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Monday 21 September 2009

अधीरता का मंजर मुझमे है ;

अधीरता का मंजर मुझमे है ;

अव्यक्त की सहजता तुझमे है ;

नदी का वेग हूँ , मन का आवेश हूँ ;

प्यार का झोखा हूँ , सावन अनोखा हूँ ;

तू बहती हवा है ,बादल और निशा है ;

आखों का धोखा है ;स्वार्थ का सखा है ;

मै भावना से ओतप्रोत हूँ ,पानी का स्रोत हूँ ;

तू बिखरी हुयी माया है ;छल और छाया है ,

तुने सहजता का गुन पाया है /

मै स्थिरता हूँ ,जड़ता हूँ ;

रमा हूँ एक भावः में ;

इसीलिए अधीरता का मंजर पाया है /

Friday 18 September 2009

आज कल वो खिलखिलाते बहुत है ;

नजरों में नशा है ,
माहोल बेवफा है ;
अब सिने से लग भी जावो ;
आज कल तड़पाते बहुत है /
मन कहीं ठहर ना जाए ;
तन कहीं संभल ना जाए ;
फुल खिले हैं ,पक्षियों की कलवरे हैं;
आ बाँहों में समां सांसों को महका ;
वक्त का कर न भरोसा ;
आज कल आजमाते बहुत हैं ;
आज कल वो खिलखिलाते बहुत है ;
सपने में भी मुस्कराते बहुत हैं ;
जब से बेवफाई का दामन है पकड़ा ;
वो गुनगुनाते बहुत हैं /

Tuesday 15 September 2009

कैसे तुझे अपना मानू ?

किन जज्बातों को मानू ;

किन अरमानो को जानू ;

क्या नही बदला तुझमे ;

जो तुझे अपना मानू ?

क्या भावों में सत है ;

क्या आखों में तप है ;

क्या बाकी है तुझमे ;

जो तुझे अपना जानू ?

कब यादों को तुने साधा ;

मेरी यादों से है तू भागा;

भुला रोई आखों के वादे भी ;

कैसे तुझे अपना मानू ?

Sunday 13 September 2009

अक्स आखों से दिल में उतर गया ;

अक्स आखों से दिल में उतर गया ;

आंसू दिल का आखों से गुजर गया ;

तेरी अदावत का लुत्फ़ भी ले लेते लेकिन ;

न जाने क्यूँ तेरा दिल बाँहों में पिघल गया ;

तू गैर की है यकीं है मुझे ;

मुझे देख के तेरा आंसू निकल गया ;

तेरी मोहब्बत से गुरेज करूँ कैसे ;

मेरे पास आते ही तेरा अरमां मचल गया ;

क्या करूँ अपने भावों का मै ;

मेरा हर लम्हा तुझमे सिमट गया /

चाँदनी रातों में अँधियारा लगता है ;

चाँदनी रातों में अँधियारा लगता है ;
जागते सपनों में तू हमारा लगता है ;
सोयी आखों में तू आता नही ;
ग़मों का तू उजियारा लगता है /

Saturday 5 September 2009

नाराज हैं इस बात से की उन्हें हम याद करते हैं ;

नाराज हैं इस बात से की उन्हें हम याद करते हैं ;

क्या बताएं उनकी रंगीन मिजाजी ;

कैसे उनके महफ़िल में ढलकते पल्लू के किस्से ;

कैसे हमें बरबाद करते हैं /

आह हो या हो रुसवाई ;

पास हो या हो तेरी जुदाई ;

तेरी यादों में ही मैंने ,

है अपनी जिंदगी बितायी /

मुझे तेरी है तलाश अब तक ,

मुझमे में है दबी प्यास अब तक ;

तुने भुला दिया कैसे कह दूँ ,

मेरे दिल में है आस अब तक /

Monday 31 August 2009

तेरी खामोशी के हजार मतलब होंगे ,

इंतजार कभी खतम नही होता ,

मोहब्बत का दूसरा अर्थ नही होता ;

ऐतराजों का राज कैसे जाने ,

ना शब्द कभी हजम नही होता /

तेरी खामोशी के हजार मतलब होंगे ,

तेरी हँसी के खास मतलब होंगे ;

तेरी हया है तेरी खामोशी अगर ;

मोहब्बत के हजार परवाने होंगे ;

आखों की बातें उलझाती हैं,

चुप्पी तेरी उकसाती है ;

शर्म है या इकरार है वो ;

खामोशी तेरी तड़पाती है /

Friday 28 August 2009

चेहरे में उलझन न ढुढ़ो ;

चेहरे में उलझन न ढुढ़ो ;
आखों की शरारत न ढुढ़ो ;
मैं बन गया किसी का बरसों पहले ;
अब बातों में मोहब्बत न ढुढ़ो /
न आप रहे , न हम रहे ;
अब तो सिर्फ़ हमदम रहे ;
इतना अरसा गुजर गया हमारे प्यार में ;
कैसे चाहे अब तू ही बता ;की तू मुझसे कम रहे /

Wednesday 26 August 2009

सपने भी आज कल आते नहीं ;

सपने भी आज कल आते नहीं ;
अब कहाँ उनसे मुलाकाते करें /
दौड़ के सिने से लगते थे जो ;
बेगानों सी अब वो बातें करें ;
कैसे कह दूँ गैर है वो ;
बड़े लुत्फ़ से वो मेरी शिकायतें करें /
कभी सालों में टकरा जाते हैं अनजाने में हम ;
कैसे अनजानों सी मुलाकातें करें /
कैसे कहूँ वो यार नहीं है मेरा ;
मेरे पीछे वो गजब की करामातें करें /
सपने भी आज कल आते नहीं ;
अब कहाँ मुलाकातें करे /

Sunday 23 August 2009

अजीब रिश्ता है हमारा ,

अजीब रिश्ता है हमारा ,
कोई नाता भी नही है ;
है मोहब्बत वो कहता भी नही है ;
बिना मिले चल जाए ऐसा भी नही है ।
बातों में सहमति कभी हो नही पाती ,
उनपे हो अंदेशा ऐसा भी नही है ;
नजदीकी से गुरेज है हरदम ,
मुझपे हो न भरोसा ऐसा भी नही है ;
हर चीज पे ऐतराज है वो करते ,
मुझपे हो न ऐतबार ऐसा भी नही है ;
शिकायतों की सूचि होती नही है कम ,
मेरी करें बुराई ऐसा भी नही है ;
चन्द कदम साथ वो चल नही पाते ,
कोई और हो साथी ऐसा भी नही है ;
दूरियां मुझसे बर्दास्त नही होती ,
सिर्फ़ मेरा हो जाए ऐसा भी नही है ;
मेरी मौत पे आंसू का कतरा भी न निकला ,
दूसरा दिन हो देखा उसने ऐसा भी नही है /

Thursday 20 August 2009

कभी तो आखें खुशियों के आंसूं बहायेंगी

कभी तो मुश्किलें हल होंगी ;
कभी तो दुरी कम होंगी ;
इंतजार का सुरूर भी गजब का है ;
कभी तो जिंदगी हम होगी /
कभी तो लम्हे खिलाखिलायेंगे ;
कभी तो ओठ मुसकरायेंगे ;
कभी तो सपने लहलहाएंगे ;
कभी तो आशाएं चहचहायेंगी ;
कभी तो दूरियां सिमट जाएँगी ;
कभी तो भावनाएं बहक जाएँगी ;
कभी तो बाँहों में बाहें समायेंगी ;
कभी तो आखें खुशियों के आंसूं बहायेंगी/