Friday 2 October 2009

शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;

शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
नही रहता मन प्यासा किसी प्यार का ;
नही तड़पता तन तेरे अभाव पे ;
हर्षित नही है ह्रदय तेरे जिक्र पे ;
द्रवित नही है दिल तेरे कुफ्र पे ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
जिंदगी इक सहजता बन गई है अब तो ;
इक रस्मो रिवाज की कवायद रह गई है अब तो ;
उस्फुर्ती नही रही तुझसे मिलने की ;
प्यार रहा गया है इक सजावट अब तो ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
तेरे ना मिलने की बात से उदासी नही है ;
तेरी मोहब्बत और चाहतों से बानगी नही है ;
जिंदगी जा रही है इक रह पे जैसे भी ;
उन राहों में दिलचस्पी और दुराव नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
गम नही है , तकलीफ नही है ,वक्त से रंजिश भी नही है ;
मोहब्बत नही , इश्क नही और कोई कशिश भी नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
पास नही है तू दूर नही है ;
आभास तो है अहसास नही है ;
सुलझी नही पर वो उलझी नही है ;
तू गैर तो बन न पाई पर मेरी भी नही है ;
विस्वास तो है पर आस नही है ;
तू बाँहों में है उनके पर उसमे खोयी भी नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;

Thursday 1 October 2009

गाँधी जी के तीन बंदर

/पिछले २ अक्टूबर २००८ की शाम
गांधीजी के तीन बंदर राज घाट पे आए.
और एक-एक कर गांधी जी से बुदबुदाए,
पहले बंदर ने कहा-
''बापू अब तुम्हारे सत्य और अंहिंसा के हथियार,
किसी काम नही आ रहे हैं ।
इसलिए आज-कल हम भी एके४७ ले कर चल रहे हैं। ''

दूसरे बंदर ने कहा-
''बापू शान्ति के नाम ,
आज कल जो कबूतर छोडे जा रहे हैं,
शाम को वही कबूतर,नेता जी की प्लेट मे नजर आ रहे हैं । ''

तीसरे बंदर ने कहा-
''बापू यह सब देख कर भी,
हम कुछ कर नही पा रहे हैं ।
आख़िर पानी मे रह कर ,
मगरमच्छ से बैर थोड़े ही कर सकते हैं ? ''

तीनो ने फ़िर एक साथ कहा --
''अतः बापू अब हमे माफ़ कर दीजिये,
और सत्य और अंहिंसा की जगह ,कोई दूसरा संदेश दीजिये। ''

इस पर बापू क्रोध मे बोले-
'' अपना काम जारी रखो,
यह समय बदल जाएगा ।
अमन का प्रभात जल्द आयेगा । ''

गाँधी जी की बात मान,
वे बंदर अपना काम करते रहे।
सत्य और अंहिंसा का प्रचार करते रहे ।
लेकिन एक साल के भीतर ही ,
एक भयानक घटना घटी ।
इस २ अक्टूबर २००९ को ,
राजघाट पे उन्ही तीन बंदरो की,
सर कटी लाश मिली ।

Tuesday 29 September 2009

मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /

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तेरी खुशियों की सीढी दिल के टुकडों से सजाई थी ,
तेरी सफलता की दुआ अपनी असफलता से चुरायी थी ;
तुझे और क्या दूँ जो तेरा मन नही भरता ,
तेरी मुस्कानों की राह अपने आंसूं से बनाई थी /
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मेरी असफलता को और असफल कैसे करोगे तुम ,
मेरी तन्हाई को और तनहा कैसे करोगे तुम ;
तेरी खुशियाँ जुड़ीं हैं मेरी बरबादियों से ,
मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /
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Sunday 27 September 2009

सब्र कर कुछ दिन

मुस्कराहटें ,खुशी की आहटें और सुहासित ये शमा ;
खिला दिन ,महका बदन तेरी नजरों ने मोहित किया ;
भटक रहे अरमान ,तेरे इजहारे मोहब्बत ने हर्षित किया ;
तेरे अनछुए ओठों का पहला ये आभास ,
मेरा मन तेरी खुसबू में डूबा हुआ ;
शरमाते सकुचाते बाँहों में तेरा आना ;
मेरा तन उमंगों से पुलकित हुआ ;

सब्र कर अभी कुछ दिन, बड़ने दे प्यास ;
उफनने दे ये कशिश ,कर कुछ और प्रयास ;
कयास लगाने दे उन पलों के हर्ष का ;
महकती सांसों और बदन से बदन के स्पर्श का ;
मदहोशी Align Rightरा आने दे ,बड़ने दे जजबातों को ;
सब्र कर कुछ दिन ,अभी बड़ने दे मुलाकातों को ;
फिर होगा जो अवश्यमभावी है ;
मेरे दिल को तू बहुत भायी है ;
पुरानी यादों से किनारा तो जरा कर लूँ ;
अपने जख्मी दिल के भावों को जरा सिल लूँ ;
उनके बेवफाई के सितम को जरा पिने दे ;
फिर चोट खा सके इतना तो जख्मो को जरा भरने दे ;

कल तू भी अपनी राहों पे बड़ जाएगा ,पर तकलीफ जरा कम होगी ;
पहले की तरह हर बात पे ,आखें तो ना नम होगी ;
आशाएं नही पाली है तो तकलीफ भी न होगी ;
तेरी मंजिल से पहले का एक पड़ाव ही हूँ मैं ;
सब्र कर इक धोखा खाया इन्सान भी हूँ मैं ;

Thursday 24 September 2009

केशों से ढलकता पानी है ;


केशों से ढलकता पानी है ;


रिमझिम बरसते मौसम की अजब रवानी है ;


महकते फुल हैं ,मदहोशी का शमा है ;


भीगा बदन ,गहरी सांसें अरमां जवां है ;


झिझकती काया है ,उफनते जजबातों की माया है ;


कामनाएं फैला रही हैं अपने अधिकारों को ;


संस्कार की रीतियाँ रोक रही है भावनावों को ;


मन उलझा हुआ है , तन बहका हुआ है ;


डर रह रह के उभर आता है सीमाएं टूट न जायें ;


अरमां आगे बडाते हैं ये लम्हा छुट न जाए ;


स्वर्गिक अनुभूति है पर ज़माने की भी कुछ रीती है ;


प्रिती प्यासी है ख़ुद पे बस कहाँ बाकी है ;


झिझक ,तड़प ,प्यास ,विस्वास ,खुशियाँ और उदाशी हैं ;


आंनद बिखरा पूरे माहोल में है ;


वो सिमटा मेरे आगोस में है ;


मन झूमा तन आह्लादित है ;


बिजलियाँ कौंध रही मनो उल्लासित हैं ;


ह्रदय में द्विक संगीत सा बज रहा है कुछ ;


प्यार की जीत है , बंधन और दूरी झूट है ;


प्यार भी इक पूजा है ,इसके बिना जीवन अजूबा है ;


मिलन भी एक सच है , इश्क भी इक रब है ;


अरमान विजीत है , मन हर्षित है ;


धरती महक रही भीनी खुसबू से ;


पेडों की हरियाली अदभुत है ;


एक अनोखी अनुभूति है छाई ;


वो अब भी है मेरे बाँहों में समाई /


क्या उत्सव है ,क्या है ये लम्हा ;


सांसों का सांसों में मिलना ;


रुक जा वक्त अनमोल ये लम्हा ;


क्या सच है ये ; या है इक सपना /

Monday 21 September 2009

अधीरता का मंजर मुझमे है ;

अधीरता का मंजर मुझमे है ;

अव्यक्त की सहजता तुझमे है ;

नदी का वेग हूँ , मन का आवेश हूँ ;

प्यार का झोखा हूँ , सावन अनोखा हूँ ;

तू बहती हवा है ,बादल और निशा है ;

आखों का धोखा है ;स्वार्थ का सखा है ;

मै भावना से ओतप्रोत हूँ ,पानी का स्रोत हूँ ;

तू बिखरी हुयी माया है ;छल और छाया है ,

तुने सहजता का गुन पाया है /

मै स्थिरता हूँ ,जड़ता हूँ ;

रमा हूँ एक भावः में ;

इसीलिए अधीरता का मंजर पाया है /

हिन्दी लेखको -कवियों की तस्वीरे
















अगर आप हिन्दी के साहित्यकारों की तस्वीरे खोज रहे है तो आप कोhttp://http://hindilekhak.blogspot.com/ इस लिंक पे जाना चाहिए। आप की सारी जरूरते पूरी हो जाए गी । कुछ तस्वीरे नमूने के तोर पे उपरुक्त तस्वीरे इसी लिंक से ली गई है। इन पर मेरा कोई अधिकार नही है।

बड़े-बड़े अभिनेताओ के छोटी उम्र की तस्वीरे -----------------


अमिताभ








शम्मी कपूर





शारुख खान






































ई मेल के जरिये ये कुछ तस्वीरे प्राप्त हुई हैं। इन पर मेरा कोई कॉपी राईट नही है ।

भारत-पकिस्तान विभाजन की त्रासदी





























ईद मुबारक -----------------------
















Sunday 20 September 2009

नई पौध --------------------------












अपने इन भतीजो से पिछले ७ महीने से नही मिला। जिंदगी की रफ़्तार कितना विवश कर देती है, इसे समझ रहा हूँ ।