Tuesday 17 November 2009

Need to have Nationilist view

One of the most urgent requirement of today along with inclusive growth is growing the seed on nationalism in our youth who form more than 50 % of our population .
The politicians of last generation barring few exception has shown the seed of regionalism in their respective state not on any thing positive or positively promoting their regional culture instead they
Spilled venom of divide and negativity of regionalism .Just visit any site or go to any blog one will find the youth indulging and trying to promote regionalism that to without fully understanding the truth and further increasing the regionalism to a new low which is very bad sign and politicians escalating the regionalism in their own way for their vote bank .
These youth who are brilliant in their own way need some guidance and we must find a way I our books and seminars which are fashion today to promote and instill nationalism which should rule over every thing , caste ,religion, region , belief and language and also installing in them our core value of tolerance and freedom of speech .

Another thing which must be done in order to promote harmony between different religion and languages is to make a minor change in our constitution that should say that ‘’ INDIA IS A HINDU NATION WHICH FOLLOWS SECULARISM ‘’and stating that ‘’ Hindi is our national language and Hindi and English will continue to be used as link language till it seems necessary but every concrete effort should be made to promote Hindi in all the parts of the country along with promotion of state language in their respective states.’’
This will solve a lot of the problem . In Hinduism sikkhism , Janism and buddism should be considered as an integral part with their distinct identity.
These two thing will solve a lot of problem and prevent a lot of bloodbath and will minimise the rise of regionalism and religionalism to a great extent.
That nationalism should come first over any thing then promoting divide by saying make Hinduism as national religion and Hindi as National language but I beg to differ .
But this too should be taken to people in constrictive way and our intelligentsia and by our media .

Monday 16 November 2009

दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने /

१ मेरी बाँहों की चाह तुझे अब भी होगी यूँ ही कभी ;
मैं भी अपनो की निगाहों में होता था यूँ ही कभी ;
आज किसी और की आगोश में तुझे सुख मिलाता है ;
तेरी बाँहों में मैं भी खिलता था यूँ ही कभी /

2 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /

3 तेरी बेवफाई से शिकायत कैसी ,
कभी मैंने भी बेवफाई की होगी ;
गम तो सिर्फ़ इतना है मेरे सच को छोड़ ;
तुने झूठों की सफाई दी होगी /

4 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /

Sunday 15 November 2009

छेत्रवाद का उठता चेहरा /

अब केंद्रीय सरकार को गंभीर रूप से सोचना चाहिए की किस तरह से वो छेत्रवाद से निपटे क्यूंकि यह एक भावनात्मक मुद्दा भी है / आज की हालात में सबसे उचित यही है की सरकार मध्य प्रदेश के किसी छेत्र को अपने आधीन करे और उसे केन्द्र शासित राज्य का दर्जा दे और मुंबई के आर्थिक संस्थानों को वहां ले जायें जैसे की सभी बैंको के मुख्य ऑफिस ,वित्त विभाग के आफिस ,रेलवे के ऑफिस और बहुरास्ट्रीय और बड़ी भारतीय कंपनियों को वहां जाने पे आर्थिक सुविधाएँ और टैक्स में रहत दे/ ये इस लिए भी जरूरी है की इससे पूरे देश में इक सही संदेश जायेगा और मनसे जैसी पार्टियों का विरोध लोग कराने लगेंगे क्यूंकि उनके राज्य के विकास पे असर पड़ेगा /मध्य प्रदेश सबसे उचित जगह है क्यूंकि ये पूरे देश के बीच में पड़ता हैं और वहां से किसी भी जगह जाना आसान होगा /
भाषा के नाम पे राजनीतहो रही है जो देश की एकता के लिए खतरा है / हम जहाँ रहते हैं वहां की भाषा हमें आनी चाहिए ये इक दम सही है और इसे हर किसी को अमल में लाने की कोशिश करनी चाहिए पर उसके लिए राजभाषा हिन्दी को विरोध उचित नही है /हिन्दी को हमारे देश को जोड़ने का काम करनी चाहिए तोड़ने का नही / ये बात भी उतनी ही जरूरी है की हम स्थानीय लोंगों को नौकरियों में प्राथमिकता देनी चाहिए पर केंद्रीय नौकरियों में ये बाध्यता नही होनी चाहिए /

अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;

अज्ञात की तलाश है ,
अज्ञान का ही वास है ;
खुदा कहूँ ईश्वर कहूँ आज कल God का रिवाज है ;
धर्म पे है वाद अब भी ,भाषा का विवाद अब भी ;
भूख तो बिखरी पड़ी है ,आस तो उघडी खडी है;
अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;
रोजी पे लड़ते हैं हम छेत्र के नाम पे ,
घर में दुबक जातें हैं कुछ उद्दंडों के काम पे ;
गाँधी को लड़ाते हैं हम, कभी भगत कभी आजाद से ;
कभी आम्बेडकर को बनाते हैं खुदा जाती के नाम से /
अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;
कर्ण है महान क्यूंकि सच का साथ ना दे सका ,
अर्जुन ना चडा जुबान पे क्यूंकि वो बुरा ना हो सका ;
अहंकारी ,असंयमित हम खुद हैं कमियां दूजे की ढूंढ़ रहे ,
जो ना हुआ देश का वो कब किसी का हो सका /
अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;

Saturday 14 November 2009

मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ /

मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ ,

मेरी चाहत को मेरी खुदगर्जी ना समझ ,

मेरी अंदाजे बेफिक्री को बेवफाई ना समझ ;

मेरे आखों के आंसू को दुहाई न समझ /

कब चाहा की तेरे आखों में आंसू आए ;

मेरे इश्क को मेरी गुस्ताखी ना समझ ;

तेरी मुस्कराहट के लिए ख़ुद को मिटा दू मैं ;

मेरे जजबातों को बेकाफी ना समझ ;

मेरी नाराजगी को भले तू ना वाजिब माने ;

मेरे प्यार को व्यर्थ की नुमाइश ना समझ /

भले तेरे रिश्ते का मुझे तू साहिल ना बना ,

मैं इश्क ना निभा पायूँगा ऐसा काहिल ना समझ ;

मेरे जीने की वजह मेरे दिल की दुआ तू है ;

मेरी मोहब्बत को तू नाकाबिल ना समझ /

Friday 13 November 2009

Turmeric : The Natural Healer

Posted: 11 Nov 2009 05:03 AM PST
Ayurveda is the best home remedy for many diseases. Many herbs and plants are used to cure disease. Even centuries back it was Ayurveda the ultimate healer for all. And among all Turmeric is extensively used as in Ayurveda. Turmeric has always proved to be the best treatment of sprains and swellings since centuries.
TurmericTurmeric
Derive from curcumin used for food colouring and also responsible for the yellow colour of turmeric researches have proved turmeric has the potential for the treatment of various diseases from cancer to Alzheimer’s. Once you know this magic spice you will realize why yellow curry is frequently available in kitchen.
As per the express India and the ACS’ Journal of Agricultural and Food Chemistry scientists are developing a nano size capsule that will boost the body’s uptake of  curcumin and help fight several diseases. Please read on for more details .
As per SindhToday (Online Sindh Newspaper) dated 28th Oct 2009 turmeric can help in fighting cancer. As per Dr Lesley Walker, director of cancer information at Cancer Research UK the natural chemicals found in this wonder spice could be the path to the new treatments for esophageal cancer.

Healing properties of turmeric

Turmeric plays the most active part in the treatment of the main organs like skin, heart, liver and lung. It is antibacterial, anti-inflammatory, anti-tumour, stimulant. The advantages are numberless. In general turmeric helps in reducing fever, diarrhoea and urinary disorders. It purifies the uterus and breast milk and regularise the reproductive system in women.
Uses of the golden spice of life -

Other names of Turmeric

  • Indian Saffron, Tumeric, Yellow Ginger
  • French: curcuma, saffron des Indes
  • German: Gelbwurz
  • Italian; curcuma
  • Spanish: curcuma
  • Arabic: kharkoum
  • Burmese: fa nwin
  • Chinese: wong geung fun
  • Indian: haldee, haldi, huldee, huldie
  • Indonesian: kunjit, kunyit
  • Malay: kunjit
  • Sinhalese: kaha
  • Tamil: munjal
  • Thai: kamin

जापान :तब और अब

जापान :तब  और   अब 


 

चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
मेरी बातों को तुम समझो तेरी राहों को मै जानू ;
मेरे भावों को तुम जानो तेरे सपनों को मै मानू ;
मेरे अरमाँ को तुम जिओं तेरी सोचों को मै मानू '
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
खो के इक-दूजे में अपने ख्वाबों को सच कर ले हम ;
दुनिया को ना भूलें मगर ख़ुद को ना तोडे हम ,
रिश्तों को तो जोडें मगर ख़ुद का ना छोडे हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
प्यार छिपा है जो हम दोनों के सीने में ;
क्यूँ उसे इक दूजे पे ना वारें हम ;
खुशियाँ गर मिलती हैं हमें बातों मुलाकातों में ,
क्यूँ न करें बातें क्यूँ ना करें मुलाकातें हम ;
कीमत तो देनी पड़ती है हर खुशी की जीवन में ,
जीवन का करेंगे क्या जिसमे न होंगे इक दूजे के संग हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
कुछ पल ख़ुद भी जी लें आ इक दूजे को बाँहों में भर लें हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

Thursday 12 November 2009

कभी पल मुस्कराया करते थे ,

कभी पल मुस्कराया करते थे ,

कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,

होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;

वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /

सामने बैठ तुम कॉलेज की बातें किया करती थी ,

मेरी धडकनों के अंदाज बदल जाया करते थे ;

अपनी सहेलियों की शरारतें बता जब इठलाते थे तुम ,

मेरे अहसास नही दुनिया बसाया करते थे ;

तेरी हँसी का एक शमा बना होता था ,

हम तेरे खुबसूरत चेहरे को निहारा करते थे ;

जब कभी आहत होती किसी के बात पे तू ,

तेरी उदासी को तेरे सिने से चुराया करते थे ;

जब तेरा दिल भर आता अपनो के कारण कभी ,

तेरे ग़मों को अपने ह्रदय में छुपाया करते थे ;

हर रोज सुबह नहा के तेरे निकालने का इंतजार हम करते ,

तुझे देख हर रोज नए सपने बनाया करते थे ;

भोर हुए आखं मलते जब तुम सामने मेरे आते ,

कैसे हम एक दूजे की सिने से लगाया करते थे ;

मन्दिर जब भी गए संग तेरे हम,

तेरी खुशियाँ मांग तेरे मांग में सिंदूर भरा करते थे ;

कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /

Wednesday 11 November 2009

भोर हुए तेरी याद चली आती है /

भोर आखँ खुलते तेरी याद चली आती है ,

बाँहों में भरकर सिने से लगाती है ,

दिल को प्यास जीवन को आस दिए जाती है ,

भोर हुए तेरी याद चली आती है /

पल भर को जो हुआ अकेला ,

तेरे भावों ने आ मुझको घेरा ,

धड़कन को अहसास वो देते ,

गम को विश्वास वो देते ,

रातों में बिस्तर पे जब लेटा ,

तेरी बातों का होता सबेरा ,

नयनो में सपने आते हैं ,

तन मन पुलकित हो जाते हैं ,

भोर हुयी फिर यादें आती हैं ,

वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं ,

कैसे तुझसे दूर मै जाऊं ,

कैसे मन मन्दिर फुसलाऊं,

भोर हुए तेरी यादें आती हैं ,

वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं /

Monday 9 November 2009

आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /

मेरे लम्हों की बेकरारी नही जाती ,

आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती ;

जब्त अरमां दिल को बेकरार नही करते ,

भूल जायुं तुझको क्यूँ ऐसी बीमारी नही आती /

है शांत शमा कैसे मै जानू ,

दिल में उलझन चंचल धड़कन ;

मन से खामोशी नही जाती ,

आखें प्यासी हैं क्यूँ नीद नही आती ?

तू गैर की बाँहों में ऐतबार है मुझको ,

तेरी जिंदगी उससे है इकरार है मुझको ;

तू है नही मेरी ये कैसे मै मानू ,

मेरे रग रग से बहते खूं से तेरी खुसबू नही जाती ;

आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /