#RajKapoor the Showman of Indian Cinema made it possible for Bollywood to have a strong presence in the world, especially in Central Asia. This International Conference by ICCR's Lal Bahadur Shastri Centre for Indian Culture and Tashkent State University of Oriental Studies celebrates 100 years of Raj Kapoor. Research Papers are invited in Hindi, English and Uzbek. In-person in Tashkent and Online Participation are possible. Get in touch with the Organising team. #Tashkent #Conference #ICCR #India #Bollywood #HindiMovies #UzbekCinema
Tuesday, 19 November 2024
Alfraganus University में व्याख्यान
🔴HINDISTON | MA'RUZA
🟤Bugun Alfraganus universitetiga xalqaro hamkorlik doirasida Hindistonning Mumbay shtati Maharashtra shahrida joylashgan K.M. Agraval kolleji dotsenti, PhD Manish Kumar Mishra va Toshkent davlat sharqshunoslik universiteti Janubiy Osiyo tillari va adabiyoti oliy maktabi dotsenti v.b. PhD Kamola Raxmatjonova tashrif buyurdilar.
🟤PhD Manish Kumar Mishra Ijtimoiy fanlar fakulteti talabalari uchun "Hindiston falsafasi va dinlari" mavzusida ma’ruza o‘qib, Hindistonning falsafiy merosi, diniy an’analari hamda madaniy o‘ziga xosliklari haqida batafsil ma’lumot berdi.
🟤Uchrashuv davomida talabalar Hindiston madaniyati va dinlari haqidagi bilimlarini boyitish bilan birga, xalqaro fanlararo muloqotning muhim ahamiyatini chuqur angladilar.
Alfraganus University ताशकंद में आज "भारतीय दर्शन और सनातन धर्म" विषय पर व्याख्यान देने का अवसर मिला। इस अवसर के लिए प्रोफ़ेसर Kamola Rahmatjonova और Alfraganus University में समाज विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर शेरदोर जी का आभार।
Saturday, 16 November 2024
राज कपूर पर अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान
राज कपूर शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र, भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान एवं ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान के संयुक्त तत्त्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन आगामी 21 दिसंबर, 2024 को ताशकंद में किया जा रहा है। प्रपत्र हिंदी, अंग्रेजी या उज़्बेकी भाषा में 10 दिसंबर 2024 तक स्वीकार किये जायेंगे। विस्तृत जानकारी संलग्न है । इस संदर्भ में अधिक जानकारी के लिए संयोजक डॉ मनीष कुमार मिश्रा एवं डॉ निलोफर खोदेजेवा / Nilufar Bekmuratovna Khodjaeva जी से संपर्क किया जा सकता है।
इस आयोजन से जुड़ने के लिए आप निम्नलिखित ग्रुप से जुड़ सकते हैं। ऑनलाइन माध्यम से भी प्रपत्र प्रस्तुत किए जा सकेंगे।
टेलीग्राम ग्रुप
https://t.me/+GAG9-26tLdM2ZWE9
व्हाट्स अप ग्रुप
https://chat.whatsapp.com/KNM0G4s9iEOK2iEYNwhE4N
किसी भी तकनीकी सहयोग के लिए डॉ प्रवीण कुमार शर्मा/ Parveen Sharma जी से संपर्क कर सकते हैं।
Wednesday, 13 November 2024
Tuesday, 22 October 2024
उज़्बेकिस्तान में एक पार्क ऐसा भी
उज़्बेकिस्तान में एक पार्क ऐसा भी है जो यहां के वरिष्ठ साहित्यकारों के नाम है। यहां उनकी मूर्तियां पूरे सम्मान से लगी हैं। अली शेर नवाई, ऑयबेक, अगाही, गफूर गुलाम और जुल्फियां की प्रतिमाएं आप यहां देख सकते हैं। इस तरह के पार्क पर कोई भी राष्ट्र गर्व कर सकता है। पार्क के बीचों बीच एक म्यूज़ियम भी है।
Saturday, 12 October 2024
डॉ.मनीष कुमार मिश्रा संक्षिप्त परिचय 2024
नाम
: डॉ.मनीष कुमार मिश्रा
जन्म
: वसंत पंचमी 09 फरवरी 1981
शिक्षा
: मुंबई विद्यापीठ से MA हिंदी
(Gold medalist) वर्ष 2003,
B.Ed. वर्ष 2005, “कथाकार
अमरकांत : संवेदना और शिल्प” विषय पर डॉ. रामजी तिवारी के निर्देशन में वर्ष 2009 में PhD
, MBA (मानव संसाधन) वर्ष 2014,
MA English वर्ष
2018
संप्रति : विजिटिंग
प्रोफेसर, ताशकंद
स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़, उज्बेकिस्तान
के एम अग्रवाल महाविद्यालय (मुंबई विद्यापीठ से सम्बद्ध ) कल्याण पश्चिम ,महाराष्ट्र
में सहायक आचार्य हिन्दी विभाग
में 14 सितंबर 2010 से कार्यरत ।
सृजन :
·
राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पत्र – पत्रिकाओं /पुस्तकों इत्यादि में 80 से अधिक शोध आलेख प्रकाशित ।
·
250 से अधिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों
/ वेबिनारों में सहभागिता ।
·
15 राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का संयोजक के
रूप में सफ़ल आयोजन ।
प्रकाशन :
·
हिंदी और अंग्रेजी की लगभग 42 पुस्तकों का संपादन ।
·
अमरकांत को पढ़ते हुए –
हिंदयुग्म नई दिल्ली से वर्ष 2014 में प्रकाशित ।
·
इस बार तुम्हारे शहर में – कविता संग्रह शब्दशृष्टि, नई दिल्ली से 2018 में प्रकाशित ।
·
अक्टूबर उस साल – कविता संग्रह शब्दशृष्टि, नई दिल्ली से 2019 में प्रकाशित ।
·
होश पर मलाल है - ग़ज़ल संग्रह, ऑथर्स
प्रेस, नई दिल्ली से 2024
में प्रकाशित ।
·
तेरे
अंजाम पे रोना आया - ठुमरी गायिकाओं पर केंद्रित आलेखों की पुस्तक ( सह लेखिका डॉ
उषा आलोक दुबे ), आर के पब्लिकेशन मुंबई द्वारा 2024 में प्रकाशित ।
सम्पर्क
:
·
https://onlinehindijournal.blogspot.com
91+ 9082556682, 8090100900
Sunday, 6 October 2024
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की नई बोलियां ।
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की नई बोलियां ।
माना जाता है कि दूसरी शताब्दी के आस पास कुछ घुमंतू जातियां मध्य एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका की तरफ गईं और अलग अलग स्थानों पर रहने लगीं । समय के साथ इन्होंने अपनी मूल भाषा को खो दिया और स्थानीय भाषाओं को बोलचाल के लिए स्वीकार कर लिया । इन्हें मूल रूप से जिप्सी कहा जाता है।
मध्य एशिया के देश उज़्बेकिस्तान में भी ऐसे कई समुदाय रहते हैं। इन लोगों को यहां स्थानीय उज़्बेक भाषा में लोले या लोली कहा जाता है। इनके बीच भी कई समुदाय हैं जैसे कि अफ़गान, मुल्तान, पारया, जोगी, मजांग, कव्वाल, चिश्तानी, सोहूतराश और मुगांत इत्यादि । ये सभी भारत से हैं या नहीं यह शोध का विषय है।
इस संबंध में विधिवत शोध कार्य न के बराबर हुए हैं। डॉ भोलानाथ तिवारी ने ताशकंद रहते हुए अफ़गान समूह की भाषा पर काम किया और उनकी भाषा को "ताजुज्बेकी" नाम देते हुए इसे हिंदी की एक नई बोली बताई । लेकिन वे लोले या जिप्सियों को इनसे अलग मानते हैं।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा इन दिनों ICCR हिन्दी चेयर पर उज़्बेकिस्तान में हैं और ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में हिंदी भाषा के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। आप भारतीय दूतावास उज़्बेकिस्तान के सहयोग से इन समुदायों एवम इनकी भाषाओं का अध्ययन कर भारत से इनके संबंधों की पड़ताल कर रहे हैं। संभव है कि जल्द ही हिंदी की कुछ नई बोलियों का पता लगाने में वे सफल हो जाएं ।
Thursday, 3 October 2024
लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय : उज़्बेकिस्तान में हिन्दी अध्यापन
लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय : उज़्बेकिस्तान में हिन्दी अध्यापन
अपने समय और
परिस्थितियों की विशेषता और विलक्षणता को समझना हमेशा ही भविष्य की राह आसान बनाता
है । ऐसे में वे राष्ट्र जो जनतांत्रिक
मूल्यों वाले समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा जो अपनी राष्ट्रीय एकता, अखंडता और संप्रभुता के प्रति दृढ़संकल्प होते, हुए
वैश्विक अर्थव्यवस्था और प्रगति के लिए निरंतर प्रयासरत है ;
उनमें भारत और उज्बेकिस्तान प्रमुखता से शामिल हैं । दोनों राष्ट्रो के साहित्यिक
मूल्यों में आपसदारी की बात करें तो उज़्बेकिस्तान में सन 1925 के आसपास रविंद्रनाथ
टैगोर की कहानियों एवं कविताओं का उज़्बेकी एवं रूसी भाषा में अनुवाद के माध्यम से
परिचय हुआ । सन 1940
से 1960 के बीच प्रेमचंद, मोहम्मद इकबाल, मिर्जा गालिब, अमृता प्रीतम और यशपाल की
रचनाएं यहां की भाषा में अनुवाद करके प्रकाशित की गयीं ।
अब तक अनुमानतः 30 से 35 भारतीय साहित्यकारों का
साहित्य उज़्बेकी भाषा में अनुवाद के माध्यम से पहुंच चुका है । अमृता प्रीतम ने कई
बार उज़्बेकिस्तान की यात्रा की । अमृता प्रीतम ने अपनी उज़्बेकिस्तान की यात्राओं
से संबंधित कुछ निबंध भी लिखे जो सन 1962
में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘अतीत की परछाइयां’ में संकलित हैं । सन 1978
में भारत के 30
लेखकों की कहानियों को उज़्बेकी में अनुवाद करके
पुस्तक के रूप में ताशकंद से प्रकाशित किया गया । भारत के संदर्भ में साहित्य रचनेवाले उज़्बेकी
साहित्यकारों में गफूर गुलाम, हमीद
गुलाम, अस्काद मुहतार, हमीद अलीमजान, मिरतेमीर, सईदा जुनुनोवा, एरकीन वहीदोवा और तमारा
खोदजाएवा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है ।
ताशकंद के
लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा के आधार पर हिंदी पढ़ाई
जाती
है
जिसकी
शुरूआत 1955 के आसपास हुई । पाठशाला क्रमांक 24/ मकतब 24 प्रसिद्ध लेखक दिमित्रोव के नाम से ताशकंद में शुरू
हुआ ।
सन
1972 में इसका नाम बदलकर लाल
बहादुर
शास्त्री विद्यालय किया गया। यहाँ
कक्षा 5 से ही हिन्दी का अध्यापन होता है । इस विद्यालय में लगभग 1400 विद्यार्थी
हैं जिनमें से लगभग 800 विद्यार्थी यहाँ
हिन्दी सीखते हैं । सिर्फ हिन्दी पढ़ाने के लिए यहाँ वर्तमान में 07
शिक्षक कार्यरत हैं । इस विद्यालय की वर्तमान डायरेक्टर नोसिरोवा दिलदोरा यहाँ की
हिन्दी शिक्षिका भी हैं । अन्य शिक्षकों में जोराइयेवा मोहब्बत, अब्दुर्राहमनोवा निगोरा, तोजीमुरुदोवा सुरइयो, तुर्दीओहूननोबा, कुरबानोवा ओजोदा और मिर्ज़ायूरादोवा मफ़ूजा शामिल हैं । लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय, ताशकंद संभवतः न केवल उज़्बेकिस्तान अपितु पूरे मध्य एशिया में
हिंदी अध्ययन अध्यापन का सबसे बड़ा केंद्र है ।
इस विद्यालय
के हिन्दी छात्रों
को हिंदी भाषा रुचिपुर्ण तरीके से सिखाने के लिए पाठ्य सामग्री को लगातार नए
स्वरूप में तैयार करने का कार्य चलता रहता है। नवीनतम
बदलाव वर्ष 2͏021 में किया गया ।
सभी कक्षाओं की (कक्षा 5 से 11 तक ) किताबों को बदलने͏ का का͏म स्कूल के͏ शिक्षकों
तथा ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीस्ज के वरिष्ठ इंडोलजिस्ट की मदद व
सुझाव से पाठ्य͏
पुस्तक समिति ने ͏कि͏या। इन
किताबों के प्रकाशन के लिए भी भारतीय दूतावास आर्थिक सहायता देता रहता है ।
विद्यालय के बायीं तरफ़ शास्त्री जी की विशाल
प्रतिमा लगी हुई है । इस प्रतिमा का अनावरण प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता राज कपूर ने 70
के दशक में की थी । उन दिनों हिन्दी के 35 से अधिक अध्यापक यहाँ कार्यरत थे । लाल
बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र, भारतीय दूतावास की तरफ़
से यहाँ एक संग्रहालय कक्ष भी बनाया गया है । इस कक्ष में पुस्तकों, पत्रिकाओं
के साथ साथ भारतीय संस्कृति के प्रतीक चिन्हों के रूप में कई वस्तुओं को सँजोकर
रक्खा गया है । शास्त्री जी की एक प्रतिमा इस कक्ष में भी लगाई गयी है । इस
संग्रहालय कक्ष के लिए समय – समय पर कई भेंट वस्तुएं भारतीय दूतावास के माध्यम से
उपलब्ध कराई जाती है ।
स्वर्गीय लाल
बहादुर शास्त्री जी के पुत्र अनिल शास्त्री जी अपनी पत्नी के साथ इस विद्यालय में
आ चुके हैं । वे विद्यालय की व्यवस्था से बड़े प्रभावित भी हुए । विजिटर बुक में
उन्होने अपने हस्ताक्षर के साथ संदेश भी लिखा है । वे लिखते हैं कि ,’’मैं अपनी पत्नी मंजू के साथ लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय आया और बहुत
अच्छा लगा । स्कूल में बहुत सुधार है और मैं प्रधानाचार्य एवं प्रबंध समिति को
बधाई देता हूँ । यहाँ पर संग्रहालय से बहुत प्रभावित हूँ । आप ने शास्त्री जी की
स्मृति को बनाए रखने का बहुत अच्छा कार्य किया है । शास्त्री परिवार से किसी
प्रकार की सहायता चाहें तो बेझिझक मुझे या मंजू को बताएं ।“
समग्र रूप से हम यह कह
सकते हैं कि भारत और उज्बेकिस्तान विश्व के दो महान गणतंत्र हैं । 21वीं शती के
विश्वव्यापी मानवीय मूल्यों, शांति, स्थिरता, प्रगति और स्वतंत्रता के स्वप्न को साकार
करने में इन दोनों राष्ट्रों की भाषायी साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी । पूरे मध्य एशिया में हिंदी अध्ययन अध्यापन के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में लाल
बहादुर शास्त्री विद्यालय के अवदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा ।
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
विजिटिंग प्रोफ़ेसर – ICCR हिन्दी चेयर
ताशकंद, उज़्बेकिस्तान
What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers
Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...
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