Sunday 22 August 2010

हिंदी कार्यशाला संपन्न

हिंदी कार्यशाला संपन्न

बुधवार ,दिनांक १८ अगस्त २०१० को के.एम्.अग्रवाल महाविद्यालय ,कल्याण के हिंदी विभाग और हिंदी अध्ययन मंडल ,मुंबई विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ .कार्यशाला बी.ए. प्रथम वर्ष (वैकल्पिक )पेपर -१ के नवीन पाठ्यक्रम पर था .
                  कार्यशाला का उदघाटन सत्र सुबह १०.३० बजे शुरू हुआ. इस सत्र क़ी अध्यक्षता बिडला कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ.आर.पी.त्रिवेदी जी ने की. सम्मानित अतिथि के रूप में महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य श्री रमाकांत उपाध्याय जी और  श्री ओम प्रकाश पाण्डेय जी उपस्थित थे .हिंदी अध्ययन मंडल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम्.पी.सिंह और वर्तमान अध्यक्ष डॉ.सतीश पाण्डेय जी भी इस अवसर पर उपस्थित थे. महाविद्यालय की सेवा निवृत हिंदी प्राध्यापिका श्रीमती वीणा त्रिवेदी भी इस अवसर पर उपस्थित थी .  महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अनीता मन्ना भी उपस्थित रही .
                         कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और माँ वागेश्वरी की वंदना से हुई. स्वागत भाषण प्राचार्य डॉ.अनिता मन्ना ने दिया. इसके बाद सभी अतिथियों का शाल,श्रीफल,पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह दे कर सम्मान किया गया .अतिथियों ने कार्यशाल के आयोजन की तारीफ़ करते हुवे इसकी सफलता की कामना की . प्रबंधन समिति के श्री विजय पंडित जी और श्री ओम प्रकाश पाण्डेय जी ने अपनी कविताओं का संग्रह भी सभी प्रतिभागियों को उपहार स्वरूप प्रदान किया .इस सत्र का संचालन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने किया . 
              उदघाटन सत्र के बाद चर्चा सत्र की शुरुआत हुई.इसकी अध्यक्षता डॉ.एम्.पी.सिंह ने की. प्रमुख वक्ता के रूप में के.सी. कॉलेज के हिंदी विभाग प्रमुख डॉ.शीतला प्रसाद दुबे ,वझे कॉलेज के हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. अशोक मिश्रा और मानगाँव महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संतोष मोटवानी जी उपस्थित थे.विशेष उपस्थिति डॉ. अनिल सिंह की थी ,जो विवेच्य पाठ्यक्रम के कन्वेनर थे. इस सत्र का सफल संचालन डॉ. मिथलेश शर्मा ने किया जो आर.जे.कॉलेज ,घाटकोपर की हिंदी विभाग प्रमुख हैं.चर्चा में सहभागी प्राध्यापकों में निम्नलिखित लोग थे 
        १-डॉ. शशि मिश्रा  -एम्.डी. कॉलेज
        २-डॉ. सुमनिका सेठी -सोफिया कॉलेज 
        ३-डॉ.निर्मला त्रिपाठी  -सोफिया कॉलेज 
        ४-डॉ. संज्योती सानप -एल्फीसतन कॉलेज
        ५-डॉ. श्याम सुंदर पाण्डेय  -बिडला कॉलेज 
        ६-डॉ.डी.के .बुआल-कीर्ति कॉलेज 
        ७-डॉ.मनप्रीत कौर -गुरुनानक कॉलेज 
        ८-डॉ.सादिका नवाब -के.एम्.सी.कॉलेज 
       ९-डॉ. ऋषिकेश मिश्रा -साकेत कॉलेज 
         १०-डॉ.संजीव दुबे -एस.आई.ई.एस. कॉलेज 
       ११-डॉ.अनिल ढवले -पेंढारकर कॉलेज 
                              चर्चा सत्र के बाद सामान सत्र में महाविद्यालय के मानद सचिव श्री विजय पंडित जी ने सभी के प्रति आभार मानते हुवे ,हिंदी विभाग की तारीफ़ की .आभार ज्ञापन का औपचारिक कार्य महाविद्यालय के उप प्राचार्य प्रो.आर.बी.सिंह जी ने किया .
                                            इस कार्यशाला में मुंबई के ५४ महाविद्यालयों के प्रतिभागी सम्मिलित हुवे.चर्चा सत्र के बाद सभी को प्रमाणपत्र और महाविद्यालय से सम्बंधित सी.डी. भेट की गई. सभी लोगों ने दोपहर का भोजन किया और इस तरह से यह कार्यशाला बड़े ही अच्छे वातावरण में संपन्न हुआ

Saturday 21 August 2010

क्या कहा क्या सुना क्या हुआ पता नहीं

क्या कहा क्या सुना क्या हुआ पता नहीं
इंतजार इकरार या ऐतराज पता नहीं
मंजिले मासूम उलफते मजमूम बंदगी अजीम
क्या किया क्या सहा क्या हुआ पता नहीं  

Wednesday 18 August 2010

ऐसा कुछ कह देते इंतज़ार सरल हो जाता

ऐसा कुछ कह देते इंतज़ार सरल हो जाता
तड़प रहे दिल का कुछ दर्द संभल  जाता 
अँधेरे  की  छाहों में भटक रहे जजबात मेरे 
ऐसा कुछ कह देते स्याह सहल हो जाता 


धुप है तरसी प्यासी बारिश 
हवा है बोझिल सहमी कोशिश ,
कहते कुछ ऐसी बातें 
मूर्छित सांसे बहकी बन जाती 

इन्तजार सरल हो जाता 
दिल का दर्द संभल सा जाता
करते मन का अपना तुम ऐसा 
प्यार मेरा अचल  हो जाता 
 

Tuesday 17 August 2010

दर्द सिमट गया पल भर को

दर्द सिमट गया पल भर को
मन बहल गया पल भर को
क्या मजा बिन गम तेरे
मै भटक गया पल भर को





Sunday 15 August 2010

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

                            स्वतंत्रता दिवस

               की
                                           शुभकामनाएं

Friday 13 August 2010

कार्यशाला

कार्यशाला 





एक दिवसीय कार्यशाला का पंजीकरण प्रारूप

एक दिवसीय कार्यशाला का पंजीकरण  प्रारूप

एक दिवसीय कार्यशाला का कार्यक्रम

हिंदी अध्ययन मंडल,मुंबई विद्यापीठ 
 एवम
 हिंदी विभाग 
 के.एम्.अग्रवाल महाविद्यालय ,कल्याण 
 के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 
 एक दिवसीय कार्यशाला का कार्यक्रम 
 

Friday, July 30, 2010

एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन

 **एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन **
                                      बुधवार , दिनांक  १८ अगस्त  २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग और हिंदी अध्ययन मंडल,मुंबई विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में बी.ए. प्रथम वर्ष (वैकल्पिक ) पेपर-१ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है.
                         कार्यशाला के लिए पंजीकरण का समय सुबह ९.३० से १०.०० बजे तक रहेगा .१०.०० बजे से ११.०० बजे तक उदघाटन सत्र चलेगा .१११.०० बजे से १.३० बजे तक चर्चा सत्र चलेगा. १.३० बजे से २.३० तक भोजनावकाश रहेगा .२.३० बजे से ३.०० बजे तक समापन सत्र होगा .
                       महाविद्यालय का पता इस प्रकार है ------
 के.एम.अग्रवाल  कला,वाणिज्य और विज्ञान महाविद्यालय 
 पडघा रोड,गांधारी गाँव ,
कल्याण (पश्चिम )४२१३०१ 
          आप इस कार्यशाला में सादर आमंत्रित हैं.

आमंत्रण पत्र और पंजीकरण फ़ार्म

आमंत्रण पत्र और पंजीकरण फ़ार्म

आमंत्रण पत्र और पंजीकरण फ़ार्म

Tuesday, August 10, 2010

पर अभी जिन्दा ये शहर है /

उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है 

भोपाल क्या भुला है तू 
कोशी को क्या सोचा है तू 
वर्षों गुजरते रहते है 
नेतागिरी बड़ती रहती है 
कभी बहस कभी माफ़ी मिलती रहती है 
उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है

खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है

कश्मीरी पंडितों का भविष्य
लातूर का भूकंप में जनहित
दिल्ली ले दंगों का सच 
गुजरात के कत्लों का सच 
नेताओं के काले पैसों का सच 
देश के भूखे नंगों का सच 
 देख रहा तू वर्षों से
इंसाफ जारी है
प्रयास जारी है
देश के श्रेष्ठतम नेता अफसर जुटे है
दिन महीने या दशक  हो गुजरे
प्रयास जारी है
पत्रकारों टी.वी न्यूज़ चैनल वालों की टी.आर.पी चालू है
देश की महानता नेताओं की दूरदर्शिता चालू है 
फिर उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है

खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है /



Wednesday 11 August 2010

ओमप्रकाश पांडे `नमन`


ओमप्रकाश पांडे `नमन ` की यह तीसरी कृति है /कवी  एवं संम्पादक श्री अलोक भट्टाचार्य ने अपनी भूमिका में लिखा है ``नमन की गजलें यदि कवी के कोमल मन को सहलाती हैं ,तो युगधर्म का निर्वहन भी करती हैं / ``

इसी कविता संग्रह की एक कविता प्रस्तुत है /

रात बेहद उदास थी उस दिन
मौत के आसपास थी उस दिन /

देख कर क़त्ल अपने बच्चों का
बूढी माँ बदहवास थी उस दिन /

शहर के सारे मकान खाली थे
भीड़ सड़कों के पास थी उस दिन /

बंद द्वार थे मंदिर मस्जिदों के
शमशानों पर बारात थी उस दिन/

कौम की खातिर हुए दंगों में
कौम बेबस लाचार थी उस दिन /
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ओमप्रकाश पांडे `नमन` के व्यक्तित्व उनकी ये कविता परिभाषित करती है /

जंग की बात जों जाहिल हैं किया करते हैं
दुवाएं हम तो मोहब्बत की किया करते हैं /


Monday 9 August 2010

भाव बहुत हैं दिल में तेरे

भाव बहुत हैं दिल में तेरे
                    नाम है किनके ना जानी
छलके हैं तेरे दिल के प्याले
                   भाग्य थे किनके ना जानी
वर्षा का मौसम रिमझिम बारिश 
                  पास नदी और प्यासा मै 
तट पर प्यासा मै बैठा 
                  नैया किसकी पार हुई ना जानी  


रात तूफानी विकल अँधेरा 
                      साथ तेरे  था किसी का घेरा 
 आवाजों में कसक बहुत थी
                     हंसी में तेरी खनक बहुत थी
किनके संग वो लम्हे बांटे
                     साया था मै तेरा पर ना जानी
सुबह विहंगम चेहरे पे खुशियाँ औ गम
                    क्या खोया क्या पाया तुने ना समझा ना जानी


तुझमे दुविधावों का मंजर पाया
                           थमा हुआ समंदर पाया
आखों में खुशियों का रेला
                          दिल में मचा बवंडर पाया


आगे बढ तुझे थाम भी लेता
                             अपनापन और मान भी देता
साया बन तुझे छावं भी देता
                            अपने ख्वाबों को तेरा नाम भी देता
पर हर पल बदले फितरत तेरी 
                           कब बने प्यार कब नफ़रत तेरी 
कैसे मैं सम्मान को देता 
                           कैसे अपने ईमान को देता