Tuesday 14 June 2011

एक वैसी ही लड़की

काश !!!
     एक शाम अकेले जाने-पहचाने रास्तों पर 
     अनजानी सी  मंजिल क़ि तरफ 
     बस समय काटने के लिए बढ़ते हुवे 
     देखता हूँ 
    एक वैसी ही लड़की 
    जैसी लड़की को मै कभी प्यार किया करता था .
     उसे पल भर का देखना 
    उन सब लम्हों को देखने जैसा था 
   जो मेरे     अंदर   तब  से  बसते  हैं  
   जब  से  उस  लड़की से  मुलाकात  हुई  थी  
 जिसे  मैं  प्यार  करता था 
 उस  एक पल  में   
जी  गया  अपना  सबसे  खूबसूरत  अतीत  
 और  शायद  भविष्य  भी  . 
 वर्तमान  तो  बस  तफरी  कर रहा था 
 लेकिन  उस  शाम की  याद  
 न  जाने  कितने  जख्मों  को हवा  दे  गयी  
 काश क़ि वो   लड़की ना  मिलती  . 

ECONOMICAL & CULTURAL RELATIONS OF INDIA IN GLOBAL PERSPECTIVE

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 '' ECONOMICAL & CULTURAL RELATIONS OF INDIA IN GLOBAL PERSPECTIVE'' 
THEN  COMMENT ON THE SAME POST .



   

international seminar 2011-2012

in december 2011 we are going to organize a TWO DAYS INTERDISCIPLINARY INTERNATIONAL SEMINAR ON
 '' ECONOMICAL & CULTURAL RELATIONS OF INDIA IN GLOBAL PERSPECTIVE ''
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Monday 13 June 2011

तुझे इसतरह बनाते और सवारते हुवे

यूं ही तुम्हे सोचते हुवे
 सोचता  हूँ क़ि चंद लकीरों से तेरा चेहरा बना दूं 
 फिर उस चेहरे में ,
खूबसूरती  के सारे रंग भर दूं . 
तुझे इसतरह बनाते और सवारते हुवे,
शायद  खुद को बिखरने से रोक पाऊंगा . 
 पर जब भी कोशिश की,
 हर बार नाकाम रहा . 
 कोई भी रंग,
 कोई भी तस्वीर,
 तेरे मुकाबले में टिक ही नहीं पाते .

तुझसा ,हू-ब-हू तुझ सा ,
 तो बस तू है या  फिर 
 तेरा अक्स है जो मेरी आँखों में बसा है . 
 वो अक्स जिसमे 
 प्यार के रंग हैं 
 रिश्तों की रंगोली है 
 कुछ जागते -बुझते सपने हैं 
दबी हुई सी कुछ बेचैनी है  
और इन सब के साथ ,
 थोड़ी हवस भी है . 
इन आँखों में ही 
 तू है 
तेरा ख़्वाब है 
 तेरी उम्मीद है 
 तेरा जिस्म है 
और हैं वो ख्वाहीशें ,
जो  तेरे बाद 
 तेरी अमानत के तौर पे 
मेरे पास ही रह गयी हैं .

मैं जानता हूँ की मेरी ख्वाहिशें ,
 अब किसी और की जिन्दगी है. 
 इस कारण अब इन ख्वाहिशों के दायरे से 
 मेरा बाहर रहना ही बेहतर है . 

लेकिन ,कभी-कभी 
 मैं यूं भी सोच लेता हूँ क़ि-
काश 
 -कोई मुलाक़ात 
 -कोई बात 
 -कोई जज्बात  
-कोई एक रात  
-या क़ि कोई दिन ही 
बीत जाए तेरे पहलू में फिर 
 वैसे ही जैसे कभी बीते थे 
 तेरी जुल्फों क़ी छाँव के नीचे 
 तेरे सुर्ख लबों के साथ 
तेरे जिस्म के ताजमहल के साथ .
 इंसान तो हूँ पर क्या करूं 
 दरिंदगी का भी थोडा सा ख़्वाब रखता हूँ  
कुछ हसीन गुनाह ऐसे हैं,
 जिनका अपने सर पे इल्जाम रखता हूँ .
 और यह सब इस लिए क्योंकि ,
 हर आती-जाती सांस के बीच   
मैं आज भी 
तेरी उम्मीद रखता हूँ . 
 इन सब के बावजूद ,
 मैं यह जानता हूँ क़ि
 मोहब्बत निभाने क़ी सारी रस्मे ,सारी कसमे 
 बगावत के सारे हथियार छीन लेती हैं .
 और छोड़ देती हैं हम जैसों को 
 अस्वथ्थामा क़ी तरह 
 जिन्दगी भर 
 मरते हुवे जीने के लिए .
 प्यार क़ी कीमत ,
 चुकाने के लिए .
ताश के बावन पत्तों में,
जोकर क़ी तरह मुस्कुराने के लिए .
 काश तुम मिलती तो बताता ,
 क़ि मैं किस तरह खो चुका हूँ खुद को ,
 तुम्हारे ही अंदर .
                                                                                
-- 

Friday 10 June 2011

टूट कर सवरने की आदत सी हो गयी है

टूट कर सवरने की फितरत  हो गयी है ,
 न जाने क्यों ,मुझे मोहब्बत हो गयी है .

जानता हूँ ,अब तुम किसी और की हो,
पर क्या करूँ,  तुम्हारी आदत हो गयी है  


तुम्हे भुला देने के  ख़याल  भर  से,
अजीब  सी बड़ी, मेरी  हालत  हो गयी  है .

   



मेरे लिए एक समाचार था

कल महीनो बाद , वही फोन आया जिसका इन्तजार था 
कुछ गिले- शिकवों के बाद, मेरे लिए एक समाचार था . 

वो अब, जब, हो गए हैं  किसी और के तो,बताना नहीं भूले 
कि मैं उनका एक दोस्त रहा, जो मोहब्बत में वफादार था. 

   
   

शिलांग में राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन आयोजित


शिलांग में राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन आयोजित
पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, शिलांग के संयुक्त तत्वावधान में तान दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का आयोजन गाड़ीखाना स्थित श्री राजस्थान विश्रामभवन में दिनांक 3 जून से 5 जून 2011 तक किया गया। श्री बिमल बजाज की अध्यक्षता में 3 जून को दोपहर 3 बजे मुख्य अतिथि ग्रामीण विकास राज्य मंत्रि, भारत सरकार कुमारी अगाथा संगमा ने इस सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर  किया। विशेष अतिथि के रूप में श्री अतुल कुमार माथुर, अतिरिक्त आरक्षी महानिदेशक, मेघालय राज्य, अतिथि के रूप में श्री एन. मुनिश सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, श्रीमती उर्मि कृष्ण, निदेशक कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला छावनी, समाज सेवक श्री ओम प्रकाश अग्रवाल उपस्थित थे। इस सत्र में सुस्मिता दास, श्री विश्वजीत सरकार, संचयिता राय, अर्पिता चौधुरी और साथियों ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सरला मिश्र ने मुख्य अतिथि का परिचय तथा डॉ. अरुणा कुमारी उपाध्याय ने समारोह की रूपरेखा प्रस्तुत की। पूर्वोत्तर वार्ता और शुभ तारिका पत्रिका का लोकार्पण किया गया। सभी मंचस्थ अतिथियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये। मुख्य अतिथि ने पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी को धन्यवाद दिया। संयोजक डॉ. अकेलाभाइ ने इस सत्र का सफल संचालन किया।
          दूसरा सत्र बहुभाषी काव्यगोष्ठी डॉ. जगदीश चन्द्र चौरे की अध्यक्षता में शाम को 6 बजे से आरंभ हुआ। इस सत्र में मुख्य अतिथि थे श्री अतुल कुमार माथुर, विशेष अतिथि के रूप में श्री परमजीत सिंह राघव, उपनिरीक्षक, सीमा सुरक्षा बल, अतिथि के रूप में श्री रमेशचन्द्र सक्सेना अवकाश प्राप्त महानिरीक्ष, सीमा सुरक्षा बल, श्रीमती लक्ष्मी रूपल (पंचकूला), श्रीमती उर्मि कृष्ण, श्रीमती कान्ति अय्यर,  सूरत (गुजरात), श्री विनोद बब्बर, संपादक राष्ट्र किंकर, नई दिल्ली और श्री पवन घुवारा (टीकमगढ़) मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र में 44 कवियों ने अपनी अपनी कविताओं का पाठ किया।
          तीसरा सत्र दिनांक 4 जून को प्रातः 10 बजे से प्रो. अमर सिंह बधान (चण्डीगढ़) की अध्यक्षता में आरंभ हुआ। स सत्र में कुल 28 विद्वानों ने पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के विकास पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। इस सत्र में मंच पर श्री हरान दे (सिलचर), श्री देवेनचन्द्र दास (गुवाहाटी), डॉ. कविराज राधागोविन्द थोङाम (मणिपुर) और डॉ. वैकुण्ठनाथ (अहमादाबाद) उपस्थित थे। इस सत्र में पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के विकास पर च4चा की गई।  यह सत्र डॉ अकेलाभाइ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
चौथे सत्र में अखिल भारतीय स्तर पर 52 लेखकों को डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। श्रीमती गिनिया देवी केशरदेव बजाज स्मृति सम्मान और श्री जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान से 10 लेखकों को सम्मानित किया गया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में श्री बी. एम. लानोंग, उप मुख्य मंत्रि, मेघालय सरकार, विशेष अतिथि श्री शंकर लाल गोयनका (गुवाहाटी), अतिथि श्री एन. मुनिश सिंह, श्री रमेशचन्द सक्सेना, श्रीमती उर्मि कृष्ण तथा इस सत्र में अध्यक्ष के रूप में श्री बिमल बजाज उपस्थित थे। सत्र का संचालन डॉ. अरुणा उपाध्याय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अकेलाभाइ ने किया।  
          पाँचवा सत्र सांस्कृतिक कार्यक्रम का था। इस सत्र में विबिन्न कलाकारों ने नृत्य और गीत प्रस्तुत किया। भिलाई से आये श्री विश्वजीत सरकार और श्रीमती संचयिता दास में रवीन्द्र संगीत, श्रीमती एन. सन्ध्यारानी सिंह ने मणिपुरी लोकनृत्य, तानिया बरुआ ने कत्थक नृत्य, श्रीमती पुष्पलता राठौर ने गजल प्रस्तुत किये। दिनांक 5 जून को सभी प्रतिभागियों ने चेरापूँजी वनभोज का आनन्द उठाया। 6 जून को सभी प्रतिभागियों की विदाई हुई।

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Friday 20 May 2011

ख्वाइश जो पल रही है

ख्वाइश जो पल रही है , वो इंसानी है 

थोड़ी सी जिस्मानी तो,थोड़ी रूहानी है .  

Monday 16 May 2011

मैं हर शाम किसी के साथ हूँ .

 "  बस इतनी सी बात पर बदनाम हूँ  

  मैं  हर  शाम  किसी  के  साथ   हूँ . "



      

जंहा रहिये बदनाम रहिये

" जंहा रहिये बदनाम रहिये ,
  तरीका ना आये तो, 
  एक शाम  मेरे साथ रहिये .  "