Friday 16 April 2010

वो वाकयात /

स्कूल जाते हुए मेड़ों पे चुंटों का झुण्ड ,
पहली में था डर के रुक गए कदम ;
बड़े भाई जों ३ साल बड़ा था ने हाथ बढाया और मुस्कराया ,
मैंने हाथ पकड़ा और चुंटों को डांक स्कूल की तरफ कदम बढाया ;
आज उम्र के इस मोड़ पे वो मोड़ बहुत याद आया /
बड़ा याद आया भाई का वो बड़ा हुआ हाथ /
.
५ में   था और मैदान पे क्रिकेट का खेल ;
टिका हुआ था पिच पे सूर्यास्त तक का था मेल ,
जिद लगी हुई थी आउट नहीं होना है ;
सारे साथी एक तरफ मै पिच पे डटा पिछले एक घंटे से था ;
बड़ा भाई १० साल बड़ा आया और हाथ में गेंद ले मुस्कराया ;
अगली २ गेंदों की तेजी से मै बीट हुआ मै डर और गुस्से से तिलमिलाया ;
भाई नजदीक आया और मुस्कराया ,
ना डरो खुद पे विश्वास करो ;जितने की जिद धरो ;
मै डटा रहा बिना आउट हुए ;
बड़ा भाई ने मुस्करा के पीठ थपथपाया ,
जिंदगी के इस मोड़ पे बड़ा याद आया भाई का वो विश्वास / 
बड़ा याद आया मेरी पीठ पे वो हाथ /
  

 

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