Wednesday 25 August 2010

गम को गम दिया तुने ख्वाबों को भी ख्वाब
सहमति-तरसती  जिंदगी क्या कम थी जों  सोचों को दिया दुर्भाव

सपनों में हंस लेते थे पहले सोचों में जी लेते थे
प्यार ऐसा परवान चढ़ाया तुने विछीप्त हुआ हर भाव

जख्म दिए तूने सीने में अहसासों को भी घाव 
सांसों  को तरसाया तूने हर लम्हा किया दुस्वार

गम को गम दिया तुने ख्वाबों को भी ख्वाब
जख्म दिए तूने सीने में अहसासों को भी घाव




No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..