Thursday 10 November 2011

राष्ट्रिय संगोष्ठी में आनेवाले प्रतिभागियों से विनम्र अनुरोध

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      दिनांक ०९ -१० दिसम्बर २०११ को के.एम्.अग्रवाल महाविद्यालय ,कल्याण (पश्चिम ) में " हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं " इस  विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रिय संगोष्ठी में आने के इच्छुक प्रतिभागियों से अनुरोध है कि वे निम्नलिखित बातों का ख़याल रखें .
    १-  प्रतिभागियों को किसी तरह का यात्रा व्यय महाविद्यालय क़ी तरफ से नहीं मिलेगा . 
   २-आवास और भोजन क़ी व्यवस्था सिर्फ दो दिनों के लिए ही क़ी  गयी है, ०९ और १० दिसम्बर २०११ . इन दो दिनों के अतिरिक्त आवास और भोजन क़ी व्यवस्था प्रतिभागी क़ी अपनी जिम्मेदारी होगी .
 ३- कोई प्रतिभागी यदि अपने परिवार के साथ आना  चाहता है तो वे अपनी व्यक्तिगत व्यवस्था के साथ ही आयें. महाविद्यालय क़ी तरफ से अलग  से कोई व्यवस्था नहीं क़ी जायेगी .
४- पंजीकरण शुल्क ४०० रुपए सभी प्रतिभागियों को देने होंगे .
५- आवास क़ी सुविधा के लिए हर प्रतिभागी को ५०० रुपए देने होंगे .
 ६- आवास क़ी व्यवस्था बालाजी इंटर नेशनल  होटल में क़ी गयी है. एक  कमरे में  ०३ प्रतिभागियों . के रुकने क़ी व्यवस्था है . 
 ७- एक व्यक्ति -एक कमरा --- जैसी व्यवस्था नहीं है 
८- आवास क़ी व्यवस्था पूर्व  सूचना    देने वाले  प्रतिभागियों के लिए ही क़ी गयी है 
9- प्रपत्र  वाचन  के लिए किसी प्रकार  के मानधन  क़ी व्यवस्था नहीं है. इसकी  अपेक्षा  भी  ना  करें  .
१०- कार्यक्रम  से सम्बंधित  किसी भी  प्रकार  के निर्णय  को लेने  के लिए महाविद्यालय स्वतन्त्र  है .
           आशा  है आप सभी का सहयोग  हमे  मिलेगा .  किसी  बात को अन्यथा ना लें . बात साफ़-सुथरे तरीके से कह देना जादा बेहतर है .

आपका 
 डॉ. मनीष कुमार मिश्रा 
 ८०८०३०३१३२, ९३२४७९०७२६ 

Friday 4 November 2011

क्या कहे लोग अपने ही थे ,

शब्दों  से  खेल  रहे  , 
भावों   को  तौल  रहे  ,
लोग  वो  अपने  ही  ,
जिंदगी  यूँ  हम  अपनी  झेल  रहे .
 
राहों   के  दरमयान  कब  सड़के  बदल  डाली  ,
बातों ही बातों में शर्ते बदल डाली ,
क्या  कहे  लोग  अपने  ही  थे  ,
क्यूँ   रश्मे  बदल  डाली .
 

Wednesday 2 November 2011

पथरीली पगडंडी पे काटों से राहत है /

न गम ही है तेरा , न तेरी ख़ुशी है ,
न आखों में आंसू , न मुख पे हंसी है ;
न मंजिल की चाहत , न राहें थमी  हैं ;
कैसी जिंदगानी ये कैसी कमी है  /

विस्मित अँधेरा है ,साये ने घेरा है 

परछाई है व्याकुल अँधेरा ही अँधेरा है ;

तारो की टिमटिमाहट है कैसी ये चाहत है ,

पथरीली पगडंडी पे काटों से राहत है /

Monday 31 October 2011

आखों में तेरे खोया हूँ अब तक,

आखों में तेरे खोया हूँ अब तक,
कितनी ही रातें न सोया हूँ  अब तक ,

जागे हुए सपनों की बातें करूँ क्या ,
न पूरी हुई मुलाकाते वो कहूँ क्या ,

बाँहों का घेरा था
कितना अकेला था
खिलता अँधेरा था
तन्हायी  ने  घेरा था

यादें महकी थी
आहें बहकी थी
गमनीन सीरत थी
तू बड़ी खुबसूरत थी

फिजा गुनगुनायी थी
चाहत सुगबुगाई थी
तू मन मंजर पे छाई थी
तू न मेरी हुई न परायी थी

  किस्से अधूरे हैं
वाकये न पूरे हैं
जीवन के लम्हे है
हंसते और सहमे है

Tuesday 25 October 2011

HAPPY DEEPAWALI

तुम्हारी यादों के साथ,
 तुम्हारी ही बातों के पास ,
 जलता-सुलगता बहुत कुछ है .
 शायद मन में, मन रही दीपावली है. 

         तेरी आँखों में जलते सपनो ,
 और मेरे दिल की उलझनों के बीच 
बिखरता, टूटता,कसमसाता आज भी कुछ है .
शायद मन में, मन रही दीपावली है .

Sunday 25 September 2011

national seminar on hindi blogging

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9 to 10 December 2011
kalyan(west), maharashtra, India


  http://kmagrawalcollege.org/news.htm
  Contact: DR. MANISH KUMAR MISHRA



Conference Announcement / Call for papers

national seminar on hindi blogging
9 December 2011 to 10 December 2011
kalyan(west), India

hindi dept. of k.m.agrawal college is organising
two days national seminar on hindi blogging which
is sponsered by university grant commission .

The deadline for abstracts/proposals is 30
September 2011.


Enquiries: manishmuntazir@gmail.com -9324790726
Web address: http://kmagrawalcollege.org/
Sponsored by: k.m.agrawal college of arts,commerce
& science