पति पत्नी का रिश्ता हो मिनट का पल का या हो दिन महीने साल का
मिटा सके ये इतना बस नहीं है काल का ;
शिव की भभूती औ माता का सिंदूर भरा था औ भाव अटूट प्यार का
तब मांग भरी थी तेरी मैंने इश्वर स्वयम गवाह था ,
कैसे भूलूं वो घड़ियाँ मैं आंसूं से सींचा था रिश्ता प्यार का ,
झूठ कहे या भूले तू पर ये रिश्ता मेरे हर जनम हर सांस का ;
भाव से बड़कर क्या दुनिया में
प्यार से अच्छा क्या इन्सा में
सही गलत उंच नीच का फैसला कोई कैसे करे है
है मोहब्बत खुदा का जज्बा उसे बुरा कैसे कहे है /
राधा कृष्ण भजते सभी हैं
द्रौपदी को कहते सती हैं
रीती में उलझे है क्यूँकर
प्रीती बिन जीना हो क्यूँ कर
प्यार से बड़कर पूजा नहीं कोई इस जगत इस संसार में
क्यूँ झिझक कैसी ये दुविधा क्या मैं नहीं तेरे दिल की छाँव में
सरल नहीं है राह प्रीती की पर सरल कहाँ जीना संसार में
क्यूँ हो अब तक तू उलझी क्या कमी रही मेरे प्यार में ;
प्यार को रब समझा और तुझको जिंदगी
मेरे जीने का उद्देश्य तू ही है तेरी करूँ मै बंदगी /
नाम ले मेरा या पति कह ले या कुछ भी कह के पुकार ले
मेरा जीवन तेरा साँसे तेरी क़त्ल करे या साथ ले
करे बहस इनकार करे या बचपने का नाम दे
समझे भावुकता पागलपन या अर्थहीन कह टाल दे
चाहे समझे कोरी बातें या मुर्खता का नाम दे
मेरा जीवन तुझको अर्पण तू खुशियों दे या आंसुओं की सौगात दे /
Monday, 27 December 2010
Sunday, 26 December 2010
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
शहरीकरण का प्रभाव - इस विषय पर दिनांक-२४-२५ जनवरी को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित क़ी जा रही है. इस संगोष्ठी में देश भर से करीब ३०० विद्वान शामिल होंगे. यदि आप इसमें भाग लेना चाहते हैं तो कृपया संपर्क करें .
शहरीकरण का प्रभाव - इस विषय पर दिनांक-२४-२५ जनवरी को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित क़ी जा रही है. इस संगोष्ठी में देश भर से करीब ३०० विद्वान शामिल होंगे. यदि आप इसमें भाग लेना चाहते हैं तो कृपया संपर्क करें .
Friday, 17 December 2010
Wednesday, 15 December 2010
Monday, 13 December 2010
कुछ तो कहो, कुछ तो लिखो ;
कुछ तो कहो, कुछ तो लिखो ;
सजाई है जब एक महफ़िल , महफ़िल में कभी तो खिलो ;
क्यूँ चुप हो ,क्या बात है, क्यूँ मुद्दे नहीं मिलते ;
जीवन का हर पल एक बात है ,क्यूँ बात नहीं करते ;
चुप रहने से कुछ हासिल नहीं होता ,
बिना अपनी बात कहे, समाज के बदलाव में शामिल नहीं होता ;
गर चीजें बदलनी है बेहतरी के लिए ,
खुल के कहो बात अपनी ,देश की तरक्की के लिए
सजाई है जब एक महफ़िल , महफ़िल में कभी तो खिलो ;
क्यूँ चुप हो ,क्या बात है, क्यूँ मुद्दे नहीं मिलते ;
जीवन का हर पल एक बात है ,क्यूँ बात नहीं करते ;
चुप रहने से कुछ हासिल नहीं होता ,
बिना अपनी बात कहे, समाज के बदलाव में शामिल नहीं होता ;
गर चीजें बदलनी है बेहतरी के लिए ,
खुल के कहो बात अपनी ,देश की तरक्की के लिए
Friday, 10 December 2010
फ्रेंच भाषा भी खूब है पर मुझसे कितनी दूर है
जिंदगी गुजर रही अब नए आशियाने में ,
सीख रहे हर पल कुछ नया जिंदगी नए पैमाने में
सोना वही है जागना वही है पर साथ नए अनजाने है
दूर देश में बैठे हम आये यहाँ कमाने हैं /
फ्रेंच भाषा भी खूब है पर मुझसे कितनी दूर है
भरमाती है तड़पाती है है और बड़ा तरसाती है ,
भागा पीछे वो आगे भागे अलसाया तो वो मुस्काए
नजर मिलाये पास बुलाये नित नए वो ठौर दिखाए
फ्रेंच भाषा भी खूब है पर कितनी दूर है
सीख रहे हर पल कुछ नया जिंदगी नए पैमाने में
सोना वही है जागना वही है पर साथ नए अनजाने है
दूर देश में बैठे हम आये यहाँ कमाने हैं /
फ्रेंच भाषा भी खूब है पर मुझसे कितनी दूर है
भरमाती है तड़पाती है है और बड़ा तरसाती है ,
भागा पीछे वो आगे भागे अलसाया तो वो मुस्काए
नजर मिलाये पास बुलाये नित नए वो ठौर दिखाए
फ्रेंच भाषा भी खूब है पर कितनी दूर है
Thursday, 9 December 2010
State Level Seminar - Translation Triggers Employability (TTE)
March 10th - 11th, 2011 | Hindi | State Level Seminar - Translation Triggers Employability (TTE) |
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ताशकंद के इन फूलों में
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