Saturday 2 June 2012
Thursday 31 May 2012
Sunday 27 May 2012
वेब मीडिया और हिंदी का वैश्विक परिदृश्य
आगामी शैक्षणिक वर्ष 2012-2013 की 11-12 जनवरी को के.एम. अग्रवाल महाविद्यालय,कल्याण,महाराष्
इस परिसंवाद में देश- विदेश से कई मेहमानों के शामिल होने की संभावना है । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और कई अन्य संस्थाओं से अनुदान प्राप्त करने के प्रयास जारी हैं । साथ ही साथ कई हिंदी से जुड़ी विदेशी संस्थाओं से भी अनुदान के प्रयास जारी हैं । वेब मीडिया और हिन्दी का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य इस विषय पर एक पुस्तक निकालने की भी योजना पर काम कर रहा हूँ । आप सभी अपने आलेख इस पुस्तक के लिए भेज सकते हैं । आप का आलेख संपादन मंडल द्वारा स्वीकृत किये जाने के बाद आप को तुरंत इसकी सूचना दी जाएगी । इस पुस्तक में अपने आलेख सम्मिलित कराने के लिए आप को किसी तरह शुल्क नहीं देना होगा । पुस्तक ISBN नंबर के साथ छपेगी । पुस्तक छपने के बाद उसकी एक प्रति आप को मुफ्त में उपलब्ध करायी जाएगी । पुस्तक के लिए आलेख भेजने की अंतिम तिथि 30 जून 2012 है । आप जिन उप विषयों पे आलेख लिखें, वो इस प्रकार हों मीडिया का बदलता स्वरूप और इन्टरनेट व्यक्तिगत पत्रकारिता और वेब मीडिया वेब मीडिया और हिंदी हिंदी के विकास में वेब मीडिया का योगदान भारत में इन्टरनेट का विकास वेब मीडिया और शोसल नेटवरकिंग साइट्स लोकतंत्र और वेब मीडिया वेब मीडिया और प्रवासी भारतीय हिंदी ब्लागिंग स्थिति और संभावनाएं इंटरनेट जगत में हिंदी की वर्तमान स्थिति हिंदी भाषा के विकाश से जुड़ी तकनीक और संभावनाएं इन्टरनेट और हिंदी ; प्रौद्योगिकी सापेक्ष विकास यात्रा व्यक्तिगत पत्रकारिता और ब्लागिंग हिंदी ब्लागिंग पर हो रहे शोध कार्य हिंदी की वेब पत्रकारिता हिंदी की ई पत्रिकाएँ हिंदी के अध्ययन-अध्यापन में इंटरनेट की भूमिका हिंदी भाषा से जुड़े महत्वपूर्ण साफ्टव्येर हिंदी टंकण से जुड़े साफ्टव्येर और संभावनाएं वेब मीडिया , सामाजिक सरोकार और व्यवसाय शोसल नेटवरकिंग का इतिहास वेब मीडिया और अभिव्यक्ति के खतरे वेब मीडिया बनाम सरकारी नियंत्रण की पहल वेब मीडिया ; स्व्तंत्रता बनाम स्वछंदता इन्टरनेट और कापी राइट वेब मीडिया और हिंदी साहित्य वेब मीडिया पर उपलब्ध हिंदी की पुस्तकें हिंदी वेब मीडिया और रोजगार भारत में इन्टरनेट की दशा और दिशा हिंदी को विश्व भाषा बनाने में तकनीक और इन्टरनेट का योगदान बदलती भारती शिक्षा पद्धति में इन्टरनेट की भूमिका लोकतंत्र , वेब मीडिया और आम आदमी सामाजिक न्याय दिलाने में वेब मीडिया का योगदान भारतीय युवा पीढ़ी और इन्टरनेट वेब मीडिया सिद्धांत और व्यव्हार आप अपने आलेख भेज सहयोग करे । आप के सुझाओ का भी स्वागत है । आलेख यूनिकोड में भेजें । आप इस साहित्यिक अनुष्ठान मे जिस तरह भी सहयोग देना चाहें, आप अवश्य सूचित करें । डॉ मनीष कुमार मिश्रा अध्यक्ष - हिंदी विभाग के . एम . अग्रवाल महाविद्यालय 421301 गांधारी विलेज, पडघा रोड , कल्याण - पश्चिम महाराष्ट्र 8080303132 manishmuntazir@gmail.com www.onlinehindijournal.blo www.kmagrawalcollege.org |
Friday 18 May 2012
Monday 14 May 2012
Sunday 6 May 2012
सिर्फ हँगामा खड़ा करना
सिर्फ हँगामा खड़ा करना भी, अब मेरे बूते का नहीं
आम आदमी हूँ इस देश का, मेरे साथ कोई भी नहीं ।
Friday 4 May 2012
गर्भनाल’ अप्रवासी भारतीयों की मासिक ई-पत्रिका
दो हिन्दी प्रेमी मित्रों के जुनून का परिणाम है गर्भनाल. एक दिन बात चली कि हिन्दी भाषा की वर्तमान दशा की कमियाँ गिनाने की बजाय उसकी तरफदारी में खड़े होने के लिए कुछ सार्थक काम किया जाये. परिणाम आप सभी देख रहे हैं. अपनी ज़मीन से दूर रहने वाले प्रवासी भारतीयों की आवाज को रखने के मंच के तौर पर गर्भनाल एक मंच प्रदान करने का प्रयास कर रही है. ’गर्भनाल’ अप्रवासी भारतीयों की मासिक ई-पत्रिका है जो हर महीने पीडीएफ के रूप में मुफ्त वितरित की जाती है। इसे लगभग ५० हजार ईमेल पतों पर भेजा जाता है. यह प्रयास अनवरत जारी है. दुनियाभर के हिन्दी प्रेमियों ने इसे प्रोत्साहित किया और सराहा है. इस काम के पीछे बस यही भावना काम कर रही है कि लोगों ने क्या किया की बजाय हम क्या कर सकते है को ध्यान में रखा जाय.
आप भी अगर हिन्दी प्रेमी हैं तो इस मिशन से जुड़ सकते हैं. पता है -
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी प्राध्यापक परिषद
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी प्राध्यापक परिषद का उद्देश्य यही है कि पूरी दुनिया में हिंदी अध्ययन -अध्यापन से जुड़े
प्राध्यापक,लेखक और साहित्य प्रेमी एक मंच पे आयें और आपस मे सूचनाओंतथा विचारों का आदान-प्रदान
कर सके । विशेष रूप से संगोष्ठियों,परिसंवादों,साहित्यकारों,पत्र-पत्रिकाओं तथा कला, साहित्य और संस्कृति
से जुड़ी जानकारी ।
देश-विदेश में हिन्दी अध्ययन -अध्यापन से जुड़े लोगों को एक साथ लाने का यह छोटा सा प्रयास है ।
आप सभी का यहाँ स्वागत है ।
Thursday 3 May 2012
Wednesday 2 May 2012
रिश्ते पंछियों की तरह होते हैं
रिश्ते पंछियों की तरह होते हैं
,
जादा दबा के पकड़ो तो मर जाते हैं ।
बहुत धीरे से पकड़ो तो उड़ जाते हैं
,
लेकिन प्यार से पकड़ो तो हमेशा बने रहते हैं ।
,
जादा दबा के पकड़ो तो मर जाते हैं ।
बहुत धीरे से पकड़ो तो उड़ जाते हैं
,
लेकिन प्यार से पकड़ो तो हमेशा बने रहते हैं ।
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...