे युवा प्रतिनिधि थी । आप के शोध आलेख का विषय था Conceptualizing Emotions in Indian Thought-Systems from a Feminist Perspective, (Emily Sharma, Tripura University)
     आप ने स्त्री विमर्श के विभिन्न और अछूते पहलुओं पर सभी का ध्यान आकर्षित कराया । पूरी संगोस्ठी की रूपरेखा इसप्रकार थी –
INDIAN INSTITUTE OF ADVANCED STUDY
RASHTRAPATI NIVAS, SHIMLA - 171005
                    Seminar on
 ‘Reflection on Emotions in Indian Thought-Systems’
                (September 4-6, 2012)

Day I, 4 September 2012 (Tuesday)
Opening session: (9.30-11.45 am)
 9.30-10.00              Registration
10.00-11.15              Opening remarks: Peter Ronald deSouza, Director IIAS
                                Keynote address: T.R.S. Sharma, Fellow, IIAS
                                Inaugural speech: Purushottama Bilimoria, University of
                                                        California, Berkeley.
                                Introduction of Participants

11.15-11.45              Tea Break/Group Photo

11.45-01.15              Multi-dimensionality of Emotions in Indian Thought-Systems

                                Towards a Metaphysics of Emotions in Indian Thought-Systems:
                                S.E. Bhelke, University of Pune

                                Moha Kāla: Aporias of Emotions, D. Venkat Rao, University of
                                Hyderabad

                                Chair: T.R.S. Sharma

01.15-02.15              Lunch Break

Session II:              Emotions in the Construction of the Sacred Feminine
(02.15-03.45)
                        
                                Conceptualizing Emotions in Indian Thought-Systems from a
                                Feminist Perspective, Emily Sharma, Tripura University

                                Maternal Emotions in Art, Ambalicka Sood Jacob, Fellow, IIAS

                                Chair: Rukmini Bhaya Nair


Session III:              Emotional Encounter? What Happens When Darwin and
(5.30-7.00)               Bharata Converse, Rukmini Bhaya Nair, IIT, Delhi.

Venue:         Pool Theatre

8.00 p.m.                Director’s Dinner





Day II, 5 September 2012 (Wednesday)

Session IV:     Emotions in Classical Indian Philosophy and in Buddhism
(9.30-11.30)  
                        Emotions vs Rationality: Some Reflections from Purvamimamsa,
                       Ujjwala Jha, University of Pune

Positive and Negative Emotions: Some Reflections on their Treatment in Nyaya, V.N. Jha, University of Pune

                        Emotions in Buddhism, Varun Tripathi, University of Jammu  
                    
                        Chair: Purushottama Bilimoria


Session V:              Conceptualizing “Negative” Emotions               
(11.30-01.30) 
Abhinivesh (The Fear of Death): From Anxiety to Authenticity, Pankaj Basotia, Himachal University, Shimla

Between Fear and Heroism: Tantric Path to Liberation, Aleksandra Wenta, Fellow, IIAS.

Grief and Mourning: theorizing on the troubled bhāvas cross-culturally,
                         Purushottama Bilimoria, University of California, Berkeley

                                Chair: Advaitavadini Kaul

01.30-02.30     Lunch Break

Session VI:             The Role of Emotions in Bhakti, Part I
(02.30-4.30)   
                        Emotions and their Transformations in Indian Psychology: A Path
                                to Oneness? Suneet Varma, University of Delhi

Understanding the Relationship of Emotions and Objectivity in the Context of Bhakti Surbhi Vohra, IIT, Indore

Principal Emotions Contributing to the Supreme Love of Śiva: Study of Early Śaiva Hymnal Corpus, T. Ganeshan, French Institute of Pondicherry.

                                Chair: Amitranjan Basu

04.00.04.30       Tea











Day III, 6 September 2012 (Thursday)

Session VII:    The nature of Bhava and Rasa
(9.30-11.30)                    
                        The Concept of Bhāva and Bhāvana in Kashmir 
                        Shaivism, Advaitavadini Kaul, IGNCA, Delhi
                     
                       Emotions in Sanskrit Poetics, Hari Dutt Sharma, University of
                       Allahabad
                     
                       Rasa in Javanese Tradition, Andrea Acri, National University of
                       Singapore

                       Chair: V.N.Jha 


Session VIII:   Aesthetics of Emotions in Dance and Song 
(11.30-01.00) 
                        The Concept of ‘Hasyam’ According to the Natyaśastra and as
                       Expressed in Dance Today, Biliana Mueller, University of Delhi

                        Songs of the Bauls of Bengal: Emotive Basis for Religious and
                        Philosophic Symmetry, Ujjwal Jana, University of Pondicherry

                        Chair: D. Venkat Rao
                 
                        Closing Remarks: Aleksandra Wenta, Fellow, IIAS



                     

  














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