Monday, 26 September 2022

संत मीरा बाई पर संगोष्ठी

 तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 


वैश्विक संदर्भ में संत मीरा


व्यंजना आर्ट एण्ड कल्चर सोसाइटी प्रयागराज तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अंतर्विषयी संगोष्ठी चैतन्य प्रेम संस्थान, वृंदावन में दिनांक 7, 8 एवं 9 अक्टूबर 2022 को आयोजित कर रही है ।आप सभी से सम्बद्ध विषयों पर प्रपत्र आमंत्रित हैं—-

शेष विवरण जल्दी ही 😊


सोलहवीं शताब्दी में सामाजिक विषमताओं से विद्रोह करती मीरा का उद्भव एक कवियित्री, गायिका एवं एक संत के रूप में हुआ। राजघराने में जन्मीं एवं पली-बढ़ीं मीरा, अपनी माँ से प्राप्त प्रेरणा के कारण बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मानने लगीं थीं


जिस कीर्तिस्तंभ को वर्तमान में मीराबाई के नाम से जाना जाता है, उनका जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण था। मेवाड़ की पावन धरा पर जन्मीं मीरा के लिए तत्कालीन समाज में नवीन विचारधारा को लेकर स्थापित करना आसान न था। समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं बुराइयों का तिरस्कार मीरा ने भक्तिमार्ग अपना कर दृढ़ता से किया। कृष्ण को अपने जीवन की डोर सौंप, स्वयं को कृष्ण की दासी नियुक्त कर वे लेखन, गायन, वादन एवं भक्ति की पराकाष्ठा को प्राप्त हो गईं।


नारी-व्यथा-अभिव्यक्ति की पर्याय मीरा ने जाति-प्रथा, मांसाहार, पारिवारिक उपेक्षा, जौहर, पराधीनता, रंगभेद, अर्थभेद एवं मानव में लघु चेतना का दृढ़ता से विरोध किया। अपने चिंतन एवं तर्कों से मीराबाई ने समाज में व्याप्त अनेकों तुच्छ प्रवृत्तियों का दृढ़ता से विरोध किया और मानव का नैसर्गिक गुण ‘मानवता’ सिखाया।


जीवन की विसंगत एवं विषमतम परिस्थितियों में भी, सत्य के साथ सम्पूर्ण सामर्थ्य एवं अविचल स्थिरता उन्हें श्रीकृष्ण की भक्ति से प्राप्त हुई, ना-ना प्रकार की यातनायें, प्रताड़नायें सहर्ष सहन करती मीरा संसार के उत्कर्ष शिखर पर महानक्षत्र के रूप में सदा के लिए विद्यमान हो गईं।


ऐसी प्रेरणास्रोत ‘मीरा’ के जीवन पर चर्चा, विश्लेषण, वर्तमान संदर्भ में उनकी दृष्टि की उपादेयता जैसे आदि विषयों पर चिंतन मंथन आवश्यक है।


 


संगोष्ठी में निम्न बिंदुओं पर चर्चा करने की योजना है:


1.      संत मीराबाई: व्यक्तित्व एवं कृतित्व

2.      भक्ति आन्दोलन में मीराबाई का योगदान

3.      मीरा के पदों में भाषागत वैशिष्ट्य

4.      मीरा के पदों में आध्यात्मिक एवं दार्शनिक दृष्टि

5.      साहित्य में मीरा

6.      मीरा के जीवन पर आधारित फिल्में

7.      मीरा स्त्री-विमर्श

8.      वर्तमान परिपेक्ष्य में मीरा

9.      सामाजिक संदर्भ में मीराबाई

10.   ललित कलाओं में मीराबाई

11.   मीराबाई के पदों में संगीत

12.   स्थापत्य एवं चित्रकलाओं में मीराबाई

13.   ऐतिहासिक संदर्भ में मीरा बाई

14.   मीरा पर हुए शोध कार्यों का विश्लेषण

15.   समकालीन संत साहित्य में मीराबाई

16.   सूफी संत के रूप में मीराबाई

17.   वैश्विक विचारकों की दृष्टि में मीराबाई

18.ओशो की मीरा

19.एम एस सुब्बुलक्ष्मी एवं मीरा

20.लोक परंपराओं में मीरा

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers

  Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...