चेहरे में उलझन न ढुढ़ो ;
आखों की शरारत न ढुढ़ो ;
मैं बन गया किसी का बरसों पहले ;
अब बातों में मोहब्बत न ढुढ़ो /
न आप रहे , न हम रहे ;
अब तो सिर्फ़ हमदम रहे ;
इतना अरसा गुजर गया हमारे प्यार में ;
कैसे चाहे अब तू ही बता ;की तू मुझसे कम रहे /
शव यात्रा मेरी जब निकले ,
तब राम नाम की सत्य ना कहना ।
प्रेम को कहना अन्तिम सच ,
प्रेमी कहना मुझे प्रिये ।
अभिलाषा