Monday, 31 October 2011

आखों में तेरे खोया हूँ अब तक,

आखों में तेरे खोया हूँ अब तक,
कितनी ही रातें न सोया हूँ  अब तक ,

जागे हुए सपनों की बातें करूँ क्या ,
न पूरी हुई मुलाकाते वो कहूँ क्या ,

बाँहों का घेरा था
कितना अकेला था
खिलता अँधेरा था
तन्हायी  ने  घेरा था

यादें महकी थी
आहें बहकी थी
गमनीन सीरत थी
तू बड़ी खुबसूरत थी

फिजा गुनगुनायी थी
चाहत सुगबुगाई थी
तू मन मंजर पे छाई थी
तू न मेरी हुई न परायी थी

  किस्से अधूरे हैं
वाकये न पूरे हैं
जीवन के लम्हे है
हंसते और सहमे है

Tuesday, 25 October 2011

HAPPY DEEPAWALI

तुम्हारी यादों के साथ,
 तुम्हारी ही बातों के पास ,
 जलता-सुलगता बहुत कुछ है .
 शायद मन में, मन रही दीपावली है. 

         तेरी आँखों में जलते सपनो ,
 और मेरे दिल की उलझनों के बीच 
बिखरता, टूटता,कसमसाता आज भी कुछ है .
शायद मन में, मन रही दीपावली है .

सनातन शब्द का पहला प्रयोग

"सनातन" शब्द का प्रयोग बहुत प्राचीन है और यह संस्कृत साहित्य में कई ग्रंथों में मिलता है। लेकिन अगर हम इसकी पहली उपस्थिति की बात क...