Friday, 11 March 2011

दिनकर आवास मुद्दा उठा राज्यसभा

दिनकर आवास मुद्दा उठा राज्यसभा में



नई दिल्ली। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पटना स्थित आवास को बिहार के उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के भाई ने कब्जा कर रखा है। इस विषय पर राष्ट्रकवि दिनकर के परिजन और साहित्यकारों ने पटना और दिल्ली में कई बार धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं। दिनकर के परिवार वाले उपमुख्यमंत्री के भाई द्वारा कब्जा किए गए हिस्सा को खाली कराने के लिए मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से भी मिले लेकिन सहयोगी पार्टी के बडे नेता के भाई का मामला होने के कारण वह भी केवल आश्वासन ही दिए ।



राजद के राज्य सभा सदस्य रामकृपाल यादव ने बुधवार को इस मुद्दा को राज्यसभा में उठाया। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस साल देश राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म शताब्दी मना रहा है, लेकिन राष्ट्रकवि के पटना स्थित आवास पर कुछ प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि दिनकर राज्यसभा के सदस्य भी थे और सरकार को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए।
 

दैनिक जागरण से साभार

Sunday, 6 March 2011

हम लोगों को छोड़ कँही, चले गए हैं बाबू जी


 हम लोगों को छोड़ कँही, चले गए हैं बाबू जी 
सब  कहते हैं नहीं रहे अब, प्यारे हमारे बाबू जी .

बचपन क़ी सारी यादों में, बसे हुवे हैं बाबू जी
डांट-डपटकर सिखलाते थे, अच्छी बातें बाबू जी .

अपने ''चेतक '' स्कूटर पर,कालेज जाते बाबू जी
धोती- कुरते में जचते ,बहुत ही अपने बाबू जी .

पंचतंत्र क़ी कई कहानियां,बतलाते थे बाबू जी
कवितायेँ भी कई हमे, सिखलाते थे बाबू जी

संध्या-वंदन -पूजा-पाठ, मंदिर में करते बाबू जी
गाँव  में सब का ही आदर,पाते हमारे बाबू जी

पान-सुपारी-सुरती-चूना, चाव से  खाते बाबू जी
''बी.बी.सी. लंदन क़ी खबरें '', सुनकर ही सोते बाबू जी

गलती  हमसे जब हो जाती, डांट लगाते बाबू जी
वरना  अपनी ही थाली में, हमे खिलाते बाबू जी

रोज रात को बड़े प्यार से, बदन मिजवाते बाबू जी
रह- रह कर  आशीष भी देते,अक्सर हमको बाबू जी

जब भी हम सब गाँव में जाते, खुश हो जाते बाबू जी
 रोज रात को पास ही अपने, हमे सुलाते बाबू जी
 
सुबह-सुबह दातून तोडकर,हमको देते बाबू जी
खेतों  में टहलाते हमको, साथ में अपने बाबू जी

''बड़का मास्टर'' सब थे कहते, हम कहते थे बाबू जी
घर के बाहर ,घर के रक्षक ,बन के बैठते बाबू जी

अब जब भी हम गाँव जायेंगे,नहीं मिलेंगे बाबू जी
जाते-जाते रुला गएँ हैं,सब को देखो बाबू जी

 जिम्मेदारी का मतलब, सिखा गए हैं बाबू जी
हम-सब क़ी ही यादों में, बसे रहेंगे बाबू जी

अच्छी सारी बातों पर, मुस्कायेंगे बाबू जी
 अपनी बगिया के फूलों को, आशीष ही देंगे बाबू जी 


हर मुश्किल में सपनो में, आ जायेंगे बाबू जी
 सही राह दिखलाकर हमको, खो जायेंगे बाबू जी

बिना आप के जी लेंगे,हम सब भी आखिर बाबू जी
 लेकिन याद बहुत आयेंगे, आप हमे तो बाबू जी . 
LOVE YOU BABOO JI !!

MISS YOU !!


०२ मार्च २०११  की रात को मेरे बाबूजी  हमे अकेला छोड़ कर चले गए. उन्ही को याद करते हुवे  ---------------------------------------------

Saturday, 5 March 2011

ये उसके प्यार की खुशबू थी

सिलसिला जब तक चलता रहा
मेरा हौसला तब तक बढ़ता रहा 

उसका तो कुछ पता न था ,
मेरे अंदर ही   ख़्वाब पलता रहा .  

ये उसके प्यार की खुशबू थी,
मैं जिससे हरदम महकता रहा .

उसकी आँखों से जो पी लिए जाम,
ताउम्र मै बस बहकता रहा .

  सुना है, मेरे बाद  ,कई   रातों   तक ,
 वह  चाँद , छत  पर  सिसकता   रहा . 

एक दर्जी  की तरह  जिन्दगी  भर ,
 मैं फटे  रिश्तों  को  सिलता  रहा . 


    
  

Sunday, 27 February 2011

praveen bajpayee -kamgaar patrkarita puraskar 2011


आप को जान कर ख़ुशी होगी की मजदूर मसीहा -प्रवीण बाजपयी को कामगार  पत्रकारिता पुरस्कार २०११ से सम्मानित किया जा रहा है .

तरह .
      जब प्रवीन भाई कल्याण में रहते थे तो  उनका घर ही मेरा घर था , भाभी से माँ तुल्य प्रेम और स्नेह मिलता था . लेकिन कतिपय व्यक्तिगत कारणों  से प्रवीण भाई को  परेल  रहने के लिए जाना पड़ा . मैं भी अपने  शोध कार्य और  फिर नौकरी में  ऐसा उलझा कि अब फ़ोन पे ही दुआ-सलाम हो पाता  है .
    लेकिन इन  दूरियों ने दिलों  के रिश्ते को कमजोर नहीं होने दिया. अपनेपन कि ऊर्जा  हमेशा बनी रही . जब भी कभी मैंने भईया को कल्याण बुलाया वे  सारी  व्यस्तताओं में से भी समय निकाल  कर  आये . स्वास्थ की तकलीफों के बीच  आये . पारिवारिक  और राजनैतिक समस्याओं को दर  किनार कर आये . मुझे मेरे इस भाई पे गर्व है .
             आप शायद  यह सोच रहे होगें  कि मैं ब्लॉग पे किसी अपने करीबी का  गुणगान क्यों कर रहा हूँ ? मित्रो, जिन्दगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका हम सम्मान तो करते  हैं, लेकिन कभी  औपचारिक  रूप से कह नहीं पाते . लेकिन उम्र के लगभग ३० वसंत पूरा करते करते  मुझे  यह लगने लगा है कि ,किसी  से  प्यार हो, किसी के प्रति स्नेह हो,आदर हो तो हमे कहना जरूर चाहिए. क्या पता जिन्दगी कल ये मौका दे या ना दे .
 वैसे  मुंबई वालों के लिए प्रवीण बाजपयी कोई  नया नाम  नहीं है . आप  सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ  के मुंबई डिविजन के  अध्यक्ष  हैं. रेल केसरी पत्रिका के  कार्यकारी  संपादक हैं ,और एक  अच्छे कवि भी हैं . अगर आप नेट पे ही प्रवीण जी से मिलना  चाहें , तो निम्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते  हैं 
 praveenbajpai.crms@gmail.कॉम 
 ttp://www.facebook.com/reqs.php#/photo.php?pid=385531&op=1&o=global&view=global&subj=1635027107&id=1635027107 
   

डॉ.शीतला प्रसाद दुबे जी का सम्मान

 बुधवार दिनांक ०२ मार्च २०११ की शाम ७.३० बजे से कल्याण पश्चिम स्थित लक्ष्मण देवराम सोनवाने महाविद्यालय के प्रांगण में  स्नेह मिलन सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है. इस अवसर पर कई विद्वानों को सम्मानित किया जायेगा . 
             डॉ. शीतला प्रसाद दुबे जी का भी सम्मान इस अवसर पर किया जाएगा .  हाल ही में हिंदी अध्ययन मंडल , मुंबई विश्विद्यालय के अध्यक्ष के रूप में  के.सी.कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे जी की  नियुक्ति हुई है. आप विगत कई वर्षों से अध्यापन कार्य से जुड़े हुवे हैं. आप पीच.ड़ी के गाईड भी हैं. कई विद्यार्थी आप के मार्ग  दर्शन में अपना शोध कार्य सफलता पूर्वक पूरा कर चुके हैं. 
         आप का सम्मान करते हुवे संस्था गौरवान्वित है.  अध्ययन-अध्यापन से जुड़े लोगों का सम्मान हमारी संस्था हमेशा से ही करती आ रही है. 








    

Sunday, 13 February 2011

क्योंकि अब भी तेरा ही सामान हूँ ./

अजीब सी आदत से परेशान हूँ 
तुम्हे  सोच -सोचकर  हैरान  हूँ 


जो था,वो सब कुछ तुम्हे दे दिया,
अब बाजार क़ी एक बंद दुकान हूँ .


अब भी बहुत याद आती हो तुम,
सोचो  तो , कितना   नादान    हूँ . 




अकेला हूँ, आज इस वलेंटाइन  डे पर ,



क्योंकि अब  भी   तेरा ही  सामान हूँ .



जब खुद के ही कातिल हो गए /Saint Valentine's Day






             जब खुद के  ही कातिल हो गए 
           मकाम सारे मुझे हासिल हो गए 

       तू  सबसे   हसीन    सपना   था  मेरा  
      अफ़सोस! दुनियादारी  में  गाफिल  हो गए 

तेरा  प्यार  था  स्नेह  के   समंदर जैसा 
   तेरे  बाद  तो  रेतीला  साहिल  हो गए 

तेरी  बातें , तेरी  जुल्फें ,तेरी   यादें  सनम 
इनमे  इतना   उलझे  क़ी   जाहिल  हो गए   

आज  फिर  जब  वलेंटाइन  डे  है  
हम  तेरी  यादों  से  बोझिल  हो गए .  
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