Tuesday, 2 July 2019

21. सहयज्ञ ।



अतिवादिता का उद्रेक 
वांछनीय और प्रतीक्षित
रूपांतण की संभावित प्रक्रिया को 
असाध्य बना देता है 
फ़िर ये भटकते हुए सिद्धांत
समय संगति के अभाव में 
अपने प्रतिवाद खड़े करते हैं
अपने ही विकल्प रूप में ।

यही संस्कार है
सांस्कृतिक संरचना का
जो निरापद हो
परंपरा की गुणवत्ता
और प्रयोजनीयता के साथ
करता है निर्माण
प्रभा, ज्ञान और सत्य का ।

ज्ञानात्मक मनोवृत्ति
संभावनात्मक नियमों की खोज में 
लांघते हुए सोपान 
करती हैं घटनाओं के अंतर्गत
हेतुओं का अनुसंधान
और देती है
सनातन सारांश ।

स्वरूप के विमर्श हेतु 
सौंदर्यबोधी संवेदनशीलता
खण्ड के पीछे
अखण्ड का दर्शन तलाशती है
प्रतिवादी शोर को 
संवादी स्वरों में बदलती है
और अंत में 
अपनी आनुष्ठानिक मृत्यु पर भी
सबकुछ सही देखती है
क्योंकि वह 
सब को साथ देखती है ।

        --------- मनीष कुमार मिश्रा ।

राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर...

 राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर... 1.तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो 2.गुलाब, ख़्वाब, ...