Friday, 27 March 2009

दिनकर की मृत्यु चन्द्रास्वामी की गोंद मे .........

अगर बाल कवि बैरागी की बात को सच मान लिया जाय तो यह भी मानना पड़ेगा की महाकवि दिनकर की मृत्यु चंद्रास्वामी की गोंद मे हुआ था ।
बैरागी जी बताते हैं कि सुन ७४ मे एक दिन दिनकर जी ने अचानक कहा कि वे तिरुपति जा रहे हैं । श्री गोपाल प्रसाद व्यास ने कारण पूछा तो वे बोले -यह देश जीने लायक नही रहा ,मैं मरने जा रहा हूँ ।
और रामनाथ जी गोयनका के गेस्ट हाउस मे चंद्रास्वामी की गोंद मे उन्होने अपने प्राण त्याग दिये । हिन्दी का दिनकर दक्षिण मे अस्त हो गया । सत्ता अगर सम्मान देती है तो , अपमानित भी करती है । इस बारे मे जादा नही कहना चाहता पर दिनकर की राजनितिक स्थितयों को जानने वाले मेरा मतलब समझ जाएँगे ।

Tuesday, 24 March 2009

नैनो के फायदे और नुक्सान

टाटा मोटर्स का ६ साल पुराना सपना साकार हो गया और नैनो कार बाजार मे आ गई । अब सवाल यह उठता है की इसके फायदे और नुक्सान क्या -क्या हैं ?


अगर बात फायदे की करे तो कहा जा सकता है की -




  1. देश के मध्यम वर्ग का कार मे घूमने का सपना नैनो कार की वजह से पुरा हो गया । साथ ही साथ आम आदमी तक कार पहुँच सकी .isksathikइ

  2. दूसरी बात यह की इससे रोजगार के नए अवसर भी देश मे लोंगो को मिलेंगे ।

अब अगर दूसरी दृष्टी से सोचा जाये तो टाटा की नैनो को प्राथमिकता का निर्णय ग़लत भी लगता है । एक ऐसे समय मे जब पूरी दुनिया मे मंदी छाई हुई है तो देश के मध्यम वर्ग को कार देना कौन सा सार्थक निर्णय है ?

दूसरी बात हमारी ऊर्जा संकट की है । पेट्रोलियम पदार्थों की कमी की है । बुनियादी सुविधावों के आभाव की है । इन सब को भूल कर नैनो का स्वागत करना इतना आसन नही है ।

वैसे आप इस बारे मे क्या सोचते हैं ?


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Sunday, 22 March 2009

आज से साहित्य का महा-कुम्भ द्वारका(गुजरात) मे -------

हिन्दी साहित्य समेलन प्रयाग का ६१ वां अधिवेशन और परिसंवाद आज २२ मार्च से गुजरात के द्वारका मे सुरु हो रहा है । यह सम्मलेन २४ मार्च २००९ तक चलेगा । देश भर से करीब ५०० से अधिक हिन्दी साहित्यकारों और विद्वानों के इस सम्मलेन मे सामिल होने की सम्भावना है ।

कार्यक्रम पुस्तकालय टाऊन हाल ,हरी प्रेम मार्ग ,द्वारका मे होगा । अधिक जानकारी के लिये शैलेस भाई नरेन्द्र भाई ठाकर से ०९४२८३१५४०३ इस मोबाइल पे संपर्क किया जा सकता है ।

Friday, 20 March 2009

आतंकवाद के ख़िलाफ़ हिन्दी गीतों की सुरांजलि -आलोक भट्टाचार्य

अगर आप 26-3-2009 की शाम मुंबई मे हैं और अपनी शाम को यादगार बनाना चाहते हैं तो आप शाम ५.३० बजे मानिक सभागृह हाल ,लीलावती हॉस्पिटल के सामने,बान्द्रा पूर्व मे आना होगा ।
यंहा हिन्दी गीतों की एक सी.डी का लोकार्पण नूरजंहा के हांथो होगा । इन गीतों को लिखने का काम श्री आलोक भट्टाचार्य ने किया है । गीतों को अपनी आवाज से सवार हाय -सुरेश वाडेकर.साधना सरगम,मोहमद अजीज़ और जावेद अली ने ।
इस अवसर पे कई जाने-माने लोग भी उपस्थित रहेंगे । आप का भी स्वागत है इस साहित्यिक और संगीतमय आयोजन मे ।

Thursday, 19 March 2009

अपनी राह बनाने को ---------------

अपनी राह बनाने को
मैं तो अकेला चल निकला
मंजिल का कहना मुस्किल है ,
पर साथ है मेरे राह प्रिये ।


आयेंगे जितने भी सब का
द्वार पे मेरे स्वागत होगा
जाना जो भी चाहेगा,
हर वक्त है वो आजाद प्रिये ।



इतनी अगर सजा दी है
तो फ़िर थोड़ा प्यार भी दो
आँचल की थोड़ी हवा सही ,
या बाँहों का हार प्रिये ।


तेरे-मरे रिश्ते जितना
उम्मीद से मेरा रिश्ता है ।
कितनी लम्बी प्यास है मेरी ,
पनघट बन तू देख प्रिये ।

भावों का यह वंदन पूजन --------

अनुग्रह की अभिलाषा यह
तुमको देव बनाती है
भावों का यह वंदन पूजन
कर लेना स्वीकार प्रिये


मेरी सारी इच्छायें
तुमसे ही तो जुड़ती हैं
फ़िर क्यों और किसी ठाकुर के
द्वार का घंट बजाऊँ प्रिये

जीत -जीत कर जीवन मे
चाहे जो भी हासिल कर लो
पर प्यार जीतने के खातिर
हार यंहा अनिवार्य प्रिये

खो कर ही सबकुछ
प्यार को पाना होता है
इसीलिये तो कहता हूँ
प्यार को मैं सन्यास प्रिये

मीठी -मीठी तेरी बोली

मीठी -मीठी तेरी बोली
मन को मोहित करती है
अंदर ही अंदर मै हर्षित
करके तुझको याद प्रिये


उषा की लाली मे ही
नया सवेरा खिलता है
तिमिर भरी हर रात के आगे
रश्मिरथी उपहार प्रिये


पहले कितना शर्माती थी
अब तुम कितना कहती हो
मुझसे मिलकर खिलती हो
लगती हो जैसे परी प्रिये


मरे अंदर जितना तुम हो
उतना हे मैं तेरे अंदर
हम दोनों मे मैं से जादा
भरा है हम का भाव प्रिये

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...