Thursday, 31 March 2011

हिंदी साहित्य में ध्रुवीकरण /गिरोहबाजी का इतिहास

हिंदी साहित्य में ध्रुवीकरण /गिरोहबाजी का इतिहास  कितना पुराना है ,यह पता लगाने के लिए यह जरूरी है की इसके इतिहास की जांच पड़ताल की जाए. मार्क्सवादियों  और कलावादियों के वर्तमान दो प्रमुख मठाधीश परम आदरणीय डॉ. नामवर सिंह और डॉ. अशोक बाजपाई से विनम्र माफ़ी मांगते हुवे मैं इस विषय पर लिखने जा रहा हूँ. आगे आप को इस पर लम्बा लेख पढने को मिलेगा. आप से भी अनुरोध है की आप इस विषय पर अपनी जानकारी  टिप्पणियों के रूप में प्रेषित करें. भोपाल घराना से लेकर जितने भी घराने इस गिरोहबाजी में शामिल   हो क्र देश की विभिन्न अकादमियों को अपने हथियार के रूप में उपयोग में ला रहे  हैं, इसका भी काला चिटठा खुलना चाहिए. 
       मजेदार बात यह है कि यह विषय भी मुझे डॉ. अशोक बाजपाई जी ने अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अपने व्याख्यान के दौरान दिया. अब उनके आदेश का पालन तो करना ही होगा. इंटरनेट पर नामवर जी तो खूब दिखाई देते हैं लेकिन अशोक जी नहीं मिल रहे. वैसे भी नामवर सिंह जी हिंदी साहित्य जगत के अमिताभ बच्चन है. वे जिस भी शादी में जाते हैं दुल्हे वही रहते हैं, कहने का अर्थ यह है कि संगोस्ठियों में कोई उनके बराबर में खड़ा नहीं रह पता . दूसरी बात यह है की उन्होंने लोगों को उपकृत करने में कभी भी जातिवाद को नहीं अपनाया . 
         जन्हाँ तक ध्रुवीकरण की बात है उसपर मेरठ से भाई डॉ. परितोष मणि जल्द ही कुछ भेजने वाले हैं जिसे आप के लिए उपलब्ध कराऊंगा . यह एक अभियान है जो साहित्यिक ध्रुवीकरण  की बखियां उधेड़ने का काम करेगा,बिना किसी दुराग्रह के. सहमति  के साहस और असहमति के विवेक के साथ आप का इस अभियान में स्वागत है.

Friday, 25 March 2011

शताब्दी वर्ष कवि अज्ञेय की

शताब्दी वर्ष  कवि अज्ञेय की कई सन्दर्भों में महत्वपूर्ण हो गयी है .दरअसल अज्ञेय जी ने कभी भी अपने विरोध का विरोध नहीं किया.लेकिन उनका विरोध मुख्य रूप से ३ कोनों से हुआ .पहला विरोध का कोना था छायावादी संस्कारी वर्ग का.इसमें आचार्य नन्द दुलारे बाजपाई प्रमुख रहे.उनका साथ दिया नगेन्द्र जी ने और कुछ हद तक आचार्य हजारीप्रसाद जी ने भी.दूसरा कोना था  प्रगतिशीलों का जिन्होंने अज्ञेय को आत्म्निस्ठ  कहा.तीसरा कोना  था नवोदित कवियों का जो अज्ञेय का विरोध कर अपनी आत्म प्रतिष्ठा का रास्ता तलाश रहे थे. अशोक बाजपाई ऐसे ही कवियों में थे.
           लेकिन अज्ञेय अपने मौन दर्शन के सहारे ,अपनी चुप्पी में ही दहाड़ रहे थे. उन्होंने विचारवादी कविता लिखने के बजाय विचारों को कविता में प्रतिष्ठित करने का काम किया.उन्होंने तीन बिन्दुओं पर मुख्य रूप से लेखन किया
                             १-कला व् साहित्य सम्बन्धी प्रश्नों पर 
                             २-आलोचनात्मक टिप्पणिया
                             ३-समाज से जुड़े हुवे बृहत्तर समाज के प्रश्नों पर

         अज्ञेय के ऊपर यह आरोप भी लगता रहा की उनकी विचारधारा आयातित है.टी.एस.इलियट का प्रभाव अज्ञेय पर अधिक था,लेकिन उनकी मौलिकता में कंही कोई कमी नहीं थी.अज्ञेय की शरणार्थी नाम  से संगृहीत कवितायें उनके मानवीय पक्ष को सामने लती हैं. उनके दो उपन्यासों की चर्चा कम हुई है ,जिस पर काम करने की आवश्यकता है.एक -छाया मेखल और दूसरा वीनू भगत

Wednesday, 23 March 2011

aaj hai balidaan divas

आज शहीद भगत सिंह जी का बलिदान दिवस  है. .पिछले १४ फरवरी को बड़ा हो-हल्ला मचा था ,सभी इंटरनेट साईट पे,की लोग वेलेंटाइन डे मन रहे hain 
 पर भगत सिंह जी को भूल गए. जब की यह खबर गलत थी..जब की उन्हें फांसी आज के दिन दी गयी थी.आज उन्हें कितने लोग याद क्र रहे hain ? भगत सिंह जी के ही शब्दों में इतना ही कहना चाहता हूँ की -
 ''  हुकूमत के लिए मारा हुआ भगत सिंह ,
 जीवित भगत सिंह  se jada खतरनाक होगा .''  

Tuesday, 22 March 2011

national seminar on hindi blogging

DEAR FRIEDS,
     
              IN JANUARY  2012 I AM PLANNING TO ORGANIZE  A TWO DAYS NATIONAL SEMINAR ON BLOGGING. YOUR PARTICIPATION IS VERY IMPORTENT FOR MAKING THIS SEMINAR  SUCCESSFUL. YOU CAN SEND YOUR ARTICLES ON THE SAME.

आज अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हूँ

आज अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी  में हूँ
            आज अपना रिफ्रेशर कोर्स करने के लिए मैं डॉ.बालकवि सुरंजे जी के साथ अलीगढ आ गया.यंहा की व्यवस्था काफी अच्छी है. गेस्ट हाउस में हमारे रुकने का प्रबंध है.कई अन्य मित्र भी आये हैं.कल से पढ़ने वालों को खुद ५ घंटे पढना होगा.

Monday, 14 March 2011

हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी


हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,           आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग  : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं ''  इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है.  विश्विद्यालय अनुदान आयोग    द्वारा  इस संगोष्ठी को संपोषित  किया जा सके इस सन्दर्भ में  औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा. 
               संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ )  संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
             दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा    करें  . 
           आप सभी के सहयोग   क़ी आवश्यकता  है . अधिक  जानकारी  के लिए संपर्क  करें 


डॉ.  मनीष  कुमार  मिश्रा 
 के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय 

 गांधारी  विलेज , पडघा  रोड 
 कल्याण -पश्चिम 
 pin.421301

 महाराष्ट्र
mo-09324790726




Sunday, 13 March 2011

परिकल्पना: हिन्‍दी ब्‍लॉगरों, प्रेमियों, साहित्‍यकारों : 30 अप्रैल 2011 को दिल्‍ली के हिन्‍दी भवन में मिल रहे हैं

परिकल्पना: हिन्‍दी ब्‍लॉगरों, प्रेमियों,

हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें .
आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें


डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
गांधारी विलेज , पडघा रोड
कल्याण -पश्चिम
pin.421301
महाराष्ट्र
mo-09324790726
साहित्‍यकारों : 30 अप्रैल 2011 को दिल्‍ली के हिन्‍दी भवन में मिल रहे हैं

परिकल्पना: हिन्‍दी ब्‍लॉगरों, प्रेमियों, साहित्‍यकारों : 30 अप्रैल 2011 को दिल्‍ली के हिन्‍दी भवन में मिल रहे हैं

परिकल्पना: हिन्‍दी ब्‍लॉगरों, प्रेमियों, साहित्‍यकारों : 30 अप्रैल 2011 को दिल्‍ली के हिन्‍दी भवन में मिल रहे हैं

नहीं रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्य नारायण मिश्र


डॉ. सत्यनारायण मिश्र- पूर्वांचल हिंदी जगत का सबसे सम्मानित और प्रतिष्ठित नाम रहा है. जौनपुर जिले के सिंगरामऊ स्थित राजा हरपाल सिंह डिग्री कॉलेज में आप हिंदी विभागाप्रमुख के रूप में आप २८ वर्षों तक कार्य रत  रहे. वंहा से सेवा सम्पूर्ति  के बाद आप बदलापुर के सल्तनत बहादुर डिग्री कालेज में विस्टिंग प्रोफेसर  के तौर पर कार्य करते रहे. शोध निर्देशक के तौर पे  आप के मार्ग दर्शन में  ६० से अधिक विद्यार्थियों ने पी.एच .डी की उपाधि प्राप्त की .

         आप का ०२ मार्च २०११ की रात कानपुर जाते हुवे बीच रास्ते में ही सुल्तानपुर के पास देहांत हो गया. यह खबर पूरे पूर्वांचल के हिंदी जगत के लिए निराशापूर्ण और दुखद थी. ७८ वर्ष की आयु में भी  आप एकदम स्वस्थ थे. अध्ययन-अध्यापन के कार्य से पूरी तरह जुड़े हुवे थे. आप के मार्ग दर्शन  में अभी भी ०५ विद्यार्थी अपना शोध कार्य कर रहे थे. इस तरह अचानक आप की मृत्यु की खबर से सभी स्तब्ध रह गए. 
       आप बनारस हिन्दू विस्वविद्यालय के विद्यार्थी  रहे हैं. आचार्य हजारी प्रसाद दिवेदी के प्रिय छात्रों में से आप एक थे. आचार्य जी ने ही आप को साहित्य की तरफ आगे बढ़ाया . आप की प्रारंभिक नौकरी में भी आचार्य जी का विशेष योगदान रहा. उन्ही के कहने  पर आप ने '' अमेठी और अमेठी राजवंश के कवि'' इस विषय पर अपना शोध कार्य पूर्ण किया. आप अमेठी राजपरिवार के बड़े करीबी रहे. लेकिन अपने घर-परिवार के करीब रहने की इच्छा से आप नौकरी के लिए, सिंगरामऊ के प्रतिष्ठित  राजा हरपाल सिंह डिग्री कालेज  में आ गए. आप का पैत्रिक निवास यंहा से १२-१५ की.मी. ही था. बदलापुर से इलाहबाद वाली सड़क पर ,बदलापुर से ०४ की.मी. की दूरी पर आप का गाँव था. गाँव सुलेमपुर.आप का परिवार परिसर के प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है.  आप ने अपने व्यवहार और कार्य से इस परिवार की प्रतिष्ठा को खूब बढाया. आप के पीछे  आप का भरा-पुरा परिवार रह गया है.  आप की ०३ लडकियां हैं, जो विवाह के बाद अपने-अपने  परिवार में रह रंही हैं. आप के ०३ पुत्रों में सबसे बड़े श्री के. पी. मिश्र जी वर्तमान में  कानपुर में उद्योग      महाप्रबंधक    के रूप में कार्य रत हैं. आप के दूसरे  पुत्र  झाँसी  के बी .के.डी. कॉलेज  में उप -प्राचार्य  के रूप में कार्य रत  हैं. आप के अंतिम  पुत्र  श्री ब्रजेश  मिश्र जी वर्तमान में लखनऊ  में जज  के रूप में कार्य रत  हैं. पत्नी  श्यामा  देवी  और पूरा  परिवार आप के अचानक चले  जाने  से आहत  है. 
          ईश्वर  चरणों  में यही   प्रार्थना  है क़ि आप की आत्मा  को ईश्वर   शांति   दे  और आप के परिवार  को संबल . १४ मार्च को आप के पैत्रिक निवास पर तेरही का कार्यक्रम संपन्न होगा. मुझे इस बात का हमेशा दुःख रहेगा क़ि आप के अंतिम दर्शन और तमाम विधियों में मैं सम्मिलित नहीं हो सका . परिवार के सदस्य के रूप में यही पीड़ा ऑस्ट्रेलिया में भाई प्रान्सू को  भी हो रही होगी. हम दोनों  को छोड़ कर सारा परिवार इस समय एक साथ होगा.लेकिन मुझे पूरा विश्वास है क़ि आप के सिखाये हुवे रास्ते पर आगे बढ़ते हुवे हम हमेशा आप का नाम अमर रखेंगे. 


               दैनिक जागरण ने यह खबर छापी

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पूर्व प्राध्यापक का निधन

Mar 03, 09:08 pm
बदलापुर (जौनपुर) : स्थानीय क्षेत्र के सुलेमपुर गांव निवासी 70 वर्षीय हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान डा.सत्य नारायण मिश्र का बुधवार शाम को निधन हो गया। उनके मौत से जहां हिन्दी जगत को अपूरणीय क्षति हुयी। वहीं पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया। विदित हो कि श्री मिश्र राजा हरपाल सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय सिंगरामऊ में हिन्दी के प्राध्यापक रहे। उनके मौत की खबर लगते ही गुरुवार को क्षेत्र की तमाम शिक्षण संस्थाएं बन्द कर दी गयी
DR.manish kumar mishra

Friday, 11 March 2011

दिनकर आवास मुद्दा उठा राज्यसभा

दिनकर आवास मुद्दा उठा राज्यसभा में



नई दिल्ली। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पटना स्थित आवास को बिहार के उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के भाई ने कब्जा कर रखा है। इस विषय पर राष्ट्रकवि दिनकर के परिजन और साहित्यकारों ने पटना और दिल्ली में कई बार धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं। दिनकर के परिवार वाले उपमुख्यमंत्री के भाई द्वारा कब्जा किए गए हिस्सा को खाली कराने के लिए मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से भी मिले लेकिन सहयोगी पार्टी के बडे नेता के भाई का मामला होने के कारण वह भी केवल आश्वासन ही दिए ।



राजद के राज्य सभा सदस्य रामकृपाल यादव ने बुधवार को इस मुद्दा को राज्यसभा में उठाया। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस साल देश राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म शताब्दी मना रहा है, लेकिन राष्ट्रकवि के पटना स्थित आवास पर कुछ प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि दिनकर राज्यसभा के सदस्य भी थे और सरकार को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए।
 

दैनिक जागरण से साभार

Sunday, 6 March 2011

हम लोगों को छोड़ कँही, चले गए हैं बाबू जी


 हम लोगों को छोड़ कँही, चले गए हैं बाबू जी 
सब  कहते हैं नहीं रहे अब, प्यारे हमारे बाबू जी .

बचपन क़ी सारी यादों में, बसे हुवे हैं बाबू जी
डांट-डपटकर सिखलाते थे, अच्छी बातें बाबू जी .

अपने ''चेतक '' स्कूटर पर,कालेज जाते बाबू जी
धोती- कुरते में जचते ,बहुत ही अपने बाबू जी .

पंचतंत्र क़ी कई कहानियां,बतलाते थे बाबू जी
कवितायेँ भी कई हमे, सिखलाते थे बाबू जी

संध्या-वंदन -पूजा-पाठ, मंदिर में करते बाबू जी
गाँव  में सब का ही आदर,पाते हमारे बाबू जी

पान-सुपारी-सुरती-चूना, चाव से  खाते बाबू जी
''बी.बी.सी. लंदन क़ी खबरें '', सुनकर ही सोते बाबू जी

गलती  हमसे जब हो जाती, डांट लगाते बाबू जी
वरना  अपनी ही थाली में, हमे खिलाते बाबू जी

रोज रात को बड़े प्यार से, बदन मिजवाते बाबू जी
रह- रह कर  आशीष भी देते,अक्सर हमको बाबू जी

जब भी हम सब गाँव में जाते, खुश हो जाते बाबू जी
 रोज रात को पास ही अपने, हमे सुलाते बाबू जी
 
सुबह-सुबह दातून तोडकर,हमको देते बाबू जी
खेतों  में टहलाते हमको, साथ में अपने बाबू जी

''बड़का मास्टर'' सब थे कहते, हम कहते थे बाबू जी
घर के बाहर ,घर के रक्षक ,बन के बैठते बाबू जी

अब जब भी हम गाँव जायेंगे,नहीं मिलेंगे बाबू जी
जाते-जाते रुला गएँ हैं,सब को देखो बाबू जी

 जिम्मेदारी का मतलब, सिखा गए हैं बाबू जी
हम-सब क़ी ही यादों में, बसे रहेंगे बाबू जी

अच्छी सारी बातों पर, मुस्कायेंगे बाबू जी
 अपनी बगिया के फूलों को, आशीष ही देंगे बाबू जी 


हर मुश्किल में सपनो में, आ जायेंगे बाबू जी
 सही राह दिखलाकर हमको, खो जायेंगे बाबू जी

बिना आप के जी लेंगे,हम सब भी आखिर बाबू जी
 लेकिन याद बहुत आयेंगे, आप हमे तो बाबू जी . 
LOVE YOU BABOO JI !!

MISS YOU !!


०२ मार्च २०११  की रात को मेरे बाबूजी  हमे अकेला छोड़ कर चले गए. उन्ही को याद करते हुवे  ---------------------------------------------

Saturday, 5 March 2011

ये उसके प्यार की खुशबू थी

सिलसिला जब तक चलता रहा
मेरा हौसला तब तक बढ़ता रहा 

उसका तो कुछ पता न था ,
मेरे अंदर ही   ख़्वाब पलता रहा .  

ये उसके प्यार की खुशबू थी,
मैं जिससे हरदम महकता रहा .

उसकी आँखों से जो पी लिए जाम,
ताउम्र मै बस बहकता रहा .

  सुना है, मेरे बाद  ,कई   रातों   तक ,
 वह  चाँद , छत  पर  सिसकता   रहा . 

एक दर्जी  की तरह  जिन्दगी  भर ,
 मैं फटे  रिश्तों  को  सिलता  रहा . 


    
  

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