Saturday, 21 August 2010

क्या कहा क्या सुना क्या हुआ पता नहीं

क्या कहा क्या सुना क्या हुआ पता नहीं
इंतजार इकरार या ऐतराज पता नहीं
मंजिले मासूम उलफते मजमूम बंदगी अजीम
क्या किया क्या सहा क्या हुआ पता नहीं  

Wednesday, 18 August 2010

ऐसा कुछ कह देते इंतज़ार सरल हो जाता

ऐसा कुछ कह देते इंतज़ार सरल हो जाता
तड़प रहे दिल का कुछ दर्द संभल  जाता 
अँधेरे  की  छाहों में भटक रहे जजबात मेरे 
ऐसा कुछ कह देते स्याह सहल हो जाता 


धुप है तरसी प्यासी बारिश 
हवा है बोझिल सहमी कोशिश ,
कहते कुछ ऐसी बातें 
मूर्छित सांसे बहकी बन जाती 

इन्तजार सरल हो जाता 
दिल का दर्द संभल सा जाता
करते मन का अपना तुम ऐसा 
प्यार मेरा अचल  हो जाता 
 

Tuesday, 17 August 2010

दर्द सिमट गया पल भर को

दर्द सिमट गया पल भर को
मन बहल गया पल भर को
क्या मजा बिन गम तेरे
मै भटक गया पल भर को





Sunday, 15 August 2010

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

                            स्वतंत्रता दिवस

               की
                                           शुभकामनाएं

Friday, 13 August 2010

कार्यशाला

कार्यशाला 





एक दिवसीय कार्यशाला का पंजीकरण प्रारूप

एक दिवसीय कार्यशाला का पंजीकरण  प्रारूप

एक दिवसीय कार्यशाला का कार्यक्रम

हिंदी अध्ययन मंडल,मुंबई विद्यापीठ 
 एवम
 हिंदी विभाग 
 के.एम्.अग्रवाल महाविद्यालय ,कल्याण 
 के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 
 एक दिवसीय कार्यशाला का कार्यक्रम 
 

Friday, July 30, 2010

एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन

 **एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन **
                                      बुधवार , दिनांक  १८ अगस्त  २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग और हिंदी अध्ययन मंडल,मुंबई विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में बी.ए. प्रथम वर्ष (वैकल्पिक ) पेपर-१ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है.
                         कार्यशाला के लिए पंजीकरण का समय सुबह ९.३० से १०.०० बजे तक रहेगा .१०.०० बजे से ११.०० बजे तक उदघाटन सत्र चलेगा .१११.०० बजे से १.३० बजे तक चर्चा सत्र चलेगा. १.३० बजे से २.३० तक भोजनावकाश रहेगा .२.३० बजे से ३.०० बजे तक समापन सत्र होगा .
                       महाविद्यालय का पता इस प्रकार है ------
 के.एम.अग्रवाल  कला,वाणिज्य और विज्ञान महाविद्यालय 
 पडघा रोड,गांधारी गाँव ,
कल्याण (पश्चिम )४२१३०१ 
          आप इस कार्यशाला में सादर आमंत्रित हैं.

आमंत्रण पत्र और पंजीकरण फ़ार्म

आमंत्रण पत्र और पंजीकरण फ़ार्म

आमंत्रण पत्र और पंजीकरण फ़ार्म

Tuesday, August 10, 2010

पर अभी जिन्दा ये शहर है /

उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है 

भोपाल क्या भुला है तू 
कोशी को क्या सोचा है तू 
वर्षों गुजरते रहते है 
नेतागिरी बड़ती रहती है 
कभी बहस कभी माफ़ी मिलती रहती है 
उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है

खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है

कश्मीरी पंडितों का भविष्य
लातूर का भूकंप में जनहित
दिल्ली ले दंगों का सच 
गुजरात के कत्लों का सच 
नेताओं के काले पैसों का सच 
देश के भूखे नंगों का सच 
 देख रहा तू वर्षों से
इंसाफ जारी है
प्रयास जारी है
देश के श्रेष्ठतम नेता अफसर जुटे है
दिन महीने या दशक  हो गुजरे
प्रयास जारी है
पत्रकारों टी.वी न्यूज़ चैनल वालों की टी.आर.पी चालू है
देश की महानता नेताओं की दूरदर्शिता चालू है 
फिर उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है

खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है /



ताशकंद के इन फूलों में

  ताशकंद के इन फूलों में केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि मानव जीवन का दर्शन छिपा है। फूल यहाँ प्रेम, आशा, स्मृति, परिवर्तन और क्षणभंगुरता ...