Showing posts with label hindi kavita. Show all posts
Showing posts with label hindi kavita. Show all posts

Tuesday 17 August 2010

दर्द सिमट गया पल भर को

दर्द सिमट गया पल भर को
मन बहल गया पल भर को
क्या मजा बिन गम तेरे
मै भटक गया पल भर को





Saturday 31 July 2010

इम्तहान लेती रही जिंदगी मेरी

इम्तहान लेती रही जिंदगी मेरी
यूँ ही चलती रही जिदगी मेरी
कमियाँ तलाशते रहे लोग अपने
असफलताएं सजाती रही मेरी जिंदगी

व्यवहार बदलता रहा हर मोड़ पे लोंगों का
मेरी मुसीबतों पे मुस्कराती  रही मेरी जिंदगी
हर ठोकर के बाद लंगडाती रही मेरी जिंदगी
अपनो को यूँ  सुकूँ  पहुंचाती रही मेरी जिंदगी

कोई मरहम लगता नमक का कोई तिरस्कार की बातें
कोई अहसान की दवा देता कोई दया की बातें
कोई मुस्कराता हर तकलीफ पे कोई खिलखिलाता हर चोट पे
ऐसे  कितनो को सुख पहुंचाती रही मेरी जिंदगी  

Thursday 29 July 2010

बेवफा सनम मेरा

बेवफा सनम मेरा
झूठ है फितरत
सच ना कह सका कभी
मेरी सच्चाई से है उसे नफरत

बेवफा सनम मेरा

अपने रिश्तों की बानगी
क्या कहे बदलती उसके दिल की रवानगी
झूठ का बड़ता उसका अंबार है
झूठे प्यार का उसका व्यापार है

बेवफा सनम मेरा

गलती नहीं उसकी कोई
बदलती कहाँ आदत कोई
गोपनीयता का वो सरताज है
बेवफाई पे ही उसका संसार है

बेवफा सनम मेरा

Friday 16 July 2010

अकेलापन और रिश्ता

अकेलापन और हो तन्हाई                            
किसी कि याद भी आई
न ये मोहब्बत न  अपनेपन  कि निशानी है
ये बस खाली लम्हों  की  कहानी है

न काम से हो फुरसत खुशियाँ हो और हो रौनक
सोचो किसी को तुम याद आये कोई  हरपल 
ये है अपनापन है  इस रिश्ते में तेरा मन
इसमे मोहब्बत है  और इस रिश्ते को है नमन /






                                                                      

Thursday 15 July 2010

मोहब्बत जवानी

हंसती कली
महकती फली
बरसती बुँदे
सुलगती यादें

गरजती लिप्सा
दहकती  आशा
बदलती सीमायें
बहकती निष्ठाएं

प्यार या पिपासा
रिश्ते औ निराशा
अधीर कामनाएं
लरजती वासनाएँ


उलझा  भाव
अधुरा लगाव
चंचल मन 
प्यासा तन 

सामाजिक सरोकार 
रोकता संस्कार 
 मंजिल व गंतव्य 
झूलता मंतव्य 

बड़ती चेष्टाए 
ढहती मान्यताएं 
लगन दीवानी 
मोहब्बत जवानी 


काम प्रबल 
भावों में बल 
टूटता  बंधन 
आल्हादित आलिंगन 

Tuesday 13 July 2010

फ़ैली है आग हार तरफ धधक रहा शहर

फ़ैली है आग हार तरफ धधक रहा शहर
गलती है ये किसकी चल रही बहस
नेता पत्रकार टी.वी वालों का हुजूम है
जानो कि परवा किसे  दोषारोपण का दौर है

चीख रहे हैं लोग अरफा तरफी है हर तरफ
कहीं तड़प   रहा बुडापा कहीं कहरता हुआ बचपन
चित्कारती आवाजें झुलसते हुए बदन 
किसपे  लादे दोष ये चल रहा मंथन

बह रही हवा अपने पूरे शान से
अग्नि देवता हैं अपनी आन पे
लोंगों कि तू तू मै मै है या मधुमख्खिओं का शोर है
हो रहा न फैसला ये किसका दोष है

कलेजे से चिपकाये अपने लाल को
चीख रही है माँ उसकी जान को
जलते हुए मकाँ में कितने ही लोग हैं
कोशिशे अथाह पर दावानल तेज है
धूँये से भरा पूरा आकाश है
पूरा प्रशासन व्यस्त कि इसमे किसका हाथ है

आया किसी को होश कि लोग जल रहे
तब जुटे सभी ये आग तो बुझे
आग तो बुझी हर तरफ लाशों का ढेर है
पर अभी तक हो सका है ना फैसला इसमे किसका दोष है

हाय इन्सान कि फितरत या हमारा कसूर है
हर कुर्सी पे है वो जों कामचोर हैं
बिठाया वहां हमने जिन्हें  बड़े धूम धाम से
वो लूट रहे हैं जान बड़े आन बान से




Monday 5 July 2010

मिला बड़े शौक से किसी से,


बड़ा रुलाया तेरी बातों ने रह रह कर ,
सब कुछ कहा तुने मोहब्बत ना कह कर ;
.
मिला बड़े शौक से किसी से, किसी से बढ -चढ़ कर ;
लगा किसी के गले ,मिला किसी से दौड़ कर ;
किसी को देख मुस्काया,खिलखिलाया किसी से मिलकर ;
बैठा किसी के पास रुक कर , सुना किसी की बात दिल भर कर ;
.
सुना किसी के भाव भी,
देखा किसी की आखों में चाह भी ;
इनायत कर दी किसी पे मिलकर,
शिकायत भी सुन ली किसी की छुप कर ;
कहा किसी से बात दिल की ,
सुना किसी की बात मन की ;
.
सबसे मुलाकात कर ली ,
मन की चाह कर ली ;
जिनको न परवाह थी खुशिओं की ;
उनका भी साथ कर ली ;
.
खुशियाँ तेरी इसी में थी शायद ,
शायद तेरा यही ठौर था ,
न मुझसे मिलने की चाह की ,
शायद मै अकेला गैर था /
.
तरसता रहा मै पल- पल ,
जलता रहा मै हर पल ,
सोया नहीं हूँ अब भी ,
तड़पता रहा मै हर पल /
.
मेरे भावों से उसे क्या ,
मेरी राहों से किसे क्या ,
जब तू ही नहीं हुयी तेरी ,
गैरों की चाहत का मुझे क्या /
.