सहना जब भी मुश्किल होगा,
दिल का कोई दर्द पुराना .
तो फिर गीतों के शब्दों से,
सहलाऊंगा उसे प्रिये .
इसीलिए तो रचता हूँ,
ताकी बचना संभव हो.
वरना त्रिषिता में तेरी,
ले लेगी तृष्णा प्राण प्रिये .
-----------------अभिलाषा
Thursday, 4 February 2010
मधुर प्रेम की गलियों में,/abhilasha
वर्ण माला प्रेम की ,
जाने कब से सीख रहा .
करते-करते पुनर्पाठ ,
हो जाऊंगा अभ्यस्त प्रिये .
छू के तेरे आँचल को,
गुजर गई है शोख हवा.
इसी हवा के झोके ने,
किया मुझे मदहोश प्रिये .
मधुर प्रेम की गलियों में,
ना जाने कितनी सखियाँ छूटी.
कोई रूठी -कोई टूटी ,
तो किया किसी ने माफ़ प्रिये .
मैंने भी कब चाहा था पर,
प्रारब्ध में मेरे यही रहा .
जीवन की मजबूरी में,
यायावर ही रहा प्रिये .
------------------अभिलाषा
जाने कब से सीख रहा .
करते-करते पुनर्पाठ ,
हो जाऊंगा अभ्यस्त प्रिये .
छू के तेरे आँचल को,
गुजर गई है शोख हवा.
इसी हवा के झोके ने,
किया मुझे मदहोश प्रिये .
मधुर प्रेम की गलियों में,
ना जाने कितनी सखियाँ छूटी.
कोई रूठी -कोई टूटी ,
तो किया किसी ने माफ़ प्रिये .
मैंने भी कब चाहा था पर,
प्रारब्ध में मेरे यही रहा .
जीवन की मजबूरी में,
यायावर ही रहा प्रिये .
------------------अभिलाषा
लाली चाहिए ऊषा की ./abhilasha
मेरी गहरी उदासी को,
लाली चाहिए ऊषा की .
राह में केवल प्राची के,
मेरा तो है ध्यान प्रिये .
नया सवेरा आएगा,
इसका है विश्वाश मुझे.
छट जायेगा घोर अँधेरा,
पल-दो-पल की बात प्रिये .
---------अभिलाषा
लाली चाहिए ऊषा की .
राह में केवल प्राची के,
मेरा तो है ध्यान प्रिये .
नया सवेरा आएगा,
इसका है विश्वाश मुझे.
छट जायेगा घोर अँधेरा,
पल-दो-पल की बात प्रिये .
---------अभिलाषा
हल्का-हल्का जाने कैसा,/abhilasha
छुई-मुई सी सिमट गई,
तुम जब मेरी बांहों में
तपन से तेरी सांसों की,
बना दिसम्बर मई प्रिये .
हल्का-हल्का जाने कैसा,
दर्द उठा था मीठा सा .
एक दूजे से मिलकर ही,
हम तो हुए थे पूर्ण प्रिये .
-----------अभिलाषा
तुम जब मेरी बांहों में
तपन से तेरी सांसों की,
बना दिसम्बर मई प्रिये .
हल्का-हल्का जाने कैसा,
दर्द उठा था मीठा सा .
एक दूजे से मिलकर ही,
हम तो हुए थे पूर्ण प्रिये .
-----------अभिलाषा
घोर अँधेरी सर्द रात में .\abhilasha
किसी पहाड़ी के मंदिर पे,
घोर अँधेरी सर्द रात में .
दर्द प्रेम का लेकर मन में,
यादों का करता जाप प्रिये .
मेरे इस एकांत वास पे,
नभ के सारे तारे हसते.
लेकिन सारा सन्नाटा,
देता मेरा साथ प्रिये .
घोर अँधेरी सर्द रात में .
दर्द प्रेम का लेकर मन में,
यादों का करता जाप प्रिये .
मेरे इस एकांत वास पे,
नभ के सारे तारे हसते.
लेकिन सारा सन्नाटा,
देता मेरा साथ प्रिये .
हिंदी के राष्ट्रिय सेमिनार :
हिंदी के राष्ट्रिय सेमिनार :
यु.जी.सी. द्वारा प्रायोजित इनदिनों महाराष्ट्र में दो राष्ट्रिय सेमिनारों की जानकारी मेरे पास आयी है .जिनमे आप सहभागी हो सकते हैं.
१-पहला सेमिनार साठे महाविद्यालय ,विले पार्ले,मुंबई में दिनांक ५ फरवरी और ६ फरवरी २०१० को आयोजित किया गया है.सेमिनार का मुख्य विषय है ''सूफी साहित्य का मूल्यांकन ''
इस सेमिनार के लिए डॉ.प्रदीप सिंह जी से सम्पर्क किया जा सकता है . या इसी ब्लॉग पे भी आप सम्पर्क कर सकते हैं .
२-दूसरा सेमिनार आबा साहेब मराठे आर्ट्स ,साइंस कालेज ,राजापुर ,जिला-रतनागिरी,महाराष्ट्र में १८ फरवरी को आयोजित किया गया है.इस सेमिनार का मुख्य विषय है-आधुनिक हिंदी उपन्यासों में नारी चित्रण
इस सेमिनार में सहभागी होने के लिए श्री.एम्.डी.नायकू से ९८६०१७६०५९ पर सम्पर्क किया जा सकता है . या इसी ब्लॉग पे .
यु.जी.सी. द्वारा प्रायोजित इनदिनों महाराष्ट्र में दो राष्ट्रिय सेमिनारों की जानकारी मेरे पास आयी है .जिनमे आप सहभागी हो सकते हैं.
१-पहला सेमिनार साठे महाविद्यालय ,विले पार्ले,मुंबई में दिनांक ५ फरवरी और ६ फरवरी २०१० को आयोजित किया गया है.सेमिनार का मुख्य विषय है ''सूफी साहित्य का मूल्यांकन ''
इस सेमिनार के लिए डॉ.प्रदीप सिंह जी से सम्पर्क किया जा सकता है . या इसी ब्लॉग पे भी आप सम्पर्क कर सकते हैं .
२-दूसरा सेमिनार आबा साहेब मराठे आर्ट्स ,साइंस कालेज ,राजापुर ,जिला-रतनागिरी,महाराष्ट्र में १८ फरवरी को आयोजित किया गया है.इस सेमिनार का मुख्य विषय है-आधुनिक हिंदी उपन्यासों में नारी चित्रण
इस सेमिनार में सहभागी होने के लिए श्री.एम्.डी.नायकू से ९८६०१७६०५९ पर सम्पर्क किया जा सकता है . या इसी ब्लॉग पे .
Wednesday, 3 February 2010
तुझसे दुरी क्या मजबूरी ,
गहराती सांसे नमित मन की आखें ,
तुझसे दुरी क्या मजबूरी ,
थकी हैं नजरें सपनों से दुरी ,
चित भीगा तस्वीर अधूरी ,
व्यथा भाव मोहब्बत ले आई ,
दिल का क्रंदन और जुदाई ,
रूह है प्यासी पास उदासी ,
धड़कन को तू क्या दे आई ,
किस जीवन की राह दिखाई ,
शिकवा नहीं ह्रदय है कम्पित ,
क्यूँ हूँ तुझसे मै अचंभित ,
कांटा चुना राह के तेरी ,
आहें भरे रात संग मेरी ,
टीस भरी है भाव भाव में ,
दिल का बांध टूटता राह में ,
गहराती सांसे नमित मन की आखें ,
तुझसे दुरी क्या मजबूरी ,
तुझसे दुरी क्या मजबूरी ,
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