================================
.
चाह के भी न कह सका प्यार मै ,
तेरी आखों ने रोक लिया कैसे करता इजहार मै ;
बाहें मचल रही थी तुझे बाँहों में भरने को ,
तेरी हया को करता कैसे यूँ ही पार मै /
================================
================================
.
चाह के भी न कह सका प्यार मै ,
तेरी आखों ने रोक लिया कैसे करता इजहार मै ;
बाहें मचल रही थी तुझे बाँहों में भरने को ,
तेरी हया को करता कैसे यूँ ही पार मै /
================================
सोच सोच के सोच रहा था ,
क्या मै सोचूं सोच रहा था ;
.
सोच न पाया सोचूं कैसे ,
सोच सोच के सोचूं कैसे ;
सोच सोच किस सोच को सोचूं ,
क्या मै सोचूं कैसे सोचूं ;
.
सोच सोच के सोच रहा था ,
सोच है क्या मै सोच रहा था ;
.
सोच को सोचा सोचा सोच ,
सोच न पाया सोचा सोच ;
सोचा सोच न समझा सोच ,
सोच की उलझन में उलझा सोच ,
.
सोच सोच के सोच रहा था ,
क्या है ये सोच सोच रहा था ;
.
सोच सोच के सोच रहा था ,
कैसे मै सोचूं सोच रहा था /
बुलाये रखा , उलझाये रखा ,
मेरे दिल के जख्मों को सलीके से ताज़ा बनाये रखा ;
मुस्कराया भी मुझको हँसाया भी ,
पर मेरे भावों को तुने पराया रखा ,मुझको सताए रखा ;
मरहम लगता हर बार तू एक नए अंदाज से ,
पर रिसते घावों में कांटा चुभाये रखा ;
फूलों की खुसबू को मेरे पास बनाये रखा ;
बड़ी खूबसूरती से तुने मुझे अपनी जिंदगी के किनारे लगाये रखा ;
मेरे ओठों पे अपना नाम बनाये रखा ;
मेरी आखों को नम बनाये रखा /