Tuesday, 29 September 2009
मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /

Sunday, 27 September 2009
सब्र कर कुछ दिन


Thursday, 24 September 2009
केशों से ढलकता पानी है ;

केशों से ढलकता पानी है ;
रिमझिम बरसते मौसम की अजब रवानी है ;
महकते फुल हैं ,मदहोशी का शमा है ;
भीगा बदन ,गहरी सांसें अरमां जवां है ;
झिझकती काया है ,उफनते जजबातों की माया है ;
कामनाएं फैला रही हैं अपने अधिकारों को ;
संस्कार की रीतियाँ रोक रही है भावनावों को ;
मन उलझा हुआ है , तन बहका हुआ है ;
डर रह रह के उभर आता है सीमाएं टूट न जायें ;
अरमां आगे बडाते हैं ये लम्हा छुट न जाए ;
स्वर्गिक अनुभूति है पर ज़माने की भी कुछ रीती है ;
प्रिती प्यासी है ख़ुद पे बस कहाँ बाकी है ;
झिझक ,तड़प ,प्यास ,विस्वास ,खुशियाँ और उदाशी हैं ;
आंनद बिखरा पूरे माहोल में है ;
वो सिमटा मेरे आगोस में है ;
मन झूमा तन आह्लादित है ;
बिजलियाँ कौंध रही मनो उल्लासित हैं ;
ह्रदय में द्विक संगीत सा बज रहा है कुछ ;
प्यार की जीत है , बंधन और दूरी झूट है ;
प्यार भी इक पूजा है ,इसके बिना जीवन अजूबा है ;
मिलन भी एक सच है , इश्क भी इक रब है ;
अरमान विजीत है , मन हर्षित है ;
धरती महक रही भीनी खुसबू से ;
पेडों की हरियाली अदभुत है ;
एक अनोखी अनुभूति है छाई ;
वो अब भी है मेरे बाँहों में समाई /
क्या उत्सव है ,क्या है ये लम्हा ;
सांसों का सांसों में मिलना ;
रुक जा वक्त अनमोल ये लम्हा ;
क्या सच है ये ; या है इक सपना /

Monday, 21 September 2009
अधीरता का मंजर मुझमे है ;
अधीरता का मंजर मुझमे है ;
अव्यक्त की सहजता तुझमे है ;
नदी का वेग हूँ , मन का आवेश हूँ ;
प्यार का झोखा हूँ , सावन अनोखा हूँ ;
तू बहती हवा है ,बादल और निशा है ;
आखों का धोखा है ;स्वार्थ का सखा है ;
मै भावना से ओतप्रोत हूँ ,पानी का स्रोत हूँ ;
तू बिखरी हुयी माया है ;छल और छाया है ,
तुने सहजता का गुन पाया है /
मै स्थिरता हूँ ,जड़ता हूँ ;
रमा हूँ एक भावः में ;
इसीलिए अधीरता का मंजर पाया है /

हिन्दी लेखको -कवियों की तस्वीरे


बड़े-बड़े अभिनेताओ के छोटी उम्र की तस्वीरे -----------------
ईद मुबारक -----------------------
Sunday, 20 September 2009
नई पौध --------------------------
Saturday, 19 September 2009
आस्था की चुनौतियाँ हैं ;
बिखरी संस्कृतियाँ हैं ;
अवमाननावों की संकुचित राजनीती है ;
तड़पती इंसानो की स्मृति है ;
धर्मान्धता तर्क की आहुति बनी है ;
सज्जनता मौन की वाहक बनी है ;
क्यूँ न मरे हम तुम इस महफ़िल में ;
चिल्लाहट ,तोड़ फोड़ ,खून खराबा ,
सच्चाई की मानक बनी हैं /

आया नवरात्री का उत्सव

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