क्योंकि अब भी तेरा ही सामान हूँ ./
अजीब सी आदत से परेशान हूँ
तुम्हे सोच -सोचकर हैरान हूँ
जो था,वो सब कुछ तुम्हे दे दिया,
अब बाजार क़ी एक बंद दुकान हूँ .
अब भी बहुत याद आती हो तुम,
सोचो तो , कितना नादान हूँ .
अकेला हूँ, आज इस वलेंटाइन डे पर ,
तुम्हे सोच -सोचकर हैरान हूँ
जो था,वो सब कुछ तुम्हे दे दिया,
अब बाजार क़ी एक बंद दुकान हूँ .
अब भी बहुत याद आती हो तुम,
सोचो तो , कितना नादान हूँ .
अकेला हूँ, आज इस वलेंटाइन डे पर ,
क्योंकि अब भी तेरा ही सामान हूँ .
Labels: poem/hindi love poem, Valentine's Day