Thursday 29 October 2009
Wednesday 28 October 2009
तेरे पास आ उसे कैसे पराया कर लूँ ?
तुझे जरूरत ना पड़ती थी कहने की ,
तेरे अहसासों पे अमल कर देता था मै;
तेरी आखों में बुने सपनों को ,
अपने भावों से सजों देता था मै ;
तेरी राहों के काटें चुनता ,
तेरी मधुभासों में खोया रहता था मै ;
तेरी खुशियों को तुझसे ज्यादा सजोता ,
तेरे आंसुओं को अपनी आखों से रो लेता था मै ;
इन यादों से कैसे किनारा कर लूँ ,
गर तुझसे मोहब्बत एक गलती थी ;
उसे तोड़ कर गलती कैसे दोबारा कर लूँ ?
तेरी खुशियाँ अब भी मुझे प्यारी हैं ,
तुझे मिल के उन्हें कैसे गवांरा कर लूँ ;
तेरा आभास अब भी मेरे धड़कनों में शामिल है ,
तेरे पास आ उसे कैसे पराया कर लूँ ?
Monday 26 October 2009
इक चाहत है ख़ुद से जुदा होने की ;
इक चाहत है ख़ुद से जुदा होने की ;
मोहब्बत में खुदा होने की ;
जी ना सके संग तेरे क्या हुआ ;
तमन्ना है तेरे इश्क में फ़ना होने की ;
मेरे अहसास अपने दिल में तू समेट ना सकी ;
मेरी दुरी को मोहब्बत में लपेट ना सकी ;
क्या कहूँ तेरे अरमां औ तेरी जरूरतों को ;
कैसे तू प्यार के जज्बे को सहेज ना सकी ?
तू गर्वित है अपने हालात पे ;
अपनी सफलता और बड़ती आगाज पे ;
क्या कहूँ मोहब्बत तेरी बिखरती जवानी पे ;
कैसे वो मेरी आखों में आंसुओं को रोक ना सकी ?
Saturday 24 October 2009
छठ मैया को श्रद्धा अर्पण
अस्ताचलगामी और उदयमान सूर्य को प्रणाम करने के लिए सदियोंसे चली आ रही परम्परा को आगे बढ़ाने की तैयारियां चल रही हैं । बस चंद क़दमों की दूरी पर पुण्यसलिला गंगा के किनारे सूर्य जब अस्त हो रहे होंगे तो हम सब उन्हें अर्पण कर रहे होंगे अपनी श्रद्धा , अपना सबकुछ । दिन भर व्रत रखकर महिलाएं भगवान भास्कर को जल आराध्य करती है। राजधानिओमें इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। जैसे डेल्ही , पटना , यहाँ तक की महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भी हम यह पर्व देख सकते है।
Thursday 22 October 2009
गुम हूँ कहीं ,खोया हूँ कहीं ;
गुम हूँ कहीं ,खोया हूँ कहीं ;
हूँ उसकी तलाश में ,
निकला हूँ कहीं ,पहुँचा हूँ कहीं ;
मदहोश नही हूँ , बेहोश नही हूँ ;
उलझा हूँ तेरी सोच में ;
अफ़सोस नही हूँ , सरफ़रोश नही हूँ ;
ढुढता हूँ ख्वाबों में , भटकता हूँ राहों में ;
नीद आये हुए वर्षों ;
सोया कहीं हूँ , जागा कहीं हूँ ;
तेरा अहसास नही हूँ , तेरा आकाश नही हूँ ;
हूँ हवा में शामिल ;
तेरा आभाष नही हूँ ,तेरी साँस नही हूँ ;
होयुं कोहरे में शामिल ऐसा खामोश नही हूँ /
Wednesday 21 October 2009
नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /
मोहब्बत की दूरियों पे ,अपनी मजबूरियों पे ;
नाराज मत हो ,विश्वास कर ,इंकार मत हो /
तकलीफों की मुस्कराहट पे ,मुसीबतों की आहटों पे ;
नाराज मत हो ,विचार कर , तकरार मत हो /
आंसुओं की कोशिश पे ,भावों की कशिश पे ;
नाराज मत हो ,स्वीकार कर ,दुस्वार मत हो /
अपनो के तानो पे ,रिश्तों के बानो पे ;
नाराज मत हो , ख़याल कर उदास मत हो /
प्यार के धोखे पे ; मोहब्बत की उलझनों पे ;
नाराज मत हो , इश्क कर ,बदहवास मत हो /
नसीब की डोरियों पे ,तिरस्कार की बोलियों पे ;
नाराज मत हो ,सम्मान कर , अविश्वास मत हो /
बिखरे सपनों पे , छुटे अपनो पे ;
नाराज मत हो ,आगाज कर , इतिहास मत हो ;
सपने खिल जायेंगे , अपने मिल जायेंगे ;
प्यार भर भावों में ;सहजता ला मुलाकातों में ;
नम्र कर सोचों को ;सब्र भर बातों में ;
हारी बाजी जीतेगा तू ,अहसास ला मुलाकातों में ;
व्यवहार में स्वार्थ मत ला , मन में दुराव मत ला ;
नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /
Monday 19 October 2009
लूट लूट लूट ,
लूट रहा है हर कोई जो सकता है लूट ;
Friday 16 October 2009
दीपावली के लिए कुछ वाल पेपर्स ;---
ये वाल पेपर नीचे दिए लिंक से लिए गए हैं . इन पर मेरा कोई अधिकार नहीं है.
.यूं.जी.सी के नए माप दंड महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के सन्दर्भ में ;--------------
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अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
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मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...