Sunday 29 March 2009

JUST TO SAY HI

DEAR FRIENDS,
I AM JAI PANDEY WORKING AS A MECHANICAL ENGINEER IN MUMBAI. FROM TODAY ONWARDS YOU CAN READ MY ARTICLES RELATED TO MINERAL PROCCESING,TEHNOLOGY AND INDUSTRIAL ETP.

WITH HOPE THAT YOU WILL LIKE IT.

Saturday 28 March 2009

दिन करीब चुनाव के आने लगे हैं ------------

जोड़ कर हाँथ वे लुभाने लगे हैं


दिन चुनाव के करीब आने लगे हैं


गली के गुंडों को टिकट मिल गया है


तहजीब मे अब वे बतियाने लगे हैं




पार्टी का जो भी रूठा था अपना


उसको नेता बडे सब मनाने लगे हैं




अनुबंधों मे गठबंधन का


नेता लुफ्त उठाने लगे हैं




सियासत है यंहा कुछ पक्का नही


एक-दूजे के घर मे लोग झाकने लगे हैं




इसके पीछे भी साजिस है गहरी


जो मुफ्त मे वो पीने-पिलाने लगे हैं

Friday 27 March 2009

दिनकर की मृत्यु चन्द्रास्वामी की गोंद मे .........

अगर बाल कवि बैरागी की बात को सच मान लिया जाय तो यह भी मानना पड़ेगा की महाकवि दिनकर की मृत्यु चंद्रास्वामी की गोंद मे हुआ था ।
बैरागी जी बताते हैं कि सुन ७४ मे एक दिन दिनकर जी ने अचानक कहा कि वे तिरुपति जा रहे हैं । श्री गोपाल प्रसाद व्यास ने कारण पूछा तो वे बोले -यह देश जीने लायक नही रहा ,मैं मरने जा रहा हूँ ।
और रामनाथ जी गोयनका के गेस्ट हाउस मे चंद्रास्वामी की गोंद मे उन्होने अपने प्राण त्याग दिये । हिन्दी का दिनकर दक्षिण मे अस्त हो गया । सत्ता अगर सम्मान देती है तो , अपमानित भी करती है । इस बारे मे जादा नही कहना चाहता पर दिनकर की राजनितिक स्थितयों को जानने वाले मेरा मतलब समझ जाएँगे ।

Tuesday 24 March 2009

नैनो के फायदे और नुक्सान

टाटा मोटर्स का ६ साल पुराना सपना साकार हो गया और नैनो कार बाजार मे आ गई । अब सवाल यह उठता है की इसके फायदे और नुक्सान क्या -क्या हैं ?


अगर बात फायदे की करे तो कहा जा सकता है की -




  1. देश के मध्यम वर्ग का कार मे घूमने का सपना नैनो कार की वजह से पुरा हो गया । साथ ही साथ आम आदमी तक कार पहुँच सकी .isksathikइ

  2. दूसरी बात यह की इससे रोजगार के नए अवसर भी देश मे लोंगो को मिलेंगे ।

अब अगर दूसरी दृष्टी से सोचा जाये तो टाटा की नैनो को प्राथमिकता का निर्णय ग़लत भी लगता है । एक ऐसे समय मे जब पूरी दुनिया मे मंदी छाई हुई है तो देश के मध्यम वर्ग को कार देना कौन सा सार्थक निर्णय है ?

दूसरी बात हमारी ऊर्जा संकट की है । पेट्रोलियम पदार्थों की कमी की है । बुनियादी सुविधावों के आभाव की है । इन सब को भूल कर नैनो का स्वागत करना इतना आसन नही है ।

वैसे आप इस बारे मे क्या सोचते हैं ?


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Sunday 22 March 2009

आज से साहित्य का महा-कुम्भ द्वारका(गुजरात) मे -------

हिन्दी साहित्य समेलन प्रयाग का ६१ वां अधिवेशन और परिसंवाद आज २२ मार्च से गुजरात के द्वारका मे सुरु हो रहा है । यह सम्मलेन २४ मार्च २००९ तक चलेगा । देश भर से करीब ५०० से अधिक हिन्दी साहित्यकारों और विद्वानों के इस सम्मलेन मे सामिल होने की सम्भावना है ।

कार्यक्रम पुस्तकालय टाऊन हाल ,हरी प्रेम मार्ग ,द्वारका मे होगा । अधिक जानकारी के लिये शैलेस भाई नरेन्द्र भाई ठाकर से ०९४२८३१५४०३ इस मोबाइल पे संपर्क किया जा सकता है ।

Friday 20 March 2009

आतंकवाद के ख़िलाफ़ हिन्दी गीतों की सुरांजलि -आलोक भट्टाचार्य

अगर आप 26-3-2009 की शाम मुंबई मे हैं और अपनी शाम को यादगार बनाना चाहते हैं तो आप शाम ५.३० बजे मानिक सभागृह हाल ,लीलावती हॉस्पिटल के सामने,बान्द्रा पूर्व मे आना होगा ।
यंहा हिन्दी गीतों की एक सी.डी का लोकार्पण नूरजंहा के हांथो होगा । इन गीतों को लिखने का काम श्री आलोक भट्टाचार्य ने किया है । गीतों को अपनी आवाज से सवार हाय -सुरेश वाडेकर.साधना सरगम,मोहमद अजीज़ और जावेद अली ने ।
इस अवसर पे कई जाने-माने लोग भी उपस्थित रहेंगे । आप का भी स्वागत है इस साहित्यिक और संगीतमय आयोजन मे ।

Thursday 19 March 2009

अपनी राह बनाने को ---------------

अपनी राह बनाने को
मैं तो अकेला चल निकला
मंजिल का कहना मुस्किल है ,
पर साथ है मेरे राह प्रिये ।


आयेंगे जितने भी सब का
द्वार पे मेरे स्वागत होगा
जाना जो भी चाहेगा,
हर वक्त है वो आजाद प्रिये ।



इतनी अगर सजा दी है
तो फ़िर थोड़ा प्यार भी दो
आँचल की थोड़ी हवा सही ,
या बाँहों का हार प्रिये ।


तेरे-मरे रिश्ते जितना
उम्मीद से मेरा रिश्ता है ।
कितनी लम्बी प्यास है मेरी ,
पनघट बन तू देख प्रिये ।

भावों का यह वंदन पूजन --------

अनुग्रह की अभिलाषा यह
तुमको देव बनाती है
भावों का यह वंदन पूजन
कर लेना स्वीकार प्रिये


मेरी सारी इच्छायें
तुमसे ही तो जुड़ती हैं
फ़िर क्यों और किसी ठाकुर के
द्वार का घंट बजाऊँ प्रिये

जीत -जीत कर जीवन मे
चाहे जो भी हासिल कर लो
पर प्यार जीतने के खातिर
हार यंहा अनिवार्य प्रिये

खो कर ही सबकुछ
प्यार को पाना होता है
इसीलिये तो कहता हूँ
प्यार को मैं सन्यास प्रिये

मीठी -मीठी तेरी बोली

मीठी -मीठी तेरी बोली
मन को मोहित करती है
अंदर ही अंदर मै हर्षित
करके तुझको याद प्रिये


उषा की लाली मे ही
नया सवेरा खिलता है
तिमिर भरी हर रात के आगे
रश्मिरथी उपहार प्रिये


पहले कितना शर्माती थी
अब तुम कितना कहती हो
मुझसे मिलकर खिलती हो
लगती हो जैसे परी प्रिये


मरे अंदर जितना तुम हो
उतना हे मैं तेरे अंदर
हम दोनों मे मैं से जादा
भरा है हम का भाव प्रिये

Wednesday 18 March 2009

मै न रहूँगा सच है लेकिन --------

दे कर प्रेम ताल पे ताल
मस्ती भरी चलू मैं चाल
नव पर नव की अभिलाषा
मन मे मेरे भरी प्रिये


मैं न रहूँगा सच है लेकिन
रहेगी मेरी अभिलाषा
एक ह्रदय की दूजे ह्रदय से
यह करेगी सारी बात प्रिये


जो हम चाहें वो मिल जाये
ऐसा अक्सर कब होता
जो है उसमे खुश रहना
खुशियों की सौगात प्रिये


मंजिल की चाहत मे हम
लुफ्त सफ़र का खोते हैं
है जिसमे सच्चा आनंद
उसी को खोते रहे प्रिये

तकलीफों से डर के हम
नशे मे डूबा करते हैं
बद को बदतर ख़ुद करते
फ़िर किस्मत कोसा करें प्रिये

प्रेम भरे मन की अभिलाषा
मधुशाला मे ना पुरा होती
प्रेम को पूरा करता है ,
जग मे केवल प्रेम प्रिये

मदिरालय मे जानेवाला
कायर पथिक है जीवन का
जो संघर्षो को गले लगाये
कदमो मे उसके जग है प्रिये

जिसके जीवन मे केवल
पैमाना-शाकी -बाला है
जीवन पथ पे उसके गले मे
सदीव हार की माला प्रिये

Tuesday 17 March 2009

मेरी अन्तिम साँस की बेला

मेरी अन्तिम साँस की बेला
मत देना तुलसी गंगाजल
अपने ओठों का एक चुम्बन
ओठों पे देना मेरे प्रिये


इससे पावन जग मे सारे
वस्तु नही दूजी कोई
इसमे प्रेम की अभिलाषा
और उसी का यग्य प्रिये


मेरी अन्तिम शव यात्रा मे
राम नाम तुम सत्य ना कहना
प्रेम को कहना अन्तिम सच
प्रेमी कहना मुझे प्रिये


चिता सजी हो जब मेरी तो
मरघट पे तुम भी आना
आख़िर मेरे प्रिय स्वजनों मे
तुमसे बढ़कर कौन प्रिये ?

श्राद्ध मेरा तुम यूँ करना
जैसे उत्सव या त्यौहार
पर्व अगर जीवन है तो
महापर्व है मृत्यु प्रिये

इंतजार हो मौसम का
इतना धैर्य नही मुझमे
हम जैसो के खातिर ही
होती बेमौसम बरसात प्रिये

मेरा अर्पण और समर्पण
सब कुछ तेरे नाम प्रिये
स्वास-स्वास तेरी अभिलाषा
तू जीवन की प्राण प्रिये