उलझी हुई थोड़ी ,
थोड़ी सी सुलझी है.
वो लड़की जो ,मेरे दिल को ,चुरा के ले गयी यारों
पगली सी है थोड़ी,
थोड़ी सयानी है .
तितली सी है चंचल
फूलों सी कोमल है .
वो बोलती है जब,तो मुझको यूं लगता है
मन क़ी मेरी बगिया में
कोयल कूक भरती है .
ख़ामोशी में उसके
बादल उमड़ते हैं.
जितनी शरारत है,नजाकत भी है उतनी ही
बड़ी तो खूब है लेकिन,
वो गुडिया छोटी लगती है .
अदाएं चाँद क़ी सारी ,
लेकर निकलती है .
साँसों में बसा चंदन,खजाना रूप का लेकर
वो राहें भी महकती हैं,
जंहा से वो गुजरती है .
राधा सी लगती है,
कभी सीता सी लगती है .
जिसका प्यार मैं चाहूँ, सारी जिन्दगी भर को
वही प्रियतम वो लगती है
वही साथी वो लगती है .
Friday 5 March 2010
Wednesday 3 March 2010
रामदरश मिश्र
राम दरश मिश्र तो वैसे किसी परिचय के मोहताज नहीं है । फिर भी मै उनका परिचय देना चाहूँगी । मिश्र जी प्रेमचंदोत्तर युग के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कलाकार है ।
वे श्रमशक्ति के प्रतिक है । उनकी रचनाए आसाधरण पुरुषार्थ के मनोबल एवम अनुशासित कार्य प्रणाली का परिणाम है । एक मान्यता प्राप्त कवि होने के साथ - साथ एक बहुत अच्छे लेखक भी है ।
उनकी कहानिया और उपन्यास मै इतनी सचाई है कि उसे पढ़नेके बाद किसी भी इंशान का हिर्दय द्रवित हो जाय। उनका उपन्यास पानी के प्राचीर , जल टूटता हुआ और उनके कई उपन्यास है जिसे पढ़ने पर व्यक्ति मजबुर हो जाय सोचने पर कि हमारी गाँव की क्या हालत है। गाँव मे सुधार करने बहुत ही जरुरत है। मिश्र जी ने इतनी गंभीर समस्याओ को पाठको के समक्ष रखा है की शायद ही किसी का ध्यान उन समस्याओं पर जाय ।
वे श्रमशक्ति के प्रतिक है । उनकी रचनाए आसाधरण पुरुषार्थ के मनोबल एवम अनुशासित कार्य प्रणाली का परिणाम है । एक मान्यता प्राप्त कवि होने के साथ - साथ एक बहुत अच्छे लेखक भी है ।
उनकी कहानिया और उपन्यास मै इतनी सचाई है कि उसे पढ़नेके बाद किसी भी इंशान का हिर्दय द्रवित हो जाय। उनका उपन्यास पानी के प्राचीर , जल टूटता हुआ और उनके कई उपन्यास है जिसे पढ़ने पर व्यक्ति मजबुर हो जाय सोचने पर कि हमारी गाँव की क्या हालत है। गाँव मे सुधार करने बहुत ही जरुरत है। मिश्र जी ने इतनी गंभीर समस्याओ को पाठको के समक्ष रखा है की शायद ही किसी का ध्यान उन समस्याओं पर जाय ।
Tuesday 2 March 2010
यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,
यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,
याद अब भी है तेरी धड़कन औ हसना तेरा ;
गुलाबी गालों की रंगत आखों में सपना सजा ,
पलकें आशा से खिली बातों में मोहब्बत घुली ,
महकते ख्वाबों की लचकन सुहानी रातों की धड़कन ;
वो अहसासों की तरन्नुम वो उमंगों की सरगम ,
नयनो की शिकायत आभासों के रेले ,
वो अरमानो की दुनिया सपनों के मेले ,
वो बंधन की राहें स्वच्छंदता के खेले ,
वो साँसों खुसबू ,बेखुदी में तुझे छुं ले ;
यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,
तू ही बता तुझे यार हम कैसे भूले ?
Sunday 28 February 2010
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
छुं लूँ मन के भाव तेरे ,रंगू रक्तिम गाल तेरे ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
फागुन के मौसम में मन कब थमता है ,
जीवन तेरी अभिलाषा में रमता है ;
डालूँगा रंग कपड़ों पे तेरे ,
शायद दिल तेरा रंग जाय प्रिये ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
चंचल मन है ,बहकी चितवन है ,
उसपे होली का त्यौहार प्रिये ,
मन को भावों से रंगुंगा ,तन को अहसासों से रंगुंगा ,
लाल ,हरा, पीला, नीला कितना प्यारा प्यार प्रिये ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
Saturday 27 February 2010
फिर किसी मोड़ पर -विजय भाई पंडित क़ी तीसरी पुस्तक है
फिर किसी मोड़ पर -विजय भाई पंडित क़ी तीसरी पुस्तक है ,जिसका लोकार्पण २ मार्च को कल्याण में होगा.आप लोगो के लिए किताब का कवर पजे दे रहा हूँ. बताइए आप को यह कैसा लगा ?
Thursday 25 February 2010
जितने सालों से तुमने,/abhilasha
मन क़ी वीणा के तारों को,
टूटे उतने ही साल हुए हैं .
जितने सालों से तुमने,
ना क़ी कोई भी बात प्रिये .
इन सालों को उम्र में मेरी ,
शामिल बिलकुल मत करना .
इनका तो मेरे दिल से,
नहीं कोई सम्बन्ध प्रिये.
-----अभिलाषा
टूटे उतने ही साल हुए हैं .
जितने सालों से तुमने,
ना क़ी कोई भी बात प्रिये .
इन सालों को उम्र में मेरी ,
शामिल बिलकुल मत करना .
इनका तो मेरे दिल से,
नहीं कोई सम्बन्ध प्रिये.
-----अभिलाषा
वो जब पास होती है,
वो जब पास होती है,
धडकन तेज होती है.
लब खामोश होते हैं,
आँखों से सारी बात होती है ..
वो सबसे मिलती है ,
हंस कर बातें करती है.
पर आकर मेरे पास,
जाने क्यों घबराई होती है.
धडकन तेज होती है.
लब खामोश होते हैं,
आँखों से सारी बात होती है ..
वो सबसे मिलती है ,
हंस कर बातें करती है.
पर आकर मेरे पास,
जाने क्यों घबराई होती है.
होली का त्यौहार है.
रंगों का सावन ,
प्यार क़ी फुहार है.
गले लग जाओ यारों,
होली का त्यौहार है .
टोली में निकलो ,
सब संग खेलो .
बुरा मत मानों यारों,
होली का त्यौहार है .
कजरी भी गाओ,
फगुआ भी गाओ.
झूमो,नाचो,गाओ यारों,
होली का त्यौहार है.
चोली भिगाओ,
चुनरी भिगाओ.
भर लो बाँहों में यार याँरो,
होली का त्यौहार है.
(इस कविता के साथ लगे फोटो पर मेरा कोई अधिकार नहीं है. यह मुझे मेल के रूप में मिला है.इसका लिंक egreetings.india.gov.in.page-archive.org/user. है. )
प्यार क़ी फुहार है.
गले लग जाओ यारों,
होली का त्यौहार है .
टोली में निकलो ,
सब संग खेलो .
बुरा मत मानों यारों,
होली का त्यौहार है .
कजरी भी गाओ,
फगुआ भी गाओ.
झूमो,नाचो,गाओ यारों,
होली का त्यौहार है.
चोली भिगाओ,
चुनरी भिगाओ.
भर लो बाँहों में यार याँरो,
होली का त्यौहार है.
(इस कविता के साथ लगे फोटो पर मेरा कोई अधिकार नहीं है. यह मुझे मेल के रूप में मिला है.इसका लिंक egreetings.india.gov.in.page-archive.org/user. है. )
Wednesday 24 February 2010
रीति काल पर दो दिन का राष्ट्रीय सेमिनार :डॉ.शशि मिश्रा
रीति काल पर दो दिन का राष्ट्रीय सेमिनार
आप को जान कर ख़ुशी होगी कि मुंबई के महर्षि दयानंद महाविद्यालय ,परेल में आगामी ०३ और ०४ मार्च २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा दो दिनों का राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है. यु.ज़ी.सी. द्वारा प्रायोजित इस सेमिनार में देश के कई जाने-माने विद्वान सहभागी हो रहे हैं.
आप यदि इस सेमिनार में सहभागी होना चाहते हैं तो आप का स्वागत है. आप अधिक जानकारी के लिए महाविद्यालय क़ी हिंदी विभाग प्रमुख श्रीमती डॉ.शशि मिश्रा जी से उनके मोबाइल -०९८३३६२१९३८ पे सम्पर्क कर सकते हैं.महाविद्यालय तक पहुँचने के लिए ttp://maps.google.com/maps?f=d&source=sh_d&saddr=महार्ष इस गूगल मैप लिंक का सहारा लिया जा सकता है .महाविद्यालय का पता निम्नलिखित है-
Maharshi Dayanand College,Parel, Dr SS Rao Rd, Parel, Mumbai, Maharashtra, India
आपका सेमिनार में स्वागत है ***
डॉ.शशि मिश्रा
आप को जान कर ख़ुशी होगी कि मुंबई के महर्षि दयानंद महाविद्यालय ,परेल में आगामी ०३ और ०४ मार्च २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा दो दिनों का राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है. यु.ज़ी.सी. द्वारा प्रायोजित इस सेमिनार में देश के कई जाने-माने विद्वान सहभागी हो रहे हैं.
आप यदि इस सेमिनार में सहभागी होना चाहते हैं तो आप का स्वागत है. आप अधिक जानकारी के लिए महाविद्यालय क़ी हिंदी विभाग प्रमुख श्रीमती डॉ.शशि मिश्रा जी से उनके मोबाइल -०९८३३६२१९३८ पे सम्पर्क कर सकते हैं.महाविद्यालय तक पहुँचने के लिए ttp://maps.google.com/maps?f=d&source=sh_d&saddr=महार्ष इस गूगल मैप लिंक का सहारा लिया जा सकता है .महाविद्यालय का पता निम्नलिखित है-
Maharshi Dayanand College,Parel, Dr SS Rao Rd, Parel, Mumbai, Maharashtra, India
आपका सेमिनार में स्वागत है ***
डॉ.शशि मिश्रा
प्यार के रंग में गोरी भीगी.
होली जब भी आती है
नई सौगात लाती है .
उसे बाँहों में भरने का,
वही एहसास लाती है.
ले के प्यार का गुलाल,
मन में थोड़े से सवाल .
वो आ के मेरे पास,
मुझको छेड़ जाती है .
नजर सब क़ी बचाती है
नजर मुझसे मिलाती है .
इशारों ही इशारों में,
हँसी पैगाम देती है .
हमजोली क़ी टोली आती .
साथ में नखरे वाली आती .
छू के मेरे गालों को,
वो हलके से शरमाती है .
चोली भी भीगी ,चुनरी भी भीगी
प्यार के रंग में गोरी भीगी.
देख के उसका ऐसा रूप,
मुझको बेचैनी होती है .
( इस पोस्ट के साथ लगे सभी फोटो मुझे मेल के रूप में मिले हैं,इनपे मेरा कोई अधिकार नहीं है.)
होली जब भी -----------------------------------------
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