Tuesday 7 April 2009

मुझको अब एक बाजा दे .................

सब की पोल खोलने को , मुझको अब एक बाजा दे
नई उम्र की नई बानगी ,वाला मुझको राजा दे ।

नही रहे हैं जख्म पुराने ,दिये हुए जो तूने थे
मेरे जीवन मे आकर ,जख्म कोई फ़िर ताज़ा दे ।

फाँका मस्ती अपनी हस्ती ,चाहत एकदम छोटी है
बची-खुची रुखी -सूखी ,साथ में थोड़ा गाँजा दे ।

आओ दोनों कर लें ,थोडी सी अदला-बदली
मेरी रोटी तू ले ले ,मुझको अपना खाजा दे ।

Sunday 5 April 2009

माँ जलती रही -------------------------------------------

मैं बोला -'' माँ , दिये की रौशनी जरा जादा करना ,
मैं पढ़ नही पा रहा हूँ । ''
बाप बोला -"अरे ओ , रौशनी कम कर ,
मैं सो नही पा रहा हूँ । "
वह बेचारी रात भर रौशनी कम-जादा करती रही ,
हम दोनों के बीच जीवन भर ,इसी तरह जलती रही ।

(यह कविता मूल रूप में मराठी भाषा में है । मराठी के लोक कवि श्री प्रशांत मोरे जी ने यह कविता सुनाई थी । उसी कविता का यह हिन्दी अनुवाद आप लोगो के लिये प्रस्तुत कर रहा हूँ । )

देखो कितनी गुमसुम माँ ---------------------------------

साथ मेरे है हरदम माँ
हर दर्द पे मेरे मरहम माँ ।

कोई नही है उससे प्यारी ,
सात सुरों की सरगम माँ ।

सुबह-सुबह फूलो पर ,
प्रेम लुटाती शबनम माँ ।

मुझसे जादा मेरी चिंता ,
देखो कितनी गुमसुम माँ ।

घर के अंदर बात-बात पर ,
देखो बनती मुजरिम माँ ।

सब के लिये जादा-जादा ,
पर ख़ुद लेती कम -कम माँ ।

सब की सुनती पर चुप रहती ,
कितना रखती संयम माँ ।

साथ मेरे है हरदम माँ -----------------------------------------------------------------।

Saturday 4 April 2009

आप लोंगो से निवेदन ------------------------------

आप लोंगो का मैं आभारी हूँ जो आप लोग मेरे ब्लॉग को पढ़ते हैं और कभी-कभी अपनी प्रतिक्रियाओ से अवगत भी कराते हैं । कुछ लोगो को मेरी हिन्दी की शुद्धता को लेकर शिकायत रहती है । लेकिन अगर आप रोज ब्लॉग लिखते हैं तो आप यह समझ सकते हैं कि हिन्दी में ब्लॉग लिखना आसान काम नही है । कभी -कभी अंग्रजी का सही परिवर्तन नही हो पता तो कभी परिवर्तन की प्रक्रिया बीच मे ही रुक जाती है । फ़िर हिन्दी में पहले से लिखा हुआ लेख आप कट -पेस्ट भी तो नही कर पाते । इस लिये यह बहुत जरूरी है कि इन तकनीकी समस्याओं को समझते हुये , हम हिन्दी ब्लागिंग को प्रोत्साहित करे ।
मेरे एक ब्लॉग मित्र ने इस सन्दर्भ मे मुझसे शिकायत की , उनका कहना सही है लेकिन मैं भी तो मजबूर हूँ । हो सकता है कि धीरे -धीरे मैं अपनी हिन्दी टायपिंग मे सुधार ला सकू । मुझे आप लोगो के सहयोग की आवश्यकता है । आशा और विश्वाश है कि आप अपने इस भाई को थोड़ा समय अवस्य दो गे ।
जहा तक मेरे हिन्दी प्रवक्ता होने की बात है तो मैं आप लोगो से विनम्र अनुरोध करना चाहूंगा कि वह एक अलग विषय है । मैं हिन्दी का ब्लॉग लिखकर प्रवक्ता तो बना नही हूँ , हा प्रवक्ता बनकर ब्लॉग लिखने कि कोशिस जरूर कर रहा हूँ । फ़िर आप ही जरा सोचिये कि आप की जानकारी मे हिन्दी के कितने प्रवक्ता हैं जो ब्लागिंग जैसे कार्यो से जुडे हैं ?
आप सभी सुधी पाठक और लेखक हैं .मेरे कहने के तात्पर्य को समझ गये होंगे । अपनी प्रतिक्रिया से अवस्य अवगत कराये ।

Friday 3 April 2009

गृहस्थी एक बैल गाड़ी है -----------------

गृहस्थी एक बैलगाडी है
बेचार बैल ,कितना अनाड़ी है ।
काम उसी के होते हैं अब ,
जो शुरू से जुगाड़ी है ।
मेरे हांथो मे उनके मेकप का बिल ,
दुशाशन के हाँथ द्रोपती की साड़ी है ।
दुश्मन घर में घुस के मारते हैं ,
किस बात पे चौडी छाती हमारी है ।

तुझसे नजरें मिली तो ------------------------

तुझसे नजरे मिली तो गजब हो गया
प्यार पहली नजर में अजब हो गया ।

नही था जिस मोहब्बत पे यंकी,
ख़ुद उसी का मैं सबब हो गया

नये जमाने की ,यह नई चाल है
हमारे घरो से गायब ,अदब हो गया ।

तेरे आने जाने के बीच मे--------------------

तेरे आने -जाने के बीच मे,क़यामत बीत गयी
मुसीबतें कई थी मगर,मोहब्बत जीत गयी ।

इश्क में मर-मिटना ,सब पुरानी बात है
हीर -रांझे वाली ,चलन से अब प्रीत गयी ।

मिलकर एक साथ ,सभी एक घर मे रहें
बीते दिनों के साथ ,चली यह रीत गयी ।

शर्मिंदा कितना माहताब हुआ ------------------

तेरा चेहरा जब बेनकाब हुआ
शर्मिंदा कितना माहताब हुआ ।

तुने पूछा था मुझसे जो सवाल
पूरा उसी में मेरा जबाब हुआ ।

यार मेरा ,पाकर मोहब्बत का पैगाम
खिल के देखो,हँसी गुलाब हुआ ।

कुछ भी कहो पर अधूरा था
मुझसे मिलके पूरा तेरा शबाब हुआ ।

यह हिन्दुस्तान है -----------------

उसका घर बारूद का मकान है
वह सचमुच कितना नादान है

जिसकी जितने उपर तक पहुँच है
उसका उतना ही बड़ा सम्मान है

इस देश की जो सरकार है
कुछ नही लगान की दूकान है

यहाँ चलने को सबकुछ चल जाता है
अजीब देश है ,यह हिन्दुस्तान है ।

आजा मेरे साथ तू चल

आजा मेरे साथ तू चल
हांथो मे दे हाँथ तू चल

ह्रदय पे अपने बने हुए
तोड़ के सारे बाँध तू चल

अपनी बोली प्यार की बोली
खाकर यही सौंध तू चल

नई बानगी नई उम्र की
लेकर नई पौध तू चल

अधकचरी सारी बातों को
पैरो के नीचे रोंध तू चल

Thursday 2 April 2009

अनेकता मे एकता :भारत के विशेष सन्दर्भ मे

अनेकता मे एकता : भारत के विशेष सन्दर्भ मे
हमारा भारत देश धर्म और दर्शन के देश के रूप मे जाना जाता है यहाँ अनेको धर्म को मानने वाले सदियों से एक साथ रह रहे हैं हमारा देश विविधतावो से भरा हुआ है यह विविधता कई स्तरों पर देखी जा सकती है भाषा ,धर्म.जाती ,खान-पान ,रहन-सहन ,रीति-रिवाज और ऐसी ही जाने कितनी विविधता है इस देश मे। भौगलिक ,सामाजिक ,आर्थिक .धार्मिक ,सांस्कृतिक और निःसंदेह वैचारिक विविधता ही इस देश की सबसे बड़ी शक्ति है इन तमाम विविधतावो के बीच जो एक सूत्र हमे एक बनता है ,वह है एक भारत देश के रूप मे हमारी साकार कल्पना .एक भारतीय के रूप मे ही हमारी सही पहचान हो सकती है यह भारत देश अपने आप मे एक विश्व है ,क्योंकि विश्व मे निहित सभी विविधतायें कुछ अपवादों को छोड़कर भारत मे मिल जाती हैं हमारे यहाँ धरती का स्वर्ग कश्मीर है तो रेतीला राजस्थान भी है सुजलाम -सुफलाम वाली बंगाल की धरती है तो सूखा कच्छ भी है नैनीताल -शिमला -हिमांचल और आसाम के ठंडे क्षेत्र हैं तो केरल और भुवनेश्वर जैसे गर्म स्थान भी मैदानी,पठारी ,पहाडी और समुद्री किनारों से लगा हुआ यह देश पूरी दुनिया मे अनूठा है इस देश की तुलना मे भौगोलिक दृष्टी से कोई दूसरा देश इस पूरी पृथ्वी पर तो नही है .प्रकृति ने भारत को इस धारा पे सब से अधिक संपन्न बनाया है शायद यही वजह रही होगी जो "हड़प्पा -मोहन्जोदडो " की प्राचीनतम संस्कृति इस देश मे ही पाई गई ,दुनिया का प्राचीनतम ग्रन्थ "ऋग्वेद " इसी धरती पर लिखा गया भाषा विज्ञानिक दृष्टि से सबसे समृद्ध संस्कृत भाषा इसी धरती पर अस्तित्व मे आई इस देश की संस्कृति ही थी जो "वसुधैव कुटुम्बकम " की बात सबसे पहले करती है यह देश रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य एक साथ देता है मनुष्य के रूप मे पैदा है लोंगो को मनुष्यता का अर्थ बताता है भौतिकता की तुलना मे आध्यात्म का महत्त्व प्रतिपादित करता है जब पूरी दुनिया अंको के गणित मे उलझी हुई थी तब यह देश शून्य की खोज करता है और सारी दुनिया के गणित को सही दिशा देता है युद्ध करके अधिकारों की लडाई लड़ने की परम्परा मे एक गाँधी इसी देश से अहिंसा की बात करता है ,सत्याग्रह करता है और बिना किसी हथियार के इस देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करता है यह भारत देश ही है जहा औरतो को सदियों से बराबरी का अधिकार दिया गया यहाँ देवी को आदिशक्ति कहा गया यह देश भारत ही है जहा ३६ करोड़ देवी देवता आज भी पूजे जाते है इस देश की मिट्टी मे दुनिया के राजतिलक की शक्ति है यह अनायास नही है की पूरी दुनिया मंदी की चपेट मे है और हमारे नैनो मे "नैनो कार " का सपना साकार हो रहा है ."२१वी सदी भारत की सदी है " दुनिया भर के विद्वान यह बात हवा मे नही कर रहे हैं यह देश सारे जहा से अच्छा था ,है और रहे गा इस देश की जड़े बहुत गहरी हैं ,हमे मिटाने की सोचने वाला ख़ुद ही मिट जाऐगा आज हमारे पड़ोसी देश की जो हालत है ,उससे यह बात आसानी से समझी जा सकती है सच कहा है किसी ने जो दूसरो के लिये खड्डा खोदता है वह उसमे ख़ुद ही गिरता है "अनेकता मे एकता एक सूत्र है जो समाज के विभिन्न समूहों मे रहने वाले लोगो तथा भौतिक व् मानसिक रूप से विभिन्न होते हुवे एक होने के ज्ञान को देने वाले तत्वज्ञान के मध्य सहयोग का निर्माण करता है " सच कहें तो यह सूत्र पूरी दुनिया को इसी भारत देश से मिला है
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है जहा लोकनायक वही बनेगा जो समन्वय की बात करेगा ,जो जोड़ने की बात केरेगा ,जो सब को साथ मे लेकर आगे बढ़ने की बात करेगा इसके विपरीत आचरण करने वाला भोली -भाली जनता को अल्प समय के लिये बरगला सकता है पर अधिक समय तक उसकी चाल कामयाब नही हो सकती भूमंडलीकरण और वैश्वीकरण के साथ -साथ बाजारीकरण की स्थितियों ने मनुष्य के संस्कार को भी बदल दिया है आत्मकेन्द्रित होता हुआ मनुष्य अवसरवादी हो गया है उसकी संवेदनायें ख़त्म होती जा रही हैं इस कारण भारत जैसे देश मे भी भाई-भतीजावाद ,लालफीताशाही ,और आचरण की पवित्रता ख़त्म होते हुवे देखी जा सकती है अपने निजी फायदे के लिये लोग हर तरह की चाल चलने के लिये तैयार रहते हैं भाषा .प्रान्त ,शिक्षा और धर्म को हथियार बनाकर लोगो की भावनावो को भड़काया जाता है और उसी पे सियासत की रोटियां सेंकी जाती है साम्प्रदायीक दंगे कराये जाते हैं सब सियासत का खेल है जो इसी देश मे खेला जाता है यह सब सिक्के का दूसरा पहलू है जिसे समझना बहुत जरूरी है .

देश की जो दूसरी तस्वीर है ,वह खतरनाक हैहसन जमाल अपने एक लेख में लिखते हैं की -जन्हा तक हिंदुस्तानियत पर फक्र करने का सवाल है ,तो बतावो में किस किस बात पर फक्र करू ? कीडो की तरह कुलबुलाती आबादी पर ?दरहम-बरहम हो चुके निजाम पर ? अपने आप को आका और जनता को गुलाम समझनेवाली सरकार पर ? जानवरों से भी बत्तर जिंदगी बिता रहे हिन्दुस्तानियों पर ? चंद लोगो की खुशहाली और करोडो की बदहाली पर ? सिविक सेंस की धज्जियाँ उडाते हर खासो आम पर ? बदतमीज ,खुदगर्ज और बेहूदा नई नस्ल पर ? हरामखोर मुलाजिमो पर ?जिमेदारियों से गाफिल समाज पर ? किस -किस पर फक्र करू ? मैने जिस वतन का ख्वाब देखा था ,वह यह नही है

हसन जमाल इस देश की जो तस्वीर पेश कर रहे हैं ,वह भी एक सच्चाई ही हैपर प्रश्न यह उठाता है की क्या सिर्फ़ यही सच्चाई है ?यह ठीक है की भारत गरीबी का MAHASAGAR है और ISMAY AMEERI के कई TAAPO UBHER आये हैंपर इन TAAPO का UPYOG भी तो भारत के ही लोग कर रहे हैं बाजारीकरण में लाख BURAIYAN हो पर इस बाजारीकरण के युग माय भारत एक MAHASHAKTI के रूप में UBHARA हैHAMAREE १०० करोड़ से भी अधिक JANSANKHYA ही हमारी ताकत बन गई हैइन सब BATO को भी हमे समझना होगासिर्फ़ AADARSH से नही हमे अपने YADHARTH से भी JUDNA होगा जो साथ चलने के लिये तैयार हो USAY साथ में LAIKAR ,जो ना CHALAY JUSAY छोड़कर और जो RASTAY के बीच MEY आये USAY TODKAR आगे BADHNA होगा

किसी के UPER सिर्फ़ ILJAAM LAGADANAY से हमारे JIMAYDAARIYAN पूरी नही होंगीहमे अपने ANDER एक आत्म ANUSHASHAN लाना होगाCHUP रहने से काम नही चलने वाला ,हमे अपने ADHIKARON के लिये LADNA होगाअन्याय ,शोषण और BHRASTACHAAR के ख़िलाफ़ AAVAJ UTHANI होगीAATANKVAAD जैसी GAMBHEER SAMASYAVO से लड़ने के लिये POOREE SAJAGTAA के SATH अपने PARIVAIESH पर नजर REKHNI होगीव्यवस्था MEY SAAMIL होकर इसे BADALNAY का काम करना होगा

एक बात यह भी SAMAJHNEE होगी की आख़िर आज HER व्यक्ति इतना आत्म केन्द्रित क्यों है ? उसका AACHARN इतना BRASHT क्यों है ? किसी SAAYAR ने ठीक ही कहा है -

आज के JAMANAY MEI IMAANDAAR VHI है

जिसे BAIMAANEE का अवसर नही मिला है