Monday 23 April 2012

भारतीय उच्च अनुसंधान केंद्र , शिमला ने अपनी असोसिएटशिप से तीन साल के लिए नवाजा


भारतीय उच्च अनुसंधान केंद्र , शिमला ने अपनी असोसिएटशिप से तीन साल के लिए नवाजा, आज ही पत्र मिला । शिमला और आस- पास के मित्रों के साथ एक महीने रहने का और अध्ययन का अवसर मिलेगा, मित्रों मैं जुलाई मे राष्ट्रपति निवास , शिमला आ रहा हूँ ।
गुरुवर डॉ रामजी तिवारी को इस बात की जानकारी दी तो वे प्रसन्न हो गए । यह उपलब्धि सभी गुरुजनों और आप सभी के आशीर्वाद और स्नेह का ही परिणाम है ।

Thursday 12 April 2012

दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद


    • Friday, January 11, 2013
    • 5:30am until 8:30am
  • Kalyan, Maharashtra, India, पड्घा रोड़, गांधारी विलेज
  • आगामी शैक्षणिक वर्ष 2012-2013 की 11-12 जनवरी को के.एम. अग्रवाल महाविद्यालय,कल्याण,महाराष्ट्र,भारत का हिंदी विभाग वेब मीडिया और हिंदी का वैश्विक परिदृश्य -इस विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित करने जा रहा है ।
    इस परिसंवाद में देश- विदेश से कई मेहमानों के शामिल होने की संभावना है । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और कई अन्य संस्थाओं से अनुदान प्राप्त करने के प्रयास जारी हैं । साथ ही साथ कई हिंदी से जुड़ी विदेशी संस्थाओं से भी अनुदान के प्रयास जारी हैं ।
    वेब मीडिया और हिन्दी का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य इस विषय पर एक पुस्तक निकालने की भी योजना पर काम कर रहा हूँ । आप सभी अपने आलेख इस पुस्तक के लिए भेज सकते हैं । आप का आलेख संपादन मंडल द्वारा स्वीकृत किये जाने के बाद आप को तुरंत इसकी सूचना दी जाएगी । इस पुस्तक में अपने आलेख सम्मिलित कराने के लिए आप को किसी तरह शुल्क नहीं देना होगा । पुस्तक ISBN नंबर के साथ छपेगी । पुस्तक छपने के बाद उसकी एक प्रति आप को मुफ्त में उपलब्ध करायी जाएगी ।


    पुस्तक के लिए आलेख भेजने की अंतिम तिथि 30 जून 2012 है ।

    आप जिन उप विषयों पे आलेख लिखें, वो इस प्रकार हों

    मीडिया का बदलता स्वरूप और इन्टरनेट
    व्यक्तिगत पत्रकारिता और वेब मीडिया
    वेब मीडिया और हिंदी
    हिंदी के विकास में वेब मीडिया का योगदान
    भारत में इन्टरनेट का विकास
    वेब मीडिया और शोसल नेटवरकिंग साइट्स
    लोकतंत्र और वेब मीडिया
    वेब मीडिया और प्रवासी भारतीय
    हिंदी ब्लागिंग स्थिति और संभावनाएं
    इंटरनेट जगत में हिंदी की वर्तमान स्थिति
    हिंदी भाषा के विकाश से जुड़ी तकनीक और संभावनाएं
    इन्टरनेट और हिंदी ; प्रौद्योगिकी सापेक्ष विकास यात्रा
    व्यक्तिगत पत्रकारिता और ब्लागिंग
    हिंदी ब्लागिंग पर हो रहे शोध कार्य
    हिंदी की वेब पत्रकारिता
    हिंदी की ई पत्रिकाएँ
    हिंदी के अध्ययन-अध्यापन में इंटरनेट की भूमिका
    हिंदी भाषा से जुड़े महत्वपूर्ण साफ्टव्येर
    हिंदी टंकण से जुड़े साफ्टव्येर और संभावनाएं
    वेब मीडिया , सामाजिक सरोकार और व्यवसाय
    शोसल नेटवरकिंग का इतिहास
    वेब मीडिया और अभिव्यक्ति के खतरे
    वेब मीडिया बनाम सरकारी नियंत्रण की पहल
    वेब मीडिया ; स्व्तंत्रता बनाम स्वछंदता
    इन्टरनेट और कापी राइट
    वेब मीडिया और हिंदी साहित्य
    वेब मीडिया पर उपलब्ध हिंदी की पुस्तकें
    हिंदी वेब मीडिया और रोजगार
    भारत में इन्टरनेट की दशा और दिशा
    हिंदी को विश्व भाषा बनाने में तकनीक और इन्टरनेट का योगदान
    बदलती भारती शिक्षा पद्धति में इन्टरनेट की भूमिका
    लोकतंत्र , वेब मीडिया और आम आदमी
    सामाजिक न्याय दिलाने में वेब मीडिया का योगदान
    भारतीय युवा पीढ़ी और इन्टरनेट
    वेब मीडिया सिद्धांत और व्यव्हार


    आप अपने आलेख भेज सहयोग करे । आप के सुझाओ का भी स्वागत है ।
    आलेख यूनिकोड में भेजें ।

    आप इस साहित्यिक अनुष्ठान मे जिस तरह भी सहयोग देना चाहें, आप अवश्य सूचित करें ।

    डॉ मनीष कुमार मिश्रा
    अध्यक्ष - हिंदी विभाग
    के . एम . अग्रवाल महाविद्यालय 421301
    गांधारी विलेज, पडघा रोड , कल्याण - पश्चिम
    महाराष्ट्र
    8080303132
    manishmuntazir@gmail.com
    www.onlinehindijournal.blogspot.com
    www.kmagrawalcollege.org

Wednesday 11 April 2012

Dr Naresh Chandra to be Pro V-C of Mumbai University


Maharashtra Governor and Chancellor of Universities in the state, K Sankaranarayanan, today appointed Dr Naresh Chandra as the Pro Vice-Chancellor of the Mumbai University.
Chandra is at present Principal of Birla College of Arts, Science and Commerce, Kalyan. His appointment will come into effect from the date on which he assumes the charge as the Pro Vice-Chancellor.
His term will be co-terminus with the term of office of the Vice-Chancellor, or till he attains the age of 60 years, whichever is earlier.
He had served as Pro Vice-Chancellor of the university between April 17, 1997 and May 4, 2000.

Friday 23 March 2012

हिन्दी में टाइप करने का सर्वोत्तम टूल- शैलेश भारतवासी


ट्रांसलिटरेशन (लिप्यंतरण) विधि से हिन्दी में टाइप करने का सर्वोत्तम टूल

ट्रांसलिटरेशन (लिप्यंतरण) विधि में यूनिकोड-हिन्दी में लिखने वाले लोगों के लिए एक खुशख़बरी है। माइक्रोसाफ्ट ने आईएलआईटी (इंडिक लैंग्वेज इनपुट टूल) नाम से अपना एक उत्पाद ज़ारी किया है, जिसके वेब (केवल ऑनलाइन इस्तेमाल के लिए) और डेस्टटॉप (माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ में किसी भी अनुप्रयोग में ऑफलाइन तथा ऑनलाइन प्रयोग के लिए) दोनों ही संस्करण उपलब्ध हैं। इस टूल में उन सभी समस्याओं से छूटकारा पा लिया गया है जो गूगल आईएमई टूल में मौज़ूद हैं। इस टूल की मदद से हिन्दी के अलावा बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलगू भाषाओं में टाइपिंग की जा सकती है।

माइक्रोसाफ्ट आईएलआईटी की खूबियाँ-

1) यह डाउनलोड करने में बहुत सरल है और इसके सेट-अप को एक बार डाउनलोड करके कई कम्प्यूटर मशीनों पर संस्थापित किया जा सकता है। (गूगल का सेट-अप यह सुविधा सीधे तौर पर प्रदान नहीं करता। यद्यपि इसका एक जुगाड़ ई-पंडित ने लिखा है)।
2) गूगल आईएमई की भाँति यह टूल भी आपकी पसंदों को याद रखता है और अगली बार निश्चित अक्षरयुग्मों से वहीं परिणाम देता है, जो आप चाहते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप karan टाइप करें तो पहले विकल्प के तौर पर यह आपको ‘कारण’ दिखायेगा, लेकिन मान लीजिए आप अंग्रेजी के इन अक्षरों से ‘कारण’ की जगह ‘करण’ या ‘करन’ लिखना चाहते हैं, तो एरो-की या माउस से अपना वांछित शब्द चुनें, अगली बार आप जब भी आप इस टूल से अपने सिस्टम पर karan टाइप करेंगे, तो यह आपकी पसंद को ध्यान में रखते हुए परिणाम देगा। घबराए नहीं, यदि आप उसके बाद अपनी पसंद में हेर-फेर भी करना चाहें, तो कर सकते हैं।
3) अंतरराष्ट्रीय अंक-प्रणालीः हिन्दी के ज्यादातर टाइपिंग टूलों की एक समस्या यह है कि वे अंकों को हिन्दी अंकों के रूप में प्रदर्शित करते हैं, जबकि भारतीय अंक प्रणाली, जिसे दुनिया भर में इंडो-अरैबिक अंकीय प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है, को अंतरराष्ट्रीय मानक के तौर पर स्वीकार किया जा चुका है। लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि हिन्दी टाइपिंग टूलों में पुराने स्थानीय अंकीय प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता रहा है। गूगल आईएमई भी हिन्दी अंकों का ही इस्तेमाल करता है। लेकिन माइक्रोसाफ्ट के इस टूल में अंकों के अंतरराष्ट्रीय स्वरूपों को ही पहली प्राथमिकता दी गई है। लेकिन यदि आप पुरानी अंकीय प्रणाली ही पसंद करते हैं तो दूसरे विकल्प के तौर पर वह भी मौज़ूद है। आप अंकों के लिए केवल एक बार अपनी पसंद निर्धारित कर लें तो यह आगे से अंकों को आपकी पसंद के हिसाब से वैयक्तिक करेगा। आप विकल्प में जाकर हमेशा के लिए अंकों को प्रदर्शित करने की अपनी पसंद भी निर्धारित कर सकते हैं।
4) पूर्ण विराम (डंडा या खड़ी पाई) की उपस्थितिः हिन्दी कम्प्यूटिंग के यदि वेब-संसार को देखें तो हिन्दी टाइपिंग की एक नई परम्परा विकसित होती दिखायी पड़ती है। हिन्दी के पूर्ण विराम के स्थान पर अंग्रेजी का डॉट (.) या फुल स्टॉप का प्रयोग बहुतायत हो रहा है। बहुत सी प्रतिष्ठित ई-पत्रिकाएँ भी इस परम्परा की पोषक रही हैं। असल में हिन्दी टाइपिंग में यह चलन इसलिए भी चल पड़ा है, क्योंकि हिन्दी टाइपिंग का अधिकतम प्रचलित टूल गूगल आईएमई हिन्दी पूर्ण विराम (डंडा) टाइप करने का विकल्प प्रदान नहीं करता। जहाँ तक मेरी जानकारी है लगभग सभी ऑनलाइन टाइपिंग टूलों (यूनिनागरी को छोड़कर) में हिन्दी पूर्ण विराम का चिह्न अनुपस्थित है। ऑफलाइन टाइपिग टूलों जैसे- बरह, माइक्रोसॉफ्ट इंडिक आईएमई, हिन्दी टूल किट, कैफेहिन्दी इत्यादि में यह सुविधा उपलब्ध है। माइक्रोसॉफ्ट का यह टूल पूर्ण विराम के चिह्न से लैश है। जैसे ही आप डॉट टाइप करेंगे यह टूल उसे ‘।‘ में बदल देगा। यद्यपि यह . का विकल्प भी देगा।
5) अंग्रेजी शब्द-संक्षेपों को देवनागरी में लिखनाः इस टूल का यह बहुत खास फीचर है। अभी तक सभी लिप्यांतरण टूलों से अंग्रेजी के शब्द-संक्षेपों (संक्षेपाक्षरों) को देवनागरी में लिखने में बहुत अधिक असुविधा होती थी। जैसे मान लें कि आपको WHO, RBI, IIT, IIM इत्यादि को देवनागरी में लिखना है, आप इस टूल से जैसे ही किसी अक्षरयुग्म को पूरा का पूरा कैपिटल लैटर्स में टाइप करेंगे, यह टूल आपको पहले विकल्प के तौर पर उस शब्द-संक्षेप का देवनागरी संस्करण प्रदान करेगा।

अपने सिस्टम में इस टूल को इंस्टॉल कैसे करें

सबसे पहले अपने वेबब्राउजर में http://specials.msn.co.in/ilit/Hindi.aspx लिंक खोलें। अब आपको यहाँ तीन विकल्प मिलेंगे। पहला रास्ता तो यह है कि आप वहाँ बने टाइपिंग बॉक्स में रोमन में हिन्दी में लिखना शुरू करें और कॉपी-पेस्ट विधि से जहाँ ज़रूरत हो, वहाँ इस्तेमाल करें।

आप चाहें तो इस टूल का मात्र वेब-संस्करण ही इंस्टॉल करके काम चला सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है। उपर्युक्त लिंक-पेज़ पर उपलब्ध ‘Install Web Version’ बटन पर क्लिक करें और निर्देशों का पालन करें। आप लगभग सभी प्रचलित ब्राउजरों में इसे इंस्टॉल कर सकते हैं।

यदि आप इस टूल का प्रयोग विंडोज़ के सभी अनुप्रयोगों में करना चाहते हैं तो ‘Install Desktop Version’ पर क्लिक करें। यह टूल विंडोज़ 7, विडोंज़ विस्टा या विंडोज़ एक्स पी SP2+ (32-bit) में से किसी भी सिस्टम में संस्थापित किया जा सकता है। आपके कम्प्यूटर में कम से कम 512 MB का RAM होना ज़रूरी है, और साथ ही साथ 1 GHz 32-bit (x86) या 64-bit (x64) प्रोसेसर होना चाहिए।

XP प्रयोक्ताओं के लिए
यदि आपके सिस्टम में पहले से Microsoft .Net Framework 2.0 और Mircosoft Windows Installer 3.1 नहीं हैं, तो इस टूल का सेट-अप पहले इन्हें डाउनलोड करके इंस्टॉल करेगा। आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, ये काम यह टूल स्वयं कर लेगा। इन दोनों के इंस्टॉल होने के बाद आपका सिस्टम अपने आप रिस्टार्ट होगा। इसके बाद सेट-अप अपने आप चलेगा और इंस्टॉलेशन पूरा होगा। रिस्टार्ट होने के बाद यदि सेट-अप अपने आप नहीं चालू होता, तो उसे मैनुअली चलाएँ। अतः आपको सलाह दी जाती है कि जब आप इस टूल का सेट-अप डाउनलोड करें, तो सीधे ‘Run’ पर क्लिक करने की बजाय, ‘Save’ पर क्लिक करें।

इंस्टॉलेशन के बाद अलग-अलग मशीनों में इसे किस तरह से संचालित किया जाय, इसका सचित्र विवरण इस टूल की वेबसाइट पर उपलब्ध है। फिर भी यदि आप इस टूल को इंस्टॉल करने में किसी प्रकार की असुविधा का अनुभव करें तो मुझे लिखें, मैं उस ट्यूटोरिल को सरल भाषा में लिखने का प्रयास करूँगा।

Wednesday 21 March 2012

UGC-NET IN OBJECTIVE MODE FROM JUNE, 2012 ONWARDS


UGC-NET IN OBJECTIVE MODE FROM JUNE, 2012 ONWARDS
 
1.
The UGC-NET will be conducted in objective mode from June 2012 onwards. The Test will consist of three papers. All the three papers will consist of only objective type questions and will be held on the day of Examination in two separate sessions as under:
 
     
SessionPaperNumber of QuestionsMarksDuration
FirstI60 out of which 50 questions are to be attempted50x2 = 1001¼ Hours (09.30 a.m. to 10.45 a.m.)
FirstII50 questions all of which are compulsory50x2 = 1001¼ Hours (10.45 a.m. to 12.00 Noon.)
SecondIII75 questions all of which are compulsory75x2 = 1502½ Hours (01.30 p.m. to 04.00 p.m.)
  
2.
The candidates are required to obtain minimum marks separately in Paper-I, Paper-II and Paper-III as given below:
 
    
Category
Minimum marks (%) to be obtained
Paper-I
Paper-II
Paper-III
General
40 (40%)
40 (40%)
75 (50%)
OBC
35 (35%)
35 (35%)
67.5 (45%) rounded off to 68
PH/VH/SC/ST
35 (35%)
35 (35%)
60 (40%)
  
 
Only such candidates who obtain the minimum required marks in each Paper, separately, as mentioned above, will be considered for final preparation of result.
However, the final qualifying criteria for Junior Research Fellowship (JRF) and eligibility for Lectureship shall be decided by UGC before declaration of result.
  
3.
The syllabus of Paper-I, Paper-II and Paper-III will remain the same.
  
4.
The candidates will be allowed to carry the carbon printout of OMR Response Sheets with them on conclusion of the examination.
  
5.
There will be no negative marking.
 

Tuesday 20 March 2012

वेब मीडिया और हिंदी का वैश्विक परिदृश्य -इस विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद


    • Friday, January 11, 2013
    • 5:30am until 8:30am
  • Kalyan, Maharashtra, India, पड्घा रोड़, गांधारी विलेज





  • आगामी शैक्षणिक वर्ष 2012-2013 की 11-12 जनवरी को के.एम. अग्रवाल महाविद्यालय,कल्याण,महाराष्ट्र,भारत का हिंदी विभाग वेब मीडिया और हिंदी का वैश्विक परिदृश्य -इस विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित करने जा रहा है ।
    इस परिसंवाद में देश- विदेश से कई मेहमानों के शामिल होने की संभावना है । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और कई अन्य संस्थाओं से अनुदान प्राप्त करने के प्रयास जारी हैं । साथ ही साथ कई हिंदी से जुड़ी विदेशी संस्थाओं से भी अनुदान के प्रयास जारी हैं ।
    वेब मीडिया और हिन्दी का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य इस विषय पर एक पुस्तक निकालने की भी योजना पर काम कर रहा हूँ । आप सभी अपने आलेख इस पुस्तक के लिए भेज सकते हैं । आप का आलेख संपादन मंडल द्वारा स्वीकृत किये जाने के बाद आप को तुरंत इसकी सूचना दी जाएगी । इस पुस्तक में अपने आलेख सम्मिलित कराने के लिए आप को किसी तरह शुल्क नहीं देना होगा । पुस्तक ISBN नंबर के साथ छपेगी । पुस्तक छपने के बाद उसकी एक प्रति आप को मुफ्त में उपलब्ध करायी जाएगी ।


    पुस्तक के लिए आलेख भेजने की अंतिम तिथि 30 जून 2012 है ।

    आप जिन उप विषयों पे आलेख लिखें, वो इस प्रकार हों

    मीडिया का बदलता स्वरूप और इन्टरनेट
    व्यक्तिगत पत्रकारिता और वेब मीडिया
    वेब मीडिया और हिंदी
    हिंदी के विकास में वेब मीडिया का योगदान
    भारत में इन्टरनेट का विकास
    वेब मीडिया और शोसल नेटवरकिंग साइट्स
    लोकतंत्र और वेब मीडिया
    वेब मीडिया और प्रवासी भारतीय
    हिंदी ब्लागिंग स्थिति और संभावनाएं
    इंटरनेट जगत में हिंदी की वर्तमान स्थिति
    हिंदी भाषा के विकाश से जुड़ी तकनीक और संभावनाएं
    इन्टरनेट और हिंदी ; प्रौद्योगिकी सापेक्ष विकास यात्रा
    व्यक्तिगत पत्रकारिता और ब्लागिंग
    हिंदी ब्लागिंग पर हो रहे शोध कार्य
    हिंदी की वेब पत्रकारिता
    हिंदी की ई पत्रिकाएँ
    हिंदी के अध्ययन-अध्यापन में इंटरनेट की भूमिका
    हिंदी भाषा से जुड़े महत्वपूर्ण साफ्टव्येर
    हिंदी टंकण से जुड़े साफ्टव्येर और संभावनाएं
    वेब मीडिया , सामाजिक सरोकार और व्यवसाय
    शोसल नेटवरकिंग का इतिहास
    वेब मीडिया और अभिव्यक्ति के खतरे
    वेब मीडिया बनाम सरकारी नियंत्रण की पहल
    वेब मीडिया ; स्व्तंत्रता बनाम स्वछंदता
    इन्टरनेट और कापी राइट
    वेब मीडिया और हिंदी साहित्य
    वेब मीडिया पर उपलब्ध हिंदी की पुस्तकें
    हिंदी वेब मीडिया और रोजगार
    भारत में इन्टरनेट की दशा और दिशा
    हिंदी को विश्व भाषा बनाने में तकनीक और इन्टरनेट का योगदान
    बदलती भारती शिक्षा पद्धति में इन्टरनेट की भूमिका
    लोकतंत्र , वेब मीडिया और आम आदमी
    सामाजिक न्याय दिलाने में वेब मीडिया का योगदान
    भारतीय युवा पीढ़ी और इन्टरनेट
    वेब मीडिया सिद्धांत और व्यव्हार


    आप अपने आलेख भेज सहयोग करे । आप के सुझाओ का भी स्वागत है ।
    आलेख यूनिकोड में भेजें ।

    आप इस साहित्यिक अनुष्ठान मे जिस तरह भी सहयोग देना चाहें, आप अवश्य सूचित करें ।

    डॉ मनीष कुमार मिश्रा
    अध्यक्ष - हिंदी विभाग
    के . एम . अग्रवाल महाविद्यालय 421301
    गांधारी विलेज, पडघा रोड , कल्याण - पश्चिम
    महाराष्ट्र
    8080303132
    manishmuntazir@gmail.com
    www.onlinehindijournal.blogspot.com
    www.kmagrawalcollege.org

Friday 16 March 2012

बजट की सूर्खियां


  • अगले वित्त वर्ष के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र का वित्त पोषण बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रुपये करने के लिए सरकार कर मुक्त बांड दोगुने करेगी।
  • दो नए मेगा हथकरघा क्लस्टर आंध्र प्रदेश और झारखंड में।
  • पूर्वी भारत में हरित क्रान्ति के कारण खरीफ सत्र में 70 लाख टन से अधिक धान की उपज।
  • कृषि और सहकारिता क्षेत्र के बजट में 18 फीसदी बढ़ोतरी।
  • विदेशी एयरलाइनों को भारत में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कार्य करने की अनुमति देने के बारे में सक्रियता से हो रहा है विचार। अगले पांच साल में भारत यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
  • खेती के लिए कर्ज 5.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य, जो पिछली बार से एक लाख करोड़ रुपये अधिक।
  • किसानों को सात फीसदी ब्याज पर रियायती फसली ऋण योजना 2012-13 में भी जारी रहेगी।
  • राज्यों के साथ मिलकर खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किया जाएगा।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को देने के लिए नाबार्ड को सरकार मुहैया कराएगी 10 हजार करोड़ रुपये।
  • दिसंबर 2012 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क होगा कंप्यूटरीकृत। मिड डे मील योजना के लिए 11,937 करोड़ रुपये। सबला योजना के लिए 7050 करोड़ रुपये खाद्य सुरक्षा विधेयक के उददेश्य हासिल करने के लिए।
  • दिसंबर तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली आधार कार्ड के जरिए।
  • समेकित बाल विकास योजना के लिए 2012-13 में आवंटन बढ़ाकर 15,850 करोड़ रुपये।
  • ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता योजना के लिए आवंटन बढाकर 14000 करोड़ रुपये। 2011-12 में यह 11000 करोड़ रुपये था।
  • स्वयं सहायता महिला समूह के तीन लाख रूपए तक के बैंक कर्ज सात प्रतिशत ब्याज दर पर। समय पर कर्ज लौटाने वालों को चार प्रतिशत पर कर्ज मिलेगा।
  • राष्ट्रीय पिछड़ा क्षेत्र अनुदान योजना का परिव्यय 22 प्रतिशत बढ़ाकर 12040 करोड़ रुपये किया गया।
  • ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास के लिए खर्च होंगे 20 हजार करोड़ रुपये। इसमें से पांच हजार करोड़ रुपये भंडारण सुविधाओं के लिए होंगे।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए आवंटन 18115 करोड रूपए से बढाकर 20822 करोड रूपए किया गया।
  • संसद के बजट सत्र में ही काले धन पर श्वेत पत्र लाएगी सरकार।
  • 2012-13 में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम को 1000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 3,915 करोड़ रुपये। 2012-13 में रक्षा सेवाओं के लिए 1,93,407 करोड़ रुपये का प्रावधान।
  • 11वीं योजना के दौरान सकल योजनागत परिव्यय के 99 फीसदी का उपयोग।
  • अप्रैल 2012 से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में 40 करोड लोगों को 'आधारÓ में शामिल किया जाएगा।
  • चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 फीसदी रहा।
  • 2012-13 में राजस्व घाटा 1,85,752 करोड रुपये।
  • व्यक्तिगत आयकर रियायत सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये।
  • 2011-12 में शुद्ध कर प्राप्तियां 7,71,071 करोड़ रुपये।
  • गैर योजनागत व्यय 2012-13 में 9,69,900 करोड़ रुपये रहने का अनुमान।
  • प्रत्यक्ष कर वसूली चालू वित्त वर्ष में 32000 करोड़ रुपये कम रही।
  • अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 प्रतिशत तक लाने के लिए प्रतिबद्ध।
  • कंपनी कर में कोई बदलाव नहीं।
  • केंद्र का कुल कर्ज जीडीपी का 45 प्रतिशत।
  • प्रतिभूति क्रय विक्रय कर (एसटीटी)की दर घटाई गई।
  • विदेश में रखी संपत्ति और दो लाख रुपये से अधिक के सोने चांदी की खरीद की जानकारी आयकर विभाग को देना अनिवार्य।
  • प्रत्यक्ष कर में रियायतों से 4500 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान।
  • कुछ गिनी चुनी सेवाओं को छोड़कर सभी प्रकार की सेवाओं को सेवा कर के दायरे में लाने का प्रस्ताव।
  • सेवा कर की दर दस से बढाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।
  • उत्पाद एवं सेवा कर के लिए साझा कर संहिता बनाने का विचार।
  • सेवा कर प्रस्तावों से 18660 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व वसूली का अनुमान।
  • रेल परियोजनाओं में काम आने वाली मशीनों के आयात पर शुल्क दस से घटाकर 7.5 प्रतिशत।

उत्तर प्रदेश में साहित्यकारों की कद्र नहीं : अमरकांत


उत्तर प्रदेश में साहित्यकारों की कद्र नहीं : अमरकांत   

इलाहाबाद। किसी भी रचनाकार को सम्मान मिलना सुखद अनुभव होता है, वो भी अपने शहर में अपनों के बीच सम्मानित होना और भी गौरव की बात है। वरिष्ठ कथाकार अमरकांत को यह गौरव हासिल हो रहा है। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार देने के लिए ज्ञानपीठ खुद इलाहाबाद आया है। आजादी की लडाई पर आधारित उनका उपन्यास इन्हीं हथियारों से काफी चर्चित रहा। ज्ञानपीठ मिलने पर अमरकांत उत्साहित तो हैं लेकिन साहित्यकारों की स्थिति पर चिंतित भी। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में साहित्यकारों की दयनीय स्थिति के लिए सरकार जिम्मेदार है। सरकार को साहित्य के प्रति ध्यान देना चाहिए। अगर ऐसा न हुआ तो साहित्य और साहित्यकार सिर्फ किताबों तक की सीमित रह जाएंगे। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश..।
लंबे इंतजार के बाद आपको ज्ञानपीठ मिलने जा रहा है, कैसा महसूस कर रहे हैं?
अच्छा लग रहा है। पुरस्कार मिलने से लेखक का हौसला बढता है। परंतु यह आखिरी मंजिल नहीं होती, बल्कि इससे कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है। मेरे लिए ज्ञानपीठ चुनौती लेकर आया है। आगे कुछ अच्छा लिखने की कोशिश करूंगा।
लेखन व निजी जिंदगी में कैसे सामंजस्य बैठाया?
लेखन मेरे लिए मिशन और जुनून है, इसके लिए शुरू से ही काम करता रहा हूं। बीच-बीच में थोडी समस्या आई परंतु परिवार के लोगों ने मेरे हर काम में साथ दिया।
आप किसकी प्रेरणा से लेखन करते हैं?
मेरे गुरु बाबू गणेश प्रसाद ने हमेशा लेखन के लिए मुझे प्रेरित किया। मैं जो हूं उन्हीं की प्रेरणा से। इसके अलावा डॉ. राम विलास शर्मा, भैरव प्रसाद गुप्त सहित अनेक मित्रों ने हमेशा साथ दिया।
इस उम्र में लेखन कैसे संभव होता है?
लेखन से मैं औरों को प्रेरित करने का प्रयास करता हूं, साथ ही मुझे भी कुछ फायदा हो जाता है।
आपको कैसा फायदा?
मुझे या किसी दूसरे साहित्यकार को सरकार से तो कोई मदद मिलती नहीं है, किताबों से मिलने वाली रायल्टी से ही अपना काम चलाता हूं, कभी-कभी तो उसके भी लाले पड जाते हैं।
बीच में आपकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई?
[बीच में रोककर तल्खी भरे शब्दों में] इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। उत्तर प्रदेश में साहित्यकारों की कोई कद्र नहीं है। हमें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती। हम मरे या जिएं, इसकी किसी को परवाह नहीं है, जबकि साहित्यकार समाज का चेहरा होता है।
क्या आपने सरकार से कभी मदद मांगी?
मैं मदद क्यों मांगू! ऐसा नहीं है कि हमारी स्थिति के बारे में किसी को पता नहीं है। फिल्मी कलाकारों और खिलाडियों पर करोडों रुपए लुटाए जाते हैं। मंत्री, सांसद, विधायक ऐशो आराम की जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। वहीं साहित्यकारों को रोटी के लाले हैं।
जब उत्तर प्रदेश में साहित्यकारों की कद्र नहीं है तो आप कहीं और क्यों नहीं गए?
मुझे मध्य प्रदेश व दिल्ली सरकार ने वहां रहने के लिए बुलाया था। विदेशों से भी कई बार बुलावा भेजा गया। परंतु अपनी मिट्टी को छोडना मुझे गंवारा नहीं हुआ। आज भी एक कोठरी से काम चला रहा हूं।
सरकार से आप क्या मदद चाहते हैं?
सरकार को साहित्यकारों के रहने, लेखन, इलाज व पेंशन की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे हमें काफी सहूलियत मिलेगी।
आज के साहित्यकारों को आप कैसे देखते हैं?
आज की युवा पीढी काफी अच्छा काम कर रही है। उनके पास संसाधनों की कमी नहीं है, इससे वह हमसे अच्छा काम कर सकेंगे।
आप इलाहाबाद पढाई के लिए आए थे, साहित्यकार कैसे बन गए?
मेरा लक्ष्य समाज को जगाना था, पैसा कमाना नहीं। यही कारण है कि मैं बलिया से जब यहां आया तो पढाई छोडकर आजादी की लडाई में कूद गया। बाद में पत्रकारिता के क्षेत्र में कूद गया, 40 वर्षो तक अनेक समाचार पत्र व पत्रिकाओं में संपादन किया। स्वास्थ्य खराब होने पर कहानी लेखन का कार्य शुरू कर दिया।
इतने लंबे समय में किसी से विशेष लगाव हुआ?
[थोडा असहज होकर] मुझे सबसे प्यार है, सभी अपने हैं।
आपकी कौन से पुस्तकें आने वाली हैं?
पत्रकारों के जीवन पर आधारित खबर का सूरज व सामाजिक समस्याओं पर एक थी गौरा का लेखन कर रहा हूं।

86 वर्षीय लेखक अमरकांत


और गौरवान्वित हो गया ज्ञानपीठ   
 
 

इलाहाबाद, जागरण ब्यूरो। हिंदी प्रदेश की गंगा-जमुनी तहजीब को अपने लेखन में जीवित करने वाले 86 वर्षीय लेखक अमरकांत को हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के लिए 45वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। इसका गवाह बना इलाहाबाद संग्रहालय का ऑडिटोरियम। मंगलवार शाम को संग्रहालय में भव्य समारोह में अमरकांत को शाल, श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र व पांच लाख रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया।
डॉ. नामवर सिंह ने अमरकांत को अपना बडा भाई बताते हुए कहा कि यह न सिर्फ हिंदी, बल्कि हर भारतीय भाषाओं के लिए एतिहासिक क्षण है। पहली बार ऐसा हुआ है कि ज्ञानपीठ किसी को सम्मानित करने के लिए स्वयं दिल्ली से चलकर इलाहाबाद आया है। अमरकांत ऐसे लेखक हैं जिनके लिए हर पुरस्कार छोटा है। विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति प्रेम शंकर गुप्त ने अमरकांत के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समय की यादें ताजा कीं। मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने अमरकांत को आंचलिकता को नया कलेवर देने वाला लेखक बताया। कहा कि उन्होंने अपनी कलम से युवाओं व मध्यमवर्ग को नई राह दिखाई। अमरकांत को ज्ञानपीठ मिलना पुरस्कार व साहित्यप्रेमियों के साथ न्याय है। सम्मान से अभिभूत अमरकांत ने कहा कि यह मेरे लिए हर्ष का क्षण है। स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं लेकिन चुनौती बढ गई है। मैं चुनौती को स्वीकार्य करता हूं, आगे और अच्छा लिखने का प्रयास करूंगा। ज्ञानपीठ के ट्रस्टी आलोक जैन ने कहा कि अमरकांत को सम्मानित कर ज्ञानपीठ गौरवान्वित है। वह न सिर्फ भारत बल्कि विश्व के सक्षम कहानीकारों में हैं। भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रवींद्र कालिया ने अतिथियों का स्वागत किया।

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