Sunday 18 April 2010

रश्मे मोहब्बत में इश्क की खुदायी की ,

रश्मे मोहब्बत में तेरे इश्क की खुदायी की ,
जश्ने जजबात में तेरे प्यार की रहनुमायी की ;
बड़े रश्क से निकले आंसू मेरी निगाहों से ,
क्या खूब महफ़िल जमाई तुने बेवफाई की /
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हुश्ने बहार से क्या मैंने आशिकायी की ;
तुझे दिया जिगर तुने ही आतितायी की ;
तमन्नाओं ने भी खो दी अपनी हसरते ,
क्या हंसी मेहंदी लगायी तुने दिल पे जफावों की / 


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