Wednesday, 26 August 2015

Call for Applications: 2015 Human Development Fellowships

IIAS शिमला में 2015 की human development fellowships के लिए आवेदन मांगे गए हैं । आप http://www.iias.org/content/call-applications-2015-human-development-fellowships इस लिंक पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।


UGC में TRAVEL GRANT के लिए आवेदन करें ।

UGC में TRAVEL GRANT के लिए आवेदन माँगे गए हैं । अधिक जानकारी के लिए UGC की WEBSITE http://www.ugc.ac.in/ugc_notices.aspx पर , इस लिंक पर क्लिक करें ।

Published on 25/08/2015

Tuesday, 25 August 2015

सिर्फ़ होने से बात नहीं होती


यूँ तो बात हो जाती है
आज भी
कभी- कभी 
जब भी
लगा कि
दूरियों के बीच में
संवादहीनता
नहीं बचा सकेगी
उनको
जिनका कि बचे रहना
बेहद ज़रूरी है
भले ही वो हों
कहने को सिर्फ़
सपने ।
तो इन सपनों के लिए ही
हो जाती है
आज भी
तुम्हारी और मेरी
कभी-कभी
हमारी भी
बात तो हो जाती है ।
लेकिन सिर्फ़
होने से बात नहीं होती
उसके लिए
होना पड़ता है
किसी का अपना
किसी का सपना
किसी की आँख का पानी
उसके ओठों की मुस्कान
उसका विश्वास और
उसका सिर्फ़ उसका ।
हाँ तो हमारी बात
यूँ तो आज भी होती है
लेकिन
वो बात ना हो तब भी
तुम्हारी हर बात के लिए
आज भी मेरे पास
सुरक्षित है
एक सुंदर सा सपना ।
तुम चाहोगी तो
तो लौट सकेंगी
वही बातें
इन्द्रधनुष के रंगों वाली
चाँद - सितारों वाली
रुठने - मनाने वाली
मेरे शहर बनारस वाली
तुम्हारे शहर की झील वाली
और तुम्हें भाने वाली
हर वो बात जो तुम्हें
खुश करती थी
आज भी है मेरे पास लेकिन
इन बातों के लिए
शायद तुम्हारे पास
अब वक्त ही नहीं ।
मगर फ़िर भी
आज भी
कभी-कभी
हो जाती है
मेरी-तुम्हारी बात
क्योंकि
मेरे पास जिंदा है
एक सपना
मेरा -तुम्हारा
या फ़िर
शायद हमारा ।
                       मनीष कुमार
                        BHU

आप के आलेखों का स्वागत है ।

VEETHIKA-An International Interdisciplinary Research Journal ( 2454-342X ) 

Vol 1 , No. 2 , July - Sep , 2015
के लिए आप अपने आलेख भेज सकते  हैं । 
अधिक जानकारी के लिए http://www.manuscripts.qtanalytics.com/CurrentArticals.aspx?JID=32 इस लिंक पर क्लिक करें । 
आप सभी का वीथिका परिवार में स्वागत है । 

Monday, 24 August 2015

आरती बाबा विश्वनाथ की


मंत्र से गुंजायमान
हो रहा शंखनाद
बड़ा जोर घंटनाद 
आरती हो रही
बाबा विश्वनाथ की ।
एक सुर ,एक ताल
हर कोई है निहाल
भक्ति में हो के लीन
आरती हो रही
बाबा विश्वनाथ की ।
हाँथ जोड़,आँख मूंद
भीड़ में खड़े-खड़े
भक्ति भाव से डेट
आरती हो रही
बाबा विश्वनाथ की ।
तर-बतर हो के भी
झूम रहा हर कोई
उल्लास का प्रचंड रूप
आरती हो रही
बाबा विश्वनाथ की ।
बोल बम का जयकार
हर हर महादेव का
लगा के नारा
आरती हो रही
बाबा विश्वनाथ की ।
अतुलनीय,अद्वितीय
अदभुद,अविस्मरणीय
दिव्य और भव्य
आरती हो रही
बाबा विश्वनाथ की ।
मनीष कुमार
BHU

बनारस में सांड़


गली,मुहल्ला या कि
सड़कों के बीचों बीच
ऊँची-नीची सीढियाँ 
हो घाट या कि चौक
पूरे अधिकार और
मिज़ाज के साथ
आप को दिख ही जायेंगे
बनारस में सांड़।
हस्ट पुष्ट और
गर्व में चूर
कभी मौन समाधी में लीन
कभी आपस में रगड़ते सींग
लड़ते- झगड़ते
उलझते -सुलझते
आप को दिख ही जायेंगें
बनारस में सांड़।
काले-सफ़ेद
चितकबरे और लाल
ये भोले के दुलारे
भोले के ही दुआरे
उन्हीं के ही सहारे
सांझ कि सकारे
आप को दिख ही जायेंगें
बनारस में सांड़।
जीवन के एक अंग जैसे
दिन के एक रंग जैसे
यहाँ - वहाँ
जहाँ - तहाँ
पूँछों न कहाँ -कहाँ
अपने में मस्त
आप को दिख ही जायेंगें
बनारस में सांड़ ।
न कोई लोक लाज
न ही कोई काम काज
बीच सड़क
करते हैं रति
रोककर शहर की गति
विचरते नंग धड़ंग
आप को दिख ही जायेंगें
बनारस में सांड़ ।
शहर की
पहचान के पूरक
शिव के
सनातन सेवक
आज भी
पूरी गरिमा के साथ
आप को दिख ही जायेंगें
बनारस में सांड़ ।
मनीष कुमार
BHU

बनारसी


न जान न पहचान
आप भले हों
पूरी तरह अनजान
मगर बनारसी
साध ही लेगा
आप से
सीधा संवाद ।
यह बनारस की
ख़ासियत है
बनारस
अपनाता है
हर किसी को
बिना किसी भेद भाव के ।
बनारसी भी
इसी अपनेपन की
संस्कृति से
इसकी जड़ों से जुड़े हैं
सो जोड़ना
इनकी आदत में शामिल है ।
खिलखिलाते
मुस्कुराते
पान चबाते
भाँग छानते
ये मिल जायेंगें
घाट पर,दूकान पर
या कि
सरे राह ।
गरियाते हुए
गुरु- गुरु बुलाते हुए
बड़की -बड़की
बतियाते हुए
और देते हुए चुनौती
हर
आम-ओ-ख़ास को ।
ये बनारसी
बकैती के महागुरु
जहाँ मिलें वहीँ शुरू
हर विषय के ज्ञाता
इन्हें सबकुछ है आता
यह भ्रम ही
इन्हें ब्रह्मा बनाये हुए है ।
लगे रहो गुरु -
ई बनारस है
यहाँ कंठ से लंठ
कोई नहीं
सब को
नीलकंठ का आशीष है
बनारसी आदमी
सब पर बीस है ।
मनीष कुमार
BHU

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...