Thursday 14 January 2010
बस तेरे दिल में मेरी आगाज रहे /
Monday 11 January 2010
हवा थम गयी /
हवा थम गयी ,
सुबह हो गयी ,
फुल हसना भूले ,
जिंदगी गम हो गयी ;
अहसास सीने में खोये ,
सूरज की रोशनी में रोये ,
चांदनी पिघला गयी अरमानो को ,
यादें ले गयी मुस्कानों को /
हवा का झोका आया ,
उससे तड़प भिजवाया ,
फूलों की खुसबू से चाहत कहलवाया ,
सूरज से पैगाम मैंने भेजा था ,
तरसती चांदनी से इमान मैंने भेजा था ,
जवाब का इंतजार इतना भरी था ,
सांसों का चलने से इंकार मुझपे हावी था ,
आगे की कहानी तुम सुनाना ऐ दोस्त ,
मेरी अंतिम साँस पे भी तेरा नाम हावी था /
Thursday 7 January 2010
बड़ा बेईमान है चेहरा /
खुली हवाओं में सिमटता है,
सच का क्या कहें यारों,
दबाओगे जितना उतना ही उभरता है /
Monday 4 January 2010
विरह की पीड़ा , मै अकेला ,धुल अंधड़ /
विरह की पीड़ा , मै अकेला ,धुल अंधड़ ,
रात नीरव ,चाँद निर्मल ,आसुओं का रण,
शाम रक्तिम ,निर्जन है मन ,यादें विहंगम ,
मोह इक व्यथा है ,
प्यार सुख की विधा है ,
लालसा बंधन की ,
चाह है ये ज्वलन की ,
क्यूँ हो विस्मित दुःख की दशा पे ,
क्यूँ हो चिंतित खुद की व्यथा पे ,
आग कब भागे जलन से ,
बर्फ कब पिघली ठिठुरन से ,
नीला अतुल आकाश खुला है ,
सागर विशाल भरा पड़ा है ,
समय निरंतर चल रहा है,
मृत्यु को जीतोगे कैसे ,
प्यार तो हर ओर पड़ा है /
विरह की पीड़ा , मै अकेला ,धुल अंधड़ ,
रात नीरव ,चाँद निर्मल ,आसुओं का रण,
शाम रक्तिम ,निर्जन है मन ,यादें विहंगम ,
Thursday 24 December 2009
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /
अजनबी बाहें न थीं ;
सिमट न सकी वो मेरे सिने में ,
मोहब्बत की उसमे चाहें न थीं /
बदन की प्यास न थी ,
उपेच्छा की आस न थी ,
मोहब्बत से कब इनकार था मुझको ,
उनसे दुरी काश न थीं /
अभी रोष बाकी है ,
अभी तो होश में हूँ मगर ,
प्यार का जोश बाकी है ;
चाहता हूँ बाँहों में भर सिने से लगा लूँ ,
अभी मेरे इश्क का आवेश बाकी है ,
ये यार मेरे अभी इश्क का उदघोष बाकी है ,
आखों में आंसू दिल में दर्द ,
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /
Saturday 19 December 2009
कभी तो चाहत को आवाज दे देते /
अजीब इश्क था
चाहा था उसने असमर्थ इरादों से ;
दूर हुआ नहीं पास गया नहीं ,
इज़हार हुआ नहीं इकरार किया नहीं ;
अजीब इश्क था ,
दिल से गया नहीं धडकनों में बसा नहीं /
Thursday 10 December 2009
कहाँ सोचा था /
हर साँस का जिनके पता होता था ,
हर चाह पे जिनकी अमल होता था ;
धड़कने जिनकी चलती थी मेरे सिने में ;
हो जाएगा अनजान कहाँ सोचा था /
इंतजार करती थी कभी आखें उनकी,
पुकारती थी कभी बाहें उनकी ;
हर्षित हो जाती मुझे देख उमंगें उनकी ;
हो जाएँगी उनकी बातें अनजान कहाँ सोचा था /
हर मुलाकात नया असर देती थी ,
हर बात नया हर्ष देती थी ;
हर अदा एक सपना सजा देती थी ;
बेखबर रहेंगे वो हमसे कहाँ सोचा था /
Saturday 21 November 2009
जो तू स्वीकार ना कर सकी वो तेरा अतीत हूँ /
जिसे तू न सहेज सकी वो तेरी ही असहमति हूँ /
अनुकम्पा हूँ,अनुसंशा हूँ ,अस्वीकार्य हूँ,अपरिहार्य हूँ ;
जिसे ना तू जीत सकी वो तेरा अहंकार हूँ /
Saturday 14 November 2009
मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ /
मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ ,
मेरी चाहत को मेरी खुदगर्जी ना समझ ,
मेरी अंदाजे बेफिक्री को बेवफाई ना समझ ;
मेरे आखों के आंसू को दुहाई न समझ /
कब चाहा की तेरे आखों में आंसू आए ;
मेरे इश्क को मेरी गुस्ताखी ना समझ ;
तेरी मुस्कराहट के लिए ख़ुद को मिटा दू मैं ;
मेरे जजबातों को बेकाफी ना समझ ;
मेरी नाराजगी को भले तू ना वाजिब माने ;
मेरे प्यार को व्यर्थ की नुमाइश ना समझ /
भले तेरे रिश्ते का मुझे तू साहिल ना बना ,
मैं इश्क ना निभा पायूँगा ऐसा काहिल ना समझ ;
मेरे जीने की वजह मेरे दिल की दुआ तू है ;
मेरी मोहब्बत को तू नाकाबिल ना समझ /
Monday 9 November 2009
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /
मेरे लम्हों की बेकरारी नही जाती ,
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती ;
जब्त अरमां दिल को बेकरार नही करते ,
भूल जायुं तुझको क्यूँ ऐसी बीमारी नही आती /
है शांत शमा कैसे मै जानू ,
दिल में उलझन चंचल धड़कन ;
मन से खामोशी नही जाती ,
आखें प्यासी हैं क्यूँ नीद नही आती ?
तू गैर की बाँहों में ऐतबार है मुझको ,
तेरी जिंदगी उससे है इकरार है मुझको ;
तू है नही मेरी ये कैसे मै मानू ,
मेरे रग रग से बहते खूं से तेरी खुसबू नही जाती ;
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /
Wednesday 28 October 2009
तेरे पास आ उसे कैसे पराया कर लूँ ?
तुझे जरूरत ना पड़ती थी कहने की ,
तेरे अहसासों पे अमल कर देता था मै;
तेरी आखों में बुने सपनों को ,
अपने भावों से सजों देता था मै ;
तेरी राहों के काटें चुनता ,
तेरी मधुभासों में खोया रहता था मै ;
तेरी खुशियों को तुझसे ज्यादा सजोता ,
तेरे आंसुओं को अपनी आखों से रो लेता था मै ;
इन यादों से कैसे किनारा कर लूँ ,
गर तुझसे मोहब्बत एक गलती थी ;
उसे तोड़ कर गलती कैसे दोबारा कर लूँ ?
तेरी खुशियाँ अब भी मुझे प्यारी हैं ,
तुझे मिल के उन्हें कैसे गवांरा कर लूँ ;
तेरा आभास अब भी मेरे धड़कनों में शामिल है ,
तेरे पास आ उसे कैसे पराया कर लूँ ?
Monday 26 October 2009
इक चाहत है ख़ुद से जुदा होने की ;
इक चाहत है ख़ुद से जुदा होने की ;
मोहब्बत में खुदा होने की ;
जी ना सके संग तेरे क्या हुआ ;
तमन्ना है तेरे इश्क में फ़ना होने की ;
मेरे अहसास अपने दिल में तू समेट ना सकी ;
मेरी दुरी को मोहब्बत में लपेट ना सकी ;
क्या कहूँ तेरे अरमां औ तेरी जरूरतों को ;
कैसे तू प्यार के जज्बे को सहेज ना सकी ?
तू गर्वित है अपने हालात पे ;
अपनी सफलता और बड़ती आगाज पे ;
क्या कहूँ मोहब्बत तेरी बिखरती जवानी पे ;
कैसे वो मेरी आखों में आंसुओं को रोक ना सकी ?
Thursday 22 October 2009
गुम हूँ कहीं ,खोया हूँ कहीं ;
गुम हूँ कहीं ,खोया हूँ कहीं ;
हूँ उसकी तलाश में ,
निकला हूँ कहीं ,पहुँचा हूँ कहीं ;
मदहोश नही हूँ , बेहोश नही हूँ ;
उलझा हूँ तेरी सोच में ;
अफ़सोस नही हूँ , सरफ़रोश नही हूँ ;
ढुढता हूँ ख्वाबों में , भटकता हूँ राहों में ;
नीद आये हुए वर्षों ;
सोया कहीं हूँ , जागा कहीं हूँ ;
तेरा अहसास नही हूँ , तेरा आकाश नही हूँ ;
हूँ हवा में शामिल ;
तेरा आभाष नही हूँ ,तेरी साँस नही हूँ ;
होयुं कोहरे में शामिल ऐसा खामोश नही हूँ /
Wednesday 21 October 2009
नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /
मोहब्बत की दूरियों पे ,अपनी मजबूरियों पे ;
नाराज मत हो ,विश्वास कर ,इंकार मत हो /
तकलीफों की मुस्कराहट पे ,मुसीबतों की आहटों पे ;
नाराज मत हो ,विचार कर , तकरार मत हो /
आंसुओं की कोशिश पे ,भावों की कशिश पे ;
नाराज मत हो ,स्वीकार कर ,दुस्वार मत हो /
अपनो के तानो पे ,रिश्तों के बानो पे ;
नाराज मत हो , ख़याल कर उदास मत हो /
प्यार के धोखे पे ; मोहब्बत की उलझनों पे ;
नाराज मत हो , इश्क कर ,बदहवास मत हो /
नसीब की डोरियों पे ,तिरस्कार की बोलियों पे ;
नाराज मत हो ,सम्मान कर , अविश्वास मत हो /
बिखरे सपनों पे , छुटे अपनो पे ;
नाराज मत हो ,आगाज कर , इतिहास मत हो ;
सपने खिल जायेंगे , अपने मिल जायेंगे ;
प्यार भर भावों में ;सहजता ला मुलाकातों में ;
नम्र कर सोचों को ;सब्र भर बातों में ;
हारी बाजी जीतेगा तू ,अहसास ला मुलाकातों में ;
व्यवहार में स्वार्थ मत ला , मन में दुराव मत ला ;
नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /
Saturday 10 October 2009
कैसे मैं अभिप्राय को बदलूं ?
बात नही करते तो क्या हम भूल गए ,
पैगाम नही कहते तो क्या सम्बन्ध छुट गए ;
तुझे खुशियाँ मेरी रास ना आई ,
तो गम के रिश्ते क्या टूट गए ;
भावों को तुने बदला ,
तो क्या मेरे अरमान सूख गए /
धरती ने नियती नही बदली ,
आसमान ने सीरत नही बदली ;
हवा ने बदला नही बहना,
सांसों ने बदला नही चलना ;
मै कैसे अपने प्यार को बदलूं ,
कैसे जीवन के आधार को बदलूं ;
हट नही ये सच्चाई है ,
तेरा प्यार मेरी खुदाई है ;
कैसे मैं भगवान को बदलूं ,
कैसे मै जज्बात को बदलूं ;
मै तुच्छ सही पर ये भी सच है ;
तेरी मोहब्बत मेरा रब है ;
रब की कैसे चाह मै बदलूं ,
कैसे मैं अभिप्राय को बदलूं ?
Friday 2 October 2009
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
Tuesday 29 September 2009
मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /
Sunday 27 September 2009
सब्र कर कुछ दिन
Thursday 24 September 2009
केशों से ढलकता पानी है ;
केशों से ढलकता पानी है ;
रिमझिम बरसते मौसम की अजब रवानी है ;
महकते फुल हैं ,मदहोशी का शमा है ;
भीगा बदन ,गहरी सांसें अरमां जवां है ;
झिझकती काया है ,उफनते जजबातों की माया है ;
कामनाएं फैला रही हैं अपने अधिकारों को ;
संस्कार की रीतियाँ रोक रही है भावनावों को ;
मन उलझा हुआ है , तन बहका हुआ है ;
डर रह रह के उभर आता है सीमाएं टूट न जायें ;
अरमां आगे बडाते हैं ये लम्हा छुट न जाए ;
स्वर्गिक अनुभूति है पर ज़माने की भी कुछ रीती है ;
प्रिती प्यासी है ख़ुद पे बस कहाँ बाकी है ;
झिझक ,तड़प ,प्यास ,विस्वास ,खुशियाँ और उदाशी हैं ;
आंनद बिखरा पूरे माहोल में है ;
वो सिमटा मेरे आगोस में है ;
मन झूमा तन आह्लादित है ;
बिजलियाँ कौंध रही मनो उल्लासित हैं ;
ह्रदय में द्विक संगीत सा बज रहा है कुछ ;
प्यार की जीत है , बंधन और दूरी झूट है ;
प्यार भी इक पूजा है ,इसके बिना जीवन अजूबा है ;
मिलन भी एक सच है , इश्क भी इक रब है ;
अरमान विजीत है , मन हर्षित है ;
धरती महक रही भीनी खुसबू से ;
पेडों की हरियाली अदभुत है ;
एक अनोखी अनुभूति है छाई ;
वो अब भी है मेरे बाँहों में समाई /
क्या उत्सव है ,क्या है ये लम्हा ;
सांसों का सांसों में मिलना ;
रुक जा वक्त अनमोल ये लम्हा ;
क्या सच है ये ; या है इक सपना /
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अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
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मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...