ये बेखुदी बेसबब नहीं ..................................
भोपाल गैस कांड क़ी भयानक तस्वीरें मैं तो देखने क़ी भी हिम्मत नहीं कर सकता,जिनपर यह सब बीता उनके बारे में सोच कर ही आँख भर आती है. लेकिन यह उनलोगों का दुर्भाग्य है क़ि वे इस देश में पैदा हुवे वो भी गरीब बन कर. यह वही देश है जंहा से गरीबी नहीं गरीब को ही ख़त्म कर देने क़ि बात कही जाती है . शायद यही कारण रहा होगा जो एक रात में ही पूरे शहर को शमसान बना देने वालों को सरकार बचाती रही . सालों के इन्तजार के बाद इन्साफ के नाम पर गरीबों के गाल पर फिरसे तमाचा जड़ने का ही काम इस सरकार ने किया है.
यह देश सामाजिक सरोकारों से बहुत दूर होता जा रहा है. भ्रष्ट लोगों के हाँथ क़ी कठपुतली बन कर रह गया है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र .पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ मैं नहीं हूँ ,लेकिन अगर सामान्य जनता द्वारा चुनी गयी लोकतान्त्रिक सरकार पूजी पतियों को बचाने के लिए इतनी अमानवीय और असहनीय कार्य को करे गी तो लोकतंत्र में सांस लेना नामुमकिन हो जायेगा .
सरकार ने जिस तरह से सी.बी.आई. का दुरूपयोग करके पूंजीपतियों के हितों क़ी रक्षा क़ी उसकी जितनी भी निंदा क़ी जाय वह कम है .सरकार क़ी सारी उठा-पटक देख कर ग़ालिब का वह शेर याद आता है क़ि--
ये बेखुदी बेसबब नहीं है ग़ालिब
कही किसी क़ी पर्दादारी तो है .
Tuesday 8 June 2010
Monday 7 June 2010
Maharashtra State Eligibility Test for Lectureship (SET) - 2010
महाराष्ट्र सेट परीक्षा क़ी तारीख घोषित हो गयी है .विवरण निम्नलिखित रूप में है .
Maharashtra State Eligibility Test for Lectureship (SET) - 2010
Important Dates for SET - 2010 | |||||||||||||||||||||||||||||||||
Date of examination : Sunday, 8th August 2010 | |||||||||||||||||||||||||||||||||
Online Form Submission : 26th May 2010 (11.00 a.m.) to 19th June 2010 (6.00 p.m.) | |||||||||||||||||||||||||||||||||
Last Date of Hard Copy Submission : 24th June 2010 (6.00 p.m
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Wednesday 2 June 2010
जिसमे तुम्हारी याद ना हो,
जिसमे तुम्हारी याद ना हो,
ऐसा कोई पल मेरे पास नहीं है .
जिसमे तेरी महक शामिल ना हो,
मेरी ऐसी कोई सांस नहीं है .
चाहूँ किसी और को मैं लेकिन,
किसी में तेरी वाली बात नहीं है .
दूर कितना भी चली जाओ तुम ,
मुझे भुला पाना आसान नहीं है .
ऐसा कोई पल मेरे पास नहीं है .
जिसमे तेरी महक शामिल ना हो,
मेरी ऐसी कोई सांस नहीं है .
चाहूँ किसी और को मैं लेकिन,
किसी में तेरी वाली बात नहीं है .
दूर कितना भी चली जाओ तुम ,
मुझे भुला पाना आसान नहीं है .
Sunday 30 May 2010
प्यार मेरा मुझे देख के चौंका , बड़ी अदा से फिर उसने पूंछा ;
प्यार मेरा मुझे देख के चौंका , बड़ी अदा से फिर उसने पूंछा ;
कौन है तू क्या तेरा परिचय , क्या इच्छा है तेरी रहबर ;
मुंह से निकला मै परछाई हूँ तेरी ,तेरे दिल की प्यास ;
न मानेगा इसको तू पर मै हूँ तेरा अहसास /
कौन है तू क्या तेरा परिचय , क्या इच्छा है तेरी रहबर ;
मुंह से निकला मै परछाई हूँ तेरी ,तेरे दिल की प्यास ;
न मानेगा इसको तू पर मै हूँ तेरा अहसास /
Thursday 27 May 2010
Birthday wish
This is written to wish someone who care`s a lot.
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The birthday of a beautiful person,
who is of caring incursion ;
a lady of honest desires ,
very lovely and poious;
a strong character of good intent,
upright who believe in consents ;
wishing her smile become wider ,
laugh following the laughter ;
happiness roam around ,
peace & joy with no bound ;
wishing your desires come true ,
dreams you can live ;
year full of event you can savour ,
all the happiness & moments you favour ;
HAPPY BIRTHDAY
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Wednesday 26 May 2010
कभी इठला के दिल चुराया ,
कभी इठला के दिल चुराया ,
कभी शरमा के बदन ;
इन्तहा तब हो गयी ,
ढरकता पल्लू औ कहा हमदम /
Tuesday 25 May 2010
कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,
कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,
कितनी हसरते थी उसमे गम से पिरोया हुआ था ;
कशिश जीने की थी तपिश होने की थी ;
उलझा था नफरतों में बहकती हकीकतें थी ;
कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,
कितनी हसरते थी उसमे गम से पिरोया हुआ था ;
चाह थी स्वातंत्र्य की बड़ती प्यास थी प्यार की ;
बंधन में जकड़ा था भीड़ से परे अकेला था
दहकता ख्वाब था सिमटता आकाश था ;
विशाल मत था छिद्र से रिसता मन था ,
कहीं गुम था वो पल कहीं खोया हुआ था ,
कितनी हसरते थी उसमे गम से पिरोया हुआ था ;
Saturday 22 May 2010
''आनर किलिंग'' बंद करो गदहों !!!!/Honour Killings in India
''आनर किलिंग'' बंद करो गदहों !!!!
पिछले कई दिनों से दिल में आग लगी हुई थी . समाचार पत्रों और मीडिया चैनलों के माध्यम से देश भर में मध्यम वर्गीय परिवारों के बीच ''आनर किलिंग '' क़ी खबरें खून में उबाल ला रही थीं .
अपने ही बेटे-बेटी क़ी निर्ममता पूर्वक हत्या सिर्फ इस लिए कर देना क्योंकि वह प्यार करता है या करती है , इसे सही कहने वाले निकम्मों और नालायकों को क्या कहूं ?
मध्यवर्ग जैसा स्वार्थी,लोभी ,भीरु ,मौकापरस्त और झूठा कोई और हो ही नहीं सकता . झूठी शानो-शौकत के लिए यह वर्ग मानवता का भी खून कर सकता है . शर्म आती है अपने आप पर यह सोच कर क़ि मैं भी इसी समाज का एक हिस्सा हूँ. यह बात दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए भी शर्म की ही है . राधा-कृष्ण को पूजने वाला यह देश किस गर्त में जा रहा है ?
मैं सभी लोगों से हाथ जोड़ के यही विनती करना चाहता हूँ क़ि ,''समाज,परम्परा ,रीति -रिवाज ,मान-अपमान और झूठी प्रतिष्ठा की वेदी पर अपने मासूम बच्चों की बलि मत दो.प्रेम से बड़ा ना कोई धर्म है और ना ही काम ''
प्रेम तो मानवता का आधार है ,इसका गला घोंट कर क्या शैतानो की दुनिया बनाना चाहते हो ?
पिछले कई दिनों से दिल में आग लगी हुई थी . समाचार पत्रों और मीडिया चैनलों के माध्यम से देश भर में मध्यम वर्गीय परिवारों के बीच ''आनर किलिंग '' क़ी खबरें खून में उबाल ला रही थीं .
अपने ही बेटे-बेटी क़ी निर्ममता पूर्वक हत्या सिर्फ इस लिए कर देना क्योंकि वह प्यार करता है या करती है , इसे सही कहने वाले निकम्मों और नालायकों को क्या कहूं ?
मध्यवर्ग जैसा स्वार्थी,लोभी ,भीरु ,मौकापरस्त और झूठा कोई और हो ही नहीं सकता . झूठी शानो-शौकत के लिए यह वर्ग मानवता का भी खून कर सकता है . शर्म आती है अपने आप पर यह सोच कर क़ि मैं भी इसी समाज का एक हिस्सा हूँ. यह बात दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए भी शर्म की ही है . राधा-कृष्ण को पूजने वाला यह देश किस गर्त में जा रहा है ?
मैं सभी लोगों से हाथ जोड़ के यही विनती करना चाहता हूँ क़ि ,''समाज,परम्परा ,रीति -रिवाज ,मान-अपमान और झूठी प्रतिष्ठा की वेदी पर अपने मासूम बच्चों की बलि मत दो.प्रेम से बड़ा ना कोई धर्म है और ना ही काम ''
प्रेम तो मानवता का आधार है ,इसका गला घोंट कर क्या शैतानो की दुनिया बनाना चाहते हो ?
ओम प्रकश पांडे''नमन'' जी अब हिंदी ब्लागिंग क़ी दुनिया से जोड़े जा चुके हैं .
हिंदी ब्लागिंग करने के साथ-साथ हमारी एक कोशिस यह भी रहती है क़ि हम हिंदी से जुड़े अच्छे और सजग रचनाकारों को भी इस प्रक्रिया से जोड़ें .
इसी कड़ी में भाई ओम प्रकश पांडे''नमन'' जी अब हिंदी ब्लागिंग क़ी दुनिया से जोड़े जा चुके हैं . आप उनके ब्लॉग http://namanbatkahi.blogspot.com/2010/05/blog-post.हटमल पर जाकर उनके विचारो से अवगत हो सकते हैं.
मुझे पूरा विश्वाश है क़ि आप को उनका ब्लॉग जरूर पसंद आएगा . नमन क़ी बतकही में सहमति का साहस और असहमति का विवेक आप को हमेशा दिखाई देगा .
उन्ही क़ी एक कविता आप लोगों के लिए
भले बाँट दो तुम हमें सरहदों में
भले बाँट दो तुम हमें मजहबों में
भले खीँच दो तुम लकीरें जमीं पर
नहीं बाँट पाओगे दिल को हदों में !
नहीं बाँट पाओगे तुम इन गुलों को
यहाँ भी खिलेंगे वहां भी खिलेंगे
नहीं बाँट पाओगे तुम चाँद तारे
ये यहाँ भी उगेंगे वहां भी उगेंगे !
जहाँ तक चलेंगी ये ठंडी हवाएं
जहाँ तक घिरेंगी ये काली घटायें
जहाँ तक मोहब्बत का पैगाम जाये
जहाँ तक पहुंचती हैं मेरी सदायें !
वहां तक न धरती गगन ये बंटेगा
वहां तक न अपना चमन ये बंटेगा
न तुम बाँट पाओगे मेरी मोहब्बत
न तुम बाँट पाओगे ये दिलकी दौलत!
भले बाँट दो तुम जमीं ये हमारी
नहीं बंट सकेंगी हमारी दुवायें !
कभी देश बांटे, कभी प्रान्त बांटे
कभी बांटी नदियाँ, कभी खेत बांटे
खुदा ने बनाया था सिर्फ एक इन्सान
मगर मजहबों ने है इंसान बांटे !
मेरी प्रार्थना है न बांटो दिलों को
न बोवो दिलों में ए नफरत के कांटे!!
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