Sunday, 28 February 2010

आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,

छुं लूँ मन के भाव तेरे ,रंगू रक्तिम गाल तेरे ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
फागुन के मौसम में मन कब थमता है ,
जीवन तेरी अभिलाषा में रमता है ;
डालूँगा रंग कपड़ों पे तेरे ,
शायद दिल तेरा रंग जाय प्रिये ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
चंचल मन है ,बहकी चितवन है ,
उसपे होली का त्यौहार प्रिये ,
मन को भावों से रंगुंगा ,तन को अहसासों से रंगुंगा ,
लाल ,हरा, पीला, नीला कितना प्यारा प्यार प्रिये ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,

Saturday, 27 February 2010

फिर किसी मोड़ पर -विजय भाई पंडित क़ी तीसरी पुस्तक है

फिर किसी मोड़ पर -विजय भाई पंडित क़ी तीसरी पुस्तक है ,जिसका लोकार्पण २ मार्च को कल्याण में होगा.आप लोगो के लिए किताब का कवर पजे दे रहा हूँ. बताइए आप को यह कैसा लगा ?

Thursday, 25 February 2010

जितने सालों से तुमने,/abhilasha

मन क़ी वीणा के तारों को,
टूटे उतने ही साल हुए हैं . 
जितने सालों से तुमने,
ना क़ी कोई भी बात प्रिये .

इन सालों को उम्र में मेरी ,
शामिल बिलकुल मत करना .
इनका तो मेरे दिल से,
नहीं कोई सम्बन्ध प्रिये.  
                                    -----अभिलाषा

वो जब पास होती है,

वो जब पास होती है,
धडकन तेज होती है.
लब खामोश होते हैं,
आँखों से सारी बात होती है ..

वो सबसे मिलती है ,
हंस  कर बातें करती है.
पर आकर मेरे पास,
जाने क्यों  घबराई  होती है.

 
  

होली का त्यौहार है.

रंगों का सावन ,
प्यार क़ी फुहार है.
गले लग जाओ यारों,
होली का त्यौहार है .
 
 टोली में निकलो ,
 सब  संग खेलो . 
 बुरा मत मानों यारों,
 होली का त्यौहार है .
 
                                               
  कजरी भी गाओ,          
 फगुआ भी गाओ.
 झूमो,नाचो,गाओ यारों,
 होली का त्यौहार है.  
 
चोली भिगाओ,
चुनरी भिगाओ.
भर लो बाँहों में यार याँरो,
होली का त्यौहार है. 
  
 (इस  कविता के साथ  लगे  फोटो पर मेरा कोई  अधिकार नहीं है. यह मुझे मेल के रूप में मिला है.इसका लिंक egreetings.india.gov.in.page-archive.org/user. है. )
 

Wednesday, 24 February 2010

रीति काल पर दो दिन का राष्ट्रीय सेमिनार :डॉ.शशि मिश्रा

रीति काल पर दो दिन का राष्ट्रीय सेमिनार 
      आप को जान कर ख़ुशी होगी कि मुंबई के महर्षि दयानंद महाविद्यालय ,परेल में आगामी ०३ और ०४ मार्च २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा दो दिनों का राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है. यु.ज़ी.सी. द्वारा प्रायोजित इस सेमिनार में देश के कई जाने-माने विद्वान सहभागी हो रहे हैं.  
          आप यदि इस सेमिनार में सहभागी होना चाहते हैं तो आप का स्वागत है. आप अधिक जानकारी के लिए महाविद्यालय क़ी हिंदी विभाग प्रमुख श्रीमती डॉ.शशि मिश्रा जी से उनके मोबाइल  -०९८३३६२१९३८ पे सम्पर्क कर सकते हैं.महाविद्यालय तक पहुँचने के लिए  ttp://maps.google.com/maps?f=d&source=sh_d&saddr=महार्ष  इस गूगल मैप लिंक का सहारा लिया जा सकता है .महाविद्यालय का पता निम्नलिखित है-
Maharshi Dayanand College,Parel, Dr SS Rao Rd, Parel, Mumbai, Maharashtra, India

                                          आपका सेमिनार में स्वागत है ***
                                                                                                          डॉ.शशि मिश्रा

  
                                      

प्यार के रंग में गोरी भीगी.



होली जब भी आती है 
नई सौगात लाती है .
उसे बाँहों में भरने का,
वही एहसास लाती है.

ले के प्यार का गुलाल,
मन में थोड़े से सवाल . 
वो आ के मेरे पास,
मुझको छेड़ जाती है . 

नजर सब क़ी बचाती है 
नजर मुझसे मिलाती है .
इशारों ही इशारों में,
हँसी पैगाम देती है .  

हमजोली क़ी टोली आती .
साथ में नखरे वाली आती .
छू के मेरे गालों को, 
वो हलके से शरमाती है . 

चोली भी भीगी ,चुनरी भी भीगी 
प्यार के रंग में गोरी भीगी.
देख के उसका ऐसा रूप,
मुझको बेचैनी होती है .  
                                           ( इस पोस्ट के साथ लगे सभी  फोटो मुझे मेल के रूप में मिले हैं,इनपे  मेरा कोई अधिकार नहीं है.)



                         होली जब भी -----------------------------------------      

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...