Sunday 11 October 2009

रिश्तो की रंगोली

रिश्तो की रंगोली में ,
तेरे प्यार का रंग चाहिए ।
हमसफ़र मुझे तो,
सिर्फ़ तेरे जैसा चाहिए ।

आज जो तुम याद आए ----------

आज जो तुम याद आए,
न जाने क्यो हम बहुत घबराए ।
दोष तो तुम्हे देते रहे अभी तक,
आज ख़ुद का सामना नही कर पाये।

काश वे पल एक बार फ़िर मिल पाते तो,
सुधारता अपनी गलतियों को ।
तुम्हारे लिए नही ,
अपनी लिए ही क्योंकि ,
तुम्हारे बाद मैं ,
तुम्हारे साथ की ही तरह ,
चैन से सोना चाहता हूँ ।

Saturday 10 October 2009

कैसे मैं अभिप्राय को बदलूं ?

बात नही करते तो क्या हम भूल गए ,

पैगाम नही कहते तो क्या सम्बन्ध छुट गए ;

तुझे खुशियाँ मेरी रास ना आई ,

तो गम के रिश्ते क्या टूट गए ;

भावों को तुने बदला ,

तो क्या मेरे अरमान सूख गए /

धरती ने नियती नही बदली ,

आसमान ने सीरत नही बदली ;

हवा ने बदला नही बहना,

सांसों ने बदला नही चलना ;

मै कैसे अपने प्यार को बदलूं ,

कैसे जीवन के आधार को बदलूं ;

हट नही ये सच्चाई है ,

तेरा प्यार मेरी खुदाई है ;

कैसे मैं भगवान को बदलूं ,

कैसे मै जज्बात को बदलूं ;

मै तुच्छ सही पर ये भी सच है ;

तेरी मोहब्बत मेरा रब है ;

रब की कैसे चाह मै बदलूं ,

कैसे मैं अभिप्राय को बदलूं ?

Friday 9 October 2009

कैसे जाने की आप का नम्बर पंजीकृत हुआ या नही ?


How to check if your number is registered for DND
Posted: 07 Oct 2009 11:22 PM PDT
DND or Do Not Disturb or also called as Do not Call is a special regulation initiated by TRAI where an individual can register their number ( Both Mobile and Landline ) to avoid calls from telemarketer which many of us find irritating and of no interest. Trai has a offical site,
National Do Not Call Registry, where you can check if you number has been activated for DND. Follow this link to check for your number.

Do not Disturb
It says :
The NDNC Registry will be a data base having the list of all telephone numbers of the subscribers who do not want to receive UCC.After the establishment of NDNC registry, Telephone subscriber (Landline or mobile) who does not wish to receive UCC, can register their telephone number with their telecom service provider for inclusion in the NDNC. Telecom Service Provider shall upload the telephone number to the NDNC within 45 days of receipt. The Telemarketer will have to verify their calling telephone numbers list with the NDNC registry before making a call. To discourage the telemarketers who make calls to the numbers registered in Do Not Call List, a provision has been made whereby Rs.500/ – shall be payable by the telemarketer to the service provider for every first unsolicited commercial communication (UCC) and Rs.1000/- shall be payable for subsequent UCC. There is a provision for disconnection of the telemarketer telephone number / telecom resource if the UCC is sent even after levy of Rs.500/- & Rs.1000/- tariff. In case of non-compliance to the Telecom Unsolicited Commercial Communications Regulations, 2007, the Service Provider is also liable to pay an amount by way of financial disincentive, not exceeding Rs.5000/- for first non-compliance of the regulation and in case of second or subsequent such non-compliance, an amount not exceeding Rs.20,000/- for each such non-compliance.

If you would would like to register/de-register their request for NDNC registry may dial 1909 or SMS to 1909 with keywords ‘START DND’ for registration and ‘STOP DND’ for de-registration. This way you can avoid all those calls which come from banks for loans, mutual funds and any tele marketing scheme and complain against them back if you do get a call from people failing for such non compliance.

Monday 5 October 2009

तेरी तलाश है मुझे तू ही नही मिलता,

तेरी तलाश है मुझे तू ही नही मिलता,
तू गुजरा जिस राह पे,
वो जमीं नही मिलती, वो आसमान नही मिलता ;
तेरे बनाये जहाँ का ,कुछ नामोनिशान नही मिलता /
हवा में तेरी पहचान ढूंढे हैं ,फूलों में तेरी शान ढूंढे हैं ;
जो इन्सान बनाये तुने वो इन्सान ढूंढे हैं ;
कहीं झलक नही मिलती ,कहीं अहसास नही मिलता ;
जो चला हो तेरी राहों में ,वो इन्सान नही मिलता /
भावः दिल में बहुतेरों के हैं ,
श्रद्धा और आस चकेरों के हैं ;
महिमा का गान करे कितने ही ,
तेरी दया द्रिस्टी से सामर्थ्य चितेरों के हैं ;
तेरी राह चला ,तेरी बात धुना ;
ऐसे को आखें ढूंढे हैं ,
ऐसा परमार्थ नही मिलता ;
जो इन्सान बनाये तुने ,ह्रदय उन इंसानों को ढूंढे है ;
तेरी तलाश हो जिसको ऐसा स्वाभाव नही मिलता ;
तू गुजरा जिस राह से ,
वही जमीं नही मिलती वही आसमान नही मिलता ;
तेरे बनाये जहाँ कोई नामोनिशान नही मिलता /

Saturday 3 October 2009

लाल बहादुर शास्त्री -मानव मिश्रा


October 2nd is Shastri Jayanti as well
Posted: 02 Oct 2009 12:59 AM PDT
If I ask you, what is the existence of October 2nd in Indian history; probably you will not even think and tell that it is Gandhi Jayanti (Birthday of Mahatama Gandhi).

However, very few people know that it is the birth anniversary of Late Lal Bahadur Shastri as well, 3rd Primne Minister of India, one of the great freedom fighters, the great Indian Hero, who gave the slogan ‘Jai Jawaan, Jai Kisaan’.

Shashtri Jayanti
Isn’t it ironical, most of us are not aware of this fact, moreover I have hardly witnessed any type of coverage about Lal Bahadur Shastri or his birth anniversary in any newspaper or on any TV channels.
Here we have collected some links, which can help you know more about Lal Bahadur Shastri.
http://en.wikipedia.org/wiki/Lal_Bahadur_Shastri
A nice poem about Shastri ji.
http://www.sscnet.ucla.edu/southasia/History/Independent/Shastri.html
http://www.diggstars.com/1-13-5693/Lal_Bahadur_Shastri.html
A nice article about Shastri ji
Why has history forgotten this giant?
So, go ahead read about Lal Bahadur Shastri, and do tell others about this forgotten National Hero.

Friday 2 October 2009

शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;

शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
नही रहता मन प्यासा किसी प्यार का ;
नही तड़पता तन तेरे अभाव पे ;
हर्षित नही है ह्रदय तेरे जिक्र पे ;
द्रवित नही है दिल तेरे कुफ्र पे ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
जिंदगी इक सहजता बन गई है अब तो ;
इक रस्मो रिवाज की कवायद रह गई है अब तो ;
उस्फुर्ती नही रही तुझसे मिलने की ;
प्यार रहा गया है इक सजावट अब तो ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
तेरे ना मिलने की बात से उदासी नही है ;
तेरी मोहब्बत और चाहतों से बानगी नही है ;
जिंदगी जा रही है इक रह पे जैसे भी ;
उन राहों में दिलचस्पी और दुराव नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
गम नही है , तकलीफ नही है ,वक्त से रंजिश भी नही है ;
मोहब्बत नही , इश्क नही और कोई कशिश भी नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
पास नही है तू दूर नही है ;
आभास तो है अहसास नही है ;
सुलझी नही पर वो उलझी नही है ;
तू गैर तो बन न पाई पर मेरी भी नही है ;
विस्वास तो है पर आस नही है ;
तू बाँहों में है उनके पर उसमे खोयी भी नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;

Thursday 1 October 2009

गाँधी जी के तीन बंदर

/पिछले २ अक्टूबर २००८ की शाम
गांधीजी के तीन बंदर राज घाट पे आए.
और एक-एक कर गांधी जी से बुदबुदाए,
पहले बंदर ने कहा-
''बापू अब तुम्हारे सत्य और अंहिंसा के हथियार,
किसी काम नही आ रहे हैं ।
इसलिए आज-कल हम भी एके४७ ले कर चल रहे हैं। ''

दूसरे बंदर ने कहा-
''बापू शान्ति के नाम ,
आज कल जो कबूतर छोडे जा रहे हैं,
शाम को वही कबूतर,नेता जी की प्लेट मे नजर आ रहे हैं । ''

तीसरे बंदर ने कहा-
''बापू यह सब देख कर भी,
हम कुछ कर नही पा रहे हैं ।
आख़िर पानी मे रह कर ,
मगरमच्छ से बैर थोड़े ही कर सकते हैं ? ''

तीनो ने फ़िर एक साथ कहा --
''अतः बापू अब हमे माफ़ कर दीजिये,
और सत्य और अंहिंसा की जगह ,कोई दूसरा संदेश दीजिये। ''

इस पर बापू क्रोध मे बोले-
'' अपना काम जारी रखो,
यह समय बदल जाएगा ।
अमन का प्रभात जल्द आयेगा । ''

गाँधी जी की बात मान,
वे बंदर अपना काम करते रहे।
सत्य और अंहिंसा का प्रचार करते रहे ।
लेकिन एक साल के भीतर ही ,
एक भयानक घटना घटी ।
इस २ अक्टूबर २००९ को ,
राजघाट पे उन्ही तीन बंदरो की,
सर कटी लाश मिली ।

Tuesday 29 September 2009

मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /

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तेरी खुशियों की सीढी दिल के टुकडों से सजाई थी ,
तेरी सफलता की दुआ अपनी असफलता से चुरायी थी ;
तुझे और क्या दूँ जो तेरा मन नही भरता ,
तेरी मुस्कानों की राह अपने आंसूं से बनाई थी /
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मेरी असफलता को और असफल कैसे करोगे तुम ,
मेरी तन्हाई को और तनहा कैसे करोगे तुम ;
तेरी खुशियाँ जुड़ीं हैं मेरी बरबादियों से ,
मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /
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Sunday 27 September 2009

सब्र कर कुछ दिन

मुस्कराहटें ,खुशी की आहटें और सुहासित ये शमा ;
खिला दिन ,महका बदन तेरी नजरों ने मोहित किया ;
भटक रहे अरमान ,तेरे इजहारे मोहब्बत ने हर्षित किया ;
तेरे अनछुए ओठों का पहला ये आभास ,
मेरा मन तेरी खुसबू में डूबा हुआ ;
शरमाते सकुचाते बाँहों में तेरा आना ;
मेरा तन उमंगों से पुलकित हुआ ;

सब्र कर अभी कुछ दिन, बड़ने दे प्यास ;
उफनने दे ये कशिश ,कर कुछ और प्रयास ;
कयास लगाने दे उन पलों के हर्ष का ;
महकती सांसों और बदन से बदन के स्पर्श का ;
मदहोशी Align Rightरा आने दे ,बड़ने दे जजबातों को ;
सब्र कर कुछ दिन ,अभी बड़ने दे मुलाकातों को ;
फिर होगा जो अवश्यमभावी है ;
मेरे दिल को तू बहुत भायी है ;
पुरानी यादों से किनारा तो जरा कर लूँ ;
अपने जख्मी दिल के भावों को जरा सिल लूँ ;
उनके बेवफाई के सितम को जरा पिने दे ;
फिर चोट खा सके इतना तो जख्मो को जरा भरने दे ;

कल तू भी अपनी राहों पे बड़ जाएगा ,पर तकलीफ जरा कम होगी ;
पहले की तरह हर बात पे ,आखें तो ना नम होगी ;
आशाएं नही पाली है तो तकलीफ भी न होगी ;
तेरी मंजिल से पहले का एक पड़ाव ही हूँ मैं ;
सब्र कर इक धोखा खाया इन्सान भी हूँ मैं ;