Tuesday 29 December 2009
The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy
The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy
We all know how tough is Indian roads specially when its peak time. Its not about just road conditions but when everybody is on road with their wheels on nothing helps excpet your experince. The Traffic People is an initiative by Shailesh Sinha of Delhi to help you travel through Indian roads little easier with tools they have launched and few more they will be doing in coming months.
Current Traffic Status
Plan your Route through city traffic.
Traffic Radio helping you to find which road will give you blues croissing through. There is a radio cast availble almost every 30 minutes to help you analyse the condition of the roads.
Traffic Forecast : This will be intresting depending on what kind of analysis is do
As of now only Delhi is on their radar and we hope to see how well they go ahead with this challeneging tasks. You can send an SMS to 54242 with text as TRAFFICPEOPLE and you would get the latest traffic update on your phone. Good luck to them. Find more details on Traffic People
पथिक है बैठा राह तके है /
पथिक है बैठा राह तके है ,
हमसाया मिल जाये ,
जो सपनों को सींचे है ,
रुके पगों को क्या हासिल हो ,
जो हमराही मिल जाये ,
चलते रहना नियति हो जिसकी ,
क्यूँ राहों पे रुके है ;
पथिक है बैठा राह तके है ,
बड़ते कदमों संग दुनिया भागे ,
चलता प्रियतम दुनिया मांगे ,
क्यूँ वो इसको भूले है ;
पथिक है बैठा राह तके है ,
मंजिल पहले थमना कैसा ,
धारा संग भी बहना कैसा ,
मंजिल एक पड़ाव है ,
कुछ पल का ठहराव है ,
नयी चुनौती नयी मंजिले ,
नयी सड़क का बुलावा है ,
जो संग चला वो हम साया ,
जो साथ रहा वो ही है यारा ,
पथिक है बैठा राह तके है /
Monday 28 December 2009
merry christmas
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Hope the New Year will bring peace, health and success
हिंदी का राष्ट्रिय सेमीनार
१५-१६ जनवरी २०१० को पुणे विश्विद्यालय से सम्बद्ध चांदमल ताराचंद बोरा महाविद्यालय , रांजनगाँव ,शिरूर में २ दिवसीय
राष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित की गई है . यदि आप इस संगोष्टी में सहभागी होना चाहते हैं तो संपर्क करे -
डॉ.इश्वर पवार
०२१-३८२८८४४४
०९६२३९६१४४३
०९४२२३१६६१७
संगोष्ठी में आप का स्वागत है
अभिलाषा १०५
अभिलाषा ने किया सवाल .
अपने पूरे होने की ,
उसकी थी चाहत प्रिये .
उसकी बाते सुनकर के,
जीवन बस इतना बोला -
जो पूरी ही हो जाए,
अभिलाषा वो कंहा प्रिये .
---------अभिलाषा १०५
Saturday 26 December 2009
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /
आज समाज विभक्त है /
आडम्बर का चलन बड़ा है ,
गले लगाने का आचरण बड़ा है /
शंकाओं का धर्म बड़ा है ,
बातों में मिठास लिए ,
अविश्वास का करम बड़ा है /
मिलते हैं ऐसे जैसे अपना हो ,
भूले तुरंत जैसे सपना हो ,
खा लेंगे इक थाली में ,
जाती हमेशा याद आती है ,
नाम निकालेंगे देश का ,
पर झगडा होगा हमेशा प्रदेश का ,
सबसे छोटा देश यहाँ हैं ,
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /
Thursday 24 December 2009
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /
अजनबी बाहें न थीं ;
सिमट न सकी वो मेरे सिने में ,
मोहब्बत की उसमे चाहें न थीं /
बदन की प्यास न थी ,
उपेच्छा की आस न थी ,
मोहब्बत से कब इनकार था मुझको ,
उनसे दुरी काश न थीं /
अभी रोष बाकी है ,
अभी तो होश में हूँ मगर ,
प्यार का जोश बाकी है ;
चाहता हूँ बाँहों में भर सिने से लगा लूँ ,
अभी मेरे इश्क का आवेश बाकी है ,
ये यार मेरे अभी इश्क का उदघोष बाकी है ,
आखों में आंसू दिल में दर्द ,
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /
Wednesday 23 December 2009
सजे हो महफ़िल में आखों में चमक नहीं /
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लिप्त हैं वो अभिसार में ,
खोये हैं वो इक दूजे के प्यार में ;
ओठ पी रहे ओठों की मदिरा ,
चंचल मान और काम का कोहरा ;
मचल रहा बदन बदन के प्यास से ,
चहक रहा तन तन के साथ से,
चन्दन सा घर्षण मेंहंदी सी खुसबू ,
उत्तेजित काया मन बेकाबू ,
कम्पित उच्च उरोजों का वो मर्दन ,
चूमता बदन और हर्ष का क्रन्दन ,
उफनती सांसों का महकता गुंजन ,
दुनिया से अनजान पलों में ,
स्वर्गिक वो तनों का मंथन ,
कितना भींच सको अपने में ,
कितना दैविक वो छनों का बंधन ,
भावों की वो चरमानुभुती है ,
प्रेमोत्सव की परिणिति है ;
प्यार सिर्फ अभिसार की राह नहीं है यारों ,
पर प्यार की ही ये भी इक प्रीती है ,
प्यार का बंधन तन मन का आलिंगन ,
कितनी दिव्य ये भी इक रीती है /
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क्या वक़्त था वो भी ,क्या समय था वो भी ,
वो मुझपे मरती थी मै कितना डरता था ;
नजरें जब भी उनसे मिलती थी ,
पलकें पहले मेरी झुकतीं थी ,
पास जो आके वो इतराती ,
मेरी हालत पतली हो जाती ,
बात वो करती जब अदा से ,
कम्पित तन मन थर -थर करता ,
बदन कभी जब बदन से लगता ,
दिल मेरा धक् -धक् सा करता ,
मुस्काती थी तब वो खुल के ,
मै पत्थर का बुत बन जाता ,
हफ्ते बीते ,बीते मौसम ,
बदला साल महीने बीते ,
पता नहीं कब मैंने हाथ वो पकड़ा ,
कब उसने बंधन में जकड़ा ,
कब डूबा उसकी बातों में ,
कब खोया उसकी आखों में ,
वक़्त उड़ा फिर ,नहीं पता चला फिर ,
कब उसकी मगनी कब शादी बीती ,
असहाय हुआ मूक बना कब ,
क्यूँ उसने नहीं मुझको बोला ,
आखों में खालीपन लिए मै डोला ,
अब सिने को सिने की बारी थी ,
अब नए जीवन से लड़ने की तैयारी थी ,
नयी राह पे फिर मैं निकला ,
फिर जीवन को जीने की ठानी थी /
Sunday 20 December 2009
आहत मन को प्यार से जीतो /
आहत मन को प्यार से जीतो ,
जजबातों को भाव से जीतो ;
कठिन समय को सब्र से जीतो ,
जीवन को तुम कर्म से जीतो /
दुविधावों को धर्म से परखो ,
रिश्तों को तुम मर्म से परखो ;
अभावों से जूझना सीखो ;
खुद पे तुम हँसना सीखो /
राहें तेरी राह तकेंगी ,
मंजिल तेरा मान करेगी ,
कठिनाई में अपनो को जीतो ,
अच्छाई में सबको पूंछों /
करुणा मत खोना तुम कभी ,
अभिमान सजोना ना तुम कभी ;
नम्रता गुण है अच्छायी का ;
झुकना आभूषण है ऊँचाई का /
अपने मन पे राज करो तुम ,
माया पे अधिकार करो तुम ;
सत से ना तुम पीछे हटना ;
ना अपना ना दूजा तू करना /
आ इक दूजे के सपने जिए हम /
चाहा था इसी चाल पे उनके ,
मचल उठती थी धड़कने उनकी अदाओं पे ,
क्यूँ चाहता हूँ वो बदले मेरी बातों पे ;
आवारापन मेरी सोचों का जो तुझे भाया था ,
मेरी जिस बेफक्री ने तुझे रिझाया था ,
मेरी ख़ामोशी जो तुझे लुभाती थी ,
क्यूँ मेरी वो आदतें तुझे खिजाती है ;
आ खोजे इक दूजे को हम नयी पनाहों में ,
समझे हालातों संग ढलना नयी फिजाओं में ,
बदले तौर तरीके पर खुद को ना खोये हम ,
आ इक दूजे के सपने जिए हम /
Get ready to borne extra tax if you own more than one car
As confirmed by officials, they are planning to impose extra taxes during the time of registration itself in form of Road Tax, Parking charge , Area pricing etc.
But it’s still to be clear whether by adopting this kind of plan , Govt will be able to control the situation or not, as the loop holes are yet to flash out. There is high probability that hereafter people will start doing the new car registration in different other family member’s name or even in the name of close relatives.
Though there are ifs & Buts in the proposed plan, but the initiative was really needed for controlling the traffic situation of the City. If the plan become successful , I think all the other Metro Cities are going to follow the capital to solve the problem of their Traffic system .
Courtesy : Economic Times.
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