Saturday, 13 November 2021
Friday, 12 November 2021
प्रेम की चार कवितायें डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
प्रेम की चार कवितायें
Thursday, 11 November 2021
कुछ और पीला होकर
कुछ और पीला होकर शाख से जुदा हो जाऊंगा
फिर क्या कि हवाओं के साथ मैं हवा हो जाऊंगा ।
मेरे लिखे इन शब्दों से एक जादू तो यकीनन होगा
इन्हें जब भी कहीं पढ़ा जायेगा मैं ज़िंदा हो जाऊंगा ।
हर गलती पर यही झूठी तसल्ली खुद को देता रहा
कि बस कल से ही ख़ुदा का नेक बंदा हो जाऊंगा ।
चिलाकशी करनेवाला वो पीर भी कितना अजीब था
कहता कि खुदा से मिलकर मैं भी खुदा हो जाऊंगा ।
Dr Manish Kumar Mishra
manishmuntazir@gmail.com
Wednesday, 10 November 2021
Tuesday, 9 November 2021
Monday, 8 November 2021
मुश्किल तो था लेकिन गवारा कर लिया ।
मुश्किल तो था लेकिन गवारा कर लिया
हमने तुझसे थोड़ा सा किनारा कर लिया ।
ये इल्म, अमल और तहज़ीब के मसाइल
इनसे ऊबा तो ख़ुद को आवारा कर लिया ।
जब उजालों के तिलिस्म से डरने लगा तो
मुफलिसी में अंधेरों को सहारा कर लिया ।
जो दुश्मन थे मेरे मगर वसूलों के पाबंद रहे
उन्हें अपना अजीज़ अपना प्यारा कर लिया ।
मनीष कुमार मिश्रा
manishmuntazir@gmail.com