Saturday, 27 March 2010

बोध कथा :१२ भरोसा

बोध कथा :१२ भरोसा 
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  एक गाँव में लगातार २० सालों से सूखा पड़ रहा था. पूरे गाँव में हाहाकार मचा हुआ था. कई तरह क़ी महामारी फ़ैल रही थी.लोग बीमार पड़ रहे थे.कई लोग तो गाँव को छोड़ कर जा चुके थे.
 ऐसे में एक पुजारी ने गाँव वालों को बताया क़ि यदि वे भगवान् इंद्र को खुश  करने के लिए एक बड़ी पूजा आयोजित करें,तो हो सकता है क़ि इंद्र देवता प्रश्नं हो कर बरसात कर दें. गाँव वालों को भी यह बात सही लगी.फिर क्या था, पूजा  क़ी  तैयारी होने लगी. जिस दिन पूजा  का अंतिम दिन था ,तब तक तो बरसात हुई नहीं.फिर भी कोई कुछ कह नहीं रहा था.लेकिन एक आशंका सब के मन में थी. जब पूजा  क़ी आहूति देने का समय आया तो गाँव का एक बच्चा हाँथ  में छाता और रेनकोट पहने उस जगह पहुंचा .सब लोग उसे देख कर हंस पड़े.
 एक बूढ़े व्यक्ति ने उस बच्चे से पूछा,''क्यों रे ,बारिश कंहा हो रही है ?तू छाता लेकर क्यों आया है ?''
    उस बूढ़े क़ी बात को सुनकर उस छोटे से बच्चे ने बड़ी ही    मासूमियत से जवाब दिया,''दादा,आज पूजा  पूरी  हो रही  है. अभी थोड़ी देर में बारिश शुरू हो जायेगी.उस बारिश से बचने के लिए ही मैं छाता लेकर आया हूँ.''  
 उस बच्चे क़ी बात पर किसी को विश्वाश नहीं हुआ.लेकिन थोड़ी ही देर में बारिश शुरू हो गई.उस बच्चे का भरोसा काबिले तारीफ़ था. हमे भी अपने द्वारा किये जा रहे श्रम पर भरोशा रखना चाहिए.किसी ने लिखा भी है क़ि --
                   '' जिनका होता है भरोसा बुलंद,
                     मंजिल उन्ही क़ी चूमती है कदम ''  









(इन तस्वीरों पे मेरा कोई कॉपी राइट नहीं है )

अब नेट का फॉर्म आन लाइन भरने की सुविधा

अब नेट का फॉर्म आन लाइन भरने की सुविधा 
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यु.जी.सी क़ि परिक्षावों क़ि तारीख आ गयी है. इस बार नेट क़ि परीक्षा २७ जून को है. एक और नई बात इस बार यह है क़ि अब आप अपना फॉर्म ऑन लाइन भी भर सकते हैं. इसके पहले यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी.इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप यु.जी.सी. क़ि साईट www.ugc.ac.इन पर लागिन कर सकते हैं.
      साईट पर जाने के बाद   आप इस लिंक पर क्लिक करें http://www.ugc.ac.in/inside/net.हटमल .यंहा जाने के बाद आप फिर से
  UGC-NET to be held on 27th June, 2010  इस लिंक को क्लिक करे.जब आप यंहा किलिक करेंगे तो आप के सामने जो पेज ओपन होगा वो ऐसा होगा-


Home Important Dates Downloads Notification for NET About NET Contact Us UGC
Age Checklist Eligibility Enclosures Fee General Instructions
How to Apply Scheme of Test Structure of Paper III Subjects Test Centres Syllabus N E T Subjects
 
National Eligibility Test June-2010
for Junior Research Fellowship and Eligibility for Lectureship
To avoid Rush! Submit your Online Application NOW!
Days Left :30
 
Important instructions to fill online application form for NET
Steps to Registration
 
 फिर क्या है ? आप फॉर्म भरना शुरु कर दीजिये. लेकिन पहले बैंक के चलान का प्रिंट आउट ले कर पैसे यस.बी.आई. क़ि किसी ब्रांच में भर दीजियेगा. बताइए कैसी लगी यह नई जानकारी ?    

जो न पाया मैंने वही दे रहा हूँ /

जो न पाया मैंने वही दे रहा हूँ ;
मै तुझको मोहब्बत दे रहा हूँ /

जो मुझको न मिल सका वही दे रहा हूँ ,
अपनी जिंदगी का फलसफा दे रहा हूँ /

जो न तू दे सका वही दे रहा हूँ ;
मै तुझको दुआएं दे रहा हूँ /

Friday, 26 March 2010

उन नशीली आखों का दीदार दीजिये

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उन नशीली आखों का दीदार दीजिये ;
भले न गले लगो दौड़ कर ,इकरार तो कीजिये /
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बंद कमरे में बैठा सोच रहा हूँ ;

बंद कमरे में बैठा सोच रहा हूँ ,
बाहर बच्चों की आवाजें ,बीबी के उलाहनो ,
घरवालों के तानो से बचता हुआ सोच रहा हूँ ;

यादें अब आखों को तकलीफ नहीं देती ,
सोचें फिर भी खामोश नहीं होती ;
राहें उलझी है भावों की तरह ,
कैसे खुद को बचायुं गुनाहों की तरह ;
बंद कमरे में बैठा सोच रहा हूँ ;

अपनो की आशाओं को जीत न पाया ,
अच्छाई की राहों में मीत ना पाया ;
उधेड़बुन में भटका किस तरह बढूँ ;
परिश्थितियों ने उलझाया किस तरह गिरुं ;
बंद कमरे में बैठा सोच रहा हूँ ;

दिल पत्थर का न बन पाया ,
लोंगों के दिल में क्या है ,ये भी ना समझ पाया ;
लड़ने का जज्बा बाकि है ,इमानदार हूँ मै ;
सच्च्चाई कहने का गुनाहगार हूँ मै ;
जिंदगी का मुकाम क्या है ,मेरा पयाम क्या है ;
बंद कमरे में बैठा सोचता रहता हूँ /

Thursday, 25 March 2010

ये रिश्तों के पैमाने हैं /

नयी प्रवृत्ति नया चलन है ,
बड़ती छाती घटता मन है ;
पैसे की बड़ती महिमा है ,
डर की बड़ती गरिमा है ;
`हम` को तो सब कब का भूले ,
`मै` की सीमा और डुबो ले ,
मात पिता और दादा दादी ,
भाई बहन चाचा और चाची,
एक परिवार के सब थे धाती ,
पति पत्नी और बच्चा ,
अब इतना ही लोंगों को लगता अच्छा ;
बाकि सब बेगाने है
स्वार्थ जरूरत तो सब अपने ,
नहीं तो रिश्तें बेमाने हैं ;
कौन कहाँ कब काम आएगा ,
ये रिश्तों के पैमाने हैं /


तेरी आँखों में ---------------------

तेरी आँखों में ---------------------
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               तेरी आँखों में  इतने सवाल क्यों है ?
               कुछ नहीं किया तो मलाल क्यों है ? 
 

               मैं तो तुम्हारा कुछ भी नहीं तो फिर ,
                दिल में अबतक मेरा ख़याल क्यों है ?
 


                 एक ही हैं राम और रहीम यारों,
                 इनके नाम पर फिर बवाल क्यों है ?
 
 
                यह देश इस देश क़ी जनता का है
                 संसद में बैठे फिर  ये दलाल क्यों है ?
 

               


             

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...