Friday 13 February 2009

Just to say a 'HI!!!'

Hello friends,  now youu can read my articles on this blog in english.
Thanks to Manish, for inviting me as an Author on this Blog.
Hope you like my posts.

Thursday 12 February 2009

वैलेंटाइन डे और डॉ.विद्यानिवास मिश्र ----------------------

बात १४ फ़रवरी २००४ की है । मै अपने शोध कार्य से लखनऊ गया था । वहा के महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विस्वविद्यालय -शोध केन्द्र मे मेरा वय्बा था ,विषय स्वीकार करने हेतु। मैं
वहा पे डॉ वीद्याबिंदु सिंह के यहाँ रुका था । विद्या दीदी मुझपे अपार स्नेह रखती हैं । मै अपना शोध कार्य भी उन्ही के साहित्य पे करना चाहता था । पंडित जी (डॉ.विद्यानिवास मिश्र ) भी मरे शोध कार्य से खुश थे। १४ फ़रवरी को मैने अपना विषय शोध समिति के सामने प्रस्तुत किया। विषय स्वीकार भी हो गया । मैं सोच रहा था की जल्दी से यह खबर विद्यादिदी को बता दूँ ।
मैं शाम को जब दीदी के घर आया तो ,सब लोग खामोश थे .दीदी अपने रूम मे रो रही थी । मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था । फ़िर किसी ने बताया की पंडित जी का रोड एक्सीडेंट हो गया ,और वे अब नही रहे ।
यह सुन कर मैं हतप्रभ रह गया .------------------------------आज २००९ ,१४ फ़रवरी को मैं अपना शोध कार्य पूरा कर चुका हूँ । मुंबई विश्विद्यालय से अमरकांत के कथा साहित्य पे । लेकिन जब भी यह १४ फ़रवरी आती है तो पंडित जी का चेहरा आँखों के सामने आ जाता है । सायद इस लिये भी की वो ख़ुद एक संत थे । दीदी ने बताया था की सफ़र में-------JAB KABHI PANDIT JI KO KOI PURANA पेड दिखाई देता वो उसके पास जाते उस पेड से लिपट कर उसे उसकी सेवा के लिये धन्यवाद देते । Aउर उसके प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते ।
पंडित जी का यह प्रेम का संदेश हम सभी को समझना होगा ।

Sunday 8 February 2009

भारतीय भाषावों का ग़ज़ल संस्करण -------------


भारतीय भाषावों का ग़ज़ल संस्करण हाल ही मे मुंबई से निकलने वाली पत्रिका ''शब्द श्रृष्टि '' ने प्रकाशित किया ।
इसकी प्रति मिली तो लिखे बगैर नही रहा गया .एक नही अपितु १७ भारतीय भाषावों मे लिखी जा रही ग़ज़लों का समावेश इसमे किया गया है ।
हिन्दी और मराठी भाषा मे प्रकाशित होने वाली यह अपने तरह की अनोखी पत्रिका है । इसके संपादक के रूप मे श्री मनोहर जी और डॉ.विजय बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
अगर आप गज़लों के शोखीन हैं , तो यह अंक आप को जरूर पढ़ना चाहिये .हिन्दी,उर्दू,मराठी,पंजाबी,गुजराती,भोजपुरी समेत १७ भाषावों की ग़ज़लों का समावेश इस अंक मे किया गया है।
इस अंक को प्राप्त करने के लिये आप सीधे इसके संपादक से निम्नलिखित पते पर संपर्क कर सकते हैं
श्री मनोहर जी
शब्द श्रिष्टी
१०२,कृष्ण कमल ,प्लाट नम्बर -५
संत यानेश्वर महाराज मार्ग
नेरुल(पूर्व)
नवी मुंबई -४००७०६
मोबाइल नो- ०९८२१९०२२७६ /९८२१५४५२८८
फैक्स-०२२-२७७०१७०३
मुझे विशवास है की यह अंक आप को जरूर पसंद आयेगा ।
अपनी प्रतिक्रिया अवस्य दें ।