Sunday, 12 January 2025
के.एम.अग्रवाल महाविद्यालय, कल्याण(पश्चिम) - हिंदी विभाग : विश्वा अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के जनवरी 2025
Sunday, 5 January 2025
के.एम.अग्रवाल महाविद्यालय, कल्याण(पश्चिम) - हिंदी विभाग : विश्वा अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के जनवरी 2025
Thursday, 26 December 2024
सामवेदी ईसाई ब्राह्मण: एक सामाजिक और भाषिक अध्ययन"
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला (IIAS) की UGC CARE LISTED पत्रिका "हिमांजलि" के जनवरी जून अंक 29, 2024 में मेरे और डॉ मनीषा पाटिल द्वारा लिखित शोधालेख "उत्तरी कोंकण के सामवेदी ईसाई ब्राह्मण: एक सामाजिक और भाषिक अध्ययन" को प्रकाशित करने के लिए संपादक मंडल एवं संस्थान का आभार।
Thursday, 19 December 2024
Wednesday, 18 December 2024
Tuesday, 17 December 2024
ताशकंद में राज कपूर पर अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न।
ताशकंद में राज कपूर पर अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न।
मंगलवार दिनांक 17 दिसंबर 2024 को उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न हुआ। राज कपूर शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र, भारतीय दूतावास ताशकंद एवं ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज के संयुक्त तत्त्वावधान में यह परिसंवाद आयोजित किया गया। परिसंवाद का मुख्य विषय था "हिंदी सिनेमा की वैश्विक लोकप्रियता और राज कपूर" ।
परिसंवाद के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता उज़्बेकिस्तान में भारत की राजदूत आदरणीय स्मिता पंत जी ने की । ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज की रेक्टर डॉ गुलचेहरा जी ने स्वागत वक्तव्य दिया । लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र के निदेशक श्री सितेश कुमार जी ने आयोजन की भूमिका स्पष्ट की । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जाने माने फ़िल्म निर्देशक उमेश मेहरा जी उपस्थित थे। उमेश जी ने राज कपूर से जुड़े कई प्रसंगों को साझा किया। वरिष्ठ भारतविद प्रोफेसर उल्फ़त मोहिबोवा ने राज कपूर और उज़्बेकिस्तान के रिश्तों की बारीक पड़ताल की । इस अवसर पर प्रयागराज, भारत से प्रकाशित होनेवाली प्रतिष्ठित यूजीसी केयर लिस्टेड शोध पत्रिका 'अनहद लोक' के राज कपूर विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। इस परिसंवाद में प्रस्तुत सभी शोध आलेखों को इस अंक के माध्यम से प्रकाशित किया गया है। इस परिसंवाद के संयोजक के रूप में डॉ मनीष कुमार मिश्रा - विजिटिंग प्रोफेसर, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, हिंदी चेयर एवं डॉ निलोफर खोदेजेवा ने परिसंवाद की प्रस्ताविकी प्रस्तुत की । इस अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र द्वारा उर्दू की किताबें विश्वविद्यालय को प्रदान की गई। उज़्बेकिस्तान के उस्तादों को सम्मानित करने की योजना को शुरू करने की बात भारत की उज़्बेकिस्तान में राजदूत आदरणीय स्मिता पंत जी के माध्यम से की गई।
उद्घाटन सत्र के बाद पहले तकनीकी सत्र की शुरुआत हुई जिसकी अध्यक्षता स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के डॉ रिजवान और ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी के डॉ सिराजुद्दीन ने संयुक्त रूप से की । इस सत्र में कुल 11 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में अहमदजान कासिमोव, प्रोफेसर उल्फ़त मोहिबोवा, प्रवीण कुमार, मंजू रानी, डॉ नवीन कुमार, डॉ सुमेरा खालिद, डॉ कमोला रहमतजोनवा, निर्मातोव जुबैदा, शम्सीकामर तिलोवमुरादोवा और स्मततुलेवा मोतबार शामिल थीं ।
दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अवकाश जाधव ने की । इस सत्र में कुल 10 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में डॉ मनीषा पाटिल, नूतन वर्मा, श्वेता कुमारी, प्रोफेसर हेमाली संघवी, डॉ स्वाती जोशी, डॉ अनुराधा शुक्ला, डॉ उर्वशी शर्मा, डॉ लोकेश जैन, रजनी देवी और विक्रम सिंह शामिल रहे।
तीसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता व्यंकटेश्वर कॉलेज, नई दिल्ली में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर निर्मल कुमार ने की । इस सत्र में कुल 12 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में डॉ रीना सिंह, परमेश कुमार, डॉ प्रभा लोढ़ा, डॉ संतोष मोटवानी, डॉ नवल पाल, गायत्री जोशी, डॉ हर्षा त्रिवेदी, डॉ उषा आलोक दुबे, डॉ गुरमीत सिंह, प्रीती उपाध्याय, डॉ सुधा वी ग़दक, डॉ दीप्ति और डॉ बी एस हेमलता शामिल रहीं ।
चौथे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता अनहद लोक पत्रिका की संपादक डॉ मधु रानी शुक्ला ने की । इस सत्र में कुल 13 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में गरिमा जोशी, विजय पाटिल, नेहा राठी, डॉ कल्पना, डॉ प्रतिमा, डॉ वंदना पूनिया, प्रभात कुमार, प्रियंका ठाकुर, ज्योति शर्मा, डॉ आशुतोष वर्मा, प्रकाश नारायण त्रिपाठी, सोनाली शर्मा, डॉ दानिश खान, वंदना त्रिवेदी और डॉ गुलज़बीन अख्तर शामिल रहीं। ऑनलाइन सत्रों के कुशल संयोजन में परवीन कुमार ने महती भूमिका निभाई।
भोजनावकाश के बाद समापन सत्र की शुरुआत हुई। इस सत्र में परिसंवाद रिपोर्ट डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने प्रस्तुत की । डॉ निलोफर खोदेजेवा ने प्रतिभागियों के मंतव्य सुने । सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। अंत में परिसंवाद संयोजक के रूप में डॉ मनीष कुमार मिश्रा एवं डॉ निलोफर खोदेजेवा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस तरह सुखद वातावरण में यह एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न हुआ।
Saturday, 30 November 2024
हिन्दी सिनेमा की वैश्विक लोकप्रियता और राज कपूर
राज कपूर शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र, भारतीय दूतावास, ताशकंद,उज़्बेकिस्तान एवं ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान के संयुक्त तत्त्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन आगामी 17 दिसंबर 2024 को ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में किया जा रहा है।
हिन्दी, अंग्रेजी या उज़्बेकी भाषा में शोध पत्र 10 दिसंबर तक भेजे जा सकते हैं।
Wednesday, 20 November 2024
International conference on Raj Kapoor at Tashkent
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र
( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान )
एवं
ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़
( ताशकंद, उज्बेकिस्तान )
के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित
एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद
हिन्दी सिनेमा की वैश्विक लोकप्रियता और राज कपूर
(दिनांक : शनिवार , 21 दिसंबर 2024)
कार्यक्रम स्थल : ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र :
लाल बहादुर शास्त्रीय भारतीय संस्कृति केंद्र (LBSCIC), ताशकंद में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद(ICCR) का एक केंद्र है । यह केंद्र हिंदी, कथक, तबला और योग में निशुल्क नियमित कक्षाएं आयोजित करता है । केंद्र की स्थापना सन 1995 में हुई थी और सन 2005 में इसका नाम बदलकर लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र कर दिया गया । केंद्र की प्रमुख गतिविधियां इस प्रकार हैं –
हिंदी कत्थक तबला एवं योग कक्षाओं का नियमित संचालन
सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं कार्यशालाओं का आयोजन
व्याख्यान सेमिनार और प्रदर्शनियों का आयोजन
आधिकारिक सांस्कृतिक सहयोग कार्यक्रम का कार्यान्वयन
भारत, इसकी जीवन शैली और संस्कृति के बारे में जानकारी का प्रसार करना
भारत सरकार छात्रवृत्ति कार्यक्रमों का प्रशासन करना
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र और उज्बेकिस्तान के अन्य क्षेत्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता है और अन्य संस्थाओं के साथ भी सहयोग करता है । यह भारतीय फिल्मों और वृत्त चित्रों को प्रदर्शित करता है । केंद्र हर महीने के आखिरी शुक्रवार को ‘हिंदी मंच’ का आयोजन करता है जो उज़्बेकी नागरिकों को हिंदी में बातचीत करने और विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक मंच प्रदान करता है । लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र, उज़्बेकिस्तान में भारतीय सांस्कृतिक मंडलों के दौरे की व्यवस्था करता है । जिसमें ‘शार्क तरोनालारी’ जैसे स्थानीय त्योहारों में भागीदारी भी शामिल है । सांस्कृतिक केंद्र भारतीय शैक्षिक संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आईसीसीआर और भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित विभिन्न छात्रवृत्ति कार्यक्रमों का भी संचालन करता है । केंद्र में एक वाचनालय के अलावा हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू,उज़्बेकी और रूसी भाषा में पुस्तकोंवाला एक पुस्तकालय भी है ।
ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ :
तुर्केस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज की स्थापना नवंबर 1918 में ताशकंद में की गई थी। मध्य एशिया का पहला (और एकमात्र) ओरिएंटल उच्च-शिक्षा संस्थान, स्कूल ने तुर्केस्तान और पड़ोसी देशों के लिए ओरिएंटल अध्ययन की कई शाखाओं में योग्य विशेषज्ञों को तैयार करना शुरू किया। सन1918 से ही यहाँ अरबी, फ़ारसी, चीनी, पश्तू, उर्दू, तुर्की; स्थानीय भाषाएँ (उज़्बेक, ताजिक, किर्गिज़, तुर्कमेन, तातार) और यूरोपीय भाषाएँ (अंग्रेजी, जर्मन और फ्रेंच) पढ़ाई गईं। संस्थान ने स्थानीय स्कूलों के लिए भाषा और इतिहास के शिक्षक तैयार किए। 1922 तक इसमें 5,300 पुस्तकें और 200 से अधिक पांडुलिपियाँ थीं। ओरिएंटल संकाय के पहले डीन ए. वाई. श्मिट थे। जुलाई 1991 में उज़्बेकिस्तान गणराज्य के कैबिनेट मंत्रियों के संकल्प संख्या 186 के अनुसार इसे उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध किया गया था, और उच्च और माध्यमिक विशेष शिक्षा मंत्रालय द्वारा 26 जुलाई 1991 के संकल्प के आधार पर इसका नामकरण किया गया था।
प्रस्तावना :
वर्ष 2024 कद्दावर फ़िल्म अभिनेता राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष है । हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के बड़े बेटे राज कपूर का जन्म दिनांक,14 दिसम्बर 1924 को पेशावर में हुआ था। उनके बचपन का नाम रणबीर राज कपूर था। प्रारंभिक स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई, लेकिन पढ़ाई में उनकी कोई रुचि नहीं थी । परिणाम स्वरूप राज कपूर ने 10वीं कक्षा की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। सन् 1929 में जब पिता पृथ्वीराज कपूर बंबई/मुंबई आए, तो राज कपूर भी साथ आए। जब मात्र सत्रह वर्ष की आयु में रणजीत मूवीटोन में एक साधारण एप्रेंटिस का काम राज कपूर को मिला, तो उन्होंने वजन उठाने और पोंछा लगाने के काम से भी परहेज नहीं किया। पंडित केदार शर्मा के साथ काम करते हुए उन्होंने अभिनय की बारीकियों को सीखा। केदार शर्मा ने ही अपनी फ़िल्म 'नीलकमल' (1947) में मधुबाला के साथ राज कपूर को नायक के रूप में प्रस्तुत किया था।
एक बाल कलाकार के रूप में 'इंकलाब' (1935) , 'हमारी बात' (1943) और 'गौरी' (1943) फ़िल्म में छोटी भूमिकाओं में कैमर का सामना राज कपूर करने लगे थे। फ़िल्म 'वाल्मीकि' (1946) तथा 'नारद और अमरप्रेम' (1948) में आप ने कृष्ण की भूमिका निभाई । मात्र 24 वर्ष की आयु में राज कपूर ने पर्दे पर पहली प्रमुख भूमिका 'आग' (1948) नामक फ़िल्म में निभाई, जिसका निर्माण और निर्देशन भी उन्होंने स्वयं किया था। राज कपूर ने मुंबई के चेम्बूर इलाके में चार एकड़ ज़मीन लेकर सन 1950 में आर. के. स्टूडियो की स्थापना की । सन 1951 में आई फ़िल्म 'आवारा' के माध्यम से राज कपूर को एक रूमानी नायक के रूप में लोक प्रियता मिली । 'बरसात' (1949), 'श्री 420' (1955), 'जागते रहो' (1956) व 'मेरा नाम जोकर' (1970) जैसी सफल फ़िल्मों का न केवल निर्देशन व लेखन अपितु उनमें अभिनय भी राज कपूर ने ही किया।
राज कपूर को हिन्दी फ़िल्मों का पहला शोमैन माना जाता है । उनकी फ़िल्मों में आवारगी, आशिक़ी, देश प्रेम,मौज-मस्ती, प्रेम, हिंसा से लेकर अध्यात्म,मानवतावाद और नायकत्व से लेकर लगभग सब कुछ उपलब्ध रहता था । राज कपूर की फ़िल्में न केवल भारत अपितु पूरे विश्व में सिने प्रेमियों द्वारा पसंद की गई।रूस में उनकी लोकप्रियता गज़ब थी । उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में आज भी राज कपूर नाम से एक प्रसिद्ध भारतीय व्यंजनों का रेस्टोरेन्ट है । राजकपूर का मूल्यांकन एक महान् फ़िल्म संयोजक के रूप में भी किया जाता है ।उन्हें फ़िल्म की विभिन्न विधाओं की बेहतरीन समझ थी। यह उनकी फ़िल्मों के कथानक, कथा प्रवाह, गीत संगीत, फ़िल्मांकन आदि में स्पष्ट महसूस किया जा सकता है। राज कपूर को सन् 1987 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया गया था। राज कपूर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन् 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 02 जून, 1988 को राज कपूर ने अंतिम सांस ली ।
अपनी फिल्मों के माध्यम से मानवीय करुणा,विश्वास, प्रेम, मस्ती और संवेदना का सौंदर्य पूरे विश्व में बिखेरने के लिए इस महान फ़िल्म अभिनेता को विश्व सदैव याद रखेगा । वर्ष 2024 राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष है अतः उनके वैश्विक फ़िल्मी योगदान को याद करने का यह सुनहरा अवसर है । इसी बात को ध्यान में रखकर इस परिसंवाद की कल्पना की गई ।
शोध आलेख प्रस्तुत करने हेतु उप विषय :
राज कपूर : जीवन परिचय
राज कपूर : पारिवारिक पृष्ठभूमि
राज कपूर का फिल्मी सफर
राज कपूर की फिल्मों का वैचारिक धरातल
राज कपूर की वैश्विक लोकप्रियता
राज कपूर से जुड़ी प्रकाशित पुस्तकें
राज कपूर से संबंधित फ़िल्म समीक्षाएं
राज कपूर से जुड़े अकादमिक शोध कार्य
राज कपूर की फ़िल्मों में नवाचार
राज कपूर : एक फ़िल्म निर्माता,निर्देशक के रूप में
राज कपूर का फ़िल्मों से जुड़ा लेखन कार्य
फ़िल्म समन्वयक के रूप में राज कपूर की छवि
राज कपूर की फ़िल्मों का संगीत
राज कपूर की फ़िल्मों के माध्यम से हिन्दी का प्रचार-प्रसार
राज कपूर से जुड़ी फ़िल्म डाकूमेंट्री
राज कपूर का पारिवारिक जीवन
राज कपूर और उज़्बेकिस्तान
राज कपूर और नेहरूवादी समाजवाद
राज कपूर का फिल्मी चरित्र अभिनय
चार्ली चैप्लिन और राज कपूर
हिन्दी फिल्में और राज कपूर : महत्त्व एवं प्रासंगिकता
राज कपूर : हिन्दी सिनेमा के शो मैन
फ़िल्म डबिंग और राज कपूर की फिल्में
( उपर्युक्त विषयों के अतिरिक्त भी आप राज कपूर से जुड़े किसी विषय पर संयोजक की पूर्व अनुमति से शोध आलेख प्रस्तुत कर सकते हैं । )
शोध आलेख कैसे भेजें :
शोध आलेख हिन्दी/अँग्रेजी/उज़्बेकी भाषा में स्वीकार किए जाएंगे
शोध आलेख कम से कम 1500 शब्दों और अधिकतम 4000 शब्दों में लिखा हो
शोध आलेख पूर्व में कहीं प्रकाशित या प्रस्तुत न हो
शोध आलेख मौलिक और सुव्यवस्थित हो
हिन्दी शोध आलेख यूनिकोड मंगल में 12 फॉन्ट साइज़ में A4 साइज़ पृष्ठ के एक तरफ टंकित हो
अँग्रेजी के आलेख टाइम्स रोमन में 12 फॉन्ट साइज़ में A4 साइज़ पृष्ठ के एक तरफ टंकित हों
उज़्बेकी में लिखे आलेख 12 फॉन्ट साइज़ में A4 साइज़ पृष्ठ के एक तरफ टंकित हों
शोध आलेख ईमेल में attached word file के रूप में ही भेजें
शोध आलेख के अंत में संदर्भ सूची अवश्य दें
शोध आलेख के प्रारंभ में शोध आलेख का शीर्षक और अंत में अपना नाम, पद, संस्था का नाम, ईमेल और मोबाइल नंबर अवश्य लिखें
शोध आलेख भेजने की अंतिम तिथि 10 दिसंबर 2024 है
शोध आलेख manishmuntazir@gmail.com पर प्रेषित करें
परिसंवाद में सहभागिता :
इस परिसंवाद में सहभागी होने के लिए आप को किसी तरह का पंजीकरण शुल्क नहीं देना होगा
चुने हुए आलेखों को लाल बहादुर शास्त्रीय भारतीय संस्कृति केंद्र (LBSCIC), ताशकंद द्वारा ISBN / ISSN के साथ पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा
यात्रा और आवास से संबंधित सारी व्यवस्था प्रतिभागी को स्वयं व्यक्तिगत खर्च पर करनी होगी ।
परिसंवाद का प्रारूप :
शनिवार, दिनांक 21-12-2024
सुबह : 9.00 से 10.00 - पंजीकरण और जलपान
सुबह : 10.00 से 11.00 - उद्घाटन सत्र
सुबह : 11.00 से दोपहर 12.30 - प्रथम चर्चा सत्र
दोपहर 12.30 से 2.00 - द्वितीय चर्चा सत्र
दोपहर 2.00 से 3.00 - भोजनावकाश
दोपहर 3.00 से सायं 4.30 - तृतीय चर्चा सत्र
सायं 4.30 से 5.00 - समापन सत्र / प्रमाणपत्र वितरण
परिसंवाद संयोजक
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
विजिटिंग प्रोफ़ेसर
ICCR हिन्दी चेयर
ताशकंद राजकीय प्राच्य विश्वविद्यालय
ताशकंद, उज्बेकिस्तान
मोबाइल – +91-809010900
+998-503022454
डॉ. नीलूफ़र खोजाएवा
अध्यक्ष
दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशियाई भाषा विभाग
ताशकंद राजकीय प्राच्य विश्वविद्यालय
ताशकंद, उज़्बेकिस्तान
मोबाइल –
+998-946442799
महाकुंभ
महाकुंभ लाखों करोड़ों की आस्था का सैलाब होता है कुंभ सनातन संस्कृति का तेजस्वी भाल होता है कुंभ। जो पहुंच पाया प्रयागराज वो आखंड तृप्त हु...
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