Sunday, 30 May 2010

प्यार मेरा मुझे देख के चौंका , बड़ी अदा से फिर उसने पूंछा ;

प्यार मेरा मुझे देख के चौंका , बड़ी अदा से फिर उसने पूंछा ;
कौन है तू क्या तेरा परिचय , क्या इच्छा है तेरी रहबर ;
मुंह से निकला मै परछाई हूँ तेरी ,तेरे दिल की प्यास ;
न मानेगा इसको तू पर मै हूँ तेरा अहसास /

Thursday, 27 May 2010

Birthday wish

This is written to wish someone who care`s a lot.
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The birthday of a beautiful person,
who is of caring incursion ;
a lady of honest desires ,
very lovely and poious;
a strong character of good intent,
upright who believe in consents ;
wishing her smile become wider ,
laugh following the laughter ;
happiness roam around ,
peace & joy with no bound ;
wishing your desires come true ,
dreams you can live ;
year full of event you can savour ,
all the happiness & moments you favour ;
HAPPY BIRTHDAY
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Wednesday, 26 May 2010

कभी इठला के दिल चुराया ,

कभी इठला के दिल चुराया ,

कभी शरमा के बदन ;

इन्तहा तब हो गयी ,

ढरकता पल्लू औ कहा हमदम /

Tuesday, 25 May 2010

कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,

कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,

कितनी हसरते थी उसमे गम से पिरोया हुआ था ;

कशिश जीने की थी तपिश होने की थी ;

उलझा था नफरतों में बहकती हकीकतें थी ;

कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,
कितनी हसरते थी उसमे गम से पिरोया हुआ था ;

चाह थी स्वातंत्र्य की बड़ती प्यास थी प्यार की ;

बंधन में जकड़ा था भीड़ से परे अकेला था

दहकता ख्वाब था सिमटता आकाश था ;

विशाल मत था छिद्र से रिसता मन था ,

कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,
कितनी हसरते थी उसमे गम से पिरोया हुआ था ;

Saturday, 22 May 2010

abhilasha-1001

      

international hindi blooger meet in delhi

''आनर किलिंग'' बंद करो गदहों !!!!/Honour Killings in India

''आनर किलिंग'' बंद करो गदहों !!!!

           पिछले कई दिनों से दिल में आग लगी हुई थी . समाचार पत्रों और मीडिया चैनलों के माध्यम से देश भर में मध्यम वर्गीय परिवारों के बीच ''आनर किलिंग '' क़ी खबरें खून में उबाल ला रही थीं .
         अपने ही बेटे-बेटी क़ी निर्ममता पूर्वक हत्या सिर्फ इस लिए कर देना  क्योंकि वह प्यार करता है या करती है , इसे सही कहने वाले निकम्मों और नालायकों को क्या कहूं ?
              मध्यवर्ग जैसा स्वार्थी,लोभी ,भीरु ,मौकापरस्त और झूठा कोई और हो ही नहीं सकता . झूठी शानो-शौकत के लिए यह वर्ग मानवता का भी खून कर सकता है . शर्म आती है अपने आप पर यह सोच कर क़ि मैं भी इसी समाज का एक हिस्सा हूँ. यह बात दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए भी शर्म की ही है . राधा-कृष्ण को पूजने वाला यह देश किस गर्त में जा रहा है ?
            मैं सभी लोगों से हाथ जोड़ के यही विनती करना चाहता हूँ क़ि ,''समाज,परम्परा ,रीति -रिवाज ,मान-अपमान और झूठी प्रतिष्ठा की वेदी पर अपने मासूम बच्चों की बलि मत दो.प्रेम से बड़ा ना कोई धर्म है और ना ही काम ''
                प्रेम तो मानवता का आधार है ,इसका गला घोंट कर क्या शैतानो की दुनिया बनाना चाहते हो ?
  

भारतीय ज्ञान परंपरा और उज़्बेकिस्तान: भाग एक

भारतीय ज्ञान परंपरा और उज़्बेकिस्तान: भाग एक                      भारतीय ज्ञान परंपरा अपनी प्राचीनता और व्यापकता में अद्वितीय है। यह केवल धा...