Wednesday 16 December 2009
सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए /
सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए /
Monday 14 December 2009
भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;
न आस हो न प्यास हो न झुलाता विश्वास हो ;
न प्यास हो ,न विलास हो पर जीवन की साँस हो ;
वक्त ना धूमिल कर सके समय साथ जो चल सके ;
व्यक्त तो हुआ नही पर अव्यक्त जो न रह सके ;
दुरी जिसे न मोड़ सके तकलीफे जिसे न तोड़ सके ;
वो मेरा अहसास हो ,तुम वही मेरा प्यार हो /
भाग्य में है क्या ,क्या पता ;
राह में है क्या , क्या पता ;
भाव में है क्या , क्या पता ;
भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;
भविष्य में है क्या ,क्या पता ?
दिल से मोहब्बत जाती नही ,
प्यार को दूरी भाती नहीं ;
बाँहों में भींच लेना अपने सपनों में तू मुझे ;
मुझे आज कल नीद आती नही /
जीवन की उलझनों में उलझाना क्या ;
रिश्ते के भ्रमो में भटकना क्या ;
ह्रदय की गहराइयों में झाक के देखो ;
प्यार के रिश्ते में झगड़ना क्या ?
Sunday 13 December 2009
तो कोई बात न थी /
तेरे बुलावे का इंतजार करता रह गया ,
सपनों को ख्वाब करता रह गया ;
दिल आखों से ना बह जाए कहीं ,
मै जजबातों पे इख़्तियार करता रह गया /
उनमे अहसास ना होता तो कोई बात न थी ,
उन्हें प्यार ना होता तो कोई बात न थी ;
रवायतों जिंदगी की कवायतों ने उन्हें थाम लिया ,
तेरी तमन्नाओं की फरियाद होती तो कोई बात न थी /
आशाओं के तिनके ने मुझे थाम लिया ,
हताशा टूट भी जाती तो कोई बात न थी /
मैं ना का इंतजार करता रह गया ;
तू मेरी मौत पे भी ना आती तो कोई बात न थी /
Saturday 12 December 2009
Send this to all your friends,
Send this to all your friends,
no matter how often you talk ,
or how close you are,
and send it to the person who sent it to you.
Let old friends know you haven't forgotten them,
and tell new friends you never will.
Remember, everyone needs a friend,
someday you might feel like you have NO FRIENDS at all,
just remember this text and take comfort in knowing
somebody out there cares about you....
Helplines for Women in Chennai
Jagasia and Sighee believed it otherwise. Being experts in the Auto sector they have started out a service in India named as veriCar, a service which
- Ensures that the second-hand car is in perfect mechanical health to be used by you.
- Make sure the car hasnt suffered a major accidents which could reduce the life
- and to make a deal they can suggest you the right price.
Kartikeya is the technical tour-de-force behind veriCAR, and has honed his skills at some of the best automobile workshops in Pune. Today, he is one of India’s most respected automobile journalists.The process of verification of the car happens in 4 steps : You call them, get an appointment, get your car verified and get a report on that. Yes you will have to pay certain amount for doing the tests on the second-hand car you want to buy.
Jayesh is an MBA from the Indian Institute of Management Kozhikode, and to his credit, has worked in diverse sectors ranging from software programming to buying and selling commodities – none of which move on wheels.
I would suggest you to take a look at the complete process by checking out the 4 services they give :
- veriFy
- veriFind
- veriSure
- veriReport
Friday 11 December 2009
***औरत का नंगा जिस्म **
शायद ही कोई इस दुनिया में हो ,
जिसे औरत का जिस्म आकर्षित न करता हो .
अगर सारे आवरण हटा कर कहू तो,
औरत का जिस्म हर कोई चाहता है .
औरत से जादा हमेशा ही ,
औरत का नंगा जिस्म ,
पसंद किया जाता रहा .
उसकी लाज, हया ,शर्म ,
सब को तार-तार करके भी,
देखने को,जानने को हर कोई लालायित रहा .
फिर अगर कभी औरत खुलेआम आई तो ,
वह -वेश्या,कुलटा ,पतिता -----------------
ना जाने कितने विशेषण उसे मिल गए.
दरसल आदमी ,
अपना शिकार नोचना भी चाहता है और,
आचरण का दिखावा भी करना चाहता है.
उसने औरत के जिस्म का सौन्दय तो देखा ,
लेकिन उसके मन तक नहीं पहुँच सका .
आज भी हालत कुछ ऐसे ही हैं
जैसे हमेशा से रहे हैं ---------
जैसे हमेशा ही रहेंगे -----------------
औरत का जिस्म ---------------------
आज फिर न जाने क्यों ?
-----------------------------------------
आज फिर न जाने क्यों ,
वही पुराना यार याद आया है .
बहुत दूर हु उससे फिर भी,
उसे बहुत ही करीब पाया है.
सोचता हूँ यूं भी की -
आखिर वह मिला ही क्यों था मुझे ?
तन्हाई
दर्द
हताशा
जुदाई
और ऐसी ही बहुत सी सौगात मुझे,
वह बिन मागे ही दे गया .
जो चाहा था,
वो तो ना जाने कहा खो गया ?
मैंने ने तो गुलाबो की खेती चाही थी,
वो तो मुझे ही नागफनी कर गया.
आज जब भी कभी ,
कोई प्यार से बुलाता है,
मुझे से दिल लगाता है ,
मुझे अपना बनाना चाहता है,
तो मुझे फिर वही याद आता है .
न जाने क्यों ?-----------------क्यों ?
Thursday 10 December 2009
कहाँ सोचा था /
हर साँस का जिनके पता होता था ,
हर चाह पे जिनकी अमल होता था ;
धड़कने जिनकी चलती थी मेरे सिने में ;
हो जाएगा अनजान कहाँ सोचा था /
इंतजार करती थी कभी आखें उनकी,
पुकारती थी कभी बाहें उनकी ;
हर्षित हो जाती मुझे देख उमंगें उनकी ;
हो जाएँगी उनकी बातें अनजान कहाँ सोचा था /
हर मुलाकात नया असर देती थी ,
हर बात नया हर्ष देती थी ;
हर अदा एक सपना सजा देती थी ;
बेखबर रहेंगे वो हमसे कहाँ सोचा था /
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...