नया साल जब आता है ,याद तुम्हारी लाता है
तेरी यादो की खुसबू से,यह मेरा मन महकता है ।
वक्त के चूल्हे के अंदर, स्मृतियों की राख़ पड़ी
इसी के अंदर से वह, प्यार मेरा दहकता है ।
हम दोनों का मिल पाना, नामुमकिन है लेकिन
तुमसे मिल पाने की , यह मुझमे आस जगाता है ।
भूल गई हो तुम मुझको,इसका है आभास मगर
लेकिन--सायद--कुछ तो हो ,ऐसे यह भरमाता है ।
तेरा लौट के आ पाना ,व्यर्थ की है यह बात मगर
तेरी राहों पर अक्सर ,यह मेरे नैन बिछ्वाता है ।
चाहा तो सब को लेकिन, सबसे पहले तुम हो
तेरे बाद भी तेरी ही, यह सौगात मुझे दे जाता है ।
नया साल जब भी आता है ------------------------------------------------------
''आप सभी को नव वर्ष की शुभ कामनायें ।''
मनीष कुमार मिश्रा
Monday, 29 December 2008
Friday, 26 December 2008
मैं मुंबई का ताज हूँ/ 26/11
मैं मुंबई का ताज हूँ
स्वाभिमान के नाम
मै कामयाबी का ताज हूँ
अभिमान से दूर
विनम्रता का प्रतीक हूँ
क्या देश क्या विदेश
sabhi के लिये एक केन्द्र हूँ
खड़ा सागर किनारे मै
प्रतीछा मे लींन हूँ ।
वैभव का सागर मैं
आदर्श,प्रादर्श,प्रतिदर्श हूँ
मै करोडो की चाहत का
एक गुमान हूँ ।
संस्कृति के हांथो सम्मानित
मैं यादो मे संरक्षित हूँ ।
मधु सपनो का साथी मैं
कई बार तो मंजिल हूँ ।
आतंकवाद के चेहरे पर
जड़ा हुआ तमाचा हूँ ।
भारत के वीरो की
मैं GAURAV गाथा हूँ ।
बुराई पे अछाई की जीत का
अब मैं प्रतीक हूँ
शहीदों के रक्त से तिलकित
मैं भारत का उन्नत भाल हूँ ।
मुझे गर्व है की
मैं मुंबई का ताज हूँ ।
आज ठीक एक महीने बाद मुंबई अपनी पटरी पर लौट चुका हैं । भारत की खामोशी से पाकिस्तान डरा हुआ हैं । युद्ध की उसकी चाहत usay क्या देगी , यह तो भगवन ही जाने ।
हम भारत वासी जिंदगी को जिन्दादिली से जीना जानते हैं । आज यह बात मुंबई वासियों नै दिखा दिया है ।
मुंबई के इस जज्बे को मेरा सलाम ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
जय हिंद जय महाराष्ट्र ।
स्वाभिमान के नाम
मै कामयाबी का ताज हूँ
अभिमान से दूर
विनम्रता का प्रतीक हूँ
क्या देश क्या विदेश
sabhi के लिये एक केन्द्र हूँ
खड़ा सागर किनारे मै
प्रतीछा मे लींन हूँ ।
वैभव का सागर मैं
आदर्श,प्रादर्श,प्रतिदर्श हूँ
मै करोडो की चाहत का
एक गुमान हूँ ।
संस्कृति के हांथो सम्मानित
मैं यादो मे संरक्षित हूँ ।
मधु सपनो का साथी मैं
कई बार तो मंजिल हूँ ।
आतंकवाद के चेहरे पर
जड़ा हुआ तमाचा हूँ ।
भारत के वीरो की
मैं GAURAV गाथा हूँ ।
बुराई पे अछाई की जीत का
अब मैं प्रतीक हूँ
शहीदों के रक्त से तिलकित
मैं भारत का उन्नत भाल हूँ ।
मुझे गर्व है की
मैं मुंबई का ताज हूँ ।
आज ठीक एक महीने बाद मुंबई अपनी पटरी पर लौट चुका हैं । भारत की खामोशी से पाकिस्तान डरा हुआ हैं । युद्ध की उसकी चाहत usay क्या देगी , यह तो भगवन ही जाने ।
हम भारत वासी जिंदगी को जिन्दादिली से जीना जानते हैं । आज यह बात मुंबई वासियों नै दिखा दिया है ।
मुंबई के इस जज्बे को मेरा सलाम ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
जय हिंद जय महाराष्ट्र ।
Thursday, 25 December 2008
भारत-पकिस्तान की सामरिक स्थिति /युद्ध और भारत -पाकिस्तान
भारत पाकिस्तान को यह समझना चाहिये की आज जब पूरा विश्व आर्थिक मंदी की कगार पी खड़ा है ,तो ऐसे मे युद्ध की बात कहा तक ठीक है ?
इसमे दो राय नही है की पकिस्तान आतंकवाद को लगातार बढ़ावा दे रहा है.उसे इसका खामियाजा अपने ही देश मे भुगतना पड़ रहा है। आज पाकिस्तानी सरकार अपने ही जाल मे फंस चुकी है।
भारत को अपनी कुटनीती को कायम रखते हुवे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाना चाहिये । पकिस्तान अगर युद्ध शुरू करता है तो उसका हाल क्या होगा यह सभी जानते हैं । हमे उसके बहकावे मे ना आते हुवे अपनी स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने स्पस्ट तौर से रखना होगा ।
पाकिस्तान की मजबूरी है की वो युद्ध का माहौल तैयार करे लेकिन हमारी कोशिश उसे सब के सामने बेनकाब करने की होनी चाहिये ।
और अगर युद्ध हुआ भी तो चूहे को ख़त्म करने मे हमारे बहादुर सिपाहियों को वक्त ही कितना लगेगा ?
आप क्या सोचते है ?
इसमे दो राय नही है की पकिस्तान आतंकवाद को लगातार बढ़ावा दे रहा है.उसे इसका खामियाजा अपने ही देश मे भुगतना पड़ रहा है। आज पाकिस्तानी सरकार अपने ही जाल मे फंस चुकी है।
भारत को अपनी कुटनीती को कायम रखते हुवे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाना चाहिये । पकिस्तान अगर युद्ध शुरू करता है तो उसका हाल क्या होगा यह सभी जानते हैं । हमे उसके बहकावे मे ना आते हुवे अपनी स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने स्पस्ट तौर से रखना होगा ।
पाकिस्तान की मजबूरी है की वो युद्ध का माहौल तैयार करे लेकिन हमारी कोशिश उसे सब के सामने बेनकाब करने की होनी चाहिये ।
और अगर युद्ध हुआ भी तो चूहे को ख़त्म करने मे हमारे बहादुर सिपाहियों को वक्त ही कितना लगेगा ?
आप क्या सोचते है ?
गोविन्द मिश्र को साहित्य अकादमी पुरस्कार
१ अगस्त १९३९ को बुन्देलखंड मे जन्मे गोविन्द मिश्र को उनके उपन्यास ''कोहरे मे कैद रंग '' के लिये वर्ष २००८ का साहित्य अकादमी पुरस्कार १७ फरवरी को दिया जाऐगा ।
गोविन्द मिश्र जी की अन्य प्रकाशित पुस्तके निम्नलिखित हैं ।
१)वह अपना चेहरा -१९७०
२)उतरती हुई धूप-१९७१
३)लाल पीली जमीन -१९७६
४)हुज़ूर दरबार-१९८१
५)तुम्हारी रोशनी मे -१९८५
६)धीर समीरे -१९८८
७)पाँच आंगनों वाला घर -१९९५
८)फूल इमारते और बंदर -२०००
आप केन्द्रीय राजस्व बोर्ड से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आज-कल आप भोपाल मे रह रहे हैं। आपको वरस १९९८ का व्यास सम्मान और २००० मे सुब्रमनियम भारती पुरस्कार मिल चुका है।
इनके बारे मे कुछ जानकारी निम्नलिखित स्थानों पर भी उपलब्ध है।
http://en.wikipedia.org/wiki/Govind_Mishra
गोविन्द मिश्र जी की अन्य प्रकाशित पुस्तके निम्नलिखित हैं ।
१)वह अपना चेहरा -१९७०
२)उतरती हुई धूप-१९७१
३)लाल पीली जमीन -१९७६
४)हुज़ूर दरबार-१९८१
५)तुम्हारी रोशनी मे -१९८५
६)धीर समीरे -१९८८
७)पाँच आंगनों वाला घर -१९९५
८)फूल इमारते और बंदर -२०००
आप केन्द्रीय राजस्व बोर्ड से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आज-कल आप भोपाल मे रह रहे हैं। आपको वरस १९९८ का व्यास सम्मान और २००० मे सुब्रमनियम भारती पुरस्कार मिल चुका है।
इनके बारे मे कुछ जानकारी निम्नलिखित स्थानों पर भी उपलब्ध है।
http://en.wikipedia.org/wiki/Govind_Mishra
Wednesday, 24 December 2008
अभिलाषा के नये बंद
(५)
मेरी अन्तिम साँस की बेला
मत देना तुलसी दल माला
अपने ओठो का एक चुम्बन
ओठो पे देना मेरे प्रिये ।
(६)
शव यात्रा मेरी जब निकले
तब राम नाम की जय मत करना
प्रेम को कहना अन्तिम सच
प्रेमी कहना मुझे प्रिये ।
(७)
चिता सजी हो जब मेरी तो
मरघट पर तुम भी आना
आख़िर मेरे प्रिय स्वजनों मे
तुमसे बढ़कर कौन प्रिये ।
मेरी अन्तिम साँस की बेला
मत देना तुलसी दल माला
अपने ओठो का एक चुम्बन
ओठो पे देना मेरे प्रिये ।
(६)
शव यात्रा मेरी जब निकले
तब राम नाम की जय मत करना
प्रेम को कहना अन्तिम सच
प्रेमी कहना मुझे प्रिये ।
(७)
चिता सजी हो जब मेरी तो
मरघट पर तुम भी आना
आख़िर मेरे प्रिय स्वजनों मे
तुमसे बढ़कर कौन प्रिये ।
Tuesday, 23 December 2008
अभिलाषा
अभिलाषा मुक्तक शैली मे लिखी गई मेरी कविता है। इसमे कुल १५० बंद हैं। कुछ बंद आप कई लिये यंहा लिख रहा हूँ।
(१)
मेरा अर्पण और समर्पण
सुबकुछ तेरे नाम प्रिये
श्वास -श्वास तेरी अभिलाषा
तू जीवन की प्राण प्रिये ।
(२)
तनया तू है मानवता की
प्रेम भाव की तेरी काया
तेरे प्रेम का जोग लिया तो
प्रेमी बन वन फिरूं प्रिये।
(३)
प्रेम नयन का अंजन है तू
प्रेम भाव का खंजन है तू
तेरी आँखों का सम्मोहन
मेरे चारों धाम प्रिये।
(४)
तुझमे नूर खुदाई का है
मजहब तू शहनाई का है
तू इश्क इबादत की आदत
अब तो मेरी बनी प्रिये।
ये बंद आप को पसंद आंयें तो अवस्य सूचित करें। फ़िर और भी बंद आप लोगो की सेवा मे प्रस्तुत करूँगा ।
हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें
मित्रो पिछले दिनों एक सेमिनार मे बारामती गया था । वहा कई दोस्त दक्षिण भारत के मिले । उन्होने मुझसे कहा की उनके पास हिन्दी की पत्रिकाओ के लिये बजट तो है लेकिन पत्रिकाओ की जानकारी नही है । अतः मैने सोचा की जितना मुझे पता है उतना मै उन्हे इस पोस्ट के जरिये बताने की कोशिश करू ।
यहाँ कुछ पत्रिकाओ के नाम दे रहा हूँ।
यहाँ कुछ पत्रिकाओ के नाम दे रहा हूँ।
http://list of hindi magazines on wikipedia of hindi magazines on विकिपीडिया
Monday, 22 December 2008
कुंजी पटल हिन्दी में आ गया ...
डेकन हेराल्ड, दिसम्बर ११, २००८ के अनुसार हिन्दी कुंजी पटल अब उपलब्ध है, हिन्दी के लिए यह गर्व की बात है।
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अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...