Thursday, 13 September 2012

अजातशत्रु हैं विजय ( बंड्या ) साड्वी


                                                 अजातशत्रु हैं विजय ( बंड्या ) साड्वी

        श्री विजय (बंड्या ) साड्वी मेरे अनन्य मित्रों ,शुभचिंतकों और मार्गदर्शकों में से एक हैं . आप के जन्मदिन के उपलक्ष में निकाले जा रहे अभिनन्दन ग्रन्थ के बहाने मुझे भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ . अपने इस छोटे से आलेख के माध्यम से मैं अपना अभीष्ट चिंतन आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ .
        मित्रों, श्री विजय (बंड्या ) साड्वी जी शिव सेना जैसी प्रमुख और महत्वपूर्ण पार्टी के पदाधिकारी के रूप में विगत कई वर्षों से अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं . एक कुशल राजनेता और कार्यकर्ता के रूप में आप के द्वारा किये गए कार्यों का लोहा सभी मानते हैं . आप क़ी प्रतिबद्धता, समर्पणनिष्ठा और दृढसंकल्पता  के सभी कायल हैं . आप के व्यक्तित्व का जो जुझारूपन  है वो हर कठिनाई से आप को बाहर निकलते हुवे प्रगति के पथ पर अग्रसर करती रहती है . व्यक्तिगत मैत्रीपूर्ण रिश्तों के बीच आप कभी '' पार्टी  पोलिटिक्स " को नहीं आने देते , यह भी आप क़ी लोक प्रियता का प्रमुख कारण है . समाज के सभी वर्गों के बीच आप क़ी सामान रूप से प्रतिष्ठा है . जाति, धर्म, भाषा और प्रांत के नाम पे किसी प्रकार का कोई भेदभाव आप अपने व्यवहार में नहीं आने देते . अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के बीच आप के सम्मान रूप से प्रतिष्ठित होने का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है . 
       आप हमेशा लोगों क़ी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं.   संकल्प एवं समर्पण से ही लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। कोई भी व्यक्ति किसी से हारना नहीं चाहता किंतु आप  अपने व्यवहार से सब का दिल जीत लेते हैं . धार्मिक  , सामाजिक, राजनितिक , शैक्षणिक और क्रिडा के क्षेत्र में आप का योगदान हमेशा से ही रहा है . सामाजिक कार्यों क़ी एक सुव्यवस्थित परंपरा आप ने कल्याण शहर में डाली है .आप सही मायनों में एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में समाज को एक नई दिशा और कार्यकर्ताओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहें हैं .  
                दोस्ती शब्द से ही एक पवित्र रिश्ते का एहसास होता है अगर आप दोस्ती के वास्तविक अर्थ से अवगत है और अपनी दोस्ती को पूरे विश्वास,निष्ठां व वफादारी से निभाने की क्षमता रखते हैं तब ही आपको दोस्ती के लिए अपने हाथ बढ़ाने चाहिए.वरना यह कहकर संतोष कर लीजिए कि-
                                            " दुनिया में राज-ए-दिल,दोस्ती करते तो हम किससे.
                                            मिलते ही नहीं, जहाँ में हमारे ख्याल के "

साहित्य, समाज और संस्कृति की त्रिवेणी उन कर्मशील और सृजनशील व्यक्तियों के मार्गदर्शन में परिमल , विमल प्रवाह के साथ बढ़ती है , जो अपनी प्रातिभ दृष्टि से जीवन के हर कार्य को नई दिशा देते हैं । ऐसे ही प्रतिभा सम्पन्न लोग समाज के सामने एक आदर्श, प्रादर्श और प्रतिदर्श उपस्थित करते हैं । ऐसे श्रेष्ठ लोग मानव मात्र को ही अपनी प्रेरणा मानते हैं । ऐसे ही कद्दावर व्यक्तियों में आप का  का नाम प्रमुखता से लिया जाता है । अपनी प्रखरता, निडरता, और सामाजिक दायित्वबोध के साथ जीवन को उसकी संपूर्णता में जीने वाले आप , हम सभी के लिए अनुकरणीय हैं ।
                  हम आप के स्वस्थ , सुखी , कर्मशील, सृजनरत दीर्घायु की मंगल कामना करते हैं
                                                                                                                           विजय नारायण पंडित 
                                                                                                                             जोशिबाग , कल्याण

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Wednesday, 12 September 2012

डॉ देवेन्द्र कुमार

डॉ देवेन्द्र कुमार 
अंग्रेजी विभाग - बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी 

Sunday, 9 September 2012

आजकल इन पहाड़ों के रास्ते

आजकल इन पहाड़ों के रास्ते

शाम को कोहरे से भरे होते हैं
 
जैसे मेरा मन

तेरी यादों से भरा होता है                                                                                    






   डॉ मनीष कुमार मिश्र
   असोसिएट
भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र ,
राष्ट्रपति निवास, शिमला
manishmuntazir@gmail.com       

आज अचानक हुई बारिश में

आज अचानक हुई बारिश  में

भीगते हुवे बुरा लग रहा था 

क्योंकि वो बारिश याद रही

जिसमे एक छाते मे सिमटकर

हम बारिश से बच तो रहे थे 

 मगर भीग भी रहे थे

 एक- दूसरे के प्यार में .  




 

Saturday, 8 September 2012

मनाने का भाव

       हिंदी दिवस  
       मनाने  का भाव  
       अपनी जड़ों को सीचने का भाव है .   
       राष्ट्र भाव से जुड़ने का भाव है .  
       भाव भाषा को अपनाने का भाव है .  
      हिंदी दिवस 
      एकता , अखंडता और समप्रभुता का भाव है .  
      उदारता , विनम्रता और सहजता का भाव है .  
      समर्पण,त्याग और विश्वास  का भाव है . 
      ज्ञान , प्रज्ञा और बोध का भाव है .  
     हिंदी दिवस
 अपनी समग्रता में 
     खुसरो ,जायसी का खुमार है . 
     तुलसी का लोकमंगल है  
     सूर का वात्सल्य और मीरा का प्यार है .   
     हिंदी दिवस 
     कबीर का सन्देश है  
     बिहारी का चमत्कार है  
     घनानंद की पीर है 
     पंत की प्रकृति सुषमा और महादेवी की आँखों का नीर है .  

    हिंदी दिवस 
   निराला की ओजस्विता  
   जयशंकर की ऐतिहासिकता   
   प्रेमचंद का यथार्थोन्मुख आदर्शवाद   
   दिनकर की विरासत और धूमिल का दर्द है .  

  हिंदी दिवस 
  विमर्शों का क्रांति स्थल है  
  वाद-विवाद और संवाद का अनुप्राण है  
  यह परंपराओं की खोज है  
  जड़ताओं से नहीं , जड़ों से जुड़ने का प्रश्न है . 
हिदी दिवस  
इस देश की उत्सव धर्मिता है  
संस्कारों की आकाश धर्मिता है 
अपनी संपूर्णता  में, 
यह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता है .  

                                                                                   



                                                                                   
                                                                                    डॉ मनीष कुमार मिश्र
                                                                                    असोसिएट  
                                                                                    भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र , 
                                                                                    राष्ट्रपति निवास,  शिमला  
                                                                                    manishmuntazir@gmail.com

                                                                                    

  





  

हिंदी दिवस विशेषांक में

 
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ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...