Tuesday 18 September 2012

MEANING OF HUMAN TRAFFICKING


                
1-      Human trafficking is the illegal trade in human beings for the purposes of commercial sexual exploitation or forced labor: a modern-day...
en.wikipedia.org/wiki/Human_trafficking
2-      Human Trafficking
Article 3, paragraph (a) of the Protocol to Prevent, Suppress and Punish Trafficking in Persons defines Trafficking in Persons as the recruitment, transportation, transfer, harbouring or receipt of persons, by means of the threat or use of force or other forms of coercion, of abduction, of fraud, of deception, of the abuse of power or of a position of vulnerability or of the giving or receiving of payments or benefits to achieve the consent of a person having control over another person, for the purpose of exploitation. Exploitation shall include, at a minimum, the exploitation of the prostitution of others or other forms of sexual exploitation, forced labour or services, slavery or practices similar to slavery, servitude or the removal of organs
Human Trafficking is a crime against humanity. It involves an act of recruiting, transporting, transfering, harbouring or receiving a person through a use of force, coercion or other means, for the purpose of exploiting them. Every year, thousands of men, women and children fall into the hands of traffickers, in their own countries and abroad. Every country in the world is affected by trafficking, whether as a country of origin, transit or destination for victims. UNODC, as guardian of the United Nations Convention against Transnational Organized Crime (UNTOC) and the Protocols thereto, assists States in their efforts to implement the  Protocol to Prevent, Suppress and Punish Trafficking in Persons (Trafficking in Persons Protocol)./ http://www.unodc.org/unodc/en/human-trafficking/what-is-human-trafficking.html/ UNITED NATIONS OFFICE ON DRUGS AND CRIME

3-      Human trafficking -- the sale, transport and profit from human beings who are forced to work for others -- is the modern equivalent of slavery. Against their will, millions of people around the world are forced to work for the profit of others, for example by begging, prostitution, involuntary servitude, working in sweatshops - even becoming child soldiers./ http://www.urbanministry.org/wiki/human-trafficking-definition-prevalence-and-causes

4-      the business of helping people to enter a country illegally and forcing them to work there for very little money because they have no rights / http://www.macmillandictionary.com/dictionary/british/human-trafficking

5-      Human trafficking is the fuel that keeps prostitution on the road as evidenced by the fact that 97% of the 1,000 women involved in indoor prostitution are migrants and that 90% of potential human trafficking victims are being investigated on the basis of sexual exploitation, some involving minors./ http://medical-dictionary.thefreedictionary.com/Human+Trafficking

6-      Vancouver lawyer Christine Duhaime writes, in Anti-Money Laundering Law in Canada: http://www.duhaime.org/LegalDictionary/H/HumanTrafficking.aspx

"Human trafficking is a modern form of slavery, defined as any act that involves the transport, harbouring, or sale of persons through coercion, force, kidnapping, deception or fraud, for the purposes of placing them in a situation of forced prostitution, domestic servitude, debt bondage or other slavery-like practice. Human trafficking can be local, national or international – a person may be trafficked from a small town to a large city within the same country, or trafficked to another country.

"All human trafficking activities involve money laundering. The proceeds collected from the criminal activity are transformed by criminals into apparently legitimate money or other assets. Traffickers tend to use the proceeds of their criminal activities to invest in cash intensive businesses, such as nightclubs or strip bars, and later, in real estate. To avoid detection, they tend to wire funds through money services businesses and send money across the border using international courier services....

"[H]uman trafficking is the second largest illicit business in the world, after drug trafficking, generating as much as US$40 million annually in proceeds of crime that are laundered through the legitimate financial system. Until recently, money laundering activities have not been used frequently enough to flush out human trafficking by law enforcement agencies but that is slowly changing as reliable money laundering and human trafficking typologies are developed."




इन रास्तों का अकेलापन


इन बर्फीली सर्द वादियों में
आज अकेले खामोश से रस्तों पे
बहुत दूर तक चलता रहा ।

इन रास्तों का अकेलापन
बिलकुल मेरे अकेलेपन जैसा है
धुंधलके और इंतजार से भरा हुआ ।

बर्फ बेबसी की है
धुंधलका अनिश्चितता का
और रास्ता सिर्फ उम्मीद का ।

मैं और ये रास्ते
किसी के इंतजार में है
हमें किसी का इंतजार है ।

Monday 17 September 2012

एक सौगात

इन पहाड़ों की सर्द हवाओं ने
सिमटने को मजबूर कर दिया है
ऊनी गर्म कपड़ों के बीच .

फिर भी इनमे वो गर्माहट कहाँ
 जो तेरी साँसों की छुअन
 तेरी बातों की चुभन
और उस चुंबन में थी
जिसे  तुमने कहा था
तुम्हारी याद के लिए
कभी न भूलने वाली
एक सौगात .

Sunday 16 September 2012

मैं और हिंदी दिवस

मित्रों हिंदी दिवस मेरे लिए हमेशा ही यादगार और महत्वपूर्ण रहा है । कई यादें इसके साथ जुड़ी हुई हैं । इस बार हिंदी दिवस के अवसर पे भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र शिमला ( IIAS) में असोसिएट प्रोग्राम के तहत एक महीने के लिए आया हुआ हूँ । यह मेरे लिए बड़े गर्व की बात है कि संस्थान के राजभाषा सचिव श्री मस्के जी ने मुझे 14 सितंबर हिंदी दिवस के दिन आयोजित समारोह का मुख्य वक्ता बनाया । पूरे एसिया में अपने तरह का यह अकेला संस्थान है जो अनुसंधान और उच्च अध्ययन में अपने कार्यों के लिए ऑक्सफोर्ड के समकक्ष माना जाता है ।
 मुझे अच्छी तरह याद है कि 13 सितंबर के दिन ही मैंने अग्रवाल महाविद्यालय में हिंदी व्याख्याता के लिए साक्षात्कार दिया था और 14 सितंबर अर्थात हिंदी दिवस के दिन से ही हिंदी प्राध्यापक के रूप में अग्रवाल महाविद्यालय मे मेरी नियुक्ति हुई थी ।
हिंदी दिवस हिंदी वालों के लिए हमेशा ही खास रहता है , लेकिन मेरे  लिए यह जीवन के अविस्मरणीय क्षणों में से एक रहा है । मैंने इस अवसर पे अपनी एक कविता भी संस्थान् के लोगों को सुनाई ।
          हिंदी दिवस  
       मनाने  का भाव  
       अपनी जड़ों को सीचने का भाव है .   
       राष्ट्र भाव से जुड़ने का भाव है .  
       भाव भाषा को अपनाने का भाव है .  
      हिंदी दिवस 
      एकता , अखंडता और समप्रभुता का भाव है .  
      उदारता , विनम्रता और सहजता का भाव है .  
      समर्पण,त्याग और विश्वास  का भाव है . 
      ज्ञान , प्रज्ञा और बोध का भाव है .  
     हिंदी दिवस
 अपनी समग्रता में 
     खुसरो ,जायसी का खुमार है . 
     तुलसी का लोकमंगल है  
     सूर का वात्सल्य और मीरा का प्यार है .   
     हिंदी दिवस 
     कबीर का सन्देश है  
     बिहारी का चमत्कार है  
     घनानंद की पीर है 
     पंत की प्रकृति सुषमा और महादेवी की आँखों का नीर है .  

    हिंदी दिवस 
   निराला की ओजस्विता  
   जयशंकर की ऐतिहासिकता   
   प्रेमचंद का यथार्थोन्मुख आदर्शवाद   
   दिनकर की विरासत और धूमिल का दर्द है .  

  हिंदी दिवस 
  विमर्शों का क्रांति स्थल है  
  वाद-विवाद और संवाद का अनुप्राण है  
  यह परंपराओं की खोज है  
  जड़ताओं से नहीं , जड़ों से जुड़ने का प्रश्न है . 
हिदी दिवस  
इस देश की उत्सव धर्मिता है  
संस्कारों की आकाश धर्मिता है 
अपनी संपूर्णता  में, 
यह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता है .  

   

ऐसे संस्थान द्वारा मुख्य वक्ता बनाया जाना निश्चित तौर पे मेरे लिए एक भावुक क्षण रहा । यह दिन मैं हमेशा याद रखूँगा । 

Friday 14 September 2012

हिन्दी दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है


 हिन्दी दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। हिन्दी, विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और अपने आप में एक समर्थ भाषा है। प्रकृति से यह उदार ग्रहणशील, सहिष्णु और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है। इस दिन विभिन्न शासकीय - अशासकीय कार्यालयों, शिक्षा संस्थाओं आदि में विविध गोष्ठियों, सम्मेलनों, प्रतियोगिताओं तथा अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी । इसी महत्त्वपूर्ण निर्णय के महत्त्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी - दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में 13 सितम्बर, 1949 के दिन बहस में भाग लेते हुए तीन प्रमुख बातें कही थीं --

किसी विदेशी भाषा से कोई राष्ट्र महान नहीं हो सकता।
कोई भी विदेशी भाषा आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती।
भारत के हित में, भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसे आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, हमें हिन्दी को अपनाना चाहिए।यह बहस 12 सितम्बर, 1949 को 4 बजे दोपहर में शुरू हुई और 14 सितंबर, 1949 के दिन समाप्त हुई। 14 सितम्बर, की शाम बहस के समापन के बाद भाषा संबंधी संविधान का तत्कालीन भाग 14 क और वर्तमान भाग 17, संविधान का भाग बन गया। संविधान - सभा की भाषा - विषयक बहस लगभग 278 पृष्ठों में मुद्रित हुई । इसमें डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और श्री गोपाल स्वामी आयंगार की महती भूमिका रही। बहस के बाद यह सहमति बनी कि संघ की भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी, किंतु देवनागरी में लिखे जाने वाले अंकों तथा अंग्रेज़ी को 15 वर्ष या उससे अधिक अवधि तक प्रयोग करने के लिए तीखी बहस हुई। अन्तत: आयंगर - मुंशी फ़ार्मूला भारी बहुमत से स्वीकार हुआ। वास्तव में अंकों को छोड़कर संघ की राजभाषा के प्रश्न पर अधिकतर सदस्य सहमत हो गए। अंकों के बारे में भी यह स्पष्ट था कि अंतर्राष्ट्रीय अंक भारतीय अंकों का ही एक नया संस्करण है। कुछ सदस्यों ने रोमन लिपि के पक्ष में प्रस्ताव रखा, लेकिन देवनागरी को ही अधिकतर सदस्यों ने स्वीकार किया। स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर काफ़ी विचार - विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में इस प्रकार वर्णित है :-- संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
स्वतंत्रता संग्राम के समय तो हिंदी का प्रयोग अपने चरम पर था। भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, हरिशंकर परसाई, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन,सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे लेखकों और कवियों ने अपने शब्दों से जन मानस के ह्रदय में स्वतंत्रता की अलख जलाकर इस संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महात्मा गांधीजी के स्वदेशी आन्दोलन में तो अंग्रेजी भाषा का पूर्ण रूप से त्याग कर हिंदी भाषा को अपनाया गया।

हिंदी  भाषा का स्वरुप ही अलग है, यह भाषा अत्यंत मीठी और खुले प्रकृति की भाषा है। हिंदी अपने अन्दर हर भाषा को अन्तर्निहित कर लेती है और अपने इसी गुण के कारण ही वर्तमान में विश्व की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। यह भाषा केवल एक देश तक सीमित नही है, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, सिंगापुर जैसे कई देशों तक इसका विस्तार है। हिंदी का सरल स्वाभाव इसकी लोकप्रियता को बढ़ा रहा है।  कुछ बाधाएं आयी है इसके मार्ग में,पर हमें पूर्ण विश्वास है कि हिंदी हमारे दिल में यूं ही समाकर हमारी भावनाओं को जन-जन तक पहुंचती रहेगी और राष्ट्रभाषा के रूप में हमे गौरान्वित करती रहेगी।

संस्कृत और हिंदी देश के दो भाषा रूपी स्तंभ हैं जो देश की संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को विश्व के मंच पर बखूबी प्रस्तुत करते हैं। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं।

हिंदी भाषा को हम राष्ट्र भाषा के रूप में पहचानते हैं। हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है।

देश के गुलामी के दिनों में यहाँ अँग्रेज़ी शासनकाल होने की वजह से, अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ गया था। लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात देश के कई हिस्सों को एकजुट करने के लिए एक ऐसी भाषा की जरुरत थी जो सर्वाधिक बोली जाती है, जिसे सीखना और समझना दोनों ही आसान हों।

इसके साथ ही एक ऐसी भाषा की तलाश थी जो सरकारी कार्यों, धार्मिक क्रियाओं और राजनीतिक कामों में आसानी से प्रयोग में लाई जा सके। हिंदी भाषा ही तब एक ऐसी भाषा थी जो सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय थी।

धीरे-धीरे हिंदी भाषा का प्रचलन बढ़ा और इस भाषा ने राष्ट्रभाषा का रूप ले लिया। अब हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत पसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है।

 विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व मे हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित - प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनो की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर मे आयोजित हुआ था इसी लिए इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप मे मनाया जाता है ।
 बीसवीं शती के अंतिम दो दशकों में हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय विकास बहुत तेजी से हुआ है. वेब, विज्ञापन, संगीत, सिनेमा और बाजार के क्षेत्र में हिंदी की मांग जिस तेजी से बढी है वैसी किसी और भाषा में नहीं. विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैंकडों छोटे-बडे क़ेंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध स्तर तक हिंदी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई है. विदेशों से 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं. यूएई क़े 'हम एफ एम' सहित अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.
 केंद्रीय हिन्दी संस्थान के सेवानिवृत निदेशक प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने आलेख में हिन्दी की विश्व व्यापी लोकप्रियता का प्रतिपादन करते हुए यह अभिमत व्यक्त किया है कि हिन्दी की फिल्मों, गानों, टी.वी. कार्यक्रमों ने हिन्दी को कितना लोकप्रिय बनाया है- इसका आकलन करना कठिन है। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान में हिन्दी पढ़ने के लिए आने वाले 67 देशों के विदेशी छात्रों ने इसकी पुष्टि की कि हिन्दी फिल्मों को देखकर तथा हिन्दी फिल्मी गानों को सुनकर उन्हें हिन्दी सीखने में मदद मिली।लेखक ने स्वयं जिन देशों की यात्रा की तथा जितने विदेशी नागरिकों से बातचीत की उनसे भी जो अनुभव हुआ उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि हिन्दी की फिल्मों तथा फिल्मी गानों ने हिन्दी के प्रसार में अप्रतिम योगदान दिया है। सन्‌ 1995 के बाद से टी.वी. के चैनलों से प्रसारित कार्यक्रमों की लोकप्रियता भी बढ़ी है।इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जिन सेटेलाइट चैनलों ने भारत में अपने कार्यक्रमों का आरम्भ केवल अंग्रेजी भाषा से किया था; उन्हें अपनी भाषा नीति में परिवर्तन करना पड़ा है। अब स्टार प्लस, जी.टी.वी., जी न्यूज, स्टार न्यूज, डिस्कवरी, नेशनल ज्योग्राफिक आदि टी.वी.चैनल अपने कार्यक्रम हिन्दी में दे रहे हैं। दक्षिण पूर्व एशिया तथा खाड़ी के देशों के कितने दर्शक इन कार्यक्रमों को देखते हैं- यह अनुसन्धान का अच्छा विषय है।
 आज कई विदेशी छात्र हमारे देश में हिंदी और संस्कृत भाषाएँ सीखने आ रहे हैं। विदेशी छात्रों के इस झुकाव की वजह से देश के कई विश्वविद्यालय इन छात्रों को हमारे देश की संस्कृति और भाषा के ज्ञानार्जन के लिए सुविधाएँ प्राप्त करवा रहे हैं। विदेशों में हिंदी भाषा की लोकप्रियता यहीं खत्म नहीं होती। विश्व की पहली हिंदी कॉन्फ्रेंस नागपुर में सन् 1975 में हुई थी। इसके बाद यह कॉन्फ्रेंस विश्व में बहुत से स्थानों पर रखी गई।
दूसरी कॉन्फ्रेंस- मॉरीशस में, सन् 1976 मेंतीसरी कॉन्फ्रेंस - भारत में, सन् 1983 मेंचौथी कॉन्फ्रेंस - ट्रिनिडाड और टोबैगो में, सन् 1996 में पाँचवीं कॉन्फ्रेंस - यूके में, 1999 मेंछठी कॉन्फ्रेंस - सूरीनाम में, 2003 में और सातवी कॉन्फ्रेंस - अमेरिका में, सन् 2007 में।

हिंदी भाषा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :
* आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि हिंदी भाषा के इतिहास पर पहले साहित्य की रचना भी ग्रासिन द तैसी, एक फ्रांसीसी लेखक ने की थी।

* हिंदी और दूसरी भाषाओं पर पहला विस्तृत सर्वेक्षण सर जॉर्ज अब्राहम ग्रीयर्सन (जो कि एक अँग्रेज़ हैं) ने किया।

* हिंदी भाषा पर पहला शोध कार्य द थिओलॉजी ऑफ तुलसीदासको लंदन विश्वविद्यालय में पहली बार एक अग्रेज़ विद्वान जे.आर.कार्पेंटर ने प्रस्तुत किया था।

भारत में किशोर लड़कियों की तस्करी


भारत में किशोर लड़कियों की तस्करी
                                                             डॉ मनीषकुमार सी. मिश्रा
सह-अध्येता , भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र  एवं
अध्यक्ष,  हिन्दी विभाग , के.एम.अग्रवाल महाविद्यालय
                                                      कल्याण पश्चिम , महाराष्ट्र
                                             मो. 08080303132,09324790726,
                                               ई मेल- manishmuntazir@gmail.com

      -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------                                                                          भारत देश में बाल अपराध से संबंधित जिस तरह के आंकड़े और जैसी ख़बरें लगातार सामने आ रही हैं वे चिंतनीय हैं । नैतिकता का हो रहा पतन , आर्थिक विषमता और गरीबी के साथ-साथ विक्षिप्त मानसिकता और भोग विलाश पूर्ण जीवन शैली  इस अपराध के मूल में है । शहरों की तेज रफ्तार जिंदगी में अपनी जरूरतों और अपनी मजबूरियों के बीच पिस रहे माँ-बाप चाह कर भी अधिक कुछ नहीं कर पाते। संयुक्त परिवार की संकल्पना शहरों के आर्थिक ढांचे के बिलकुल अनुकूल नहीं हैं,ऐसे में परिस्थितियाँ और विकट होती जा रही हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि संयुक्त परिवारों में सबकुछ ठीक रहता है । अध्ययन और खबरें बताती हैं कि लड़कियों का किशोरावस्था में अधिकांश बार शोषण पारिवारिक सदस्यों या रिशतेदारों द्वारा ही होता है । ऐसे मामलों में सबसे बड़ी तकलीफ तो यह होती है कि माँ-बाप लोक-लाज और पारिवारिक प्रतिष्ठा इत्यादि बातों की चिंता करते हुए ऐसे मामलों को या तो नजर अंदाज करते हैं या चुप बैठ जाते हैं ।
इस तरह के अपराधों से लड़ने की जिनकी ज़िम्मेदारी है,वे स्थितियों को और अधिक द्यनीय ही बनाते हुवे  दिखायी पड़ते हैं । कारण है प्रतिबद्धता , ज़िम्मेदारी और संवेदनाओं की कमी । हालत इतने खराब हैं कि मानव तस्करी की पीड़ित  लड़की अनाथालयों , सुधारगृहों, जेलों और अस्पतालों मे बार-बार शारीरिक शोषण का शिकार बनतीं हैं ।
सही तरह के कानून,कानून का कड़ाई से पालन और विकसित सामाजिक-आर्थिक ढाँचा इस मानव तस्करी के व्यवसाय पर लगाम लगा सकता है । एक अनुमान के मुताबिक अवैध हथियारों और अवैध नशीली दवाओं की तस्करी से जितनी आय होती है, लगभग उतनी ही या अधिक आय मानव तस्करी के व्यवसाय में भी है । The International Organisation For Migration (IOM) के अनुसार वैश्विक स्तर पे मानव तस्करी के माध्यम से लगभग 08 बिलियन अमेरिकी डालर का व्यापार होता है । किशोर लड़कियों और औरतों की तस्करी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है , यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है ।
सामान्य तौर पे मानव तस्करी को वेश्यावृत्ति या देहव्यापार तक सीमित समझा जाता है, लेकिन मानव तस्करी का बहुआयामी स्वरूप कंही अधिक विकराल है । देह व्यापार या वेश्यावृत्ति को इसका एक हिस्सा मात्र समझना चाहिए । जीवनयापन के सीमित साधन , सीमित संसाधन, बढ़ती बेरोजगारी, कमजोर आर्थिक परिस्थितियाँ, असमान क्षेत्रिय विकास, स्थानांतरण मजबूरी तथा जीवन मूल्यों में आ रही गिरावट मानव तस्करी की त्रासदी के लिए सीधे तौर पे जिम्मेदार है ।
मेरे इस अध्ययन का उद्देश्य यही है कि प्रमुख सामाजिक समस्याओं के परिप्रेक्ष में  क़ीमत और मूल्यों की जो लड़ाई इस बाजारीकरण ने शुरू कर दी है उसमें हम मानवीय सोच और मानवीय मूल्यों को बचाने की दिशा में एक पहल कर सकें साथ ही साथ दिन ब दिन कमजोर होती जा रही संवेदनाओं को कसमसाने का एक अवसर प्रदान कर सकें । किसी ने लिखा भी है कि –
                                          करनी है हमें एक शुरुआत नई
                                          यह सोचना ही एक शुरुआत है ।
                                         

Thursday 13 September 2012

अजातशत्रु हैं विजय ( बंड्या ) साड्वी


                                                 अजातशत्रु हैं विजय ( बंड्या ) साड्वी

        श्री विजय (बंड्या ) साड्वी मेरे अनन्य मित्रों ,शुभचिंतकों और मार्गदर्शकों में से एक हैं . आप के जन्मदिन के उपलक्ष में निकाले जा रहे अभिनन्दन ग्रन्थ के बहाने मुझे भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ . अपने इस छोटे से आलेख के माध्यम से मैं अपना अभीष्ट चिंतन आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ .
        मित्रों, श्री विजय (बंड्या ) साड्वी जी शिव सेना जैसी प्रमुख और महत्वपूर्ण पार्टी के पदाधिकारी के रूप में विगत कई वर्षों से अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं . एक कुशल राजनेता और कार्यकर्ता के रूप में आप के द्वारा किये गए कार्यों का लोहा सभी मानते हैं . आप क़ी प्रतिबद्धता, समर्पणनिष्ठा और दृढसंकल्पता  के सभी कायल हैं . आप के व्यक्तित्व का जो जुझारूपन  है वो हर कठिनाई से आप को बाहर निकलते हुवे प्रगति के पथ पर अग्रसर करती रहती है . व्यक्तिगत मैत्रीपूर्ण रिश्तों के बीच आप कभी '' पार्टी  पोलिटिक्स " को नहीं आने देते , यह भी आप क़ी लोक प्रियता का प्रमुख कारण है . समाज के सभी वर्गों के बीच आप क़ी सामान रूप से प्रतिष्ठा है . जाति, धर्म, भाषा और प्रांत के नाम पे किसी प्रकार का कोई भेदभाव आप अपने व्यवहार में नहीं आने देते . अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के बीच आप के सम्मान रूप से प्रतिष्ठित होने का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है . 
       आप हमेशा लोगों क़ी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं.   संकल्प एवं समर्पण से ही लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। कोई भी व्यक्ति किसी से हारना नहीं चाहता किंतु आप  अपने व्यवहार से सब का दिल जीत लेते हैं . धार्मिक  , सामाजिक, राजनितिक , शैक्षणिक और क्रिडा के क्षेत्र में आप का योगदान हमेशा से ही रहा है . सामाजिक कार्यों क़ी एक सुव्यवस्थित परंपरा आप ने कल्याण शहर में डाली है .आप सही मायनों में एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में समाज को एक नई दिशा और कार्यकर्ताओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहें हैं .  
                दोस्ती शब्द से ही एक पवित्र रिश्ते का एहसास होता है अगर आप दोस्ती के वास्तविक अर्थ से अवगत है और अपनी दोस्ती को पूरे विश्वास,निष्ठां व वफादारी से निभाने की क्षमता रखते हैं तब ही आपको दोस्ती के लिए अपने हाथ बढ़ाने चाहिए.वरना यह कहकर संतोष कर लीजिए कि-
                                            " दुनिया में राज-ए-दिल,दोस्ती करते तो हम किससे.
                                            मिलते ही नहीं, जहाँ में हमारे ख्याल के "

साहित्य, समाज और संस्कृति की त्रिवेणी उन कर्मशील और सृजनशील व्यक्तियों के मार्गदर्शन में परिमल , विमल प्रवाह के साथ बढ़ती है , जो अपनी प्रातिभ दृष्टि से जीवन के हर कार्य को नई दिशा देते हैं । ऐसे ही प्रतिभा सम्पन्न लोग समाज के सामने एक आदर्श, प्रादर्श और प्रतिदर्श उपस्थित करते हैं । ऐसे श्रेष्ठ लोग मानव मात्र को ही अपनी प्रेरणा मानते हैं । ऐसे ही कद्दावर व्यक्तियों में आप का  का नाम प्रमुखता से लिया जाता है । अपनी प्रखरता, निडरता, और सामाजिक दायित्वबोध के साथ जीवन को उसकी संपूर्णता में जीने वाले आप , हम सभी के लिए अनुकरणीय हैं ।
                  हम आप के स्वस्थ , सुखी , कर्मशील, सृजनरत दीर्घायु की मंगल कामना करते हैं
                                                                                                                           विजय नारायण पंडित 
                                                                                                                             जोशिबाग , कल्याण